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पाइरेसी वेबसाइट 'तमिल रॉकर्स' की हैरतअंगेज़ कहानी, जिसने फ़िल्मी दुनिया के होश उड़ा दिए थे

पिछले 10-12 सालों में जिस एक ठिकाने का नाम पाइरेटेड कंटेन्ट के लिए बहुत तेज़ी से उभरा, वो है 'तमिल रॉकर्स'. अब इसी नाम से SonyLIV पर एक सीरीज़ आने जा रही है. आज हम इसी सीरीज़ और वेबसाइट से जुड़ी कुछ रोचक बातें आपसे साझा करेंगे.

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एक वेबसाइट जिसने तहलका मचा दिया

एक डेटा के अनुसार पूरे विश्व में पाइरेटेड वीडियोज़ को साल भर में क़रीब 230 बिलियन व्यूज मिलते हैं. पाइरेसी साइट्स को इस्तेमाल करने और इनसे मटेरियल डाउनलोड करने के मामले में भारत यूएस के बाद दूसरे नंबर पर है. वॉक्सस्पेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में भारत के आईपी ऐड्रेस के तहत हर 6 घण्टे में साढ़े छह हजार से ज़्यादा मूवीज़ टॉरेंट साइट्स पर अपलोड होती थीं. अब ये आंकड़ा सम्भवतः बढ़ ही गया होगा. इंटरनेट पर ऐसे कई ठिकाने हैं, जहां से पाइरेटेड मूवीज़ मिल जाती हैं. पर पिछले 10-12 सालों में जिस एक ठिकाने का नाम बहुत तेज़ी से उभरा, वो है 'तमिल रॉकर्स' (Tamil Rokerz). अब इसी नाम से SonyLIV पर एक सीरीज़ आ रही है. आज हम इसी सीरीज़ और वेबसाइट से जुड़ी कुछ रोचक बातें आपसे साझा करेंगे.

सोनीलिव  पर पाइरेसी वेब साइट पर वेंब सीरीज़ आ रही है  

वेब सीरीज़: तमिल रॉकर्स

तमिल रॉकर्स की कहानी पाइरेसी की दुनिया पर बेस्ड होगी. ये एक ऐसी वेबसाइट पर फोकस होने वाली है, जो फिल्मों की पाइरेटेड कॉपी इंटरनेट पर उपलब्ध कराने के लिए मशहूर है. पहले ही दिन फ़िल्म को इंटरनेट पर उपलब्ध करा देना, यहां तक कि कई मौकों पर रिलीज़ होने के कुछ घण्टों पहले ही फ़िल्म इंटरनेट पर अपलोड कर देना. वेबसाइट काम कैसे करती है? उसका पर्पज क्या है? फ़िल्ममेकर्स और प्रोड्यूसर्स को इसके चलते क्या नुकसान होता है? इस वेबसाइट को चलाने वाले कौन लोग हैं? पुलिस और उनके बीच चलने वाला टसल क्या रहा? ये सभी बातें वेब सीरीज़ उठाने वाली है, टीजर देखर ऐसा प्रतीत होता है. तमिल रॉकर्स में लीड रोल अरुण विजय निभा रहे हैं, जो कि पुलिस ऑफिसर रुद्र बने हैं. वो इस वेबसाइट को चला रहे लोगों को ढूंढने की कोशिश करते हैं. विजय इससे पहले थडम (Thadam) और कुतरम (Kuttram) जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं. इसमें उनके साथ वाणी भोजान और ऐश्वर्या मेनन भी अहम भूमिकाओं में नज़र आने वाले हैं. अरिवड़गन वेंकटचलम इसे डायरेक्ट करेंगे. वो इससे पहले अरुण विजय को लेकर कुतरम (kuttram) बना चुके हैं. 

इसे लिखा है फैमिली मैन के डायलॉग लिखने वाले मनोज कुमार ने. प्रोड्यूस किया है, AVM प्रोडक्शन्स ने. इसका भी इतिहास कमाल है. कैसे एक ग्रामोफोन स्टोर से एक प्रोडक्शन हाउस शुरू हो गया. ख़ैर ये लंबी कहानी है, फिर कभी. मोटामाटी बात ये है कि AVM साउथ का लगभग 75 साल पुराना जड़ीला प्रोडक्शन हाउस है. 300 से ज़्यादा तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिन्दी फिल्में अब तक प्रड्यूस कर चुका है. इसे अभी तक के सक्रिय प्रोडक्शन हाउसेज में सबसे पुराना माना जाता है. AVM रजनीकान्त और कमल हासन समेत कई बड़े साउथ के सुपरस्टार्स को लॉन्च कर चुका है. तमिल रॉकर्स AVM प्रोडक्शंस के बैनर तले बनने वाली पहली वेब सीरीज़ है.

