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हॉलीवुड के एक्टर्स ने काम क्यों बंद किया, क्या बवाल होने वाला है?

हॉलीवुड के 1.60 लाख एक्टर्स हड़ताल पर हैं

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हॉलीवुड के 1.60 लाख एक्टर्स हड़ताल पर हैं

‘हॉलीवुड’ संकट में है. दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे ज़्यादा कमाने वाली एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री बंद होने की कगार पर है. वजह, राइटर्स के बाद अब इंडस्ट्री के डेढ़ लाख से अधिक एक्टर्स ने हड़ताल करने का ऐलान कर दिया है. इनमें सुपरस्टार किलन मर्फ़ी से लेकर 03 दफ़ा ऑस्कर जीत चुकीं एक्ट्रेस मेरिल स्ट्रीप तक शामिल हैं. इसके चलते कई टीवी शोज़ को हमेशा के लिए बंद करना पड़ सकता है. और, फ़िल्मों की रिलीज़ में भी देरी हो सकती है. मतलब, आपके एंटरटेनमेंट का डोज फ़ीका पड़ने वाला है.

तो आइए जानते हैं,

- हॉलीवुड के एक्टर्स हड़ताल पर क्यों जा रहे हैं?
- और, हड़ताल का दुनिया पर क्या असर पड़ेगा?

एक बात बताइए. आप हॉलीवुड की किस फ़िल्म या टीवी सीरीज़ का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं? आप किलर्स ऑफ़ द फ़्लावर मून, ड्यून पार्ट-2, कलर पर्पल के अलावा और भी नाम ले सकते हैं. एक नाम ओपनहाइमर का भी हो सकता है. परमाणु बम के जनक माने जाने वाले जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर के जीवन पर बनी फ़िल्म. जिनके बनाए बम से अमेरिका ने जापान को सरेंडर करने पर मजबूर किया. बाद में उन्हीं ओपनहाइमर को सोवियत संघ का जासूस बताकर गद्दार साबित करने की साज़िश रची गई. इस फ़िल्म की रिलीज़ की तारीख़ 21 जुलाई तय हुई है.

13 जुलाई को लंदन में फ़िल्म का प्रीमियर रखा गया था. इस मौके पर पूरी स्टारकास्ट को मौजूद रहना था. मगर ऐन मौके पर किलन मर्फ़ी, मैट डेमन और एमिली ब्लन्ट बीच में ही निकल गए. किलन मर्फ़ी को आप पीकी ब्लाइंडर्स के थॉमस शेल्बी के तौर पर जानते होंगी. वही ओपनहाइमर का किरदार भी निभा रहे हैं. मैट डेमन और एमिली ब्लंट भी हॉलीवुड के सबसे बड़े नामों में से हैं.

लेकिन उन्होंने अचानक प्रीमियर छोड़ा क्यों? क्योंकि 13 जुलाई को हॉलीवुड एक्टर्स के यूनियन स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड - अमेरिकन फ़ेडरेशन ऑफ़ टेलीविजन एंड रेडियो आर्टिस्ट्स (SAG-AFTRA) ने काम बंद करने की घोषणा की. जैसे ही इसकी ख़बर लंदन पहुंची, ओपनहाइमर के लीड एक्टर्स प्रीमियर छोड़कर निकल गए.

हालांकि, हड़ताल यहीं तक सीमित नहीं है. SAG में 01 लाख 60 हज़ार से अधिक परफ़ॉर्मर्स हैं. इनमें लीड एक्टर्स से लेकर बैकग्राउंड डांसर्स और बॉडी डबल्स तक शामिल हैं. हड़ताल का ऐलान करते हुए SAG की प्रेसिडेंट फ़्रेन ड्रेशर बोलीं,

'हमें मुश्किल फ़ैसला लेना पड़ा. ये बहुत बड़ा निर्णय था. ये गंभीर है और इंडस्ट्री में काम कर रहे हर व्यक्ति को प्रभावित करेगा. ये हमारी खुशकिस्मती है कि हम ऐसे देश में रहते हैं जो कभी मज़दूरों के प्रति हमदर्दी रखता था. लेकिन अब हमें ऐसे विरोध का सामना कर पड़ रहा है, जो ना सिर्फ़ कटु है, बल्कि बहरा भी है. सब्र का बांध टूट चुका है. हम मज़बूती से एक साथ खड़े हैं. आपको आंखें खोलकर देखने की ज़रूरत है. हम मज़दूर हैं और एक साथ खड़े हैं और हम सम्मान और उचित मानदेय चाहते हैं. आपको मुनाफ़ा हमारे साथ साझा करना होगा क्योंकि हमारे बिना आपका कोई अस्तित्व नहीं है.'

