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'बाबूजी ज़रा धीरे चलो' वाली याना गुप्ता आज कल कहां हैं?

याना के साथ एक बार वॉर्डरोब मैलफंक्शन की दुर्घटना हुई थी. अगर आप सिर्फ वही पढ़ने आए हैं तो वी आर सॉरी. यहां हम उनकी लाइफ स्टोरी बता रहे हैं.

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इंडिया आने से पहले याना एक सफल मॉडल बन चुकी थी.

साल था 2003. विवेक ओबेरॉय ‘कंपनी’ और ‘साथिया’ जैसी फिल्में कर चुके थे. ऐसी दो फिल्में, जिन्हें सेलिब्रेट किया गया. मीडिया उन्हें यंग सेंसेशन बुलाने लगा. सबकी नज़र थी उनकी अगली फिल्म पर. वो फिल्म आई लेकिन विवेक या बाकी किसी भी ऐक्टर के नाम से याद नहीं रखी गई. याद रखी गई तो एक भैंसे की वजह से. उस पर बैठकर आती लड़की की वजह से. ये फिल्म थी ‘दम’. ‘शूल’ वाले ईश्वर निवास की बनाई फिल्म. भैंसे के सींग वाला शॉट लोगों को याद रहा. उस पर बैठी वो लड़की, जिसने तिलक वाली लंबी, चमकीली बिंदी लगाई थी, वो याद रही. 

ये गाना था ‘बाबूजी ज़रा धीरे चलो, बिजली खड़ी यहां बिजली खड़ी’. समीर अनजान ने लिखे बोल. संदीप चौटा ने संगीत में पिरोए. सुखविंदर सिंह और सोनू कक्कड़ की आवाज़. सोनू नेहा और टोनी कक्कड़ की बड़ी बहन हैं. अपने क्षेत्र के ऐसे मज़बूत कलाकार इस गाने से जुड़े थे, फिर भी पूरी रोशनी वो लड़की चुरा ले गई. वो लड़की थी याना गुप्ता. गाना रिलीज़ हुआ और लोग भूल गए कि कौन सी फिल्म से है, किसने गाया है. सोनू कक्कड़ ने नाराज़गी जताते हुए कभी कहा भी था कि लोग वो गाना सिर्फ याना की वजह से याद रखते हैं. ऐसा ही हुआ भी था. उस एक गाने ने विदेश से आई लड़की को अचानक से लाइमलाइट में लाकर खड़ा कर दिया. वो लड़की जो सालों से भटक रही थी, शायद अब उसे अपना घर मिल गया था. 

आज इस लड़की के बारे में जानेंगे. उस पक्ष की बात करेंगे, जिसमें शायद उस समय की मीडिया कभी इंट्रेस्टेड ही नहीं रही. उन्हें मतलब रहा तो इस बात से कि उसने एक इवेंट में क्या पहना था. कपड़े कितना शरीर ढक पा रहे थे, कितना नहीं. हम उस लड़की के दूसरे महाद्वीप से अपना घर छोड़ने और ‘दम’ वाले भैंसे की सवारी करने तक के सफर पर बात करेंगे. एक वक्त पर हिंदी फिल्मों में टॉप की डांस नंबर गर्ल कही जाने वाली याना की कहानी को उतनी ही मानवीयता देने की कोशिश करेंगे, जितनी हर कलाकार डिज़र्व करता है. 

# यूरोप, जापान और ओशो का आश्रम 

याना गुप्ता का नाम बचपन से ही याना रहा है. बस इंडिया आकर उन्होंने स्पेलिंग बदल ली. 23 अप्रैल, 1979 को जब वो चेक रिपब्लिक के शहर बर्नो में पैदा हुई, तब मां-बाप ने नाम रखा था Jana Synková. ऑस्ट्रिया का पड़ोसी है चेक रिपब्लिक. याना का जन्म एक चेक पिता और भारतीय मां के घर हुआ था. परिवार आर्थिक रूप से ज़्यादा मज़बूत नहीं था. हालत चरमराई हुई थी. ऐसे ही माहौल में एक दिन याना के पिता ने उनकी मां को तलाक दे दिया. घर छोड़कर चले गए. याना की मां पर अपनी दोनों छोटी बच्चियों की ज़िम्मेदारी थी. 

याना बड़ी हो रही थीं. स्कूल के बाद गार्डनिंग और पार्क आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने लगीं. उनकी एक दोस्त मॉडलिंग कोर्स करने जा रही थी. याना को भी साथ आने का सुझाव दिया. वो मान गईं. उम्र थी करीब 16 साल. मॉडलिंग एजेंसी में याना ने खूब मेहनत की. पोज़ करना, रैम्प पर चलना सीखा. अच्छे नंबरों से अपना कोर्स पूरा किया. अब वो एक प्रोफेशनल मॉडल बन चुकी थीं. जिस एजेंसी से पढ़ाई पूरी की, उस ने अपने बेस्ट स्टूडेंट को कहीं बाहर नहीं जाने दिया. खुद ही साइन कर लिया. 

