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"इरफ़ान के बारे में बिना रोए बात हो नहीं सकती" बोलकर रो पड़े एक्टर विपिन शर्मा

Irrfan Khan से आख़िरी बार लंदन के अस्पताल में मिले थे Vipin Sharma. बोले, "कीमोथेरेपी में भी फिल्में देख रहा था. Rumi को पढ़ रहा था. कहकहे लगा रहा था वो."

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इरफ़ान खान और विपिन शर्मा NSD के साथी हैं. दोनों ने 'पान सिंह तोमर' में साथ काम किया था.

Vipin Sharma और Irrfan Khan. NSD से निकले दो ऐसे कलाकार, जो कॉलेज के दिनों में तो एक-दूसरे से मिले भी नहीं. मगर करियर की शुरुआत से ही दोनों में गहरी दोस्ती हो गई. कुछ ऐसा मरासिम बन गया कि विपिन के सामने इरफ़ान का ज़िक्र होते ही विपिन की आंखें भर उठती हैं. इरफ़ान के बारे में विपिन के पास कई किस्से हैं. मगर उन्हें सुनाने का हौसला वो जुटा नहीं पाते. कहते जाते हैं, रोते जाते हैं. 

हाल ही में विपिन शर्मा The Lallantop के खास प्रोग्राम ‘बैठकी' में पहुंचे थे. इस बातचीत में भी यही हुआ. इरफ़ान का ज़िक्र भर हुआ और विपिन की आंखें डबडबा गईं. बात करते-करते अचानक रुक गए. आंखें बंद कीं. पॉज़ लिया. एक घूंट पानी पिया. ज़रा संभले. फिर बोलना शुरू किया. मगर नाकाम रहे. वो आंसू जो बमुश्किल आंखों में बांधे थे, आख़िर बह गए. मुफ़लिसी के दौर के अपने जिगरी को याद करते हुए विपिन ने कहा,

“इरफ़ान के बारे में बिना रोए बात हो नहीं सकती. मैं सिलिगुड़ी में एक फिल्म शूट कर रहा था जब ये ख़बर आई. मैं शॉट में जाने वाला था और सब... (गला रूंध गया विपिन का. खुद को संभालकर बोले) ट्रैक्स वगैरह लगे हुए थे और वो सब देखकर मुझे लगा, इस सबका कोई मतलब नहीं है. अगर इरफ़ान नहीं है, तो इस सबका कोई मतलब नहीं है. ये सब... (फिर रुककर) यार बहुत याद आती है उसकी. (फूटफूट कर रोने लगे विपिन. रुंधे गले से ही बोले) मैं सोच के आया था इमोशनल नहीं होऊंगा इस बार. पता है, अभी भी लगता है फोन आएगा उसका. बोलेगा आपने ये... ये अच्छा किया. मुझे पता है क्या लगता है? मुझे लगता है जब भी मैं कुछ करता हूं, जो मुझे लगता है कि अच्छा हो रहा है या अच्छा हुआ है, तो मेरा मन करता है कि यार... काश, ये वो देख पाता.”

दरअसल विपिन शर्मा से पूछा गया था कि क्या उन्हें भी 'लाइफ ऑफ पाय' का अंतिम संवाद सुनकर 'पान सिंह तोमर' के डायलॉग की याद आती है? वो दोनों संवाद हम याद दिला देते हैं.

“मैं समझता हूं कि आखिर में सब कुछ जाने देने का नाम ही ज़िंदगी है. पर सबसे ज्यादा तकलीफ़ तब होती है, जब आपको अलविदा कहने का मौका नहीं मिल पाता.”

'लाइफ ऑफ पाय' में इरफ़ान के इस संवाद के साथ ज़िक्र किया गया 'पान सिंह तोमर' के उस डायलॉग का, जो विपिन और इरफ़ान के बीच हुआ था. फ़ौजी पान सिंह का तबादला हो चुका था. मेजर मसंद मेजर वाली ही सख़्त आवाज़ में उससे कहते हैं- ‘अब हम लोग कभी नहीं मिलेंगे’. जिस पर पान सिंह कहता है ‘हमारी ख़बरें मिलती रहेंगी’. क्या एक संवाद सुन दूसरे संवाद की याद नहीं आती? ये सवाल विपिन से किया गया और वो ज़ार-ज़ार रोने लगे. उन्होंने कहा,

