विनोद खन्ना और ओशो के बीच के संबंधों को कौन नहीं जानता. कहा जाता है कि अगर विनोद, ओशो के पास न जाते तो अमिताभ बच्चन से बड़े सुपरस्टार होते. लेकिन ‘यूं होता तो क्या होता’, जैसे सवालों में न फंसते हुए किस्से पर फोकस करते हैं. तो, विनोद खन्ना की धर्मेंद्र के साथ 1982 में एक मूवी रिलीज़ हुई,’राजपूत’. डायरेक्टर थे विजय आनंद. हालांकि कमाई के मामले में ये मूवी उस साल की टॉप तीन फिल्मों में से एक थी, लेकिन इसको बनाने में जितना समय और जितनी मेहनत लगी, उसने विजय को भावनात्मक रूप से निचोड़ कर रख दिया. डिप्रेशन का फेज़ शुरू हो गया. जो सवाल ‘गाइड’ में राजू के मन में पैदा हुए थे, वही उनके मन में भी पैदा होने लगे. उत्तर पाने के लिए वो ओशो की शरण में चले गए.