15 जून, 2001 की तारीख को सिनेमाघरों में ‘गदर’ मचा. सनी देओल की फिल्म आने से कुछ दिन पहले ही इसको लेकर हवा बनने लगी थी. गानों के पर लगे और वो पूरे देशभर में पहुंचे. बाकी बचा काम फिल्म की कहानी ने कर दिया. एक पंजाबी मुंडे और पाकिस्तानी मैडम जी की प्रेम कहानी. जहां दहाड़ते सनी देओल थे. गुर्राते अमरीश पुरी थे. हैंडपम्प था. लहू में उबाल लाने वाली देशभक्ति का सेंटीमेंट था. लेकिन इन सब के बीच था इमोशन – दो प्रेमियों के बीच का इमोशन. मां और बेटे के बीच का इमोशन. ऐसे इमोशन्स को सजीव करने वाला इंसान ही ‘गदर’ का असली स्टार था. लेकिन उसकी कहीं बात ही नहीं हो रही थी. आज तक नहीं होती.
कहानी शक्तिमान तलवार की: वो आदमी, जिसने 'गदर' की कहानी और परदाफाड़ डायलॉग्स लिखे
जब यश चोपड़ा ने फोन किया और कहा, "शक्तिमान, 'गदर' में सबसे अच्छा काम तुम्हारा ही था". शक्तिमान ने इंडिया में 'गदर' मचाने से पहले इंडोनेशिया में क्रांति मचा दी थी.
अखबार और इंडस्ट्री वालों की तारीफ घूम फिरकर सिर्फ सनी देओल, अमीषा पटेल, अमरीश पुरी और डायरेक्टर अनिल शर्मा के इर्द-गिर्द ही रही. एक पारखी नज़र वाला आदमी इस सब के पार देख पा रहा था. उस आदमी को सम्मान में फिल्म इंडस्ट्री वाले यश जी बुलाते. जनता उनकी फिल्मों का इंतज़ार करती. कि यश चोपड़ा की फिल्म आई है. एक दिन यश चोपड़ा ने अपने ऑफिस से फोन मिलाया. दूसरी ओर फोन उठा. उन्होंने पूछा कि क्या मेरी बात शक्तिमान तलवार से हो सकती है, मैं यश चोपड़ा बोल रहा हूं. फोन उठाने वाली महिला तुरंत बाथरूम की ओर दौड़ीं.
दरवाज़ा खटखटाया. हड़बड़ाहट में कहा कि जल्दी बाहर आओ. यश चोपड़ा का फोन है तुम्हारे लिए. इतना सुनकर अंदर छलकते पानी की आवाज़ शांत पड़ गई. शक्तिमान अगले ही पल बिना झाड़-पोंछ किए फोन का रिसीवर हाथ में थामे खड़े थे. दूसरी ओर से यश चोपड़ा ने कुछ ऐसा कहा, जो उन्हें अपनी पूरी ज़िंदगी याद रहने वाला था,
शक्तिमान, अगर ‘गदर’ में सबसे अच्छा काम किसी का है, तो वो आपका है.
‘गदर’ अब सिर्फ बनाने वालों की फिल्म नहीं रह गई थी. ये सबकी फिल्म बन चुकी थी. फिल्म एक नए ट्रेंड की जनक बनी, जिसके अंतर्गत लगातार देशभक्ति पर फिल्में बनाई गईं. हालांकि ये ट्रेंड भले ही लंबा नहीं चला लेकिन हिंदी सिनेमा में ‘गदर’ के प्रभाव को किसी भी तरह नकारा नहीं जा सकता. उसे ब्लॉकबस्टर बनाने वाले लोगों में एक्टर्स, डायरेक्टर पर बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है. उसको कागज़ पर उतारने वाले शक्तिमान पर ही बात नहीं होती. हम आज उन्हीं के बारे में बताएंगे.
# इंडोनेशिया के ‘सलीम-जावेद’ बनने की कहानी
मूल रूप से शक्तिमान गाज़ियाबाद के रहने वाले हैं. उनकी स्कूली और कॉलेज की पढ़ाई गाज़ियाबाद और दिल्ली से ही हुई. इसके बाद उनके कदम बंबई की ओर कैसे मुड़े, इसको लेकर कुछ पढ़ने या सुनने को नहीं मिलता. कोमल नाहटा को दिए एक इंटरव्यू में शक्तिमान ने बताया कि ‘जाल’ उनकी पहली फिल्म थी. साल 1986 में ये फिल्म रिलीज़ हुई थी. बनाया था उमेश मेहरा ने. शक्तिमान की लिखी इस पहली फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रौला काट दिया. उमेश मेहरा इस नए लड़के को जाने नहीं देना चाहते थे. ऊपर से दोनों की बॉन्डिंग भी जम गई.