“इरफ़ान से बहुत अजीब सा रिश्ता है. मुझे बहुत सपने आते थे उसके, पहले भी. मैंने उसको एक-दो बार बोला भी कि यार ये सपना आया तुम्हारे बारे में. वो मुझे बोलता भी था कि बताया कर यार. अच्छा लगता है. उसके जाने से पहले भी उसके सपने आते थे. उसके जाने के बाद भी बहुत सपने आते हैं. एक दिन मैं अपनी किसी दोस्त से बात कर रहा था इस बारे में. उसने कहा कि आंखें बंद करके बैठो और इरफ़ान को बोलो कि आगे बढ़ जाओ इरफ़ान. हो सकता है हम सबकी यादों ने उसे उसकी आगे की यात्रा करने से रोक रखा है. मैंने प्रार्थना की और कहा कि इरफ़ान सब ठीक है. इसलिए कि हम रोके न रखें उसे. जहां उसको जाना है, वहां पहुंचे वो. उसकी रूह को जहां जाना है, वहां जाए वो. लेकिन उसके बाद भी उसके सपने आते हैं मुझे. मेरा क्या, बहुत लोगों का ऐसा रिश्ता है इरफ़ान के साथ. कुछ रूहानी कनेक्शन था उसका कई लोगों के साथ. बहुत लोगों के साथ. जो लोग उससे मिले भी नहीं थे, वो भी बोले कि बहुत रोए हम उनके जाने की ख़बर सुनकर.”

#अस्पताल में हुई आख़िरी मुलाक़ात में भी कहकहे लगा रहे थे इरफ़ान

लंदन के अस्पताल में चौथे माले का वो कमरा. इरफ़ान का बिस्तर. खाने की चीज़ों से खचाखच भरा फ्रिज. इरफ़ान के सिरहाने रखी रूमी की एक किताब और दो यारों के कहकहे. कुछ ऐसा था विपिन और इरफ़ान की आख़िरी मुलाक़ात का मंज़र. अपने दोस्त के साथ अपनी अंतिम स्मृति के बारे में विपिन ने कहा, 

इरफ़ान खान
इरफ़ान खान के बारे में विपिन शर्मा ने बताया कि वो कीमोथेरेपी वाले दौर में भी ठहाके लगाया करते थे. 

"उससे मेरी आख़िरी मुलाक़ात लंदन में हुई. जिस दिन उसका कीमो शुरू हुआ. मैं उस दिन हॉस्पिटल गया. मैं उसके फोर्थ फ्लोर पर गया. मुझे बड़ा अच्छा लगा था जब मैंने रूमी की किताब देखी उसके बेड के पास. उस समय ऐसी हालत में भी वो पढ़ रहा था. जब मैं पहुंचा तब वो लोग बाहर कॉफी पीने गए हुए थे कहीं. मैं नीचे उतरकर लौट रहा था और वो हॉस्पिटल में दाखिल हो रहा था. मुझे याद है एक शॉल ओढ़ी हुई थी उसने. हम मिले. फिर उसके कमरे में बैठे काफी देर. उसका ह्यूमर एक दम वैसे का वैसा ही था. कहकहे लगा रहा था वो. छोटे से फ्रिज में बहुत सारी खाने की चीज़ें रखी हुई थीं. बोला देख यार, कितना सारा खाना है यार. बहुत भूख लग रही है मुझे. ये लोग सोचते होंगे कि इसको कुछ नहीं हुआ है. ये तो खा रहा है आराम से बैठकर. वहां कुछ मलयाली नर्स थीं. उनकी इरफ़ान से बात होती रहती थी. वो खेलते हैं ना हॉपस्कॉच. वो कभी-कभी आकर ऐसे ही इरफ़ान के साथ खेलती थीं. वो सब इरफ़ान को जानती थीं. ये उसकी छोटी सी दुनिया थी, जिसमें टीवी पर सारे चैनल्स थे. नेटफ्लिक्स, एमेजॉन सब. उसके कोई दोस्त थे उनके ज़रिए लगवा रखे थे. वो देखता था ये सब. वो फाइटर था. कितने दर्द से गुज़रा है वो, मैं बता नहीं सकता. वो हमेशा जिज्ञासु रहा. हमेशा कुछ न सीखना चाहता था. इस सबसे निकलने के बाद फिल्म भी की. फाइटर ही था वो."

इरफान की आखिरी फिल्म थी ‘अंग्रेज़ी मीडियम’. ये एक पिता और बेटी की कहानी थी. ये फिल्म 13 मार्च, 2020 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई है. और उसके कुछ ही दिनों बाद यानी 29 अप्रैल, 2020 को न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर की वजह से इरफान का निधन हो गया. वो 53 साल के थे. 

वीडियो: इरफ़ान खान का कौन सा किस्सा सौरभ द्विवेदी ने बाबिल को सुना दिया?