23 जुलाई 1982. रात के करीब दो बज रहे हैं. अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक हॉलीवुड फिल्म की शूटिंग चल रही थी. मेकर्स ने वियतनाम का सेट बनाया हुआ था. ये फिल्म बहुत सीमित बजट में बन रही थी. सीन पेचीदा था. डायरेक्टर John Landis बस उसे पूरा कर के अपना हिस्सा खत्म करना चाहते थे. दरअसल ये Twilight Zone: The Movie के नाम से एक ऐंथोलॉजी फिल्म बन रही थी. साल 1961 में अमेरिकन टेलीविज़न पर Twilight Zone नाम का शो आता था. ये एक साइंस फिक्शन वाला शो था जिसके नाम पर टेलीविज़न के इतिहास में एक अलग से चैप्टर है. इस शो ने एम. नाइट श्यामलन और स्टीफन किंग जैसे लोगों पर गहरा प्रभाव डाला. यहां साइंस फिक्शन के साथ-साथ नैतिकता पर ज़ोर दिया गया. उसी के चलते ये ऑडियंस में महा-पॉपुलर भी हुआ.
जब डायरेक्टर की एक ज़िद की वजह से तीन एक्टर्स मारे गए और हॉलीवुड सदा के लिए बदल गया
एक बच्ची को हेलीकॉप्टर ने कुचल दिया. उसके ब्लेड से दो लोगों के शरीर की धज्जियां उड़ गईं. Steven Spielberg ने कहा था कि कोई भी फिल्म इतनी महान नहीं कि उसके लिए मरा जाए.
खैर, 80 के दशक में वॉर्नर ब्रदर्स इसे एक फिल्म की शक्ल देना चाहता था. Jaws वाले स्टीवन स्पीलबर्ग ने इसे बनाने में रुचि दिखाई. उनके जुडते ही प्लान बदल गया. अब इसे एक ऐंथोलॉजी फिल्म की तरह बनाया जाना था. चार कहानियां होंगी जिन्हें चार अलग-अलग डायरेक्टर बनाएंगे. स्पीलबर्ग के अलावा जॉन लैंडिस, जो दांते और जॉर्ज मिलर (मैड मैक्स) को ये ज़िम्मेदारी सौंपी गई. लैंडिस की कहानी से ही फिल्म खुलने वाली थी. उन्होंने अपनी कहानी लिखी. केंद्र में बिल कॉनर नाम का आदमी था. नेचर से निहायती रेसिस्ट. अपने जीवन की हर छोटी समस्या के लिए अल्पसंख्यकों को दोष देता है. कहता कि इनकी वजह से माहौल खराब हो गया, नौकरियां नहीं हैं जैसी बातें. ट्वाइलाइट ज़ोन की वजह से वो अलग-अलग काल में पहुंचता है. बिल खुद को नाज़ी जर्मनी में पाता है, और वहां जर्मन फौजी उसे यहूदी समझते हैं. फिर बिल पहुंचता है साउथ अमेरिका में. वो समय जहां अश्वेत लोगों के खिलाफ बर्बर हिंसा होती. तब बिल को एक अश्वेत अफ्रीकन-अमेरिकन आदमी लिया जाता है. उसके बाद वो वियतनाम जंग के दौर में पहुंचता है. वहां अमेरिकी सैनिक उसे मूलनिवासी समझकर मारने दौड़ते हैं. लैंडिस दिखाना चाहते थे कि माइनॉरिटी वाली साइड जाते ही बिल कॉनर की दुनिया कैसे बदल जाती है.
