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'तिरंगा' फेम विलन प्रलयनाथ गुंडास्वामी यानी दीपक शिर्के आज कल कहां हैं?

इनका सपना था कि या तो एक्टर बनेंगे या इंस्पेक्टर, इनके दोनों सपने एक साथ पूरे हो गए.

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'तिरंगा' फिल्म के एक सीन में एक्टर दीपक शिर्के.
'तिरंगा' बॉलीवुड में बनी सबसे कॉमिक देशभक्ति फिल्म है. हालांकि आज कल बन रही पिक्चरों से इसे कड़ी टक्कर मिल रही हैं. क्रिंज वर्दी कॉन्टेंट के मामले में. खैर, उस वाली डिबेट में नहीं जाते हैं. वरना मामला खिंच जाएगा. जिसने भी 'तिरंगा' देखी है, उसे दो चीज़ें पक्के से याद होंगी. राजकुमार के डायलॉग्स और फिल्म का विलन प्रलयनाथ गुंडास्वामी. गुंडास्वामी को फिल्म में कई बार गेंडास्वामी नाम से भी संबोधित किया जाता है. ये किरदार निभाया था अपने टाइम के पॉपुलर एक्टर दीपक शिर्के ने.
'तिरंगा' फिल्म दीपक की पहचान नहीं है. मगर उनकी पहचान का बड़ा हिस्सा है. नेगेटिव-पॉज़िटिव मिलाकर उन्होंने अपने करियर में सैकड़ों हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया. 70, 80 और 90 के दशक में विरले ही ऐसे एक्टर्स होंगे, जिनके साथ दीपक ने काम नहीं किया. दीपक की बड़ी इच्छा थी कि उन्हें एक बार दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिले. मगर वो संभव नहीं हो पाया. उन्होंने अपने करियर में देव आनंद के साथ कभी स्क्रीन शेयर नहीं की. मगर ऑफ-स्क्रीन दोनों की अच्छी दोस्ती थी. एक्चुअली होता क्या है कि हीरो लोगों के जीवन का हर तिया-पांचा पब्लिक को पता होता. मगर विलंस के बारे में बात नहीं होती. इसी शिकायत को दूर करने के लिए आज हम दीपक शिर्के की कहानी जानेंगे.
फिल्म 'तिरंगा' में राज कुमार के सैवेजपन से परेशान प्रलयनाथ गुंडास्वामी के रोल में दीपक शिर्के.
फिल्म 'तिरंगा' में राज कुमार के सैवेजपन से परेशान प्रलयनाथ गुंडास्वामी के रोल में दीपक शिर्के.

# वो बच्चा जिसे इंस्पेक्टर बनना था या एक्टर दीपक शिर्के का जन्म मुंबई के मरीन लाइंस इलाके में हुआ था. पांच भाई-बहन थे. दीपक सबसे बड़े थे. इनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई एल्फिंस्टन टेक्निकल हाई स्कूल में हुई. और यहीं उन्हें लगा एक्टिंग का चस्का. स्कूल के पीछे रंग भवन नाम का एक थिएटर था. स्कूल की छुट्टी होने के बाद दीपक इसी थिएटर के आसपास घूमते रहते. वहां देखते कि लोग रिहर्सल कर रहे हैं. उन्हें अच्छा लगता. तभी सोच लिया था कि अपने को भी कुछ ऐसा ही करना है. मगर ये नहीं पता था कि कैसे करना है. जब थोड़े बड़े हुए, तो ऑप्शंस में विस्तार हुआ. डिसाइड किया कि या तो एक्टर बनूंगा या इंस्पेक्टर. मगर कमाल ये हुआ कि उनके दोनों सपने एक साथ पूरे हो गए. बताते हैं कैसे.
1976 में दीपक शिर्के ने अपने करियर का पहला नाटक किया. मराठी भाषा की इस नाटक नाम था 'राज मुकुट'. इसमें दीपक का एक छोटा सा रोल था. मगर संतुष्टि थी कि शुरुआत हो गई. इसके बाद दीपक एक्टिंग में रमने लगे. वो खाली थिएटर में जाते और स्टेज पर अकेले परफॉर्म करते. कोई नाटक देखते, तो उसके किरदारों को अपने तरीके से अकेले में प्ले करते. उसमें अपना एलीमेंट डालते. धीरे-धीरे उन्हें थिएटर में छोटे-बड़े रोल्स मिलने शुरू हो गए. दीपक अपने एक इंटरव्यू में बताते हैं कि महाराष्ट्र का कोई ऐसा इलाका नहीं बचा था, जहां जाकर उन्होंने परफॉर्म न किया हो.
टीवी शो 'एक शून्य शून्य' की शूटिंग के दौरान अजय फांसेकर, शिवाजी साटम और अनंत जोग के साथ दीपक शिर्के (बाएं से दूसरे चेकर्ड शर्ट में).
टीवी शो 'एक शून्य शून्य' की शूटिंग के दौरान अजय फांसेकर, शिवाजी साटम और अनंत जोग के साथ दीपक शिर्के (बाएं से दूसरे चेकर्ड शर्ट में).


