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फिल्म रिव्यू- विक्रम

'विक्रम' में वो सारे गुण मौजूद हैं, जो उसे एक बढ़िया एंटरटेनिंग फिल्म बना सकते थे. फिल्म का फर्स्ट हाफ कसा हुआ है. बढ़िया बिल्ड अप. फिर आता है फिल्म का प्री-इंटरवल सीन, जो आपको आगे के लिए बहुत उम्मीदवान कर देता है.

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फिल्म 'विक्रम' के पोस्टर पर विजय सेतुपति, कमल हासन और फहाद फाज़िल.

साल की मोस्ट अवेटेड फिल्मों में से एक 'विक्रम' सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है. जब मैं ये लाइन लिख रहा हूं, तब भी मेरे दिमाग में इस फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बज रहा है. जिसे अनिरुद्ध रविचंद्र ने बनाया है.

खैर, 'विक्रम' लोकेश कनगराज यूनिवर्स का हिस्सा है. इस फिल्म की कहानी 'कैथी' के खत्म होने के कुछ महीनों बाद शुरू होती है. इंस्पेक्टर बिजॉय ने ड्रग्स का इललीगल कंसाइनमेंट पकड़ा है. उसमें से दो कंटेनर गायब हैं. पुलिस उस कंटेनर तक पहुंचे, उससे पहले संथनम नाम का ड्रग लॉर्ड उसे ढूंढना चाहता है. इस सब के बीच चेन्नई में पुलिसवालों की हत्या होनी शुरू हो गई है. एक नकाबपोश गैंग इन हत्याओं की ज़िम्मेदारी लेता है. कत्ल किए गए अफसरों में प्रपंचन नाम का एक नार्कोटिक्स ब्यूरो का अफसर भी है. उसका पिता है कर्णन, जो शराब के नशे में धुत रहता है. मगर बेटे की हत्या के बाद वो बदला लेने के लिए निकल पड़ता है. इस गैंग के पीछे कौन लोग हैं, इसका पता लगाने के लिए चेन्नई पुलिस चीफ अमर नाम के एक ब्लैक स्कॉड ऑफिसर और उसकी टीम को बुलाते हैं. इस इनवेस्टिगेशन में अमर की सुई बार-बार विक्रम नाम के एक शख्स पर आकर अटकती है. अमर जब इतिहास के पन्ने खंगालता है, तो उसे पता चलता है कि विक्रम और कर्णन एक ही आदमी हैं. मगर जो विक्रम मर चुका है, वो वापस कैसे आया. अगर वापस आया भी तो वो अपने बेटे को क्यों मारेगा? इस सब से संथनम का क्या कनेक्शन है? इन सवालों के जवाब आपको 'विक्रम' में मिलेंगे. ‘विक्रम’ का ट्रेलर आप नीचे देख सकते हैं-


इंडिया में अब अच्छी फिल्में बनाने पर नहीं, धांसू सिनेमैटिक एक्सपीरियंस बनाने पर जोर दिया जा रहा है. साउथ के फिल्ममेकर्स ने इस गेम में पीएचडी कर ली है. उनकी कहानी कितनी भी बेसिक हो, मगर उसे जिस तरह से बनाया जा रहा है, उसे देखने में मज़ा आने लगा है. विक्रम ऐसी ही फिल्म है. 'विक्रम' में कमल हासन, विजय सेतुपति और फहाद फाज़िल जैसे कलाकार काम कर रहे हैं. इसके बावजूद इसे लोकश कनगराज की फिल्म बुलाया जा रहा है. लोकेश कनगराज ने 'कैथी' और 'मास्टर' जैसी फिल्मों से साबित कर दिया है कि वो पॉटबॉयलर सिनेमा बनाने में पारंगत हो गए हैं. सुपरस्टार्स को किस रूप में पेश किया जाए, तो दर्शक उसे पसंद करेंगे, ये उनकी यूएसपी बन गई है. मगर कमल हासन जैसे सुपरस्टार को अपनी फिल्म में पाकर वो हड़बड़ाए से लगते हैं. लोकेश 'विक्रम' को बनाने के दौरान इस कंफ्यूज़न में लगते हैं कि वो कमल हासन के फैंस को ध्यान में रखकर फिल्म बनाएं. कमल हासन 'द एक्टर' का इस्तेमाल करें या वो वैसी फिल्म बनाएं, जो वो बनाना चाहते हैं. इसलिए वो इन तीनों चीज़ों को मिला देते हैं. हालांकि ये चीज़ फिल्म की बहुत मदद नहीं कर पाती है.

फिल्म के एक सीन में कमल हासन, जिन्होंने फिल्म में टाइटल कैरेक्टर प्ले किया है.

'विक्रम' में वो सारे गुण मौजूद हैं, जो उसे एक बढ़िया एंटरटेनिंग फिल्म बना सकते थे. फिल्म का फर्स्ट हाफ कसा हुआ है. बढ़िया बिल्ड अप. सभी किरदार लॉन्च हो चुके हैं. कहानी स्थापित हो चुकी है. फिर आता है फिल्म का प्री-इंटरवल सीन, जो आपको आगे के लिए बहुत उम्मीदवान कर देता है. सेकंड हाफ में जब कहानी खुलनी शुरू होती है, तब आप स्टोरी वाले फ्रंट पर निराश होते हैं. क्योंकि यहां आपका सामना तमाम घिसे हुए फॉर्मूलों से होता है. लोकेश इस फिल्म को इमोशनल डेप्थ देना चाहते है. मगर वो सिचुएशंस आपके भीतर कोई भाव पैदा नहीं कर पाते. प्रेडिक्टेबल प्लॉट के बावजूद 'विक्रम' में आपकी दिलचस्पी बची रहती है. क्लाइमैक्स से ठीक पहले एक सीक्वेंस आता है, जिसके केंद्र में एक महिला है. इसे देखकर लगता है कि फिल्म वापसी करने की कोशिश कर रही है. मगर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

विजय सेतुपति ने फिल्म में संथनम नाम के ड्रग लॉर्ड का रोल किया है. ये बेसिकली फिल्म के मेन विलन का कैरेक्टर. 

