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आमिर 8 कैमरों के साथ 'लगान' का क्रिकेट मैच शूट करना चाहते थे, सिनेमैटोग्राफर बोले - "ऐसे काम नहीं चलेगा"

Anil Mehta ने बताया कि 'लगान' का क्लाइमैक्स 30 दिनों में शूट हुआ था. इसके अलावा Aamir Khan जिस तरह शूट करवाना चाह रहे थे, अनिल उससे संतुष्ट नहीं थे.

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अनिल मेहता ने 'हम दिल दे चुके सनम' और 'वीर ज़ारा' जैसी फिल्मों पर भी काम किया है.

Aamir Khan की Lagaan को इंडियन सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है. Ashutosh Gowariker के निर्देशन में बनी ‘लगान’ को Oscars में इंडिया की ऑफिशियल एंट्री बनाकर भेजा गया था. लेकिन ये अवॉर्ड नहीं जीत पाई थी. हाल ही में फिल्म के सिनेमैटोग्राफर Anil Mehta ने एक इंटरव्यू में लगान के आइकॉनिक क्लाइमैक्स पर बात की. अनिल ने बताया कि फिल्म का क्लाइमैक्स 30 दिन में शूट हुआ था और काफी थकाने वाला था. आगे कहा कि जिस तरह से आमिर और आशुतोष क्लाइमैक्स शूट करना चाहते थे, अनिल ने उससे बिल्कुल अलग काम किया.

ने अनिल से 'लगान' के क्लाइमैक्स के बारे में बात की. अनुपमा ने फिल्म की छोटी-सी क्लिप दिखाई और पूछा कि ये कैसा था? इस पर अनिल कहते हैं- "बहुत ज्यादा थका देने वाला."

अनिल आगे कहते हैं-

ये एक लंबी कहानी है. क्रिकेट कैसे शूट होना है. कितनी देर का शूट होना है और ऐसे कई सवाल बस बढ़ते ही जा रहे थे. फिल्म का शूट शुरू होने से पहले आशुतोष ने मुझसे कहा था कि फाइनल मैच के लिए हम एक शॉर्ट बुकलेट लिखेंगे और उस हिसाब से शॉट लेंगे.शूट शुरू हुआ और क्लाइमैक्स तक पहुंचा. फिर अगले दिन फाइनल मैच शुरू होना था और तब तक वो बुकलेट लिखी नहीं गई थी. पूरी कास्ट होटल में थी. मैं, आशुतोष, आमिर और बाकी डायरेक्शन टीम ने एक-एक गेंद के बारे में हिसाब किया. जब आप शूट करते हैं तो सीक्वेंस में शूट नहीं करते. बात उठी कि क्या हमें आठ कैमरा सेटअप से शूट करना चाहिए तो मैंने कहा कि ये स्पोर्ट्स कवरेज नहीं है. हम ड्रामा बना रहे हैं. एक कैमरा से शूट हुआ था. कुछ वक्त के लिए दो रखे थे. मेरी आमिर से बात हुई तो उन्होंने कहा कि अब हमारे पास लिस्ट है, हम एक-एक करके शूट करते हैं. कहां चौका है, कहां छक्का है. हमें पता है. मैंने एक दिन ऐसे शूट किया लेकिन फिर मैं आमिर के पास गया और कहा कि ये ऐसे नहीं चल पाएगा. अगर हमें ड्रामा शूट करना है तो मुझे सोचने दो कि कैसे शूट करना है. मैं ऐसी कवरेज नहीं कर सकता.

इंटरव्यू में अनुपमा, अनिल को थोड़ा और समझाने के लिए कहती हैं. इस पर अनिल कहते हैं-

शॉट ऐसे नहीं ले सकते हैं कि कैमरा लगा है. एक-एक बैट्समैन आ रहे हैं, शॉट दे रहे हैं और हम लिस्ट में टिक करते जा रहे हैं. मैंने कहा कि जैसे कचरा बैटिंग कर रहा है तो मुझे उसका फील चाहिए. गुरिंदर बैटिंग कर रहा तो उसका अलग फील है. जैसे कहा जा रहा है, वैसे मैं पिच के पास ट्रैक नहीं कर सकता. मैं दूर कैमरा लगाकर ऐसा नहीं कर सकता हूं. फिर हमने ट्रैक सेट किया पिच के पास और फिर शूट किया. क्योंकि सब प्लेयर अलग थे. कचरा को पता ही नहीं कि बल्लेबाज़ी कैसे करनी है. वो कंफ्यूज़्ड है. वो दूर से नहीं दिखता. हर बैट्समैन को कैरेक्टर के हिसाब से शूट करना है. ये सब बहस होती थी फिल्म के सेट पर. हमने एक ही मैच को करीब 30 दिन शूट किया. ये कई बार काफी बोरिंग हो जाता है. ये ऐसा था कि अगर किसी ने सुबह 9 बजे शॉट मारा है तो दोपहर में ढाई बजे वो कैच पकड़ा जाए.

लगान के डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर हैं. फिल्म 15 जून 2001 को रिलीज़ हुई थी. अनिल मेहता ने  'लगान' के अलावा शाहरुख खान की 'वीर ज़ारा' और 'कल हो ना हो', रणबीर कपूर की 'रॉकस्टार', सलमान खान की 'हम दिल दे चुके सनम' और आलिया भट्ट की 'हाइवे' जैसी बड़ी फिल्मों पर भी काम किया. 'हम दिल दे चुके सनम' के लिए अनिल मेहता को बेस्ट सिनेमैटोग्राफर का नेशनल अवॉर्ड मिला था. अनिल की पिछली फिल्म भूमि पेडणेकर स्टारर 'थैंक्यू फॉर कमिंग' थी. 
 

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