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स्पिरिचूऐलिटी की खोज में याना भारत आई थीं. फोटो में ओशो और विनोद खन्ना.  

याना मॉडलिंग के लिए देश-विदेश जाने लगीं. यूरोप के अलग-अलग देश घूमे. कभी अमेरिका तो कभी जापान जाना हुआ. जापान में उनका लंबा समय बीता. इस पॉइंट तक याना 21 साल की हो चुकी थीं. लगातार चल रहे मॉडलिंग असाइनमेंट थकाने लगे थे. मन और शरीर दोनों को. ब्रेक लेना चाहती थीं. इंडिया के शहर पुणे के बारे में पता चला. वहां स्थित ओशो आश्रम के बारे में पता चला. अपने काम की भागदौड़ से दूर होकर वो आध्यात्म का रुख अपनाना चाहती थी. इसी खोज में ओशो आश्रम पहुँची. याना अपने एक इंटरव्यू में बताती हैं कि वो हमेशा से बैकपैकर रही हैं. ऐसी ही इस बार भी झोला उठाया था और इंडिया आ गई थीं.

# ‘ज़रा धीरे चलो’ बोलने वाली की गाड़ी दौड़ पड़ी

ओशो के आश्रम में याना शांति खोज रही थीं. खुद को खोज रही थीं. इसी खोज में उन्हें एक पार्टनर भी मिल गया. नाम था सत्यकाम गुप्ता. पेंटिंग करते थे. एक-दूसरे को जानने-समझने के बाद दोनों ने 2001 में शादी कर ली. हालांकि शादी लंबे समय तक नहीं चल पाई. 2005 में दोनों अलग हो गए. याना शादी करने के बाद वापस नहीं गईं. उन्होंने इंडिया को ही अपना देश बना लिया. पति के नाम से गुप्ता अपने नाम में जोड़ लिया. जिस साल शादी हुई, उसी साल मॉडलिंग करियर फिर से शुरू किया. 

याना अपने देश में एस्टैब्लिश्ड मॉडल थीं, लेकिन इंडिया में उन्हें नई शुरुआत करनी थी. यहां उन्हें कोई नहीं जानता था. अपने पहले बड़े ब्रेक की तलाश में उन्होंने फैशन संबंधित फोटोज़ खंगालने शुरू कर दिए. क्रेडिट लाइन पढ़तीं कि उन फोटोज़ को किन फोटोग्राफर्स ने खींचा है. उन्हें ऐसे लोगों के साथ ही काम करना था. कुछ नाम छांट लिए. इंटरनेट का इस्तेमाल किया, ताकि उन फोटोग्राफर्स के फोन नंबर निकाल सकें. इसी तरह उन्हें फारुख चोथिया और डब्बू रतनानी के फोन नंबर मिले. बात की. याना से उनकी कुछ फोटोज़ भेजने को कहा गया. 

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लैक्मे रैम्प वॉक के दौरान याना.  

याना ने भेजे. कुछ समय बाद दोनों फोटोग्राफर्स से उन्हें फोन आ गया. वो उनके साथ काम करना चाहते थे. फोटोशूट किया गया. याना इस सब के लिए डब्बू रतनानी को क्रेडिट देती हैं कि उनकी वजह से चीज़ें आसानी से होती चली गईं. कुछ दिन बाद उन्हें एक स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया गया. ये इंडिया के सबसे बड़े कॉस्मेटिक ब्रांड लैक्मे के लिए होने वाला टेस्ट था. वो याना का पहला स्क्रीन टेस्ट था. घबराहट भी थी. रेडिफ को दिए इंटरव्यू में याना ने बताया था कि उन्हें कुछ एक्स्प्रेशन देने को कहा गया. उन्होंने कुछ मज़ाकिया एक्स्प्रेशन बनाए और बात बन गई. उन्हें सिलेक्ट कर लिया गया. याना लैक्मे फैशन वीक के रैम्प पर चलने जा रही थीं. जिस जगह और स्पॉटलाइट में वो होना चाहती थीं, वहां पहुंच गई थीं. लैक्मे फैशन वीक में उनका काम देखने के बाद कोरियोग्राफर्स ने उनका नंबर ले लिया. अब कभी मॉडलिंग का काम मांगने की ज़रूरत नहीं पड़ने वाली थी.