उमेश ने शक्तिमान के साथ मिलकर कई फिल्में प्लान कर लीं. इसी प्लानिंग के चलते ‘आशिक आवारा’ बनी, जो सैफ अली खान की शुरुआती फिल्मों में से थी. शक्तिमान लगातार फिल्मों पर काम कर रहे थे. ‘भाभी’ जैसी फिल्म पर उन्होंने मुख्य राइटर के रूप में काम किया. वहीं बीच-बीच में ऐसी फिल्में भी आईं, जहां उन्होंने सिर्फ असिस्ट किया. शक्तिमान फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव तौर पर काम कर रहे थे. पुराने लोग उनका नाम जान रहे थे. नए उनके साथ काम करना चाहते थे.
इसी दौरान उन्हें राम पंजाबी मिले. एक टीवी प्रोड्यूसर, जो थे तो भारतीय लेकिन रहते सिंगापुर में थे. राम चाहते थे कि शक्तिमान सिंगापुर के टीवी के लिए कुछ लिखें. बातचीत हुई और शक्तिमान मान गए. उन्होंने राम के साथ मिलकर एक कॉमेडी शो लिखना शुरू किया. ये शो चंद एपिसोड में ही खत्म होना था. लेकिन इतना पसंद किया गया कि पांच साल तक दौड़ा. इसके बाद शक्तिमान ने अपना दूसरा इंडोनेशियन शो लिखा. ये एक ड्रामा था. टाइटल था ‘गोल्डन थ्रेड्स’. शक्तिमान इंडिया में ही रहकर लिखते. उन्होंने उस दौर में इंडोनेशियन शोज़ के लिए लिखना शुरू किया, जब इंडिया से बाहर सिर्फ चिट्ठी जाती थी. उनकी ये साझेदारी चलती रही और अब वो चिट्ठी की जगह ई-मेल के ज़रिए अपनी कहानियां भेजते.
राम अब नया शो बनाने जा रहे थे, लेकिन उनकी एक मांग थी. वो चाहते थे कि शक्तिमान उनके साथ सिंगापुर चलें और वहीं रहकर काम करें. शक्तिमान पहले तो इसके लिए तैयार नहीं हुए. हालांकि इस बीच वो लगातार इंडोनेशियन शोज़ के लिए लिख रहे थे. उन्होंने करीब पांच साल तक इंडोनेशियन टेलिविजन के लिए लिखा. इस बीच वो अपने परिवार के साथ सिंगापुर भी गए. कुछ समय तक वहां रहकर भी लिखा. शक्तिमान बताते हैं उन्होंने इतना लिखा कि उन्हें इंडोनेशियन टीवी का ‘सलीम-जावेद’ कहा जाने लगा था.
# यश चोपड़ा को कहानी पसंद आई, मगर फिल्म कभी नहीं बनी
‘गदर’ की कामयाबी के बाद यश चोपड़ा ने शक्तिमान को फोन किया. बधाई दी. लेकिन ये फोन कॉल सिर्फ बधाई संदेश देने के लिए नहीं थी. यश चोपड़ा उनके साथ काम करना चाहते थे. उत्साहित शक्तिमान ने एक कहानी पर काम करना शुरू किया. डायरेक्टर को सुनाई. उन्हें आइडिया अच्छा लगा. आगे आने वाले कई महीनों तक दोनों मिलते रहे. उस आइडिया को तराशते रहे. कहानी को परफेक्ट के निकटतम स्तर तक ले गए. वहां ले जाने के बाद अचानक से यश चोपड़ा ने अपने हाथ वापस खींच लिए. वो अब इस कहानी पर काम नहीं करना चाहते थे.
उन्होंने कहा कि ये कहानी मेरे लायक नहीं. मैं ऐसी फिल्म नहीं बना पाऊंगा. शक्तिमान को बुरा भले ही लगा, लेकिन वो निराश नहीं हुए. उन्होंने पहले भी अपनी फिल्मों को बिना शुरू हुए डिब्बाबंद होते देखा था. ‘गदर’ वो पहली फिल्म नहीं थी, जिस पर अनिल शर्मा और शक्तिमान साथ काम करने वाले थे. वो बताते हैं कि दोनों करीब छह-सात फिल्मों पर काम कर रहे थे. लेकिन उनमें से कोई भी पूरी नहीं हो पाई. कोई एक गाना रिकॉर्ड करने के बाद बंद हो गई, तो कोई एक्टर फाइनल होने के बाद. कई फिल्में ऐसी भी थीं, जो कहानी के आगे ही नहीं बढ़ पाईं.
बहरहाल तमाम कोशिशों के बाद ‘गदर’ बनी और बॉक्स ऑफिस पर कोहराम मचा दिया. लोग बौरा गए. शक्तिमान के करियर को दो हिस्सों में बांट दिया. उन्होंने अनिल शर्मा के लिए ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’, ‘द हीरो: लव स्टोरी ऑफ अ स्पाई’, ‘वीर’ और ‘सिंह साब द ग्रेट’ जैसी फिल्में भी लिखीं. अब इन दोनों राइटर-डायरेक्टर की जोड़ी ‘गदर 2’ के लिए फिर लौट रही है. बता दें कि ‘गदर 2’ 11 अगस्त, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है.
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