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RRR से पहले बनी साउथ की वो 9 धांसू मायथोलॉजिकल फिल्में, जो कभी रिलीज़ नहीं हो पाईं

कमल हासन का ड्रीम प्रोजेक्ट जिसे वो आज तक पूरा नहीं कर पाए. रजनीकांत की वो फिल्म, जिसकी शूटिंग सिर्फ एक दिन चली. जानिए साउथ की ऐसी ही बड़ी फिल्मों के बारे में जो कभी रिलीज़ नहीं हो पाईं.

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बाएं से दाएं - पहली पगोटों कमल हासन की फिल्म मरुधानायगम, दूसरी चियां विक्रम की करिकालन से, तीसरी रजनीकांत की रिलीज़ हुई फिल्म कोचादियान से.

हर फिल्म की अपनी एक जर्नी होती है. अणु रूपी आइडिया से शुरुआत. फिर समय के साथ ये अणु 70 एमएम के परदे पर फैल जाता है. इसी सफर के पूरा होने के साथ कुछ फिल्में अपना हासिल पा लेती हैं. जैसा डायरेक्टर ने सोचा, वैसा सिनेमा स्क्रीन पर उतार पाया. इंदीवर ने लिखा है, हर किसी को नहीं मिलता यहां प्यार ज़िंदगी में. ठीक वैसा ही कुछ फिल्मों के साथ भी है. कुछ फिल्में, जो एक समय महत्वाकांक्षी सपना थीं. बस ये सपना कभी फर्स्ट डे, फर्स्ट शो में तब्दील नहीं हो पाया. 

बड़े डायरेक्टर्स. दिग्गज एक्टर्स. भारी बजट. एक्सपर्ट लोग. मायथोलॉजी और इतिहास से निकली समृद्ध कहानियां. इतनी सारी पूर्ण चीज़ें साथ आकर भी एक पूरी फिल्म नहीं बना पाईं. आज आपको मायथोलॉजी और हिस्ट्री के बिंदुओं पर बनी फिल्मों के बारे में बताएंगे. वो फिल्में जो बनते हुए भी बन नहीं पाईं. इनकी कहानी सिर्फ कागज़ पर ही पूरी हुई. हिंदी सिनेमा में तो समय-समय पर ऐसी कई फिल्मों के नाम आते रहे हैं. महाभारत से लेकर रामायण तक पर बननेवाली फिल्में. आज बात करेंगे साउथ के कुछ एम्बिशियस प्रोजेक्ट्स की. विहंगम दृश्य, करोड़ों रुपया, बड़े स्टार्स. फिर भी जनता ये फिल्में शायद कभी नहीं देख पाएगी. 

#1. मरुधनायगम 

एक आदमी है. लंबे बाल, लंबी दाढ़ी वाला. काले बैल पर सवार. उस आदमी का वेग ऐसा कि बैल भी किसी घोड़े से कम नहीं लगता. इतनी तेज़ी से ये क्यों भाग रहा है और किससे? दरअसल, ये किसी समय में अंग्रेज़ों के लिए काम करता था. फिर उनके ही खिलाफ विद्रोह कर दिया. ये भारतीय इतिहास का वो नायक है, जिसके बारे में बहुत कम कहा, सुना और पढ़ा गया. कहना गलत नहीं होगा कि 1857 की क्रांति से भी पहले इस भारतीय ने विद्रोह कर डाला था. ये आदमी था यूसुफ खान. तमिल लेखक सुजाथा रंगराजन ने कमल हासन को कुछ इसी तरह यूसुफ की कहानी सुनाई होगी. 

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कमल हासन के करियर के सबसे चैलेंजिंग रोल्स में से एक.  