लैक्मे ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बना लिया. टीवी स्क्रीन पर उनका चेहरा नज़र आने लगा. अखबार और होर्डिंग्स पर छपने वाले उनके निरंतर ऐड्स ने उन्हें इंडिया के घरों तक पहुंचा दिया. दो साल तक याना के पास इतना काम रहा कि उन्हें कई बार मना करना पड़ जाता. प्रिंट और टीवी कमर्शियल की दुनिया में याना डॉमिनेट कर रही थीं. यहां से जम्प करने की ज़रूरत थी. वो हुआ भी, जब उनके हिस्से एक डांस नंबर आया. 

राम गोपाल वर्मा के साथ काम करने वाले ईश्वर निवास एक फिल्म बना रहे थे. फिल्म में एक आइटम नंबर होना था, जिसके लिए डांसर की ज़रूरत थी. कुछ जगह पढ़ने को मिलता है कि पहले बिपाशा बासु से बात की गई थी. लेकिन डेट्स न होने की वजह से बिपाशा ने मना कर दिया. फिर ये गाना पहुंचा याना गुप्ता के पास. फिल्म थी 2003 में आई ‘दम’ और गाना था ‘बाबूजी ज़रा धीरे चलो’. पांच दिनों तक इस गाने की शूटिंग चली. याना बताती हैं कि ये बहुत थकाने वाला अनुभव था. पहले तो लंबे समय तक रिहर्सल चली और फिर शूटिंग ने भी अपना वक्त लिया. फिल्म तो नहीं चली मगर उसका ये गाना जैसे फट पड़ा. हर जगह सुना जाने लगा. याना अब स्टार हो गई थीं.           

# “मुझे सिर्फ सेक्स अपील के लिए लेते हैं”

मुझे सही फिल्में चाहिए. मुझे याद है कि एक फिल्म के सिलसिले में मैं एक डायरेक्टर से मिली. मुझे मुख्य किरदारों में से एक निभाना था. उन्होंने कहा कि फिल्म में तुम्हारे ज़्यादा डायलॉग नहीं होंगे. वो बस चाहते थे कि मैं बिकीनी पहनकर बीच पर इधर से उधर दौड़ूं. लोग बस मुझे मेरी सेक्स अपील के लिए कास्ट करना चाहते हैं. मैं कोई असली किरदार करना चाहती हूं, जो चुनौतियों का सामना करे. मैं बिना ग्लैमर वाला किरदार करना चाहूंगी.

याना ने अपने एक इंटरव्यू में ऐसा कहा था. ‘बाबूजी ज़रा धीरे चलो’ और इस इंटरव्यू के बीच बहुत कुछ घटा. ‘बाबूजी ज़रा धीरे चलो’ के बाद याना को आइटम नंबर्स के ऑफर आने लगे. जब पैन इंडिया शब्द आम नहीं हुआ था, उस दौर में याना का क्रेज़ साउथ तक पहुंच गया. Manmadhan नाम की तमिल फिल्म उन्हें ऑफर हुई. फिल्म में उन्हें एक आइटम नंबर के लिए परफॉर्म करना था. गाने का नाम था Thathai Thathai. यहां भी याना के इफेक्ट ने बिजली गिरा दी. गाने का क्रेज़ सिर चढ़कर बोला. लेकिन ये मोमेंटम सिर्फ एक गाने तक रुकने वाला नहीं था. उनका अगला बड़ा गाना आया एक तेलुगु फिल्म से. फिल्म थी Gharshana. असिन और वेंकटेश मुख्य किरदारों में से थे. जॉन अब्राहम की ‘फोर्स’ इसी पर आधारित थी. फिल्म में याना ने Adatarama नाम के गाने पर परफॉर्म किया था.   

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याना की छवि आइटम गर्ल के रूप में पुख्ता हो गई थी.  

अगर आपने साउथ की ये दोनों फिल्म नहीं देखी तो कोई बात नहीं. एक ऐसी तमिल फिल्म के बारे में बताते हैं, जहां याना का एक गाना था. जितनी बार वो फिल्म टीवी पर आई है, गारंटी है कि आपकी नज़र के आगे से ज़रूर गुज़री होगी. इसे आपने ‘अपरिचित’ नाम से देखा होगा. तमिल में इसे ‘अन्नियन’ नाम से बनाया गया था. विक्रम का किरदार मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से जूझ रहा होता है. उसकी एक पर्सनैलिटी होती है रेमो, एक दिल फेंक टाइप आशिक. फिल्म में रेमो पर फिल्माया एक गाना है, Kadhal Yaanai. यहां उसके साथ याना ही थीं.

