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जब सलमान ने कहा: 'मैं बाज़ीगर कर लेता, तो क्या बैंडस्टैंड में मन्नत खड़ा होता?'

क्या 'बाज़ीगर' के वक्त अब्बास-मस्तान ने सलमान के पिता सलीम खान का आइडिया चुराया था?

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बाज़ीगर के दो क्लाइमैक्स शूट हुए थे

कुछ फ़िल्में होती हैं, जो रातोरात लोगों के करियर पलट देती हैं. मेकर्स को बनाने से पहले अंदेशा भी नहीं होता कि ये फ़िल्म इतनी बड़ी कल्ट बन जाएगी. हर एक किरदार को इतना प्यार मिलेगा. ऐसी ही एक फ़िल्म है 'बाज़ीगर'. इसमें शाहरुख, काजोल, शिल्पा, दलीप ताहिल सभी के रोल्स को जनता ने सराहा. पर शाहरुख वाला रोल उनसे पहले सलमान के पास गया था. सलमान ने अपने पिता के कहने पर फ़िल्म रिजेक्ट कर दी, जिसके चलते अजय शर्मा का रोल शाहरुख की झोली में आया. क्या आपको पता है कि इस फ़िल्म के दो क्लाइमैक्स शूट हुए थे? आइए सब बताते हैं.

क्या अब्बास-मस्तान ने सलीम खान का आइडिया चुराया?

ये तो आप जान चुके हैं कि सलमान ने फ़िल्म सलीम खान के कहने पर रिजेक्ट कर दी. पर फ़िल्म रिजेक्ट करते समय सलीम खान ने एक सुझाव भी दिया था. कहा जाता है, इस पर अब्बास-मस्तान ने उस समय तो अमल नहीं किया, पर बाद में इसे फ़िल्म में शामिल किया गया. जब स्क्रिप्ट सलमान के पास आई थी तो उनके पिता को इसमें इमोशन की कमी लगी थी. उनका मानना था कि फ़िल्म नेगेटिव है, इसलिए इसमें एक इमोशनल टच भी होना चाहिए. नहीं तो दर्शक फिल्म देखने के बाद हीरो से नफरत करने लगेंगे. अगर फिल्म में दिखाया जाए, हीरो क्यों ऐसा है तो शायद दर्शक माफ़ भी कर दें. उन्होंने ही फिल्म में हीरो के परिवार से जुड़ी कोई कहानी जोड़ने को कहा था. आगे चलकर मेकर्स ने स्क्रिप्ट में बदलाव किए और मां वाला ऐंगल डाला गया. ये वाला ट्रैक 'अ किस बिफोर डाइंग' उपन्यास पर बनी ओरिजनल फ़िल्म में नहीं था. इसी फ़िल्म पर 'बाज़ीगर' बेस्ड है. सलमान ने 2007 में इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा था: 

'जब मेरे पास ये स्क्रिप्ट आई, मैंने डैड से इनपुट्स मांगे. उन्हें लगा कि ये कहानी एक नेगेटिव कैरेक्टर के बारे में है, इसलिए इसमें मां का ऐंगल भी डालना चाहिए. पर अब्बास-मस्तान नहीं माने. जब मैंने फिल्म रिजेक्ट कर दी तो उन्होंने शाहरुख को साइन कर लिया और कहानी में मां का ऐंगल भी डाल दिया.' 

उनका कहना था कि उन्हें इसका अफसोस नहीं है. 

''ज़रा सोच‍िए अगर मैं बाजीगर कर लेता तो क्या बैंडस्टैंड में मन्नत खड़ा होता. मैं शाहरुख और उनकी कामयाबी के लिए बहुत खुश हूं."

बाज़ीगर के दो क्लाइमैक्स क्यों शूट हुए?

पहले जो स्क्रिप्ट लिखी गई थी, उसके अनुसार शाहरुख को सीधे मर जाना था. पर बाद में जब मां वाला ट्रैक जोड़ा गया, तब ये तय हुआ कि क्लाइमैक्स में मदन चोपड़ा को मारने के बाद अजय अपनी मां के पास जाएगा. उनकी गोद में दम तोड़ेगा. पर मां का किरदार निभा रही राखी फ़िल्म का सुखद अंत चाहती थीं. वो शाहरुख की मौत नहीं चाहती थीं. डिस्ट्रीब्यूटर्स का भी यही मानना था. उनका मानना था कि नायक के मरने से जनता फ़िल्म के क्लाइमैक्स को पचा नहीं पाएगी. फ़िल्म इसी चक्कर में कई दिनों तक डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास भी फंसी रही. शाहरुख खान का नेगेटिव किरदार देख सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स भाग खड़े होते. अंत में एरॉस ने डिस्ट्रीब्यूशन का काम संभाला. खैर, मुद्दे पर लौटते हैं. मेकर्स ने राखी और डिस्ट्रीब्यूटर्स को समझाने का प्रयास किया कि सुखद अंत फ़िल्म के लिए अच्छा नहीं होगा. बात नहीं बनी. इसलिए फ़िल्म के दो क्लाइमैक्स शूट हुए. एक में शाहरुख मर जाते हैं. दूसरे में उन्हें पुलिस गिरफ़्तार कर ले जाती है. पर जब फ़िल्म के रशेज देखे गए, तब राखी और वितरक दोनों को शाहरुख का मरना ही बेहतर लगा. आगे की कहानी तो आप जानते ही हैं. 

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