ये तो हुई एक्टर्स यूनियन की बात. राइटर्स गिल्ड ऑफ़ अमेरिका के 11 हज़ार से अधिक सदस्य मई 2023 से ही हड़ताल पर हैं. वे बेहतर सैलरी और आर्टिफ़िशल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल रोकने की मांग पर अड़े हैं. उनकी बात अभी तक नहीं मानी गई है. अब SAG वाले भी उनके साथ आ गए हैं.

हड़ताल की वजह क्या है?

इसके लिए आपको हॉलीवुड का वर्क मॉडल समझना होगा.

एक फ़िल्म का उदाहरण लेते हैं.

किसी भी फ़िल्म को बनाने में सैकड़ों लोग लगते हैं. इनमें डायरेक्टर्स, राइटर्स, एक्टर्स से लेकर सेट डिजाइनर और स्पॉट बॉयज़ तक शामिल हैं. 1960 के दशक तक फ़िल्म स्टूडियोज़ स्टार एक्टर्स और ज़रूरी वर्कर्स को कई बरसों के कॉन्ट्रैक्ट पर रखते थे. उन्हें मंथली या वीकली सैलरी दी जाती थी. वे एक किस्म के वेतनभोग कर्मचारी होते थे.

बाद में ये चलन बदल गया.

एक्टर्स तय सैलरी वाला कॉन्ट्रैक्ट छोड़ने लगे. इसकी बजाय उन्होंने ज़्यादा पैसे और पसंद के हिसाब से प्रोजेक्ट चुनना शुरू किया. यही प्रथा दूसरी फ़ील्ड्स में भी आई. अब ऐसा होता है कि हर नए प्रोजेक्ट में नए सिरे से लोगों को जुटाना पड़ता है. फिर वे मिलकर कोई फ़िल्म या सीरीज़ या डॉक्यूमेंट्री बनाते हैं. प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद वे नए काम की तलाश में जुट जाते हैं. ये एक कॉमन प्रैक्टिस है.

इस समय राइटर्स और एक्टर्स हड़ताल कर रहे हैं. उनकी आपत्ति क्या है?

- पहली आपत्ति पैसे को लेकर है.

एक्टर्स और राइटर्स, दोनों बेस पे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. दावा है कि सैलरी पिछले दशक की तुलना में कम हुई है. वे स्ट्रीमिंग सर्विस से होने वाली कमाई में भी हिस्सा चाहते हैं. राइटर्स यूनियन के मुताबिक, स्टूडियोज़ ने ये मांग खारिज कर दी है.
पहले उन्हें फ़िल्म या शो की सफ़लता के हिसाब से पैसा मिल जाता था. लेकिन स्ट्रीमिंग सेवाएं डेटा शेयर नहीं करती हैं. इससे उन्हें पर्दे के पीछे होने वाली डील का पता नहीं चलता है.
एक्टर्स की एक डिमांड और है. उनका कहना है कि जो ऑडिशन वे ख़ुद से रेकॉर्ड करते हैं, उसके बदले में उन्हें पैसा मिलना चाहिए.

- दूसरी आपत्ति आर्टिफ़िशल इंटेलीजेंस (AI) को लेकर है.

AI आने के बाद एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में दहशत का माहौल है. कहा जा रहा है कि AI सबसे पहले राइटर्स को रिप्लेस करेगी. राइटर्स चाहते हैं कि इसके इस्तेमाल पर रोक लगे. हर शो में कम से कम 06 राइटर्स को रखा जाए और मिनिमम 13 हफ़्ते के काम का भरोसा मिले.