याना को बहुत काम मिल रहा था. शोहरत मिल रही थी. लेकिन साथ ही टाइपकास्ट होने की छवि भी उन्हें जकड़े जा रही थी. हर किसी के पास उन्हें ऑफर करने के लिए सिर्फ आइटम नंबर थे. सब उन्हें एक ही अवतार में देखना चाहते थे. याना भी धड़ाधड़ आइटम नंबर्स साइन किए जा रही थीं. जब समझ आया कि उनकी छवि एक डांसर के तौर पर पुख्ता हो चुकी है, तब तक देर हो चुकी थी. उन्हें फिल्मों में ऐक्टिंग करनी थी. ऐसे किरदार निभाने थे, जिनमें सब्स्टेंस हो. ऐसा एक मौका आया भी लेकिन बात नहीं बनी. हुआ ये कि सागर बेलारी ‘भेजा फ्राई’ बनाने वाले थे. फिल्म के लिए रजत कपूर के किरदार की पत्नी की तलाश थी. उन्हें लगा कि याना इसके लिए परफेक्ट रहेंगी. 

याना का वो रोल निभाना लगभग तय था. मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसे दावे किए जाने लगे. फिर अचानक से खबर आती है कि सारिका वो किरदार निभाने वाली हैं. याना को रिप्लेस कर दिया है. याना जहां भी जाती, उनसे फिल्म पर सवाल किए जाते. मसाला मिलने की आड़ में मीडिया वाले सवाल दागते रहते. ज़ूम के एक इंटरव्यू में याना ने झुंझलाकर दो टूक जवाब दे डाला. कहा कि उन्हें कभी ये फिल्म ऑफर ही नहीं हुई और उन्होंने कभी इस प्रोजेक्ट का नाम तक नहीं सुना. वहीं सागर बेलारी का कहना कुछ और था. उन्होंने मुंबई मिरर से बातचीत में कहा कि ओरिजनली वो याना को ही लेना चाहते थे. लेकिन बात नहीं बनी. याना और सारिका के बीच उम्र का फर्क काफी बड़ा था. ऐसे में आशंका जताई जाने लगी कि याना और सागर के बीच कुछ अनबन हुई है. लेकिन दोनों में से किसी ने एक-दूसरे पर कभी कीचड़ नहीं उछाला. 

# आज कल कहां हैं?

टाइम के साथ याना फिल्मों से कटने लगीं. खुद को अलग स्पेसेज़ में एक्सप्लोर करने लगीं. गाने लगीं, रिएलिटी शोज़ में हिस्सा लिया, अपनी एक किताब लिख डाली. 2009 में उनकी किताब How to Love Your Body: And Have the Body You Love पब्लिश हुई. यहां उन्होंने अपने लंबे समय से चल रहे ईटिंग डिसऑर्डर की बात की. ईटिंग डिसऑर्डर में या तो आप ज़रूरत से ज़्यादा खाने लगते हैं, या उससे बहुत ही कम. दोनों ही परिस्थितियों में आपके शरीर को नुकसान पहुंचता है. याना ने बताया कि नौबत ऐसी बन गई थी कि वो पार्टियों में खुद का खाना लेकर जाया करती थी. करीब 16 सालों तक वो जूझती रहीं, अपने शरीर को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं थी.    

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याना आखिर बार ‘जोगनिया’ नाम के गाने में नज़र आई थीं.  

अपनी बुक रिलीज़ के दो साल बाद उन्होंने डांस रिएलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ में पार्टीसिपेट किया. तीसरे पायदान पर रहीं. मियांग चैंग ने शो जीता था. ये वही सीज़न था जब सुशांत सिंह राजपूत दूसरे नंबर पर रहे थे. उसी साल वो दो फिल्मों में भी नज़र आई थी. ‘चलो दिल्ली’ में उन्होंने डांस नंबर किया था. वहीं ‘मर्डर 2’ में उन्होंने एक छोटा किरदार निभाया. 2011 के बाद उन्हें लंबे समय तक फिल्मों में नहीं देखा गया. वो अगली बार तब दिखीं, जब दशक खत्म होने को था. 

साल 2018 में एक हिंदी फिल्म आई थी, ‘दशहरा’. नील नितिन मुकेश लीड रोल में थे. भुला देने लायक फिल्म. फिल्म में ‘जोगनिया’ नाम का एक गाना था. ये याना की आखिरी फिल्मी अपीयरेंस थी. सोशल मीडिया के दौर में बिना कोई लंबा नोट छोड़े वो फिल्मी दुनिया से शांति से दूर हो गईं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने योग और मेडिटेशन पर फोकस करना शुरू कर दिया. बताया जाता है कि वो मुंबई छोड़कर गोवा शिफ्ट हो गई हैं. वहां याना योग, मेडिटेशन और स्पिरिचुऐलिटी पर काम कर रही हैं.      

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