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सपने में सांपों से डरने वाली श्रीदेवी 'नगीना' फिल्म करने के लिए कैसे तैयार हो गई थीं?

'मैं तेरी दुश्मन' गाने में लेंस की वजह से श्रीदेवी को दिखना तक बंद हो गया था.

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'नगीना' के बाद श्रीदेवी सुपरस्टार बन गईं थी और कहा जाता है कि इस फिल्म के बाद वो रेखा और जया प्रदा के बराबर फीस लेने लगी थीं, जो 4000 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से थी.

मैं बहुत सपने देखती हूं. लगभग रोज. मेरे ज्यादातर सपनों में भूत-प्रेत और सांप होते हैं. लोगों ने मुझे बताया कि सपने में सांप देखने का मतलब होता है कि तुम्हारे बहुत सारे दुश्मन हैं.

1985 में श्रीदेवी ने 'सिने ब्लिट्ज' को दिए इंटरव्यू में ये बताया था. ठीक एक साल बाद 'नगीना' रिलीज हुई. जिसने श्रीदेवी उन हीरोइन की कैटेगिरी में पहुंचा दिया, जो अपने कंधों पर फिल्म चला सकती थीं. इस फिल्म ने उनके करियर को उन ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया. जहां पहुंचना, उनकी समकालीन हीरोइनों को सपना होता था. श्रीदेवी की परफॉर्मेंस की तारीफ हुई. और कमर्शियली भी 'नगीना' ने झंडे गाड़ दिए. लेकिन डायरेक्टर हरमेश मल्होत्रा ने इस फिल्म को लिखते वक्त श्रीदेवी के बारे में सोचा भी नहीं था. तो उन्हें ये फिल्म कैसे मिली? क्या सोचकर उन्होंने इसके लिए 'हां' कहा?

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ऐसे कई सवालों के जवाब देती है, 'श्रीदेवी: द इटरनल स्क्रीन गॉडेस' (Sridevi : The Eternal Screen Goddess). लेखक सत्यार्थ नायक ने श्रीदेवी की जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं को इस किताब में खोला है. किताब के कुछ अंश वेबसाइट स्क्रोल ने प्रकाशित किए हैं. इनके हवाले से और हमारी जानकारी से आइए आपको बताते हैं, इस फिल्म की मेकिंग के कुछ किस्से.

'नगीना' के लिए नहीं मिल रही थी हीरोइन

हरमेश मल्होत्रा ने 'नगीना' की कहानी लिखी थी. उन्हें इच्छाधारी नागिन के रोल के लिए बेहतरीन एक्ट्रेस की तलाश थी. कई एक्ट्रेसेस के नाम पर बात चली. लेकिन हरमेश सबसे पहले जया प्रदा के पास पहुंचे. उन्होंने कहानी सुनी और काम करने से सीधे मना कर दिया. वजह थी सांप. जया प्रदा को सांपों से बेहद डर लगता था. लेकिन रोल रोल के हिसाब से सांपों के साथ कुछ सीन्स और गाने करने थे. तो बात नहीं बनी. लेकिन हरमेश ने हिम्मत नहीं हारी. क्योंकि उन्हें कहानी पर भरोसा था. एकबार फिर हीरोइन की तलाश शुरू हो गई.

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कई फिल्में कैंसिल करके 'नगीना' को साइन किया

इस बार हरमेश श्रीदेवी के पास पहुंचे. उनदिनों श्रीदेवी बीमार चल रही थीं. जिस दिन हरमेश मिलने पहुंचे, वो बुखार में पड़ी थीं. उन्होंने सरसरे तौर पर कहानी पढ़ी और हामी भर दी. 'नगीना' की कहानी न सिर्फ श्रीदेवी बल्कि उनकी मम्मी को भी पसंद आई थी. 1987 में उनकी मम्मी राजेश्वरी ने एक इंटरव्यू में कहा था-

ये उसकी पहली असली हीरोइन ओरियंटेड फिल्म है और मुझे पता था कि वो इस रोल को बढ़िया तरीके से निभाएगी. इसलिए मैंने नाचने-गाने और मारधाड़ वाली सभी फिल्मों को कैंसिल कर दिया था. मैंने उससे कहा कि वो सिर्फ 'नगीना' पर फोकस करे.

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जब लेंस की वजह से श्रीदेवी को दिखाई देना बंद हो गया

इस फिल्म में श्रीदेवी की एक्टिंग ने उन पैमानों को छू लिया, जिसका मुकाबला बाद में कोई हीरोइन नहीं कर सकी. बिना कोई डायलॉग बोले सिर्फ आंखों से ऐसे डरावने एक्सप्रेशन देना सामान्य बात नहीं थी. तब न तो कोई वीएफएक्स चलते थे, न हरा पर्दा था. अपनी बड़ी-बड़ी आंखों को डरावना बनाने के लिए श्रीदेवी ने लेंस पहने थे.

'नगीना' के गाने कोरियोग्राफ करने वाली सरोज खान भी श्रीदेवी की लगन को देखकर नतमस्तक हो गईं थी. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था-

शूटिंग की वजह से श्रीदेवी घंटों-घंटों तक लेंस पहने रहती थीं. इस वजह से कई बार उनकी आंखें एकदम लाल पड़ जाती थीं. लेकिन बिना कोई शिकायत करे, वो अपने हिस्से की शूटिंग निपटाती थीं. 'मैं तेरी दुश्मन' गाने को शूट करते वक्त एक मोमेंट ऐसा आया था, जब लेंस की वजह से श्रीदेवी को बिल्कुल दिखना बंद हो गया था. लेकिन उनके परफेक्ट स्टेप्स और एक्सप्रेशन देखकर कोई भी इस बात पर यकीन नहीं कर सकता है.