तमिल रॉकर्स

वेबसाइट: तमिल रॉकर्स

तमिल रॉकर्स एक वेबसाइट है जो पाइरेटेड कंटेंट ऑनलाइन उपलब्ध करवाती थी. इसका ज़रिया होते थे, टॉरेंट इंडेक्स और मैग्नेट लिंक्स प्रोवाइडर्स. दोस्त-व्यवहारियों की आपसी शेयरिंग भी इसका एक माध्यम थे. ये अपना URL लिंक बदलते रहते थे. ताकि इसे ब्लॉक न किया जा सके. तमिल रॉकर्स की 2011 के आसपास एक बूटलेग रिकॉर्डिंग नेटवर्क के तौर पर शुरुआत हुई थी. बूटलेग रिकॉर्डिंग माने ऐसे परफॉर्मेंस की ऑडियो-वीडियो की रिकॉर्डिंग जो ऑफिशियली आर्टिस्ट ने न रिलीज़ की हो. ख़ैर तो धीरे-धीरे बूटलेग रिकॉर्डिंग नेटवर्क से ये एक पब्लिक टॉरेंट वेबसाइट बन गई. भारतीय और फॉरेन फिल्म्स की पाइरेटेड कॉपी उपलब्ध कराने लगी. कई लोग ये मानते हैं कि तमिल रॉकर्स के फाउंडर्स फ्रांस बेस्ड हैं, पर वेबसाइट रूस से होस्ट की जाती है. कई लोग होस्टेड लोकेशन रोमानिया भी मानते हैं. एंटी पाइरेसी सेल के फॉर्मर चीफ़ सरत कुमार कहते हैं, "तमिल रॉकर्स और तमिल गन का आपस में कुछ तो कनेक्शन है. उनका तमिलनाडु में एक बहुत बड़ा नेटवर्क है. एक बार वो लिंक भेजते हैं, तो यहां सब मिलकर उसे फैलाने में लग जाते हैं."

तमिल रॉकर्स पर इतना बवाल मचा कैसे?

दरअलस कोई फ़िल्म रिलीज़ होती, उसी दिन तमिल रॉकर्स और पाइरेट बे सरीखी टॉरेंट वेबसाइट्स पर उसका कैमरा प्रिंट आ जाता. कई बार तो मूवी रिलीज़ होने के पहले ही लीक कर दी गई. जिससे फ़िल्म बनाने वालों का घाटा होने लगा. तब जाकर अप्रैल 2017 में ऐक्टर-प्रोड्यूसर विशाल, एसएस दुरई, एसआर प्रभु समेत चार लोगों की एक काउन्सिल बनाई गई. जिसने ऐसी तमाम पाइरेसी वेबसाइट्स के ख़िलाफ़ एक तरह का युद्ध छेड़ दिया.

नवम्बर 2017 की बात है. स्टालिन और मोहन स्टारर तमिल मूवी 'ईप्पादाई वेल्लुम' रिलीज़ होने वाली थी. रिलीज़ होने के कुछ घण्टे पहले ही सोशल मीडिया पर बातें होने लगीं कि फ़िल्म लीक होने वाली है. तमिल फिल्म प्रोड्यूसर्स एन्टी पाइरेसी सेल के पूर्व ऑपरेशन प्रमुख सरत कुमार के अनुसार, जिस बात की आशंका थी, वही हुआ. रिलीज़ के कुछ घण्टों के भीतर तमिल रॉकर्स ने एक कैमरा क्वालिटी प्रिंट ऑनलाइन अपलोड कर दिया. सरत कुमार और उनकी टीम ने मिलकर कई तरह के कटडाउन टूल्स के ज़रिए उस प्रिंट को ब्लॉक किया और तमाम डोमेन रजिस्ट्रीज़ को इसे ब्लॉक करने की अपील की. सरत की टीम ने फ़िल्म लीक करने के सोर्स का पता लगाया और तमिलनाडु के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स सेल के पास पहुंच गए. एंटी पाइरेसी सेल ने मई 2017 से काम करना शुरू किया. उसने सबसे पहले एक वाइपआउट कैम्पेन चलाया. फेसबुक से क़रीब 60000 आपत्तिजनक लिंक्स को, यूट्यूब से 18000 वीडियोज़ और डेलीमोशन से क़रीब 24000 फिल्मों को हटाया. पर ये इतने महीनों में पहली बार था कि सेल ने किसी के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई हो. फिर अगले दो सालों में तमिल रॉकर्स सरीखी तमाम वेबसाइट्स के ख़िलाफ़ क़रीब 40 पुलिस कम्प्लेन कराई गई.

