बात है साल 1994 की. राइटर केके सिंह को फिल्म इंडस्ट्री में करीब 12 साल हो चुके थे. उनकी फिल्मी शिक्षा की शुरुआत हुई थी राज कपूर की फिल्म ‘प्रेम रोग’ के सेट से. एहसास हो गया था कि डायलॉग लिखने में उनका असली टैलेंट बसता है. ‘राम तेरी गंगा मैली’, ‘त्रिदेव’, ‘तिरंगा’ और ‘क्रांतिवीर’ जैसी फिल्मों के लिए कालजयी डायलॉग लिखे. ‘आ गए मेरी मौत का तमाशा देखने’ जैसा तेज़ाबी मोनोलॉग केके सिंह की कलम से ही निकला. इतनी सफल फिल्मों पर काम करने के बाद उन्होंने एक और स्क्रिप्ट लिखी. किसी करीबी ने सलाह दी कि इसे तुम खुद ही क्यों नहीं बनाते? बात जंच गई.
सलमान की पहली एक्शन फिल्म 'वीरगति' के किस्से: जब सलमान ने लात मारी और स्टंटमैन का पैर टूट गया
सलमान के सिक्स पैक ऐब्स को बेचने वाली पहली फिल्म से जुड़े किस्से पढ़िए. जैसे फिल्म में एक्ट्रेस को मरना था और सलमान खान उनके लिए धूल में लेट गए!
ये कहानी लेकर वो गए सलमान खान के पास. सलमान उस वक्त ‘हम आपके हैं कौन’ की बम्पर कामयाबी को एन्जॉय कर रहे थे. उनका कहना था कि अब वो अच्छा काम ही करेंगे. क्योंकि बुरे काम से बेहतर है कि वो काम ही ना करें. सलमान को केके की कहानी पसंद आई. उनकी बाकी फिल्मों की तरह ये भी भारी-भरकम डायलॉग्स से सजी थी. जैसे ‘307 में से पांच गया तो कितना बचा’, ‘दफा 302 तख्ती पर लिखकर हरे पेड़ पर टांग दो तो वो भी सूख जाता है’. सलमान एक पुराने इंटरव्यू में बताते हैं कि उन्हें फिल्म की स्क्रिप्ट बहुत अच्छी लगी थी. ऐसा नहीं लगा कि राइटर सिर्फ अपने डायलॉग के ज़रिए लोगों को इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने उस इंटरव्यू में कई मौकों पर फिल्म के डायलॉग्स की तारीफ की.
फिल्म के डायलॉग्स पसंद आए, किरदार अच्छा लगा. उन्होंने ‘वीरगति’ नाम की ये फिल्म साइन कर ली. यहां उनकी छवि अपने पिछले किरदारों से बिल्कुल उलट थी. फिल्म में कहीं भी उनके किरदार के चेहरे पर मुस्कुराहट के निशान तक नहीं दिखते. उनके फैन्स का मानना है कि ये पहली फिल्म थी, जहां सलमान ने स्माइल नहीं किया. लेकिन ‘वीरगति’ को इस बात से प्रमोट नहीं किया गया. फिल्म को सलमान खान की पहली एक्शन फिल्म बताकर प्रमोट किया गया. हर पोस्टर पर सलमान हाथ में तलवार लिए नज़र आ रहे थे. बदन उघाड़े. चेहरा खून से सना. ‘वीरगति’ वो पहली फिल्म थी, जहां सलमान के सिक्स पैक ऐब्स को खुलकर बेचा गया. हालांकि इससे पहले ‘करण अर्जुन’ के फाइट सीन में भी लोग उनके ऐब्स देख चुके थे. लेकिन वहां सलमान की जिम वाली बॉडी केंद्र में नहीं थी. कहा जाता है कि ‘वीरगति’ के लिए खास तौर पर सलमान ने अपनी बॉडी पर काम किया था.
29 सितंबर, 1995 की तारीख को ‘वीरगति’ सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को हरी झंडी नहीं मिली. लोगों को एक्शन करते सलमान भाए. डायलॉग रट गए. मगर फिर भी फिल्म नहीं चली. फिल्म जानकारों का मानना है कि फिल्म के क्लाइमैक्स की वजह से ऐसा हुआ. कोई भी अपने हीरो को मरते हुए नहीं देखना चाहता था. फिल्म लोगों को सिनेमाघरों तक तो नहीं खींच पाई, लेकिन उनके घरों तक ज़रूर पहुंच गई. ‘वीरगति’ की डीवीडी रिलीज़ के बाद इसे खूब देखा गया. सलमान की यादगार फिल्मों में शुमार हो गई. आज ‘वीरगति’ से जुड़े कुछ सुने, अनसुने और कमसुने किस्सों के बारे में बात करेंगे.
