
दिग्विजय सिंह की चारों बेटियां. कर्णिका पीली साड़ी में.
ट्विटर पर बरखा दत्त ने ट्वीट करके इस बात को बताया. और फिर क्या हुआ? दूसरी जमात और उस जमात के आकाओं की जी हुजूरी करने वाले आ टपके. और अपनी शर्म को किनारे रख फिर से शुरू किया वही सब जो वो करते आए हैं. दिग्विजय सिंह, उनकी अभी-अभी मर चुकी बेटी को जी भर कोसा. ये भी न सोचा कि उस वक़्त दिग्विजय सिंह के ऊपर क्या बीत रही होगी? उस वक़्त दिग्विजय सिंह कांग्रेस के राज्य सभा सांसद नहीं बल्कि एक बेबस बाप थे जो अभी-अभी बेटी को खो चुके थे. 37 साल मर जाने की कोई उम्र नहीं होती. और एक बाप के लिए उसकी बेटी कितनी भी उम्र की हो, उसके मरने की कोई उम्र नहीं ही होती.
29 तारीख को दिग्विजय सिंह ने भी इस बाबत एक ट्वीट किया. लोगों ने उन्हें भी नहीं छोड़ा. उनके ट्वीट पर रिप्लाई में उन्हें कोसा जाने लगा. उनकी बेटी को 'टंच माल' कहा गया. हां, वही बेटी जो मर गयी थी. कैंसर से. एक बड़ा हिस्सा तो बस इसी बात में खर्च हुआ जा रहा था कि दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता, कर्णिका से उम्र में बड़ी हैं या छोटी. उनके लिए ये अचानक ही देश का सबसे बड़ा शोचनीय विषय बन चला था.
कर्णिका को उनके पिता की दूसरी पत्नी अमृता से उम्र में कम्पेयर किया गया. साथ ही कहा गया कि दिग्विजय को चिंता नहीं करनी चाहिए. अमृता से वो एक और बच्चा पैदा कर सकते हैं. बरखा दत्त से पूछा जा रहा है की कहीं उनका और दिग्विजय सिंह का कोई 'लफड़ा' तो नहीं चल रहा?
ये लोग कौन हैं? क्यूं इनकी आंखों का पानी इस कदर मर चुका है कि इन्हें अभी-अभी कैंसर से जूझती मरी एक महिला को 'टंच माल' कहकर पुकारने में कोई संकोच नहीं. क्या इन्हें एक बार भी थोड़ी सी भी झिझक सी महसूस हुई होगी? क्या ये ऐसा सब कुछ करने के बाद खुद को आईने में देख सकते होंगे? ऐसी क्या मजबूरी होगी कि उन्हें दिग्विजय सिंह की बेटी और दूसरी पत्नी की उम्र के बीच समीकरण बिठाने पड़ गए? सिर्फ़ इतना कि दिग्विजय सिंह उस पार्टी में हैं जिस पार्टी को आप सपोर्ट नहीं करते? या जिस पार्टी को आप समूचे देश से हटाना चाहते हैं? राजनीति के इस खेल में ये इतना नीचे गिर चुके हैं कि अपने खिलाफ़ खड़े लोगों के राजनैतिक ही नहीं पर्सनल लॉस पर भी तालियां पीटी जायेंगी?
हमने ये देखा है कि दिग्विजय सिंह आये दिन अपने किसी न किसी बयान की वजह से न्यूज़ में बने रहते हैं. बयान कई बार बेहूदे या अजीब होते हैं. हम भी मानते हैं. हमने भी उन्हें जी भर के खरी खोटी सुनाई है. लेकिन इसमें उनकी बेटी का क्या दोष था? ऐसी क्या मजबूरी आन पड़ी कि एक मौका पाते ही आप भी उसी लेवल पर आ खड़े हुए जहां आकर दिग्विजय सिंह बयानबाजी करते हैं? अगर ऐसा करना आपको जस्टिफाइड लगता है तो मैं ये प्रार्थना करूँगा कि सड़क पर चलता एक आवारा घिनौना कुत्ता कहीं आपको न काट खाए. डर मुझे उसके बाद कुत्ते के साथ होने वाली ज्यादती का है. क्यूंकि उसके बाद आप कुत्ते को दौड़ा कर तब तक नोच खाते रहेंगे जब तक आप अपनी नज़रों में उस कुत्ते से सवा हाथ ऊपर नहीं पहुंच जायेंगे.
















हमने अभी थोड़ी ही देर पहले कर्णिका की मौत
पर एक खबर की. उस पर क्या रिएक्शन आये, देखते हैं:
