नवजोत गुलाटी और श्रेयांश पांडे की ये कहानी कुछ ऐसी है - एक महत्वाकांक्षी पटकथा लेखक है, आयुष वर्मा. मुंबई आता है और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के थपेड़ों से गुज़रता है. अपनी दोस्ती और पेशेवर झगड़ों, अपने असीम प्रेम और असुरक्षा, अपनी लगभग सफल कहानी और सफलताओं के साथ-साथ अपरिहार्य असफलताओं के ज़रिए एक बिटर-स्वीट कहानी उकेरता है. ताकि वो इस ‘इंडस्ट्री’ में अपनी जगह बना सके.