# एक्ट्रेस को मरना था, सलमान उनके लिए धूल में लेट गए
धर्मेंद्र के गांव साहनेवाल से आने वाली दिव्या दत्ता के लिए ‘वीरगति’ करियर की दूसरी फिल्म थी. तब धर्मेंद्र उनके फिल्म लाइन में आने के फैसले से खुश नहीं थे. ये बात उन्होंने खुद एक इवेंट के दौरान बताई थी. खैर फिल्म में दिव्या ने सलमान की बहन का किरदार निभाया. उन दिनों वो अपनी कला में कच्ची थीं. एक सीन शूट होना था, जहां दिव्या के किरदार को मरना था. दिव्या ने अपनी किताब The Stars in my Sky: Those Who Brightened My Film Journey में इस वाकये का ज़िक्र किया है.
दिव्या बताती हैं कि जिस दिन उनके किरदार की डेथ वाला सीन शूट होना था, उस दिन सलमान का काम जल्दी खत्म हो गया. वो घर को रवाना होने के लिए निकल गए. मगर दूसरी ओर दिव्या से अपना सीन नहीं हो पा रहा था. अनगिनत प्रयासों के बाद भी सही रिएक्शन नहीं मिल रहा था. सलमान अपनी गाड़ी में बैठ ही रहे थे कि एक असिस्टेंट हांफता हुआ उनके पास आया. सेट पर चल रही पूरी कहानी बताई.
बिना कोई पल गंवाए सलमान तुरंत सेट पर पहुंच गए. दिव्या से मिले. वो बुरी तरह बिलख रही थीं. एक ही बात लगातार दोहरा रहा थीं. कि मैं मर नहीं पा रही हूं. सलमान ये सुनकर हंसने लगे. उन्होंने भरोसा दिलाया कि ये इतना भी मुश्किल नहीं. कहा कि मैं तुम्हारी मदद करूंगा. और अगर तुमने सीन सही से कर दिया, तो मेरी तरफ से दावत. दिव्या बताती हैं कि सलमान ने ज़्यादा सोचा नहीं. वो धूल भरी ज़मीन पर जाकर लेट गए. लेटे-लेटे दिव्या को निर्देश देने लगे. माइक्रोफोन में डायरेक्टर केके के एक्शन बोलने की आवाज़ गूंजी. दिव्या बस लगातार सलमान को देखती रहीं. सलमान के इशारों को दोहराती रहीं. सीन ओके हो गया. दिव्या ने आकर सलमान को गले लगा लिया. उन्होंने अपने कपड़ों को झाड़ा और सेट से चले गए. अगले दिन अपने वादे के अनुसार उन्होंने दिव्या को दावत दी.
# सलमान ने लात मारी और स्टंटमैन का पैर टूट गया
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में नामी एक्शन डायरेक्टर हैं एजाज़ गुलाब. ‘द फैमिली मैन’ जैसे प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर चुके हैं. नब्बे के दशक में वो आमिर खान, सलमान खान से लेकर हेमा मालिनी तक के स्टंट डबल रह चुके हैं. ‘वीरगति’ में भी उन्होंने बतौर स्टंटमैन काम किया. लेकिन सलमान के लिए नहीं. फिल्म के एक सीन में सलमान को कुछ गुंडों को पीटना था. सलमान की लात खाकर इन गुंडों को बिल्डिंग से नीचे गिरना था. इन गुंडों में से एक के स्टंट डबल थे एजाज़.
सलमान ने लात मारी. सभी गुंडे बिल्डिंग की छत से उछले. नीचे गिरने पर चोट ना आए उसके लिए लिए डिब्बे बिछाए गए थे. लेकिन एजाज़ सही ढंग से नहीं गिरे. और उनका पैर झटके के साथ ज़मीन से टकराया. उनके बाएं पैर की जांघ की हड्डी के दो टुकड़े गए. उन्हें पूरी तरह बेड रेस्ट पर रखा गया. आसपास के लोगों ने समझाया कि सर्जरी करवा लो. लेकिन उसमें एक खतरा था. आशंका थी कि सर्जरी के बाद उनका बायां पैर छोटा हो जाएगा. यानी वो कभी काम नहीं कर पाएंगे.
