
बहरहाल, कपड़ों के अलावा भी नाग-नागिन के कुछेक ऐसे फिक्स कारनामे हैं, जिनको शामिल किए बिना उन पर फिल्म बन ही नहीं सकती. जैसे नाचते वक़्त फन के आकार में हथेलियां फैलाकर डसने का अभिनय करना. मुझे अक्सर इसे देख के क्रिकेट में कैच पकड़ने की ‘रिवर्स कप टेक्निक’ याद आती है, जिसमें आज तक किसी भारतीय खिलाड़ी को महारत नहीं हासिल हुई. (याद कीजिए आईपीएल का वो मैच जिसमें विराट कोहली ने एक अहम मौके पर रिवर्स कप तकनीक से डेविड मिलर का कैच लेने की होशियारी दिखाई थी और गेंद उनके चौखटे से आ टकराई थी. कैच और मैच दोनों छूट गए थे हाथ से. बहरहाल ये विषयांतर हो रहा है. सो लेट्स गेट बैक टू अवर नाग-नागिन.)हां तो बॉलीवुड ने जब-जब भी हमारी मुलाक़ात रेप्टाइल प्रजाति के इस महत्वपूर्ण जीव से कराई है, जी भर के स्टीरियो टाइपिंग की है. एक तो इन इच्छाधारी नाग-नागिन का बीन से भयंकर बैर रहा करता था. तांत्रिक लोग एक ही घिसी-पिटी धुन पर बीन बजाते हुए नाग-नागिन को लिटरली तिगनी का नाच नचा दिया करते थे. इधर बीन बजी नहीं कि उधर आहे-कराहे शुरू. बेहोश होने की कगार पर पहुंच जाते थे नाग महाशय (या नागिन, जो भी उपलब्ध हो). जैसे बीन में से क्लोरोफॉर्म छिड़का जा रहा हो. ऐसे कठिन अवसर पर भी डांस निकल जाया करता था कमबख्तों का.



# नाचे नागिन गली-गली
‘दामिनी’ फेम मीनाक्षी शेषाद्री न जाने किस घड़ी में इस फिल्म के लिए हां कर बैठी होगी. महाभारत सीरियल में कृष्ण बने नितीश भारद्वाज इसमें उनके नायक हैं. (हाय अल्लाह!). वो भी डबल रोल में. (डबल हाय अल्लाह!). कहानी न बता कर आप लोगन पर एहसान कर रहे हैं. फिल्म कैसी रही होगी इसका अंदाज़ा इस एक सीन से ही लगा लीजिए. https://youtu.be/SsYHR90Qldc?t=6633# शेषनाग
कुछ पाप ऐसे होते हैं जिनकी सज़ा इसी जनम में भुगतनी पड़ती है. ये फिल्म रेखा के ऐसे ही पापों का फल माना जाए. जितेंद्र बने थे उनके प्रियतम नाग. और खलनायक की भूमिका में ओवर एक्टिंग की थी डैनी ने. उनका ‘शमशान घाट के मुर्दों’ वाला डायलॉग बार-बार सुनने के बाद ही हमें समझ आया कि ये फिल्म उन्हीं के लिए बनाई गई थी. शमशान घाट के मुर्दों के लिए. बहरहाल, रेखा के फैन ये क्लिप ना ही देखें तो बेहतर. 'उमराव जान' से यहां तक का सफ़र आपको रुला देगा. https://www.youtube.com/watch?v=s6nWVEbbQRU# तुम मेरे हो
यकीन कर लो कि इस फिल्म में आमिर ख़ान थे. वही 'दंगल', 'तारे ज़मीन पर', 'रंग दे बसंती' वाले आमिर ख़ान. इसका मतलब जानते हैं? यही कि हर तितली अपने शुरुआती दिनों में कीड़ा हुआ करती है. (मिसाल नहीं जमी? कोई बात नहीं, फिल्म भी ऐसी ही थी. न जमने वाली). अब इस फिल्म की क्या ही तारीफ़ करें! हम आपको इस फिल्म का कोई सीन दिखाने की जगह कन्नन और विस्वा का ये रिव्यू दिखाते हैं. बस हंसते-हंसते मर ना जाना. https://www.youtube.com/watch?v=0n7OWo4Sr6U# नाग-नागिन
एह टू ब्रुट्स! मंदाकिनी को इस फिल्म में देखने के बाद निराशा की भावना से तड़पते उनके फैंस ने यही बोला होगा. राजीव कपूर और मंदाकिनी की जोड़ी ने 'राम तेरी गंगा मैली' में काम किया था साथ. उसी सफलता को भुनाने के चक्कर में उन्होंने ये फिल्म कर ली और अपने समूचे करियर को ही मैला कर लिया. ये सीन देखिए और जानिए कि नागिन को सुरूर में लाने के लिए बीन का सदेह उपस्थित होना ज़रूरी नहीं है. टेपरिकॉर्डर से भी काम चल सकता है. https://www.youtube.com/watch?v=VMict4qZssQ# जानी दुश्मन - एक अनोखी कहानी
अहा! आला रे आला, अरमान कोहली आला! ये फिल्म नागों द्वारा हाईटेक दुनिया में दी गई दस्तक थी. और दस्तक भी ऐसी कि दरवाज़ा ही टूट गया. लगता है डायरेक्टर का मन था सुपरहीरो वाली फिल्म बनाने का. प्रोड्यूसर नाग-नागिन वाली फिल्म बनाना चाहता था. ईश्वर ने दोनों की सुन ली. और परदे पर नाज़िल हुआ ये शाहकार. हॉलीवुड की फिल्म 'मैट्रिक्स' से तमाम सीन कॉस्ट्यूम सहित चुराए गए. एक नागिन ली गई. उसके साथ बदफैली करवाई गई. और फिर उसका 400 साल पहले का 'नाग-प्रेमी' वर्तमान में बुलवाया गया जो सिवाय नाग के सब कुछ लगता था. फिर आगे जो हुआ वो नाकाबिलेबर्दाश्त था. झलक देख लीजिए. https://www.youtube.com/watch?v=vhDFn2sOR7E और कौन भूल सकता है वो सीन जब अरमान कोहली भागते-भागते मोटर साइकल में बदल जाते हैं.अभी तो हम आपको उड़ने वाले भारतीय सांपों के बारे में नही बता रहे हैं. बाकी पता तो आपको सब रहता है. बहरहाल सांप-प्रेमी बॉलीवुड ने जितना भी डसा हो दर्शकों को, उसे महज़ इस एक करिश्मे के लिए माफ़ किया जा सकता है. इस गाने को कोई डेढ़ लाख बार देख चुका होगा इन पंक्तियों का लेखक. (माना कि अतिशयोक्ति है लेकिन भावनाओं को समझो यार!) https://www.youtube.com/watch?v=txOeZmLBUDg
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