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4 सेकेंड के सीन में ऐश्वर्या ने वो क़हर ढाया कि लोग आमिर की पेप्सी को भूल गए

एक नहीं, ऐश्वर्या को तीन-तीन मिस वर्ल्ड ख़िताब मिले हैं

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आज ही के दिन यानी 19 नवंबर 1994 को ऐश्वर्या राय ने मिस वर्ल्ड का ख़िताब जीता था (तस्वीर: Getty)

A face that launched a thousand ships.

ये अंग्रेज़ी का एक मुहावरा है. हिंदी में बोलें तो, एक चेहरा जिसने हज़ार जहाज़ों को रवाना किया. कहां से शुरू हुआ ये मुहावरा? इरशाद कामिल के शब्दों में कहें तो ‘तिरकिट ताल’ से चली एक कहानी से. किसकी? हेलेन की. मुंगड़ा-मुंगड़ा वाली हेलेन नहीं, ट्रोजां वाली.

ट्रोजां की थी हेलेन 

ग्रीक मिथकों के अनुसार ज्यूस की बेटी और संसार की सबसे सुंदर लड़की. स्पार्टा याद कीजिए , फ़िल्म थ्री हंड्रेड वाला. मिथकों के अनुसार वहां एक राजा हुआ करता था, नाम था मेनेलौस. उसकी शादी एक राजकुमारी से हुई थी. और राजकुमारी का नाम था हेलेन. आगे कहानी कहती है कि हेलेन को ट्रॉय राजकुमार ‘पेरिस’ से प्रेम हुआ और वो हेलेन को अपने साथ भगाकर ट्रॉय ले गया.

हेलेन इतनी सुंदर थी कि उसे वापस पाने के लिए मेनेलौस ने ग्रीस के समस्त सरदारों को इकट्ठा किया. एक हज़ार जहाज़ों में बैठकर ग्रीक सैनिक ट्रॉय पहुंचे और उन पर हमला कर दिया. ये जंग 9 साल तक चली और अंत में कोई नतीजा ना निकलता देख ग्रीस ने एक चाल चली. उन्होंने एक विशाल लकड़ी का घोड़ा बनाया. अंदर से खोखला. और उसके बाहर से लिखा, 'ग्रीस की तरफ़ से ट्रॉय को जीत का तोहफ़ा’. इस घोड़े को आगे जाकर ‘ट्रोजन हॉर्स’ का नाम मिला. घोड़ा ट्रॉय के अंदर घुसा तो पता चला कि उसमें सैनिक भरे हुए थे.

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डोमेनिको टाईपोलो ने ट्रॉय में ट्रोजन हॉर्स के जुलूस का विवरण दिया है.

फिर क्या था, सैनिकों ने अंदर से ट्रॉय के दरवाज़े तोड़ डाले और ग्रीस की विजय हुई. हेलेन मेनेलौस के साथ वापस स्पार्टा आ गई. ट्रिविया के लिए बता दें, इसी घटना के नाम पर कम्प्यूटर वाइरस ‘ट्रोजन’ का नाम पड़ा है. यानी एक ऐसा प्रोग्राम जो दोस्त बनकर कम्प्यूटर में घुसता है और फिर सब बर्बाद कर देता है.

ख़ैर, इस मिथक से शुरुआत इसलिए क्योंकि जिस शख़्सियत की कहानी हम आज सुनाने जा रहे हैं, उसके लिए भी यही मुहावरा यूज़ किया जाता है. हालांकि थोड़ा बदल कर. 'A face that launched a thousand campaigns'. एक चेहरा जिसने हज़ारों मार्केटिंग कैम्पेन लॉन्च किए. किसका था ये चेहरा?

नीली आंखो वाली एक लड़की

1 नवंबर 1973 को मंगलोर कर्नाटक में कृष्णराज और वृंदा के घर एक लड़की ने जन्म लिया. नीली आखों वाली ये लड़की बड़ी हुई और स्कूल पहुंची. स्कूल में साल दर साल टॉप किया. सिर्फ़ एक बार थर्ड आई और उसपे भी उन आखों ने नीला रंग छोड़ दिया.