जिसके बाद कमल ने इतिहास के इस पात्र पर फिल्म बनाने का मन बना लिया. सिर्फ मन ही नहीं बनाया, बल्कि उसे एक अपना सबसे बड़ा सपना बना लिया. इस वक्त साल था करीब 1993-94. कमल और सुजाथा ने साथ मिलकर स्क्रिप्ट पर काम शुरू कर दिया. फिल्म और किरदार की रिसर्च में चार साल चले गए. कमल ने अपनी डाइट बदली. सिर्फ अंडे, फल और सब्ज़ी पर रहे. फिल्म के कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट पर काम कर रही सारिका ने इंग्लैंड और फ़्रांस के अनगिनत चक्कर लगाए. ढेरों किताबें पढ़ीं. ताकि फिल्म में सिपाही की वर्दी पर दिखने वाला बटन तक उस समय का रहे. जिस समय हिंदी सिनेमा में सीक्वल और ट्रिलजी का चलन आम नहीं था, उस वक्त कमल इस कहानी को तीन हिस्सों में दिखाना चाहते थे. 

'जैसी फिल्म मैं देखना चाहता हूं, वैसी बनाऊंगा' इस सोच के साथ कमल ने कोई कसर नहीं छोड़ी. रिचर्ड एटनबरो की विश्व ख्याति प्राप्त फिल्म ‘गांधी’ पर असिस्टेंट रहे लोगों को चुना. फिल्म के लिए करीब 85 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया. जिसे वो और एक ब्रिटिश कंपनी मिलकर लगाने वाले थे. बताया जाता है कि कमल की टीम ने फिल्म से पहले राजस्थान में एक टेस्ट शूट भी किया. जिसका कुल खर्चा करीब एक करोड़ रुपए आया. इन सब के बाद 1997 में ‘मरुधनायगम’ की शूटिंग शुरु हुई. जिसे लॉन्च किया ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने. फिल्म के लिए कुछ भी इससे बेहतर नोट पर नहीं शुरू हो सकता था. लेकिन मामला अटका ठीक एक साल बाद.  

एलिज़ाबेथ द्वितीय 1997 में भारत दौरे पर आई हुई थीं. उसी दौरान उन्होंने फिल्म को लॉन्च किया. 

फिल्म की शूटिंग तमिलनाडु में चल रही थी. वहां के कुछ निवासियों ने आरोप लगाया कि फिल्मवाले यूसुफ को हीरो की तरह दिखाना चाहते हैं. जबकि वो खुद अंग्रेज़ों की तरफ से भारतीयों के खिलाफ लड़ा था. ऐसा आदमी देशद्रोही था, हीरो नहीं. इस बवाल की वजह से कमल को तमिलनाडु से अपना सेट हटाना पड़ा. फिल्म की टीम पहुंची केरल. फिर शूटिंग शुरू हुई. लेकिन एक बार फिर रुकने के लिए. फिल्म पर पैसा लगा रही ब्रिटिश कंपनी ने अपने हाथ अचानक से खींच लिए. कुछ जगह पढ़ने को मिलता है कि ऐसा पोखरण में किए परमाणु बम परीक्षण की वजह से हुआ. दोनों घटनाओं में क्या संबंध है, इसका जवाब ये वेबसाइट्स नहीं देती. खैर, फिल्म पर काम पूरी तरह बंद हो गया. समय-समय पर कमल फिर से फिल्म को शुरू करने की घोषणाएं भी करते रहे हैं. लेकिन किसी भी तरह फिल्म पूरी नहीं हो सकी. अब तक करीब आधे घंटे की फिल्म ही बन पाई है. 

फैन्स को हमेशा लगता रहा कि कमल अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को ज़रूर पूरा करेंगे. मगर अब ये होता मुमकिन नहीं लगता. अपनी हालिया रिलीज़ ‘विक्रम’ के एक इवेंट पर कमल ने कहा था कि फिल्म बहुत बार रुकी. जिस वजह से अब उनकी रुचि कम हो गई है. हालांकि अगर उन्हें सही लोग मिलते हैं, तो वो इस फिल्म की बागड़ोर उनके हाथों में देने से नहीं कतराएंगे.   