'विक्रम' पर हॉलीवुड का हैंगओवर नज़र आता है. लोकेश खुद कई बार स्वीकार कर चुके हैं कि वो स्कॉरसेज़ी फैन हैं. मगर इस फिल्म में वो क्रिस्टोफर नोलन से काफी प्रेरित लगते हैं. फिल्म का एक सीन देखकर आपको तुरंत 'टेनेट' याद आती है. इस फिल्म की तीन खास बातें हैं- अव्वल, तो लीडिंग स्टार्स की परफॉरमेंस. दूसरी चीज़ है फिल्म के एक्शन सीक्वेंसेज़ और तीसरी, फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर. कमल हासन को देखकर लगता है कि अब वो अपने करियर में लीडिंग मैन की ज़िद छोड़ अच्छे कैरेक्टर्स निभाना चाहते हैं. 'विक्रम' के फर्स्ट हाफ में बहुत कम दिखाई देते हैं. मगर सेकंड हाफ पूरी तरह से ओन करते हैं. फिल्म में एक सीन है, जहां कमल हासन एक छोटे बच्चे को देखकर रोते हैं. जिस फिल्म में इमोशन की कमी होने की बात कही जा चुकी है. फिर भी हमें स्वीकार करना पड़ेगा कि वो सीन आपको कुछ सेकंड के लिए ही सही, मगर रुआंसा तो कर ही देता है. आपको लगता है कि यार कमल हासन को ऐसे और किरदार निभाने चाहिए, जहां उन्हें परफॉर्म करने का मौका मिले.  

फहाद फाज़िल ने फिल्म में अमर नाम के ब्लैक स्कॉड ऑफिसर का रोल किया है.

विजय सेतुपति ने संथनम नाम के ड्रग लॉर्ड का रोल किया है. उस किरदार से बिल्कुल 'मास्टर' के भवानी वाला फील आता है. मगर उन्हें देखकर लगता है कि वो विजय सेतुपति से हटकर कुछ करना चाहते हैं. जिस प्री-इंटरवल सीन का ज़िक्र हमने ऊपर किया, उसमें आपको विजय एक्शन करते दिखते हैं. वहां 30 सेकंड में विजय कुछ ऐसा कर देते हैं, जो कोई कथित एक्शन सुपरस्टार कभी नहीं कर पाएगा. अमर नाम के ब्लैक स्कॉड ऑफिसर का रोल किया है फहाद फाज़िल ने. 'विक्रम' में कमल और विजय दोनों से ज़्यादा स्क्रीनटाइम फहाद को मिला है. वो लगातार फिल्म में दिखते रहते हैं. कई बार मैंने पढ़ा और सुना है कि फलाने-ढिमाके एक्टर की परफॉरमेंस एकदम एफर्टलेस है. मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा कि एफर्टलेस परफॉरमेंस क्या होती है. बस एक टीस ये रह जाती है कि फिल्म के किसी सीन में हमें तीनों सुपरस्टार्स को एक साथ बात करते देखने का मौका नहीं मिलता. लोकेश की 'मास्टर' से भी मुझे यही शिकायत थी कि थलपति विजय और विजय सेतुपति के कॉमन सीन्स बहुत कम थे. इनके अलावा 'विक्रम' में चेम्बन विनोद, कालीदास जयराम और गायत्री शंकर भी नज़र आती हैं. सुपरस्टार सूर्या फिल्म में एक छोटे से गेस्ट रोल में दिखाई देते है. मगर वो बहुत अजीब कैमियो है. क्योंकि वो इस फिल्म से ज़्यादा अगली फिल्म के बारे में लगता है.

फिल्म के उन लिमिटेड सीन्स में से एक जिसमें कमल हासन इमोशनल दिखलाई पड़ते हैं.

'विक्रम' का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है. जिन सीन्स में डायलॉग्स नहीं हैं, उन सीन्स में अनिरुद्ध रविचंद्र का बीजीएम किलर है. ये चीज़ उस सीन को एलीवेट करती है. मेकर्स से हमारी गुज़ारिश रहेगी कि फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर को भी साउंडट्रैक के साथ अलग से रिलीज़ करें.

'विक्रम' सिनेमैटिक एक्सपीरियंस को ध्यान में रखकर बनाई गई फिल्म है, जिसमें बेहतरी की गुंजाइश बाकी रहती है. हालांकि दुनिया में ऐसी कोई चीज़ नहीं, जिसमें और बेहतरी की गुंजाइश न हो. आप KGF 2 के बाद सिनेमाघरों में कोई पैसा वसूल फिल्म देखना चाहते हैं, तो 'विक्रम' आपको अच्छी लगेगी. इस जेनरेशन के तीन दिग्गज एक्टर्स को एक फिल्म में परफॉर्म करते देखना अपने आप में बहुत एक्साइटिंग आइडिया है. 

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