वो अपनी कहानी लेकर वॉर्नर ब्रदर्स के अधिकारियों के पास गए. जवाब मिला कि सब कुछ सही है, लेकिन बिल अपना उद्धार कैसे करेगा. उससे संबंधित एक सीन लिखो. जॉन लैंडिस ने वैसा ही किया. एक सीन लिखा जहां कॉनर दो वियतनामी बच्चों को अमेरिकी फोर्सेज़ से बचाता है. बिल के रोल में एक्टर विक मोरो को फाइनल किया गया. लैंडिस अपनी फिल्म शूट कर चुके थे. बस एक अंतिम सीन शूट होना बाकी था जहां बिल उन दोनों बच्चों को बचाता है. वियतनाम का सेट बना. मोरो और दोनों बच्चे एक नदी में फंसे थे. उन पर लगातार अमेरिकी फोर्स हमला कर रही है. उस सीन में मोरो को उन बच्चों को गोद में उठाना था और नदी पार कर के भागना था. दुर्भाग्यवश ये तीनों लोग कभी उस नदी के दूसरे छोर तक नहीं पहुंच पाए.
सीन में असली धमाके हो रहे थे. मोरो के सिर के ऊपर हेलीकॉप्टर उड़ रहा था. पांव के नीचे पानी और सिर के ऊपर आग थी. इस सीन की ज़्यादा रीहर्सल नहीं की गई थी. वियतनाम जंग में लड़ चुके डोरसी विंगो हेलीकॉप्टर उड़ा रहे थे. किसी को उम्मीद नहीं थी कि ये रात उनके जीवन की सबसे भयानक रात बनने वाले है. मोरो दोनों बच्चों को उठाकर पानी में दौड़ने लगे. धमाकों के बीच अपना रास्ता बना रहे थे. हेलीकॉप्टर ज़मीन से 40 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था. तभी वो नीचे आने लगा. अचानक से धमाका हुआ. डोरसी घबराए, हेलीकॉप्टर का बैलेंस बिगड़ा और वो ज़मीन पर आकर गिरा. मोरो और एक बच्चे का शरीर उसकी ब्लेड से कट गया. बच्ची का शरीर हेलीकॉप्टर के वजन से कुचल चुका था. सेट पर सन्नाटा पसर गया. उन बच्चों की मां की चीत्कार ने वो सन्नाटा तोड़ा. स्टीफन फार्बर और मार्क ग्रीन की किताब Outrageous Incident के मुताबिक उस सीन में मोरो को बच्चों से एक लाइन कहनी थी, “मैं तुम दोनों को सुरक्षित रखूंगा. ये मेरा वादा है. ईश्वर की कसम, तुम्हें कुछ नहीं होगा.” मोरो कभी ये लाइन नहीं बोल पाए.
इस हादसे की जांच शुरू हुई. साल 1983 में लैंडिस, डॉरसी, प्रोडक्शन डिज़ाइनर सॉयर समेत पांच लोगों के खिलाफ Involuntary Manslaughter का चार्ज लगा. कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ. यहां परत-दर-परत कहानी खुलने लगी. बहुत सारे फ्रंट पर लैंडिस और उनकी टीम ने लापरवाही की थी. कोर्ट में सब उजागर हुआ. कोर्ट में फिल्म से जुड़े लोगों का कहना था कि उन्होंने कई मौकों पर लैंडिस को चेताने की कोशिश की. लेकिन उनके गुस्से से सभी घबराते थे. रिचर्ड सॉयर ने बताया कि जब हेलीकॉप्टर वाले सीन में धमाकों की टेस्टिंग हो रही थी, तो उनकी कंपन से हेलीकॉप्टर का बैलेंस बिगड़ रहा था. सॉयर ने लैंडिस का ध्यान इस ओर खींचा. लैंडिस ने हंसते हुए कहा,
You think that was big, you ain’t seen nothing yet.
