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जब दिलीप कुमार ने नसीरुद्दीन शाह से कहा, "शरीफ घरों के बच्चे फिल्मों में नहीं आते, वापस लौट जाओ"

नसीर बताते हैं कि वो हिम्मत जुटाकर दिलीप कुमार से एक सवाल पूछना चाहते थे, लेकिन नहीं पूछ पाए.

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दिलीप कुमार ने नसीरुद्दीन शाह को एक्टिंग न करने की हिदायत दी थी.

Naseeruddin Shah की सीरीज़ Taj के दूसरे सीज़न का दूसरा पार्ट 02 जून को आ रहा है. आजकल वेब सीरीज़ के एक सीज़न को भी टुकड़ों में बांटकर रिलीज़ करने का चलन है. खैर, शो की रिलीज़ से पहले नसीर ने ‘दी लल्लनटॉप’ के एडिटर सौरभ द्विवेदी से बात की. अपने स्ट्रगल के दिनों के किस्से सुनाए. उन दिनों के किस्से जब दिलीप कुमार ने कहा कि शरीफ घरों के बच्चे फिल्मों में नहीं आते. वापस घर चले जाओ. 

नसीर ने इंटरव्यू में दिलीप कुमार की मिमिक्री करते हुए बताया कि उन्होंने क्या कहा था,

नहीं, अच्छे ख़ानदान के बच्चे फिल्मों में नहीं आते. तुम अच्छे खानदान के हो. तुम्हारे वालिद अजमेर शरीफ के नाज़िम हैं. ये सब छोड़ दो. वापस जाओ. 

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‘कर्मा’ के एक स्टिल में अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ और नसीरुद्दीन शाह. 

हुआ यूं था कि नसीर अपने घर से भागकर बंबई चले गए. यहां किसी न किसी के सहारे कुछ दिन निकाल दिए. लेकिन फिर ऐसा पल आया जब नसीर भूखे मरने की स्थिति में पहुंच गए थे. पैसा खत्म. तो चोर बाज़ार में अपने कुछ कपड़े औने पौने दामों में बेच दिए. उन्हें बंबई में आने को महीना होने को आया था. और स्वप्नलोक के दरवाज़े नहीं खुल रहे थे और पानी सिर तक आ गया था. एक दिन तपती दोपहर में नसीर पांपोश के बाहर फुटपाथ पर भूखे, परेशान बैठे थे. कि एक लंबी चमकीली कार ठीक सामने आकर रुकी. पीछे का दरवाज़ा खुला. ऊंची एड़ी के दमदमाते सैंडल पहने तराशे हुए पैर बाहर निकले. आवाज आई - तुम हो नसीर? नसीर याद करते हैं 

हां में सिर हिलाते, अविश्वास भरी नज़रें ऊपर उठाकर मैंने एक जाने पहचाने से चेहरे वाली खातून को अपने सामने खड़ा देखा. उन्होंने गाड़ी में बैठने का हुक्म दिया और मैंने बिना सोचे समझे तामील की. कार चली तो समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है. लेकिन जब फटकार पड़नी शुरू हुई तो पता चला कि सपना नहीं है ये. वो अब पहचान में आईं, किसी पत्रिका में कभी उनकी तस्वीर देखी थी. अभिनय के शहंशाह दिलीप कुमार की बहन सईदा ख़ान थीं वो. बात कुछ पल्ले पड़ने लगी. दिलीप साहब की सबसे बड़ी बहन सकीना बेगम अकसर अजमेर शरीफ ज़ियारत करने आती थीं, उनसे जान पहचान हो गई और एक दफा हमारे घर ठहरी थीं. दो माह लगे बाबा को अपनी झिझक पर काबू पाकर मेरे गायब होने की खबर देने में. और दिलीप साब के परिवार ने मुझे ढूंढ लिया.

जिस गाड़ी में नसीर बैठे थे उसने पाली हिल की चढ़ाई करके दिलीप साहब के बंगले के अंदर प्रवेश किया. सकीना आपा ने खूब डांटा. घर वापस जाने का ही चारा बचा था. नसीर का सामान मदनपुरा से पाली हिल लाया गया. बंगले के तहखाने में जगह दी गई. भरपेट खाना, गुसलखाने का इस्तेमाल औऱ घर के ज्यादातर हिस्से में घूमने की आज़ादी मिली हुई थी. अकसर नसीर ड्रॉइंगरूम पहुंच जाते थे. जहां कतार में फिल्मफेयर की छह या सात ट्रॉफियां सजी थीं. नसीर याद करते हैं –

रुख़सती से पहले दिलीप कुमार के इस लुभावने कॉटेज में मैंने अपने बाकी दिन गुज़ारे. और एक दफा तो उनसे मुलाकात भी हुई. मुझे वहां देखकर न उन्हें हैरानी हुई, न मेरे वहां होने की वजह पूछी. बल्कि जो कर रहे थे वो ही करते रहे. कुछ दिनों बाद उन्हें लॉन में तन्हा पाकर मैं कांपता हुआ उनके पास गया यह इल्तजा लिए कि मुझे काम दिलाने में मदद करें, लेकिन मुझे जो कहना था वह होठों तक आया भी नहीं कि उन्होंने "शरीफ़ घरों के बच्चे फिल्मों में नहीं आने चाहिए" पर एक छोटी सी तकरीर देकर मुंह फेर लिया.


नसीर बताते हैं कि इतना सुनने के बाद वो दिलीप कुमार से एक सवाल पूछना चाहते थे. मगर पूछ नहीं पाए. इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाए. वो पूछना चाहते थे कि अगर शरीफ खानदानों के बच्चे फिल्मों में नहीं आते, तो आप कैसे आ गए फिल्मों में. इस वाकये के बाद उनकी दिलीप कुमार से अगली मुलाकात हुई एक फिल्म सेट पर. फिल्म थी सुभाष घई की ‘कर्मा’. दिलीप कुमार के किरदार को डॉक्टर डैंग से बदला लेना होता है. इसलिए वो तीन लोगों को चुनता है, जिनके लिए मौत की सज़ा मुकर्रर की जा चुकी है. उनमें से एक नसीर का किरदार था. बाकी दोनों किरदार अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ ने निभाए थे. 

क्या फिर नसीर ने ‘कर्मा’ के सेट पर दिलीप कुमार को वो वाकया याद दिलाया? जवाब है नहीं. नसीर ने कहा कि दिलीप कुमार के घर तो हज़ारों लोग आते होंगे. मुमकिन है कि उन्हें नसीर याद भी नहीं रहे होंगे. बता दें कि नसीरुद्दीन शाह और दिलीप कुमार ने सिर्फ ‘कर्मा’ में ही साथ काम किया था.

वीडियो: दिलीप कुमार के निधन के बाद नसीरुद्दीन शाह ने अपने आर्टिकल में जो लिखा पढ़कर फैंस को बुरा लगेगा