फिर 90’s आया. नीली आंखो वाली लड़की अब किशोरी बन चुकी थी. भारत इंडिया हो रहा था. 1992 में ज़ी टीवी का शुभारम्भ हुआ और मैग्निफ़ायर लेकर अख़बार में कार्यक्रम छानने वाली जनता 24 घंटे वाले एंटरटेनमेंट से रूबरू हुई. नीली आंखो वाली लड़की डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन क़िस्मत मॉडलिंग में ले आई. 1993 में TV पर एक विज्ञापन आया. ठंडा मतलब कोका-कोला वाले आमिर दुश्मन के खेमे में थे. पेप्सी का एड था. एड बनाने वाले थे प्रह्ललाद कक्कड़.

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पेप्सी के एड में ऐश्वर्या (तस्वीर: स्क्रीन्शॉट)

54 सेकेंड के इस एड की शुरुआत एक टैग लाइन से शुरू होती है, ‘यही है राइट चॉइस बेबी’. ठीक 4 सेकेंड बाद महिमा चौधरी एंटर होती हैं. परदेश रिलीज़ होने में अभी 4 साल बाकी थे. इसलिए महिमा का नाम कोई नहीं जानता था. ख़ैर अगले 40 सेकेंड में जो हुआ सो हुआ. पर ठीक 44 सेकेंड पर स्क्रीन पर वही नीली आंखों वाली लड़की आई. तब हमने पहली बार उसका नाम सुना, संजना.

ख़ूबसूरती की भी कोई सीमा होती है

सिर्फ़ चार सेंकेंड के लिए संजना स्क्रीन पर आती थी. लेकिन होंटों पर लाल लिपस्टिक और भीगे बालों वाली संजना ने ऐसा जादू डाला कि वो भारतीय ऐड इंडस्ट्री की सबसे बड़ी स्टार बन गई. टाइम ट्रैवल करते हुए एक जुमला वर्तमान से 1993 तक जा पहुंचा. ‘ख़ूबसूरती की भी कोई सीमा होती है.’ लेकिन ना ख़ूबसूरती की सीमा थी, ना ही संजना के इरादों की.

1994 में भारत में मिस इंडिया प्रतियोगिता हुई. 18 साल की सुष्मिता सेन इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए फ़ॉर्म लेने पहुंची. फ़ॉर्म मांगा तो डेस्क पर मौजूद शख़्स ने टका सा जवाब दिया, 25 लड़कियों ने इस बार मिस इंडिया से नाम वापस ले लिया है. सोच लो, तुम ये करना चाहती हो कि नहीं?.

सुष्मिता ने कारण पूछा. जो जवाब मिला, उसे सुनकर सुष्मिता बोली, ‘ना भाई ना, फ़ॉर्म वापस ले लो. मुझे हिस्सा नहीं लेना.’ सुष्मिता घर पहुंची तो मां ने पूछा, फ़ॉर्म भरा की नहीं? सुष्मिता ने मां को फ़ॉर्म ना भरने का कारण बताया. कारण ये था कि दुनिया की सबसे सुंदर लड़की मिस इंडिया में भाग लेने वाली थी. ये सुनकर मां ने डांटते हुए कहा,

“बिना कोशिश के हार मान लोगी? तो क्या, जीतने दो उसे. अगर तुम्हें लगता है, वो दुनिया की सबसे सुंदर लड़की है. तब भी उस से हारो. किसी और से हारने का मतलब भी क्या है.”

मां की बात सुनकर सुष्मिता ने फ़ॉर्म भरा और मिस इंडिया में भाग लिया. आख़िरी राउंड तक पहुंची. जहां मुक़ाबला सुष्मिता और नीली आंखों वाली संजना के बीच था. दोनों के नौ-नौ पोईंट थे. ऐसे में टाई ब्रेकर के लिए जज ने दोनों से एक सवाल पूछा. सवाल था कि 'इतिहास की किसी घटना को बदलना चाहें तो वह क्‍या होगी?' सुष्मिता ने जवाब दिया, 'देश की पहली महिला प्रधानमंत्री की मृत्‍यु.’