यानी अगर तुम्हें लगता है कि ये बड़ा धमाका था तो तुमने अभी कुछ नहीं देखा. उस सीन से पहले गोलीबारी होनी थी. लैंडिस ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वो असली बंदूकें और शॉटगन इस्तेमाल करें, क्योंकि उनके हिसाब से एक शॉटगन के प्रभाव से ही केले के पेड़ की धज्जियां उड़ेंगी. उन्हें वो विज़ुअल इफेक्ट चाहिए था. लैंडिस को उस सीन के लिए दो बच्चे चाहिए थे. लेकिन उनके सामने एक समस्या थी. कैलिफोर्निया के तत्कालीन कानून के हिसाब से आप रात के आठ बजे के बाद बच्चों के साथ शूट नहीं कर सकते. साथ ही बच्चों को धमाकों के पास नहीं रख सकते. लैंडिस ने इन नियमों को भी ताक पर रख दिया. माइका डिन्ह ले और रेनी शिन यी चान नाम के दो भाई-बहनों को लाया गया. आप फिल्मों में तभी काम कर सकते हैं जब आप यूनियन से जुड़े हों. मेकर्स ने उनका नाम फिल्म में नहीं रखा. उनके पेरेंट्स को चुपचाप पैसे दिए और उन्हें सेट पर ले आए. बताया जाता है कि तीनों लोगों की डेथ के बाद लैंडिस उनके अंतिम-संस्कार के लिए भी गए थे. मोरो के फ्यूनरल के दौरान उन्होंने चीखकर कहा था,
Tragedy strikes in an instant, but film is immortal.
दुर्घटना अचानक से घट जाती है, लेकिन फिल्म अमर है. बताया जाता है कि लैंडिस ने सीन से पहले डोरसी से कहा था कि हेलीकॉप्टर को थोड़ा नीचे उड़ाएं. हादसे के पांच साल तक ये ट्रायल चलता रहा. फिर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और सभी आरोपियों को रिहा कर दिया. मोरो और बच्चों के परिवारों के साथ कोर्ट के बाहर सेटलमेंट कर लिया गया. इस केस में भले ही किसी को सज़ा नहीं हुई. लेकिन पूरा सिस्टम बदल गया. वॉर्नर ब्रदर्स ने फैसला लिया कि वो हर सेट पर रिस्क मैनेजमेंट ऑफिसर रखेंगे. वो सेट पर पूरी सुरक्षा की जांच करेगा. इस फिल्म के बाद से फिल्मों में इंश्योरेंस शुरू हुआ. ये फैसले भले ही लिए गए लेकिन उसके बाद भी सेट पर हादसे होते रहे. ब्रूस ली के बेटे ब्रैंडन ली की मौत ‘द क्रो’ के सेट पर हुई थी.
बाकी ट्रायल के दौरान मीडिया और जनता ने लैंडिस को नहीं बख्शा. उनकी क्रूरता की कहानियों को खुलकर छापा. पुराने केस सामने आने लगे जहां एक्टर्स या टीम के लोगों की उनसे अनबन हुई हो. कला के लिए किस हद तक जाना चाहिए, इसे लेकर बहस शुरू हुई. क्या डायरेक्टर्स को अपने आप को भगवान समझना चाहिए. इन सब खबरों के बीच हॉलीवुड पूरी तरह से लैंडिस के सपोर्ट में उतर गया. फ्रांसिस फोर्ड कोपोला, बिली वाइल्डर, जॉर्ज लुकस और रॉन हावर्ड जैसे डायरेक्टर्स ने लैंडिस के समर्थन में ओपन लेटर लिखा. लैंडिस ने इस हादसे के बाद हर इंटरव्यू में बस एक ही बात दोहराई, कि कैसे उनके करियर को नुकसान हुआ है. मगर ऐसा हुआ नहीं. उन्होंने माइकल जैक्सन का गाना ‘थ्रिलर’ डायरेक्ट किया. Coming to America जैसी हिट फिल्म डायरेक्ट की.
इस मामले पर सबसे बुलंद स्टैंड स्टीवन स्पीलबर्ग ने लिया. उन्होंने लैंडिस से अपनी दोस्ती खत्म कर दी. साल 1983 में लॉस एंजिल्स टाइम्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “ऐसी कोई फिल्म नहीं जिसके लिए मरा जाए. अगर कुछ सेफ नहीं है, तो ये हर एक्टर और क्रू मेम्बर की ज़िम्मेदारी है कि वो चिल्ला दें – कट”.
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