#2. राणा 

साल 2008. कमल हासन की फिल्म ‘दशावतारम’ रिलीज़ हुई. जहां कमल ने 10 किरदार निभाए. इस एक्सपेरिमेंट के लिए उनकी और फिल्म के डायरेक्टर के.एस. रविकुमार की तारीफ हुई. तारीफ, सराहना तो सब ठीक थी. लेकिन रविकुमार केवल ‘दशावतारम’ तक नहीं रुकना चाहते थे. अब उन्हें हिम्मत मिल गई थी अपना ड्रीम प्रोजेक्ट उठाने की. आठवीं सदी के एक योद्धा की कहानी. उसके पिता के साथ अन्याय होता है और उसे इसी अन्याय का बदला लेना है. इस कहानी का नाम था राणा. जिसे उन्होंने रजनीकांत को सुनाया. रजनीकांत को कहानी पसंद आई और उन्होंने हामी भर दी. 

रजनीकांत के साथ-साथ दीपिका पादुकोण को भी फिल्म के लिए फाइनल कर लिया गया. फर्स्ट लुक पोस्टर रिलीज़ किया गया. जहां एक योद्धा की पोशाक में, हाथ में तलवार थामे रजनीकांत का ऐनिमेटिड रूप नज़र आया. ये एक ऐनिमेटिड फिल्म ही होने वाली थी. साल 2011 के अप्रैल महीने में फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. शूटिंग का पहला ही दिन था और रजनीकांत की तबीयत बिगड़ गई. उन्हें इलाज के लिए जाना पड़ा और फिल्म पर काम पूरी तरह रुक गया. जिस दौरान उनका इलाज चल रहा था, रविकुमार ने एक दूसरी कहानी पर काम शुरू कर दिया. जो ‘राणा’ के यूनिवर्स में ही घटती है.

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‘राणा’ का फर्स्ट लुक पोस्टर. 

इसे ‘राणा’ की प्रीक्वल स्टोरी के तौर पर लिखा जा रहा था. ये दिखाने के मकसद से कि राणा की शुरुआत कैसे हुई. रवि जानते थे कि रजनीकांत की तबीयत दुरुस्त नहीं. इसलिए उन्होंने कहानी में रजनी का इतना ही रोल रखा जिससे उनपर कोई दबाव न पड़े. ‘राणा’ तो नहीं बन पाई. लेकिन ये फिल्म बनी. ‘कोचादियान’ के नाम से. फिल्म आने के बाद भी समय-समय पर रविकुमार ने फिर ‘राणा’ को शुरू करने की कोशिशें की है. बस ये कोशिशें कारगर साबित नहीं हुई. 

#3. करिकालन 

30 सितंबर, 2022 को मणि रत्नम की फिल्म ‘पोन्नियन सेल्वन’ रिलीज़ होने जा रही है. जहां चियां विक्रम चोल साम्राज्य के राजा आदित्य द्वितीय का पात्र निभाएंगे. आदित्य को करिकालन भी कहा जाता था. हालांकि, ये पहली बार नहीं जब विक्रम करिकालन बन रहे हों. करीब सात-आठ साल पहले वो हिस्टॉरिकल ड्रामा फिल्म पर काम कर रहे थे. जिसे बड़े बजट पर बनाया जा रहा था. फिल्म का नाम था ‘करिकालन’ और विक्रम लीड रोल निभाने वाले थे. फिल्म में उनके साथ ज़रीन खान भी थीं, जो ग्रीस की राजकुमारी का किरदार करने वाली थीं. 

फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. बताया जाता है कि लगभग 25 पर्सेंट पूरी भी हुई. लेकिन फिर अचानक से काम रुक गया. हमेशा के लिए. इसके पीछे कई वजहें बताई जाती हैं. फिल्म का बजट लगातार बढ़ता जा रहा था. कहानी को लेकर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर में मतभेद हो गए आदि. मेकर्स ने ‘करिकालन’ का एक ट्रेलर भी रिलीज़ किया था. जहां इस्तेमाल किये गए ग्राफिक्स और स्पेशल इफेक्ट्स अब के समय से काफी पुराने लगते हैं. ये भी एक वजह है कि शायद ‘करिकालन’ अब कभी शुरू नहीं हो पाएगी.   