कुछ दिन बाद सलमान तक ये खबर पहुंची. वो एजाज़ की चॉल पहुंचे. उन्हें ऑपरेशन करवाने को कहा. पूरा खर्चा उठाने की ज़िम्मेदारी ले ली. सलमान ने एम्बुलेंस बुलाई, जो एजाज़ को नानावटी हॉस्पिटल लेकर गई. एजाज़ बताते हैं कि सलमान और उनके भाई सोहेल ने उनकी हर छोटी-से-छोटी ज़रूरत का ध्यान रखा. एजाज़ ठीक हुए और फिर से अपने काम पर लौट आए.
# सलमान ने विलेन पर पेट्रोल डाला और मां रोने लगी
‘वीरगति’ के शुरुआती क्रेडिट्स में सलमान खान, अतुल अग्निहोत्री के बाद फिल्म के विलेन का नाम आता है. लिखा आता है, Introducing Akhilendra Mishra. ‘चंद्रकांता’ में क्रूर सिंह बन पॉपुलर हुए अखिलेन्द्र मिश्रा की ये पहली फिल्म थी. फिल्म में उनके कैरेक्टर का नाम था इक्का सेठ. वही इक्का, जिसके सामने सलमान का कैरेक्टर अजय डायलॉग मारता है, ‘मेरे बदन पर लगे कपड़े को ही मैं कफन समझता हूं’. खैर अखिलेन्द्र ने छपरा में रह रहे माता-पिता तक भी ये खबर पहुंचा दी. कि उनका बेटा सलमान खान की फिल्म में आ रहा है.
फिल्म रिलीज़ हुई. अखिलेन्द्र के माता-पिता छपरा के एक सिनेमाघर में ‘वीरगति’ देखने पहुंचे. फिल्म का क्लाइमैक्स आया. जहां अजय इक्का सेठ के साथ खूब मुक्कालात करता है. अंत में उस पर पेट्रोल की बारिश कर देता है. उस समय पेट्रोल इतना महंगा नहीं था, तो इस सीन पर यकीन किया जा सकता है. इक्का को पेट्रोल में नहलाने के बाद अजय उसे आग में जलते हुए घर में फेंक देता है. इक्का के पत्ते बिछ जाते हैं. सीन चल रहा है. अचानक से शांत सिनेमाघर में किसी औरत के सुबकने की आवाज़ आती है. रोते हुए वो कह रही थीं कि कोई मेरे बाबू को बचा लो. इतना बेरहम कोई कैसे हो सकता है? वो महिला अखिलेन्द्र की मां थीं.
‘वीरगति’ का असर ये हुआ कि अखिलेन्द्र को हर फिल्म करने से पहले अपने घरवालों को सूचित करना पड़ता. कि वो आने वाली फिल्म में क्या किरदार निभाने वाले हैं.
# “मैं आज सिर्फ सलमान खान की वजह से ज़िंदा हूं”
‘वीरगति’ के क्रेडिट्स में सिर्फ अखिलेन्द्र मिश्रा के नाम के आगे ही इंट्रोड्यूसिंग नहीं लिखा था. पूजा डडवाल की भी ये पहली फिल्म थी. फिल्म की मेकिंग के दौरान उनका एक इंटरव्यू लिया गया. बातचीत में पूजा आत्मविश्वास से लबरेज़ नज़र आ रही थीं. फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पुख्ता जगह बनाने की बात कर रही थीं. हालांकि ‘वीरगति’ से उनके करियर को सही टेक ऑफ नहीं मिला. नब्बे के दशक की समाप्ति तक पूजा की फिल्मोग्राफी में सिर्फ गिने-चुने नाम थे. उसके बाद किसी ने पूजा डडवाल के बारे में नहीं सुना. मीडिया, फिल्म इंडस्ट्री वालों के लिए वो गायब हो गईं.
‘वीरगति’ की रिलीज़ के करीब 23 साल बाद अचानक से पूजा की खबर आती है. उनका शरीर अंदर से टूटता जा रहा है. फेफड़े कमज़ोर पड़ चुके. वज़न 23 किलो तक पहुंच गया. वो TB से जूझ रही थीं. उनका कहना था कि ऐसी मुश्किल घड़ी में उनके परिवार ने उनका साथ छोड़ दिया है. मदद को कोई नहीं. ऐसे में उन्होंने सलमान खान को याद किया. उनसे मदद मांगी. सलमान आगे आए. पूजा को हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया. वहां करीब पांच महीने तक उनका इलाज़ चला. दो महीने तक डॉक्टर्स ने उन्हें सिर्फ ऑक्सीजन सप्लाई पर रखा. पूजा को समय लगा लेकिन वो पूरी तरह से स्वस्थ हो गईं. उन्होंने कहा कि आज मैं सिर्फ सलमान खान की वजह से ज़िंदा हूं.
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