एक चर्चा ये भी है कि AI के सहारे दिवंगत हो चुके एक्टर्स को स्क्रीन पर लाया जाएगा. या, बिना एक्टर्स को हायर किए उनके पुराने परफ़ॉर्मेंस के आधार पर नया कॉन्टेंट तैयार कर लिया जाएगा.

यही आशंका डायरेक्टर्स को भी थी. उन्होंने जून 2023 में कंपनियों के साथ डील की कि उन्हें AI से रिप्लेस नहीं किया जाएगा.

- तीसरी आपत्ति डिजिटल नकल को लेकर है.

स्टूडियोज़ बैकग्राउंड परफ़ॉर्मर्स को पूरे प्रोजेक्ट के लिए हायर नहीं करना चाहते हैं. वे एक दिन की सैलरी देकर उनका डिजिटल राइट्स खरीदना और फिर पूरे प्रोजेक्ट में उनका रेप्लिका यूज करने का इरादा रखते हैं. एक्टर्स यूनियन इसका विरोध कर रही है.

हड़ताल किनके ख़िलाफ़ हो रही है?

दूसरा पक्ष प्रोडक्शन स्टूडियोज़ (जैसे यूनिवर्सल स्टूडियोज़, वॉर्नर ब्रोज़, पैरामाउंड स्टूडियोज़, डिज्नी आदि) और स्ट्रीमिंग सर्विसेज़ (जैसे नेटफ़्लिक्स, अमेज़न, एप्पल आदि) का है. उनका भी अपना संगठन है. द अलायंस ऑफ़ मोशन पिक्चर एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स (AMPTP).

वे क्या कह रहे हैं?

हमने अपनी तरफ़ से बढ़िया प्रोपोजल दिया था. सैलरी बढ़ाने, डिजिटल नकल को रेगुलेट करने, हेल्थ और पेंशन में शेयर बढ़ाने समेत कई ऑफ़र दिए. लेकिन एक्टर्स यूनियन तैयार नहीं हुआ. स्टूडियोज़ का तर्क है कि पिछले कुछ समय से लोगों ने थिएटर जाना कम कर दिया है. वे घर में टीवी देखने की बजाय स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म्स पर समय बिता रहे हैं. इसके कारण उनकी कमाई घटी है. शेयर के दाम कम हुए हैं. जिसकी वजह से स्टाफ़्स को निकालना भी पड़ा है. ऐसे में राइटर्स और एक्टर्स यूनियन की सभी मांगों को नहीं माना जा सकता.

डिज़्नी के CEO बॉब इगर ने यूनियंस की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है. वो बोले,

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री महामारी से हुए नुकसान से उबरने की कोशिश कर रही है. ऐसे समय में इस तरह की डिमांड्स रखना पूरी तरह से ग़लत हैं.

यानी, दोनों पक्ष अड़े हुए हैं. बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ये हड़ताल हॉलीवुड को डुबो सकती है. इसे ऐतिहासिक माना जा रहा है. ये है भी. 1960 के बाद पहली बार अमेरिका में राइटर्स और एक्टर्स यूनियन एक साथ हड़ताल कर रहे हैं. उस बरस हुई हड़ताल को रोनाल्ड रीगन ने लीड किया था. रीगन उस वक़्त एक्टर्स गिल्ड के प्रेसिडेंट हुआ करते थे. बाद में वो अमेरिका के राष्ट्रपति बने.

1960 के आंदोलन का मकसद क्या था? राइटर्स और एक्टर्स, दोनों टीवी चैनलों पर दिखाई जाने वाली फ़िल्मों से होने वाली कमाई में हिस्सेदारी चाहते थे. उनकी मांग मान ली गई थी.
उसके बाद से राइटर्स और एक्टर्स यूनियन साथ नहीं आए थे. दोनों ने अलग-अलग कई मौकों पर प्रोटेस्ट किया. एक्टर्स यूनियन ने आख़िरी बार 1980 में हड़ताल की थी. जबकि राइटर्स यूनियन ने आख़िरी बार 2007 में काम बंद करने का ऐलान किया था. 100 दिनों तक चली हड़ताल के कारण लगभग 16 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

अब समझते हैं कि इस बार की हड़ताल का असर क्या होगा?

