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जब 15-16 साल के नसीरुद्दीन शाह को सुपरस्टार के 'शव' के पीछे चलना था

नसीर पहली बार राजेंद्र कुमार की फिल्म में नज़र आए थे. सिर्फ लम्हे भर के लिए.

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नसीर का किरदार शवयात्रा में शामिल होता है. फोटो - स्क्रीनशॉट

Naseeruddin Shah की सीरीज़ Taj के दूसरे सीज़न का दूसरा पार्ट 02 जून को रिलीज़ हो रहा है. शो के प्रोमोशन के सिलसिले में द लल्लनटॉप के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने उनसे बात की. सिनेमा, फिल्मी अवॉर्ड्स और दिलीप कुमार जैसी शख्सियतों पर बातचीत हुई. नसीर ने अपनी पहली फिल्म से जुड़ा किस्सा बताया. अगर आप सोच रहे हैं कि यहां श्याम बेनेगल की फिल्म ‘निशांत’ की बात हो रही है, तो ऐसा नहीं है. नसीर पहली बार परदे पर नज़र आए थे 1967 में आई ‘अमन’ फिल्म में. तब उनकी उम्र रही होगी करीब 15-16 साल. ‘अमन’ में राजेन्द्र कुमार और बलराज साहनी जैसे एक्टर्स मुख्य भूमिकाओं में थे. फिल्म में नसीरुद्दीन शाह की झलक भर दिखती है. लेकिन उन्होंने अपने घर आकर कह दिया कि उनका लंबा-चौड़ा रोल है. यहां तक कि उनके किरदार का डायलॉग भी है. 

नसीर उस फिल्म में एक्स्ट्रा के रोल में थे. आमतौर पर फिल्मों में जो भीड़ आप देखते हैं, वो एक्स्ट्राज़ से ही मिलकर बनती है. नसीर बताते हैं कि उन दिनों एक्स्ट्राज़ को 15 रुपए मिलते थे. लेकिन वो एक्स्ट्राज़ की यूनियन के सदस्य नहीं थे. इसलिए उन्हें सिर्फ साढ़े सात रुपए दिए गए. फिल्म के एंड में राजेन्द्र कुमार के किरदार की डेथ हो जाती है. तब उनकी शवयात्रा में उनके पीछे कई सारे लोग चलते हैं. उनमें से एक नसीर थे. नसीर ने पूरा किस्सा बताया,

एक पैंपोश रेस्टोरेंट हुआ करता था लिकिंग रोड़ पर. जहां सारे स्ट्रगलर्स पड़े रहते थे. वहां एक दिन एक बंदा आया. हम लोगों को इकट्ठा किया. कोई दस लोग रहे होंगे. उसने कहा कि कल वहां पहुंच जाना, नटराज स्टूडियो. तो मैं चौंका, अच्छा! क्या करना है? शूटिंग? अरे वाह वाह. और शूटिंग में किसी भी तरह धक्का-मुक्की करके मैं सबसे आगे खड़ा हो गया. इसीलिए मेरा शॉट अभी भी है उस फिल्म में. मोहन कुमार साहब जिन्होंने वो फिल्म बनाई थी, उनसे मेरी दोबारा कभी मुलाकात नहीं हो पाई लेकिन उन्होंने मेरा रोल नहीं काटा (व्यंग्य में).    

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श्याम बेनेगल की फिल्म ‘निशांत’ में अमरीश पुरी और अनंत नाग के साथ नसीरुद्दीन शाह. 

नसीर बस लम्हे भर के लिए फिल्म में नज़र आते हैं. लेकिन घर आकर ये कहानी नहीं बता सकते थे. क्योंकि वो घर से भागकर बंबई आए थे. इसलिए उन्होंने घर आकर कह दिया कि फिल्म में उनका लंबा रोल है. उन्होंने कहा कि राजेन्द्र कुमार के किरदार की मौत के बाद उन्होंने एक स्पीच भी दी. लेकिन फिल्म वालों ने वो सब कुछ उड़ा दिया. इसके पीछे की वजह भी उन्होंने बताई. कहा कि हर नाकाम एक्टर की यही कहानी होती है. वो कहता है कि मैंने इतना अच्छा काम किया लेकिन उसे काट दिया गया.

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