#4. अबू बगदाद गजा दोंगा 

‘अबू बगदाद गजा दोंगा’. यानी बगदाद का चोर. इसी नाम से 1968 में एक तेलुगु फिल्म भी आई थी. जहां लीड में एन.टी. रामा राव थे. नाइंटीज़ में अबू की कहानी को बड़े स्केल पर बनाने का प्लान किया गया. हॉलीवुड और टॉलीवुड यानी तेलुगु सिनेमा इंडस्ट्री साथ आए. ‘अबू बगदाद गजा दोंगा’ नाम की फिल्म बनाने के लिए. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि फिल्म को 50 करोड़ रुपए के बजट पर बनाया जाना था. साथ ही फिल्म के दो वर्जन बनने थे. अंग्रेज़ी वाले वर्जन को बनाते डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर्स डूशन गर्सी. हिंदी और तेलुगु में फिल्म को बनाते सुरेश कृष्णा. ए आर रहमान फिल्म के लिए म्यूज़िक कम्पोज़ करने वाले थे. फिल्म में लीड किरदार के लिए चिरंजीवी को फाइनल किया गया. बताया गया कि अंग्रेज़ी वाले वर्जन में साशा नाम की मॉडल उनके ओपोज़िट होंगी. वहीं, तेलुगु वाली फिल्म के लिए मनीषा कोइराला को चुना गया.    

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धार्मिक भावनाएं आहट हुई और एक बड़ी फिल्म की बलि चढ़ गई. 

इस बड़े बजट वाली फिल्म पर काम शुरू हुआ. लगभग 20 पर्सेंट हिस्सा शूट कर लिया गया. तभी फिल्म के खिलाफ कुछ मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने प्रोटेस्ट कर दिया. उनका आरोप था कि फिल्म में कुरान के पन्नों को पुराना दिखाने के लिए उन्हें चाय में डुबोया गया. इस बात या कहें तो अफवाह को बवाल बनने में ज्यादा समय नहीं लगा. फिल्म के खिलाफ प्रोटेस्ट हुए. कुछ लोग कोर्ट भी पहुंचे. जिसके बाद मजबूरन मेकर्स को फिल्म पर काम बंद करना पड़ा. धर्म के आगे रचनात्मक स्वतंत्रता हार गई. फिल्म बंद होने के बाद फिर कभी शुरू नहीं हो पाई. 

#5. नर्तनशाला 

नंदमुरी बालकृष्णा. तेलुगु सिनेमा के बड़े एक्टर. कॉमेडी, एक्शन से लेकर तमाम तरह की कमर्शियल फिल्में कर चुके. हालांकि, उनकी फिल्मोग्राफी में सबसे ज़्यादा भरमार है हिस्ट्री और मायथोलॉजी वाली फिल्मों की. इसलिए जब उन्होंने 2004 में अनाउंस किया कि वो मायथोलॉजी फिल्म बनाने जा रहे हैं, तो ये अपने आप में एक बड़ी न्यूज़ थी. फिल्म का नाम था ‘नर्तनशाला’. महाभारत का बैकड्रॉप लेकर रची गई इस कहानी में वो अर्जुन का पात्र निभाने वाले थे. सौंदर्या को द्रौपदी के किरदार के लिए चुना गया. सौंदर्या को आपने अमिताभ बच्चन के साथ ‘सूर्यवंशम’ में देखा है. 

