Nawazuddin Siddiqui को फिल्मों में काम पाने में 20 साल लग गए. इंडस्ट्री में हीरो बनने के बने-बनाए कायदों में फिट न होने की वजह से उन्हें अपमानित भी होना पड़ा. NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) के ज़माने के उनके दोस्त हैं Swanand Kirkire. स्वानंद हाल ही में The Lallantop के ख़ास कार्यक्रम Guest in the Newsroom में आए. उन्होंने नवाज़ और उनके स्ट्रगल के बारे में खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि एक Anurag Kashyap ही हैं, जिन्होंने नवाज़ को हीरो की तरह देखा और प्रेज़ेंट किया. दरअसल, स्वानंद से पूछा गया था कि एक्टिंग स्कूल्स से जो पढ़ कर आते हैं, क्या उनकी एडैप्टिबिलिटी कम होती है? जवाब में स्वानंद ने कहा,
"वो तो अनुराग थे, वरना नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को हीरो कौन बना रहा था!"
Swanand Kirkire ने बताया कि Nawazuddin Siddiqui पर सवाल उठाते थे लोग, कहते ये कैसे एक्टर बन सकता है.

"मुझे नहीं लगता कि सब NSD वालों के साथ ऐसा होता है. चूंकि वो थोड़ा ज़्यादा जानते हैं, उसकी वजह से लोगों को ऐसा लगता है. मगर आप देखिए ना, जिन्होंने भी एक्टिंग को नए तरीके से देखा, वो NSD के एक्टर्स रहे. नसीर साहब से लेकर ओमपुरी साहब, इरफ़ान साहब, पंकज कपूर साहब और नवाज़ सहित कितने नाम हैं, जिन्होंने एक्टिंग को नए आयाम दिए. इरफान ने एक्टिंग को नया डायमेंशन दिया. लोग नाराज़ रहते हैं NSD वालों से. लेकिन NSD वाले स्पाइस तो डालते हैं काम में. थोड़े ज़्यादा पढ़े लिखे हैं, तो कभी-कभी दिखा देते होंगे."
बातचीत में स्वानंद ने कहा कि NSD से एक्टिंग का क्राफ्ट सीखकर निकलने के बावजूद नवाज़ को दो दशक तक वैसा काम नहीं मिला, जैसा वो डिज़र्व करते थे. कारण, हीरो के लिए गुड लुक्स का कन्वेंशनल पैमाना. नवाज़ इस ढर्रे के शिकार हुए. उनके करियर के शुरुआती दिनों के बारे में स्वानंद कहते हैं,
"एकाध अनुराग कश्यप ही होता है, जो नवाज़ को हीरो बनाता है. वरना कौन बना रहा था उसको हीरो? कौन था जो नवाज़ को ऐसा बड़ा रोल दे कि उसके कंधे पर पूरी फिल्म रहे. आज जो लोग नवाज़ को प्यार दे रहे हैं, वो इसलिए कि कुछ लोगों ने नवाज़ पर यकीन किया. नहीं तो उसके पहले का नवाज़ भी हमने देखा है. लोग कहते थे ये कैसे एक्टिंग करेगा? लुक्स के लिए कहते थे लोग. क्रूर किस्म के भी नहीं, बिल्कुल क्रूर लोग थे ये."

स्वानंद ने नेपोटिज़्म पर भी बात की. उनका कहना है कि ये समस्या समाज में हर जगह. हर क्षेत्र में है. बकौल स्वानंद,
"गुड लुक्स के जो पैमाने बनाए गए हैं, उनमें फिट न होने वाले एक्टर्स के साथ समस्या हमेशा से रही है. ये सारी समस्याएं नेपोटिज़्म नाम की समस्या से जुड़ती हैं. ये सिनेमा के बच्चे. ये बाहर के लोग. ये फर्क बनाया गया है."
इसी संदर्भ में स्वानंद से सवाल पूछा गया कि क्या वाकई फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज़्म है? जवाब में स्वानंद ने भी एक सवाल पूछा. वो बोले,
"कहां नहीं है? हर जगह है नेपोटिज़्म. समाज में हर कहीं है. गुरु-शिष्य परम्परा में संगीत जब सीखते हो आप, तो गुरुओं ने अपने शिष्यों और अपने बच्चों के बीच में हमेशा भेदभाव किया ही है."
स्वानंद और नवाज़ुद्दीन NSD में एक ही बैच में थे. लेखन और अभिनय के बाद अब स्वानंद एक फिल्म लिख रहे हैं. ख़बरें ये भी हैं कि इसे वो ख़ुद ही डायरेक्ट करेंगे. इस फिल्म की कहानी के तार उनके कॉलेज के दिनों के दोस्तों जीवन से भी जुड़े हैं. वो दोस्त जिसने स्वानंद को कपड़ों पर बेहतरीन इस्त्री करना सिखाया.
स्वानंद किरकिरे के साथ Guest in the Newsroom का वीडियो आप जल्द ही दी लल्लनटॉप के ऐप, वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर देख पाएंगे.
वीडियो: स्वानंद किरकिरे ने सुधीर मिश्रा के लिए लिखा हिट गाना बनाने में क्या कांड किया