रजनीकान्त की फ़िल्म 'काला'

द न्यूज़ मिनट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन शिकायतों के आधार पर पुलिस ने 14 मार्च 2018 को 5 लोगों को गिरफ़्तार किया. जिनमें से 3 तमिल रॉकर्स और दो डीवीडी रॉकर्स के सदस्य थे. इसी दौरान 4 जुलाई 2018 को भारत सरकार ने तमिल फ़िल्म प्रोड्यूसर्स काउन्सिल की एंटी पाइरेसी टीम को बुलाया. इस मीटिंग के बाद टॉरेंट वेबसाइट्स पर कई तरह की पाबंदियां भी लगीं. पर डोमेन बदलकर ये फिर से ऑपरेट करने लगते. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 4 जुलाई की गिरफ्तारियों के करीब 8 महीने बाद 2 दिसंबर को फिर एक गिरफ़्तारी हुई, जिसे तमिल रॉकर्स वेबसाइट का एडमिन माना गया. ये गिरफ़्तारी हुई थी रजनीकांत की फ़िल्म 2.0 के संदर्भ में. 29 नवंबर को फ़िल्म रिलीज़ हुई और उसी दिन तमिल रॉकर्स ने भी रिलीज़ कर दी. इसके बाद गिरफ्तारी हुई अगस्त 2019 में जब तमिल रॉकर्स ने रजनीकांत की एक और फ़िल्म 'काला' रिलीज़ के दिन लीक कर दी.

वार्नर ब्रदर्स तमिल रॉकर्स के खिलाफ़ कोर्ट पहुंच गया 

अगस्त 2019 की 12 तारीख़ को दिल्ली हाइकोर्ट का पाइरेसी कंटेंट मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला आया. जिसमें जस्टिस संजय नरूला ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को तमिल रॉकर्स जैसी तमाम साइट्स के आईपी ऐड्रेस और यूआरएल ब्लॉक करने का आदेश दिया. इसी फैसले में कोर्ट ने आईटी मिनिस्ट्री से पाइरेटेड और कॉपीराइट कंटेंट मुहैया कराने वाली वेबसाइट्स का डोमेन नेम सस्पेंड करने को कहा. दिल्ली हाई कोर्ट ने ये सभी निर्देश वार्नर ब्रदर्स की एक अपील पर सुनवाई करते हुए दिए. जिसमें कंपनी ने कहा था कि कुछ वेबसाइट्स हैं, जो उनका और तमाम प्रोडक्शन हाउसेज का ओरिजनल कंटेंट पब्लिकली रिलीज़ कर रही हैं.

वॉक्सस्पेस डॉट इन ने 2017 में तमिल रॉकर्स के मेंबर भास्कर कुमार का एक इंटरव्यू किया, जो टीम से किन्हीं कारणों से अलग हो गए थे. भास्कर का कहना था: 

'तमिल रॉकर्स 2007 में शुरू हुई. तब मैं 21 का था. रजनीकांत की 'शिवाजी' आई और हम लोगों का बिजनेस ऐसा चला कि हमें कैम्प्रिन डीवीडी बनाने के लिए 70 कंप्यूटर लीज़ पर लेने पड़े. हमने उस दौरान ख़ूब पैसे कमाए. यहां तक कि रिलीज़ के एक हफ्ते बाद तक भी हम 900 से 1000 डीवीडी बना रहे थे.'