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सुष्मिता सेन मिस यूनिवर्स जीतते हुए (तस्वीर: Getty)

इस एक जवाब ने उनकी जीत पक्की कर दी. नीली आँखों वाली संजना उस दिन रनर अप रही. इस हार से बड़ा सदमा ये था कि अब वो मिस यूनिवर्स में भाग नहीं ले सकती थी. सिर्फ़ ‘मिस इंडिया’ का ख़िताब जीतने वाले को मिस यूनिवर्स में भाग लेने का मौक़ा मिलता था. ख़िताब जीतकर मई 1994 में सुष्मिता मिस यूनिवर्स में भाग लेने फ़िलिपीन्स गई और वहां से भी जीत कर लौटी.

मिस यूनिवर्स ना सही मिस वर्ल्ड ही सही 

संजना ने सोचा, यूनिवर्स का ताज ना सही तो धरती का ही सही. नवंबर 1994 में अफ़्रीका में मिस वर्ल्ड की प्रतियोगिता हुई. दक्षिण अफ़्रीका में. रनर अप होने के नाते संजना को इस प्रतियोगिता में भाग लेने का मौक़ा मिला. मिस इंडिया की तरह ही यहां भी सबको संजना से बहुत उम्मीदें थीं. लेकिन, प्रतियोगिता से ठीक पहले गाउन की ज़िप टूट गई. ठीक ऐसा ही मिस इंडिया के दौरान भी हुआ था. क़िस्मत अपना खेल खेल रही थी.

बहरहाल, उम्मीद के मुताबिक़ संजना मिस वर्ल्ड के फ़ाइनल राउंड तक पहुंच गई. उसके बाद आया आज का दिन. यानी 19 नवंबर 1994. ये फ़ैसले का दिन था. फ़ाइनल राउंड में यहां भी एक सवाल पूछा गया, “आपको क्या लगता है, एक मिस वर्ल्ड को कौन से गुण अपनाने चाहिए?”
 

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ऐश्वर्या और सुष्मिता (तस्वीर: Getty)

21 साल की उस लड़की ने जो जवाब दिया वो तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ख़त्म हुआ. जवाब था,

“अब तक जितनी भी मिस वर्ल्ड हुई हैं. वो इस बात का जीता जागता उदाहरण हैं कि उन सभी में करुणा थी. सिर्फ़ उनके लिए नहीं जिनके पास ऊँचा पद है, बल्कि उन लोगों के लिए भी, जो वंचित हैं. ऐसे बहुत लोग हुए हैं जिन्होंने आदमी की बनाई सीमाओं, जैसे रंग और राष्ट्रीयता के पार देखा. अब हमें उससे भी आगे देखना होगा और यही एक सच्ची मिस वर्ल्ड, एक सच्चे इंसान की पहचान होगी."

जवाब के बाद अब बस रिज़ल्ट की देरी थी. रनर अप की गिनती के बाद विजेता का नाम पुकारा गया. और कुछ ही देर में नीली आंखों वाली लड़की स्टेज पर खड़ी थी, उसकी आंखों में नमी थी, दोनों हाथ चेहरे पर थे. और उसके सिर पर ताज था, मिस वर्ल्ड का, दुनिया की सबसे सुंदर लड़की का. सिर्फ़ इतना ही नहीं, आगे जाकर इस लड़की ने दो और मिस वर्ल्ड ख़िताब जीते. साल 2000 में उसे ‘मोस्ट ब्यूटिफ़ुल मिस वर्ल्ड ऑफ़ ऑल टाइम' और साल 2014 में ‘मोस्ट सक्सेसफुल मिस वर्ल्ड ऑफ़ ऑल टाइम' का ख़िताब मिला.
आप नहीं पूछेंगे कि इस लड़की का असली नाम क्या है. ज़रूरत नहीं है. किसी ने उसे संजना मानकर दिल दिया तो किसी ने आशी कहकर लव लेटर लिखा. अंत में आशी के नाम एक लव लेटर पढ़िए- ऐश्वर्या से प्यार के वो किस्से, जो आपको कहीं और नहीं मिलेंगे