भैरोनाथ (अमरीश पुरी) नागमणि की लालच में जो धुन बजाया करता था. वो आज कल्ट बन चुकी है. मतलब बारातों से लेकर टीचर्स के ट्रेनिंग प्रोग्राम तक, लोग उसपर नाचते नजर आते हैं. लेकिन इस धुन से बीट मैच करना इतना आसान नहीं था.

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मेकर्स और सरोज खान चाहती थीं कि इस धुन पर श्रीदेवी बिल्कुल सांप की तरह नाचे. सरोज खान ने एक इंटरव्यू में कहा था-

मैंने उसे घुटनों के बल उठने और बैठने वाले बहुत सारे डांस स्टेप्स दिए थे. कई स्टेप्स में उसे सिर्फ घुटनों की मदद से उठना था, जैसे सांप जब जमीन से उठते हैं.

'मुझे दर्द जाहिर करना था, बिना कुछ कहे'

1992 में श्रीदेवी ने 'फिल्म फेयर' को दिए एक इंटरव्यू में 'मैं तेरी दुश्मन' गाने पर अपने डांस के बारे में कहा था-

मुझे खुद को गाने में ऐसे दिखाना था, जैसे मैं पूरी तरह असहाय हूं. मैं उस धुन में बंधी हुई हूं. और चुनौती ये थी कि ये सब बिना एक लाइन या डायलॉग बोले करना था. मैंने खुद को उस धुन के हवाले कर दिया और अपनी बॉडी से एक्सप्रेशन देने की कोशिश की. लेकिन 'रजनी' के डांस को मिल रही तारीफ का श्रेय सरोज खान को जाता है. सरोज खान ने मुझे बहुत शानदार डांस स्टेप्स दिए थे. मुझे 100 परसेंट यकीन है कि उनके डांस के बिना मेरी कोई फिल्म हिट नहीं हो सकती.

श्रीदेवी और सरोज खान के बीच हमेशा से अच्छी बॉन्डिंग थी, लेकिन 'नगीना' के दौरान दोनों गहरी दोस्ती बन गईं. हालांकि बाद मैं दोनों के बीच मनमुटाव की खबरें आईं. लेकिन दोनों के बीच जल्द ही सुलह हो गई. दोनों ने 'मिस्टर इंडिया', 'कर्मा' और कई फिल्मों में एकसाथ काम किया.

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बात नहीं करते थे श्रीदेवी और ऋषि कपूर

फिल्मों को लेकर कहा जाता है कि अगर को-स्टार की केमिस्ट्री बढ़िया हो, तो वो पर्दे पर भी नजर आती है. लेकिन 'नगीना' फिल्म का इस तर्क से कोई वास्ता नहीं है. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान श्रीदेवी और ऋषि कपूर बिल्कुल बात नहीं करते थे. दोनों एक-दूसरे से सिर्फ डायलॉग्स ही बोलते थे. उसके अलावा कोई बातचीत नहीं. दोनों के बीच हर वक्त चुप्पी रहती थी, जिसके बारे में खुद ऋषि कपूर ने एक इंटरव्यू में बताया था-

हम दोनों एक सीन कर रहे थे, जिसमें एकदम करीब रहना था. अचानक शूटिंग रुक गई. पता चला कि कैमरे की रील खत्म हो गई है. शूटिंग अटक गई. हम दोनों लाइटिंग और पूरे क्रू के साथ बहुत देर तक उसी पोजिशन में खड़े रहे. कैमरामैन ने रील लोड करना शुरू की. हम दोनों एक अजीब सी चुप्पी के साथ वैसे ही खड़े थे. तभी श्रीदेवी ने अचानक मेरी तरफ देखा और धीमी सी आवाज़ में कहा- मैंने आपकी 'खेल-खेल में' (फिल्म) चार बार देखी है. मैं बड़ा खुश हुआ. उनसे कहा- शुक्रिया, आप बहुत अच्छा डांस करती हैं. पूरी फिल्म में हमारे बीच बस इतनी सी बातचीत हुई थी.

'नगीना' सुपरहिट रही. और श्रीदेवी के अनगिनत फैन्स बन गए. लेकिन वो डायरेक्टर हरमेश की फैन थीं. उन्होंने कई इंटरव्यू में हरमेश की तारीफ की. हरमेश के बारे में उन्होंने कहा था-

मैंने कई डायरेक्टर्स के साथ काम किया है. लेकिन हरमेश अलग तरह के डायरेक्टर हैं. जो अपने एक्टर्स की भी परवाह करते हैं. शूटिंग के दौरान मैंने जब भी उनसे कहा कि आज मुझे अच्छा महसूस नहीं हो रहा. मेरा शूटिंग करने का मन नहीं. हरमेश तुरंत शूटिंग कैंसिल कर देते थे.

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'नगीना' ने कई अवॉर्ड जीते. लेकिन उससे बड़ी कामयाबी थी कि रेखा की 'शेषनाग' और मीनाक्षी शेषाद्रि की 'नागिन नाचे गली गली' भी 'नगीना' की बराबरी नहीं कर सकीं. फिल्म की सफलता को देखते हुए हरमेश ने 1989 में इसका सीक्वल 'निगाहें' भी बना डाला. श्रीदेवी के नाम एक और रिकॉर्ड जुड़ गया. नाडिया के बाद वो इकलौती ऐसी एक्ट्रेस बनीं, जिनकी फिल्म फ्रैंचाइजी बनी.


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