मशहूर डायरेक्टर श्याम बेनेगल का 90 साल की उम्र में निधन हो गया है. उनकी बेटी पिया बेनेगल ने इंडिया टुडे से बात करते हुए इसकी पुष्टि की है. श्याम बेनेगल लंबे समय से किडनी संबंधित बीमारियों से जुझ रहे थे. 23 दिसंबर, 2024 की शाम 6:38 बजे उन्होंने मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में अंतिम सांस ली.
दिग्गज फिल्ममेकर श्याम बेनेगल नहीं रहे
Shyam Benegal लंबे समय से किडनी से जुड़ी बीमारियों के कारण अस्वस्थ चल रहे थे. मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली.
इंडिया टुडे से जुड़ीं सना फरजीन की रिपोर्ट के मुताबिक पिया बेनेगल ने भावनाएं जाहिर करते हुए कहा, “यह तो एक दिन होना ही था.” लंबे समय से श्याम बेनेगल, क्रॉनिक किडनी डिजीज का इलाज करवा रहे थे. उनकी बीमारी लास्ट स्टेज तक पहुंच गई थी.
अंकुर से की शुरुआतसाल 1974 में 'अंकुर' फिल्म से श्याम बेनेगल ने फीचर फिल्मों के निर्देशन की शुरुआत की. इसी फिल्म से दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी ने भी अपने करियर की शुरुआत की थी. इस फिल्म ने तीन नेशनल अवॉर्ड्स जीते. इनमें सेकंड बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड भी शामिल था.
हाल ही में 14 दिसंबर के दिन श्याम बेनेगल अपना 90वां जन्मदिन मनाया था. इस दौरान शबाना आज़मी ने उनके साथ फोटो शेयर करते हुए लिखा,
"श्याम बेनेगल के 90वें जन्मदिन पर उनके साथ उनके कुछ कलाकार, माशाअल्लाह."
साल 1975 में बेनेगल की तीसरी फिल्म 'निशांत' रिलीज हुई. इस फिल्म को दुनियाभर में खूब सराहना मिली. 1976 के कान फिल्म फेस्टिवल में इसे प्रतिष्ठित पाम दोर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया. इस फिल्म में गिरीश कर्नाड, शबाना आज़मी, अनंत नाग, अमरीश पुरी, स्मिता पाटिल और नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकारों ने काम किया था. आज भी इस फिल्म का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है. समय के साथ इसे भारतीय सिनेमा की कल्ट क्लासिक्स में गिना जाने लगा.
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श्याम बेनेगल को 70 के दशक में शुरू हुई आर्ट उर्फ ‘पैरलेल सिनेमा’ के अगुआ के तौर पर देखा जाता था. उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन करतीं, बल्कि समाज की गहरी सच्चाइयों और मुद्दों को उजागर करती थीं. उन्होंने अपने करियर में ‘मंथन’, ‘जुनून’, ‘आरोहन’, ‘मम्मो’, ‘सरदारी बेगम’, ‘ज़ुबेदा’, ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ और ‘जुनून’ जैसी यादगार और सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्में बनाईं . इसके अलावा उन्हें ’भारत एक खोज' और ‘संविधान’ जैसे चर्चित टीवी शोज़ डायरेक्ट करने के लिए भी याद किया जाता है.
अपने 50 साल लंबे और सफल करियर में श्याम बेनेगल ने कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते. इनमें भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और 18 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं. सिनेमा जगत में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने साल 1976 में पद्म श्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था.
बतौर डायरेक्टर श्याम बेनेगल के करियर की आखिरी फिल्म थी ‘मुजीब- द मेकिंग ऑफ अ नेशन’. ये फिल्म बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान की ज़िंदगी पर आधारित थी. अपने 90वें जन्मदिन पर मीडिया से बात करते हुए श्याम बेनेगल ने बताया था कि वो दो-तीन फिल्मों पर काम कर रहे हैं. मगर वो उनमें से किसी फिल्म को पूरा नहीं कर सके.
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