‘नर्तनशाला’ बालकृष्णा का एम्बिशियस प्रोजेक्ट था. वजह थी कि ये उनके पिता एनटीआर की फिल्म का रीमेक था. जिसकी तेलुगु सिनेमा के प्रशंसकों के बीच अच्छी-खासी पॉपुलैरिटी थी. 2004 में ‘नर्तनशाला’ पर काम शुरू हुआ. लेकिन कुछ दिनों की शूटिंग के बाद ही बुरी खबर आई. सौंदर्या एक हेलिकॉप्टर से सफर कर रही थीं, जो दुर्घटना में क्रैश हो गया. ये क्रैश इतना वीभत्स था कि कोई नहीं बचा. सौंदर्या की मृत्यु के समय तक सिर्फ 17 मिनट की फिल्म ही शूट हुई थी. बालकृष्ण ने इसे 17 मिनट से आगे न बढ़ाने का फैसला लिया. वो सौंदर्या को किसी और एक्ट्रेस से रिप्लेस नहीं करना चाहते थे. 2020 में एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिए उन्होंने बताया कि वो 17 मिनट की फिल्म को Shreyas ET नाम के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ करेंगे. 

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सौंदर्या की डेथ के बाद फिल्म पर काम बंद हो गया. 

बालकृष्णा ने अपने करियर में अब तक 100 से ज़्यादा तेलुगु फिल्में की हैं. उनकी अधूरी फिल्मों में सिर्फ ‘नर्तनशाला’ ही नहीं है. वो ‘विक्रम सिम्हा भूपति’ नाम की एक पीरियड एक्शन ड्रामा पर भी काम कर रहे थे. 60 पर्सेंट हिस्सा शूट किया जा चुका था. लेकिन फिर अनजान कारणों से ये फिल्म कभी पूरी नहीं हो सकी.   

#6. संघमित्रा 

2016 में तमिल फिल्मों के डायरेक्टर सुंदर सी ने एक बड़े बजट की हिस्टॉरिकल ड्रामा फिल्म अनाउंस की. ‘संघमित्रा’ के नाम से फिल्म को बनाया जाना था. सम्राट अशोक की सबसे बड़ी बेटी का नाम संघमित्रा था. फिल्म में श्रुति हासन ये किरदार निभाने वाली थीं. उनके साथ जयम रवि और आर्या भी अहम भूमिकाओं में नज़र आने वाले थे. ‘बाहुबली’ से प्रेरणा लेकर ‘संघमित्रा’ को दो पार्ट्स में बनाने की प्लानिंग थी. पूरी होने के बाद फिल्म को तमिल, तेलुगु और हिंदी में रिलीज़ किया जाना था. 

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फिल्म के फर्स्ट लुक में श्रुति हासन. 

श्रुति ने अपने किरदार के लिए मार्शल आर्ट्स और हथियारों की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया. 2017 में फिल्म की टीम के साथ कैन फिल्म फेस्टिवल भी पहुंची. ‘संघमित्रा’ को प्रमोट करने. लेकिन कुछ दिनों बाद न्यूज़ आई कि वो फिल्म से अलग हो रही हैं. उनकी टीम से जवाब आया कि मेकर्स श्रुति को डेट्स नहीं बता रहे थे. जिस वजह से उन्होंने फिल्म से अलग होना बेहतर समझा. ‘संघमित्रा’ पर काम रुक गया. हालांकि, मेकर्स ने फिल्म को ड्रॉप नहीं किया है. उनके मुताबिक सही समय आने पर वो फिर से फिल्म को शुरू करेंगे. 

#7. सत्याग्रही 

11 अक्टूबर, 2021 को पवन कल्याण ने अपने सोशल मीडिया पर एक फैन मेड पोस्टर रिलीज़ किया. जहां वो एक सड़क पर चलते हुए नज़र आ रहे हैं. ठीक उनके पीछे एक बिल्डिंग पर जयप्रकाश नारायण की बड़ी फोटो लगी है. इस फोटो के साथ उन्होंने लिखा,

लोकनायक जयप्रकाश नारायण से प्रेरित एक पॉलिटिकल फिल्म, जो आज के समय में सेट है. शायद मैंने फिल्म की शुरुआत 2003 में की थी और फिर उसे रोक दिया. ताकि उसे असली ज़िंदगी में कर सकूं. 

