'बाज़ीगर' में सीमा चोपड़ा का किरदार ऑडियंस ने पसंद किया था. ये वही किरदार है जिसे इंटरवल से पहले शाहरुख उठाकर बिल्डिंग से नीचे फेंक देते हैं. शिल्पा शेट्टी की ये पहली फ़िल्म थी. पर सबसे पहले इस रोल के लिए डायरेक्ट अब्बास-मस्तान जूही चावला के पास गए थे. जूही को ये रोल छोटा लगा. उन्होंने फ़िल्म रिजेक्ट कर दी. ऐसा कहा जाता है कि आयशा जुल्का ने भी फ़िल्म इसी कारण रिजेक्ट की थी. फिर मेकर्स को शिल्पा के बारे में पता चला. शिल्पा उस वक्त मॉडलिंग किया करती थीं. 'बाज़ीगर' बनाने वाली कंपनी वीनस मूवीज़ ने शिल्पा को अप्रोच किया. 17 साल की शिल्पा उस समय ऐक्टिंग करियर को लेकर बिल्कुल सीरियस नहीं थीं. पर ये फ़िल्म उन्होंने साइन कर ली. इसका एक कारण ये भी माना जाता है कि वीनस ने उस समय शिल्पा के साथ 'बाज़ीगर' के अलावा तीन और फ़िल्में साइन की थीं. हालांकि 'बाज़ीगर' उनकी पहली साइन की गई फ़िल्म नहीं थी. इससे पहले उन्होंने 'गाता रहे मेरा दिल' साइन की थी. पर किसी वज़ह से वो फ़िल्म बन नहीं पाई. इसलिए 'बाज़ीगर' ही उनकी डेब्यू फ़िल्म बनी. खैर, जो भी था, शिल्पा ने अपनी डेब्यू फ़िल्म में ही जनता को मोह लिया था. पेश हैं इसके दो नमूने.
जब दर्शकों ने 'बाज़ीगर' की शिल्पा के लिए कहा: कितनी हॉट है, उसे मारेंगे थोड़ी!
'बाज़ीगर' के किस्से, वो फिल्म जिसकी वजह से शिल्पा शेट्टी आज तक कार नहीं चला पातीं.

बाज़ीगर की वजह से कार चलाना नहीं सीख सकीं शिल्पा
'बाज़ीगर' रिलीज़ हुई थी. दस दिन भी नहीं हुए थे. शिल्पा उस समय कार चलाना सीख रही थीं. उनके पास लाइसेंस भी नहीं था. नई ड्राइवर बनीं शिल्पा का पूरा ध्यान सड़क पर था. इतने में एक साइकिल सवार आया. उसने ‘बाज़ीगर’ देख ली थी. एकदम से वो चिल्लाया, ये देखो शिल्पा शेट्टी. शिल्पा का बैलेंस बिगड़ा साथ ही उस लड़के का भी. टक्कर हो गई. लड़का साइकिल लेकर कार की बोनट पर आ गया. उस दिन के बाद ऐसा डर बैठा कि शिल्पा ने आजतक कार नहीं चलाई. कहने का मतलब ये है कि उन्हें कार चलानी ही नहीं आती.

अभी उठेगी, कितनी हॉट है, उसे मारेंगे थोड़ी!'
लोग कह रहे थे फ़िल्म खूब पसंद की जा रही है. शिल्पा के रोल को भी सराहा जा रहा है. शिल्पा को लगा, इन्टरवल के पहले ही शहरुख मुझे उठाकर फेंक देते हैं. ना जाने जनता को उनमें क्या ही पसंद आ रहा है? इससे उन्हें क्या फ़ेम मिलेगा. पर दोस्तों के कहने पर शिल्पा ने थिएटर जाने का फैसला किया. कैसा माहौल है? लोग उनके बारे में क्या कह रहे हैं? ये सबकुछ जानने के लिए वो अपनी मम्मी के साथ सिनेमाघर पहुंच गईं. 'किताबें बहुत-सी...' गाने पर तालियां पड़ी. सीटियां बजीं. जब उनके मरने का सीन आया. शाहरुख ने उन्हें धक्का दिया. उनका किरदार नीचे अचेत पड़ा है. दो-तीन लड़के आगे वाली रो में बैठे थे. उन्होंने कहा: अरे नहीं, हीरोइन है मरेगी थोड़े ना. अभी उठेगी. कितनी हॉट है, उसे मारेंगे थोड़ी!' उस समय शिल्पा को यक़ीन हुआ कि उन्हें लोग पसंद कर रहे हैं. और वो फाइनली बॉलीवुड में क़दम रख चुकी हैं.

राखी के कारण दलीप ने साइन की फ़िल्म
'बाज़ीगर' ने दलीप ताहिल को भी स्टार बनाया. उनके रोल मदन चोपड़ा ने उस दौर में तहलका मचा दिया था. जब उनके पास ये फ़िल्म आई, उस समय वो 'क़यामत से क़यामत तक' कर चुके थे. फ़िल्म हिट भी हुई थी. उन्हें 'बाज़ीगर' की स्क्रिप्ट भी पसंद आई. उन्होंने फ़िल्म के लिए हां कर दी. पर हां करने का सबसे बड़ा मोटिवेशन स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि राखी थीं. राखी ने फ़िल्म में शाहरुख की मां का किरदार निभाया था. दलीप के लिए 'बाज़ीगर' करने का असली मकसद था, उन्हें राखी के साथ स्क्रीन शेयर करने का मौक़ा मिल रहा था. चाहे जिस कारण से उन्होंने फ़िल्म की हो, मदन चोपड़ा लोगों के दिलों में छप गया.
अरे ये तो मदन चोपड़ा है!
दलीप ताहिल रामोजी राव स्टूडियो में टीवी सीरियल 'सिया के राम' की शूटिंग कर रहे थे. रामोजी राव स्टूडियो में लाल बसें टूरिस्ट को लेकर आती हैं. वहां उन्हें बड़ी फिल्मों के सेट दिखाती हैं. शुरू में तो 'सिया के राम' वाले सेट पर कोई नहीं आता था. लोग कहते थे, यहां टीवी की शूटिंग चल रही है. फिर जब इसे तेलुगु में रिलीज़ किया गया. लोग यहां भी आना शुरू हो गए. दलीप ताहिल दशरथ के गेटअप में मुकुट और मेकअप लगाए बैठे हुए थे. बस सेट के सामने रुकी. लोग उनकी ओर इशारा करने लगे. दलीप को लगा, इन लोगों ने मुझे 'सिया के राम' के तेलुगु वर्जन में देखा होगा. लोग बस से नीचे उतरकर आए और उन्हें मदन चोपड़ा कहकर संबोधित करने लगे. माने वो किसी भी रोल में और किसी भी गेटअप में हों, ज़्यादातर लोग उन्हें मदन चोपड़ा के रोल से ही जानते हैं.
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