इन्हीं नाटकों की बदौलत उन्हें एक मराठी फिल्म 'धड़ाकेबाज' में कास्ट किया गया. ये वो पहला मौका था, जब प्रोफेशनल फिल्म एक्टिंग कर रहे थे. इस फिल्म के फौरन बाद 1986-87 में उन्हें मराठी शो 'एक शून्य शून्य' में काम मिल गया. रीजनल शो होने के बावजूद इस सीरियल की व्यूअरशिप तगड़ी थी. दिलचस्प बात ये कि इसमें दीपक को एक पुलिसवाले का रोल करने का मौका मिला. उनका सपना था कि वो एक्टर या इंस्पेक्टर में से कोई एक बनेंगे. मगर इस शो ने उन्हें दोनों मौके एक साथ दे दिए. मगर दीपक के करियर की पहली हिंदी फिल्म थी गोविंद निहलानी की 1980 में आई 'आक्रोश'. इसमें भी उनका रोल छोटा था. मगर अपॉरच्यूनिटी बड़ी थी. आपको इंडिया के सबसे सधे हुए फिल्ममेकर्स में गिने जाने वाले शख्स के साथ काम करने का मौका मिल रहा है. # रोड पर मिल गया अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका एक दिन मुंबई के वीर सावरकर रोड पर दीपक शिर्के 'एक शून्य शून्य' का एपिसोड शूट कर रहे थे. उन्हीं दिनों मुकुल आनंद एक फिल्म प्लान कर रहे थे. जो कि वरदराजन मुदलियार और मान्या सुर्वे जैसे रियल लाइफ गैंगस्टर्स की कहानी से इंस्पायर्ड थी. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन लीड रोल कर रहे थे. 'अग्निपथ' नाम से बन रही इस पिक्चर के प्रोड्यूसर थे यश जौहर. जिस दिन वीर सावरकर मार्ग पर 'एक शून्य शून्य' की शूटिंग चल रही थी, उसी दिन यश जौहर वहां से गुज़र रहे थे. उन्होंने दीपक शिर्के को देखा. वो उनके पास गए और कहा कि वो एक फिल्म बना रहे हैं, जिसमें उनके लिए एक रोल है. अगर दीपक उस रोल में इंट्रेस्टेड हैं, तो जाकर मुकुल आनंद से मिलें. मुकुल उनकी राह देख रहे हैं. दीपक ने कहा कि वो इंट्रेस्टेड तो हैं मगर फिलहाल इस सीरियल की शूटिंग में व्यस्त हैं. जैसे ही लंच होगा, वो जाकर मुकुल से मिल लेंगे.
लंच हुआ और दीपक मुकुल आनंद से मिलने निकल गए. अपने एक इंटरव्यू में दीपक बताते हैं कि उन्हें मुकुल से मिलने के बाद लगा कि इस आदमी में कुछ बात है. बेसिकली उन्हें मुकुल आनंद बढ़िया आदमी लगे. पहली ही मुलाकात में उन्होंने फिल्म के लिए हां कर दी. सेट पर टेलर था. मुकुल ने उसे बुलाया और दीपक के कॉस्ट्यूम के लिए मेज़रमेंट लिए गए. दीपक लौटकर अपने शो के सेट पर पहुंचे. मगर किसी को बताया नहीं कि उन्हें अमिताभ बच्चन की फिल्म में काम मिल गया है. क्योंकि उन्हें डर था कि अगर एडिट टेबल पर उनका रोल फिल्म से कट गया, तो लोग कहेंगे कि वो हवाबाज़ी कर रहे थे. जब 'अग्निपथ' रिलीज़ हुई, तो दीपक के जानने वालों ने उन्हें बधाइयां देनी शुरू कर दीं. खास बात ये थी कि अमिताभ बच्चन की फिल्म में दीपक को प्रॉपर इंट्रोडक्शन क्रेडिट मिला था. इस फिल्म में उनका रोल अन्ना शेट्टी नाम के विलन का था, जिसे कास्ट्रेट करके अमिताभ का किरदार मार देता है.
फिल्म 'अग्निपथ' में कीचड़ वाले फाइट सीक्वेंस के दौरान दीपक शिर्के.
फिल्म 'अग्निपथ' में कीचड़ वाले फाइट सीक्वेंस के दौरान दीपक शिर्के.