फिर शिवाजी के मेकर्स की एफआईआर पर चेन्नई से लेकर कोयम्बटूर तक कई गिरफ्तारियां हुईं. भास्कर का आगे कहना था: 

'हमें गिरफ्तार करके इसे पर्सनल बना दिया गया. फिर डेनियल अन्ना टॉरेंट जैसा आईडिया लेकर आए. तब डेनियल अन्ना, मैं, गोविंदा, चिन्ना, सामी और बालू पहली बार मिले. हमने अपनी दुकान बेचकर डेनियल अन्ना के साथ चेन्नई रहने का फैसला किया. तमिल रॉकर्स नाम डेनियल अन्ना ने ही दिया. अब सीडी और डीवीडी गायब हो चुकी थीं. हम 2007 से ही तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिंदी फिल्में अपलोड कर रहे हैं.'

ज़ी5 पर 2020 में आई फ़िल्म ‘लॉक अप’

हर जगह से ब्लॉक होने के बाद भी कैसे चल रही है तमिल रॉकर्स?

कोर्ट ने तमिल रॉकर्स जैसी तमाम वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने इन्हें ब्लॉक भी किया. लेकिन अब भी ये अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे हैं. थियेटर रिलीज़ के बाद, कोरोना के दौरान अब ओटीटी रिलीज़ की पाइरेसी भी बढ़ी है. मई 2020 में आई ‘पोनमगल वंदाल’ पहली बड़ी तमिल फिल्म थी, जिसे सीधे ओटीटी पर रिलीज़ किया गया. अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम होने के कुछ घण्टों के भीतर ही तमिल रॉकर्स ने इसे रिलीज़ कर दिया. ऐसा ही 'लॉक अप' के साथ हुआ. Zee5 पर इसे 14 अगस्त को रिलीज़ किया जाना था. पर तमिल रॉकर्स ने इसे 13 अगस्त को ही रिलीज़ कर दिया.

मई 2022 में डिज़्नी स्टार ने एक पुलिस कम्प्लेन की, जिसमें तमिल रॉकर्स, तमिल ब्लास्टर्स, तमिल एमवी और मोबाइल ऐप पिकासो के ख़िलाफ़ शिकायत की गई. उसका कहना था कि ये अलग-अलग तरीके से रिकॉर्डिंग करके फिर उसे टॉरेंट्स और थर्ड पार्टी होस्टिंग प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए लोगों तक पहुंचाते हैं. दो तरह की पाइरेसी होती हैं. एक होती है पोस्ट रिलीज़ और एक होती है प्री-रिलीज़. पोस्ट रिलीज़ पाइरेसी में ज़्यादातर कैमरा प्रिंट बाहर आता है. यानी मूवी रिलीज़ होने के बाद थिएटर में उसे कैमरे से रिकॉर्ड करके सर्कुलेट किया जाता है. फ़िल्म प्रोड्यूसर और एंटी पाइरेसी टीम के सदस्य एसआर प्रभु कहते हैं:

"कई लोगों के लिए थिएटर में जाकर फ़िल्म रिकॉर्ड करना एक पार्ट टाइम जॉब है. उन्हें एक लिंक मिलता है वहां वो फ़िल्म अपलोड कर देते हैं. इसके बदले उन्हें 10 से 20 हजार रुपए मिलते हैं." 

लीक का दूसरा सबसे प्रॉमिनेंट तरीका होता है ओवरसीज़ बायर्स. कई मौक़ों पर ऐसा देखा गया है कि रिलीज़ के कुछ दिन पहले ही कुछ बाहरी खरीदार फ़िल्म का एचडी प्रिंट बेच देते हैं. सीएस अमुधन कहते हैं:

"कई बार पोस्ट प्रोडक्शन के समय भी फ़िल्म को लीक कर दिया जाता है. जब ओवरसीज मार्केट में इसे रिलीज़ के लिए भेजा जा रहा होता है, उसी समय फ़िल्म लीक कर दी जाती है." 

ख़ैर पाइरेसी सही मायनों में कैसी होती है, इसकी अलग-अलग थ्योरीज़ हैं. ये सभी थ्योरीज़ और पाइरेसी से जुड़ी अन्य बातें आपको सोनी लिव पर आने वाली वेब सीरीज़ ‘तमिल रॉकर्स’ में देखने को मिलेंगी. 

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