राइटर्स यूनियन में स्क्रिप्ट राइटर, कॉपी एडिटर, डायलॉग राइटर जैसे पेशे के लोग हैं. उनके बिना किसी शो या फ़िल्म को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. मान लीजिए कि स्क्रिप्ट तैयार है. फिर उन्हें शूट करने के लिए एक्टर्स चाहिए. लेकिन वे भी हड़ताल पर हैं. यानी, उनके बिना शूटिंग नहीं हो सकती. मतलब, पूरा काम ठप पड़ा है. अमेरिका के अधिकतर फ़िल्म स्टूडियोज़ में कोई काम नहीं हो रहा है. अगर पहले से कोई शूट चल रहा है और उसमें SAG का कोई मेंबर शूट कर रहा है तो उसे भी काम बंद करना पड़ेगा. भले ही शूटिंग दुनिया में कहीं पर भी चल रही हो.

कौन-कौन से एक्टर्स हड़ताल में हिस्सा लेने वाले हैं?

एंजेलिना जोली से लेकर टॉम क्रूज तक और मेरिल स्ट्रीप से लेकर रॉबर्ट डाउनी जूनियर तक SAG के मेंबर हैं. किलन मर्फ़ी, मेरिल स्ट्रीप, मैट डेमन, बॉब ओडेनकर्क, जेनिफ़र लॉरेंस समेत कई दिग्गज कलाकारों ने खुले तौर पर हड़ताल को समर्थन दिया है. अमेरिकी मीडिया में छपी रपटों के मुताबिक, ये कलाकार सड़क पर भी उतरेंगे. जानकारों की मानें तो उन्हें इस प्रोटेस्ट से पैसों का कोई फायदा नहीं होगा. लेकिन उनके साथ आने से ज़रूरतमंदों की मांग को बल ज़रूर मिलेगा.

हड़ताल का अभी तक क्या असर दिखा है?

> कई टीवी शोज़ के नए ऐपिसोड्स अधर में लटक गए हैं. इसके चलते टीवी चैनलों पर पुराने ऐपिसोड्स को दोबारा से दिखाया जा रहा है. कई चैनलों को अपना शेड्यूल बदलना पड़ा है.

> डिज़्नी ने अपनी कई फ़िल्मों की रिलीज़ की तारीख़ आगे बढ़ा दी है. अवतार-3 अगले बरस रिलीज़ होने वाली थी. उसको 2025 तक के लिए खिसका दिया गया है. स्टार वार्स सीरीज़ की दो फ़िल्मों को 2026 की तारीख़ दी गई है.

> ABC पर रिपीट टेलीकास्ट चलाए जा रहे हैं. फ़ॉक्स को अनस्क्रिप्टेड शोज़ लॉन्च करने पड़े हैं.

> एमी अवॉर्ड्स का शेड्यूल 18 सितंबर का था. हड़ताल के बाद इसे पोस्टपोन करने पर विचार चल रहा है.

> इन सबके अलावा, हड़ताल के कारण एक्टर्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल्स में भी हिस्सा नहीं ले सकेंगे. इसके कारण फ़ेस्टिवल्स की सफ़लता ख़तरे में पड़ गई है.

14 जुलाई को एक्टर्स यूनियन की हड़ताल का पहला दिन है. उससे पहले ही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री अस्त-व्यस्त हो चुकी है. अभी ये भी नहीं पता है कि हड़ताल कब तक चलेगी. प्रोटेस्ट जितना लंबा खिंचेगा, हॉलीवुड की हालत उतनी ज़्यादा ख़राब होगी. ये नुकसान सिर्फ़ पैसों से नहीं आंका जा सकता. इसमें लेबर राइट्स, लेबर यूनियंस की प्रासंगिकता और आर्टिफ़िशल इंटेलीजेंस समेत कई ज़रूरी मुद्दे भी दांव पर लगे हैं. जानकारों का कहना है कि इस हड़ताल का नतीजा एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को हमेशा के लिए बदलकर रख देगा.

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