फिल्म में अमिताभ और दीपक के बीच एक फाइट सीक्वेंस है, जो कीचड़ में घटता है. इस सीक्वेंस की शूटिंग कोलाबा के मुकेश मिल्स में हो रही थी. इस सीन के लिए खास तौर पर 20 ट्रक कीचड़ मंगवाई गई थी. इस सीन की शूटिंग के दौरान अमिताभ से लेकर नीलम और मिथुन तक को दिन में चार-चार बार अपने बदन पर कीचड़ मलना पड़ता था. जिसे शॉट पूरा होने पर धोने के लिए वॉटर टैंकर मंगवाया जाता था. ये प्रक्रिया इतनी बार रिपीट हुई कि ठंड के मारे नीलम और मिथुन की तबीयत बिगड़ गई. ये सब इसलिए बताया जा रहा है क्योंकि ये तब के टाइम की प्रीमियम व्यवस्था थी. आज कल स्टार्स को पानी में भी शूट करना होता है, तो मिनरल वॉटर का प्रबंध करना पड़ता है.
'अग्निपथ' के बाद 'हम' में भी दीपक और अमिताभ बच्चन साथ नज़र आए. इस फिल्म को भी मुकुल आनंद ने ही डायरेक्ट किया था. 'हम' में दीपक ने अमिताभ के किरदार के पिता प्रताप का रोल किया था. # दीपक जिस एक्टर से डरते थे, उन्होंने फोन करके काम की तारीफ की मेहुल कुमार ने जब दीपक को फिल्म 'तिरंगा' के बारे में बताया तो वो हड़क गए. उन्हें लग रहा था कि राज कुमार इतने बड़े एक्टर हैं. दीपक को डर था कि उनके सामने परफॉर्म करने में उन्हें दिक्कत आएगी. तिस पर उनके अक्खड़ मिजाज़ होने के चर्चे भी मशहूर थे. मगर फिल्म की शूटिंग के दौरान दीपक को ऐसी कोई दिक्कत नहीं आई. जब फिल्म की शूटिंग खत्म हुई, तो राज कुमार ने दीपक को फोन किया. उन्होंने फोन कर फिल्म में उनके काम की तारीफ की. दीपक बताते हैं कि 'तिरंगा' फिल्म से जुड़ी ये उनकी सबसे प्यारी मेमरी है. क्योंकि आप जिस एक्टर को देखकर बड़े होते हैं. उसके साथ काम करने का मौका पाते हैं. और फिर वही एक्टर आपकी तारीफ कर दे, तो फील आ जाती है.
'तिरंगा' में एक बड़ा अजीबोगरीब सीन है. इसमें गुंडास्वामी, डीआईजी बने सुरेश ओबेरॉय का कत्ल करता है. ये सीन हिंदी सिनेमा के सबसे अजीबोगरीब सीन्स की लिस्ट में शामिल हो सकता है. इस मर्डर सीन में गुंडास्वामी का किरदार घोड़े पर हेल्मेट लगाकर बैठा नज़र आता है. एक इंटरव्यू में दीपक शिर्के से इस सीन के पीछे की कहानी पूछी गई. दीपक ने बताया कि उस सीन में वो थे ही नहीं. ये सीन उनके बॉडी डबल ने शूट किया था. शायद इसलिए क्योंकि दीपक घोड़े पर बैठने को लेकर बहुत श्योर नहीं थे. उनके बॉडी डबल की शक्ल छुपाने के लिए उसे हेल्मेट पहना दिया गया. मगर उस सीन में आवाज़ दीपक की ही इस्तेमाल की गई.
फिल्म 'तिरंगा' के हेल्मेट वाले सीन में दीपक शिर्के, जो इस सीन में नहीं होते हुए भी हैं. टेक्नॉलजी बाबू भइया!
फिल्म 'तिरंगा' के हेल्मेट वाले सीन में दीपक शिर्के, जो इस सीन में नहीं होते हुए भी हैं. टेक्नॉलजी बाबू भइया!

# आज कल कहां हैं दीपक शिर्के और क्या कर रहे हैं? दीपक ने अपने करियर एक ही तरह की फिल्मों में काम किया. छोटे-बड़े जो रोल्स मिले, सबको पूरी शिद्दत से निभाया. इसमें अधिकतर स्टीरियोटिपिकल हिंदी फिल्म विलन वाले रोल्स ही थे. मगर जब उन्हें कुछ अलग करने का मौका मिला, तो उन्होंने उसे दोनों हाथों से लपका. जैसे 2007 में आई फिल्म 'एक चालीस की लास्ट लोकल' में दीपक को एक गे गैंगस्टर का रोल करने का ऑफर मिला.  वो रोल किया. ये चीज़ उनकी काम करने की भूख दिखाती है. 2012 में दीपक को राजेश मापुस्कर डायरेक्टेड फिल्म 'फरारी की सवारी' में एक पॉज़िटिव कैरेक्टर प्ले करने का मौका मिला. उन्होंने इस फिल्म में 'मामा' का किरदार बड़े प्यार से निभाया.
एम एक्स प्लेयर पर आई मराठी सीरीज़ 'पांडु' के पोस्टर पर दीपक शिर्के.
एम एक्स प्लेयर पर आई मराठी सीरीज़ 'पांडू' के पोस्टर पर दीपक शिर्के.


बदलते समय के साथ सामंजस्य बिठा पाने में बड़े-बड़े कलाकार असफल रहे हैं. मगर इस फ्रंट पर भी दीपक शिर्के काफी स्ट्रॉन्ग जा रहे हैं. 2019 में उन्होंने MX प्लेयर की सीरीज़ 'पांडू' में काम किया. उसी साल वो मराठी फिल्म 'बोला अलख निरंजन' में काम किया. आखिरी बार दीपक 'ब्लैक मार्केट' नाम की फिल्म में नज़र आए थे, जो इसी साल यानी 2021 में रिलीज़ हुई थी.