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि पवन कल्याण ने खुद इस फिल्म की कहानी लिखी थी. साथ ही वो फिल्म को डायरेक्ट भी करना चाहते थे. ‘आर्या’ और ‘जर्सी’ जैसे फिल्में प्रोड्यूस करने वाले दिल राजू पवन कल्याण की फिल्म पर पैसा लगाने को राज़ी थे. फिल्म के लिए सब कुछ सही जा रहा था लेकिन फिर अचानक से पवन कल्याण ने खुद फिल्म बंद कर दी. ऐसा क्यों हुआ, इसका संतोषजनक जवाब उनके फैन्स आज तक नहीं ढूंढ पाए. बाकी वो अपने इंटरव्यूज़ में एक ही बात बताते हैं. उन्हें लगा कि ऐसी फिल्म करने से समाज में कुछ नहीं बदलेगा. इसलिए उन्होंने आइडिया ड्रॉप कर दिया. 

#8. वीरमादेवी 

‘वीरमादेवी’. बतौर लीड, सनी लियोनी की पहली साउथ इंडियन फिल्म. इससे पहले वो डांस नंबर्स और कैमियो कर रही थीं. फिल्म में सनी इतिहास के पन्नों से निकली एक वीरांगना का पात्र निभाने वाली थीं. 18 मई, 2018 को उन्होंने फिल्म का फर्स्ट लुक पोस्टर भी शेयर किया. साथ ही बताया कि फिल्म जल्दी ही फ्लोर पर जाने वाली है. यानी जल्दी शूटिंग शुरू होने वाली है. फिल्म को 100 करोड़ रुपए के भारी-भरकम बजट पर बनाया जाना था. जिसमें से 40 करोड़ रुपए सिर्फ कंप्युटर ग्राफिक्स पर लगाए जाते. बहरहाल, फिल्म की शूटिंग शुरू हुई, लेकिन अब तक पूरी नहीं हो सकी. इसकी प्रमुख वजह रही रक्षणा वेदिके युवा सेने. ये कर्नाटक स्थित एक यूथ आउटफिट है. युवा सेना के मेंबर इस बात पर भड़क गए कि सनी को फिल्म में क्यों लिया गया. 

उनका इशारा सनी के पूर्व एडल्ट फिल्म एंटरटेनमेंट करियर पर था. फिल्म को लेकर हंगामा बढ़ता चला गया. इस बीच एक शख्स ने मदुरै हाई कोर्ट में फिल्म के खिलाफ याचिका भी दायर कर दी. वो बात अलग है कि कोर्ट ने याचिका तुरंत खारिज कर दी. ये कहते हुए कि कोई भी एक्टर कोई भी रोल करने के लिए फ्री है. ‘वीरमादेवी’ के मेकर्स की मुश्किलें एक हद तक आसान हुईं. बताया गया कि 2018 में ही फिल्म को रिलीज़ किया जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब तक फिल्म पर कोई अपडेट नहीं है कि ये कभी रिलीज़ होगी भी या नहीं. 

#9. प्रिंस ऑफ पीस 

सिंगीतम श्रीनिवास राव. ‘पुष्पक’ और ‘माइकल मदन कामा राजन’ जैसी सफल फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर. 2010 में उन्होंने पवन कल्याण को लेकर एक फिल्म पर काम शुरू किया. ये फिल्म आधारित थी येशु पर. जहां पवन कल्याण ही येशु का किरदार निभाने वाले थे. कास्ट से जुड़े ज़्यादा नाम बाहर नहीं आए. बस इतना बताया गया कि अनुष्का शेट्टी भी एक अहम किरदार निभाएंगी. कई अटकलों के बाद फिल्म का नाम पड़ा ‘प्रिंस ऑफ पीस’. इज़रायल की राजधानी जेरूसलम में फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. वो भी बड़े स्केल पर. लेकिन कुछ दिनों के बाद ही उसे रोकना पड़ा. 

श्रीनिवास ने कुछ समय बाद फिर शूटिंग शुरू करने की कोशिश की. लेकिन बात नहीं बन पाई. मेकर्स ने ऐसा करने की कोई ठोस वजह नहीं बताई. बस इतना कहा कि उन्होंने इस फिल्म को हमेशा के लिए शेल्व कर दिया है.            

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