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अमिताभ के रहस्यमय लुक वाली फिल्म, जिसे रिलीज़ करने के लिए वो न जाने किस-किस से हाथ जोड़ रहे हैं

'पिंक', 'विकी डोनर' और 'पीकू' जैसी फिल्मों को बनाने वाले शूजीत सरकार की बतौर डायरेक्टर ये दूसरी फिल्म थी.

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शूबाइट का प्रमुख पात्र जॉन. जॉनी मस्ताना. फिल्म के दृश्यों में और शूट के दौरान अमिताभ बच्चन.
चलिए आज किसी नॉन लीनियर स्क्रिप्ट की तरह किस्सा कहीं बीच से, किसी स्पेशल इवेंट से, शुरू करते हैं. तो कुछ दिन पहले अमिताभ बच्चन ने मोज़ेज़ सपीर (Moses Sapir) के एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा-
प्लीज़... यूटीवी, डिज़्नी या स्टार या वार्नर... जो कोई भी हो? बस अब ये हमें दे दो हम इसे रिलीज़ करेंगे... लेकिन हमें ये दे दो...   
मोज़ेज़ सपीर. इज़राइल के एक कमांडो. उनके मम्मी-पापा ढेरों इंडियन फिल्में देखते थे. ये डीएनए, उनपर भी पास होना लाज़िमी था. अपने को बच्चन का सबसे बड़ा फैन कहने वाले मोज़ेज़ सपीर को 2005 में अमिताभ से मिलने का मौका भी मिल गया. इस फैन मोमेंट के बाद तो वो अमिताभ के और भी बड़े फैन हो गए. और इसी इजराइली फैन के ट्वीट को अमिताभ ने शेयर किया है. ट्वीट में जिस फिल्म को रिलीज़ करने को लेकर हाथ पांव जोड़े जा रहे हैं उसका नाम है 'शूबाइट'.
इससे पहले भी कुछ दिनों पहले मोज़ेज़ ने फिल्म की फोटो ट्वीट करते हुए लिखा था-
शूबाइट (जॉनी मस्ताना) में अमिताभ बच्चन. हम चाहते हैं कि ये फिल्म रिलीज हो. यूटीवी फिल्म्स, प्लीज़ कुछ करो. मुझे पूरा यकीन है कि ज़रा कोशिश से ऐसा हो सकता है.
तब भी बच्चन ने इस ट्वीट को रिट्वीट किया था और लिखा-
हां.. यूटीवी व डिज़्नी. अपनी अंदरूनी चर्चा, मसले और निजी नजरियों को किनारे कर दीजिए और शूजीत सरकार की कड़ी मेहनत और प्यार की परिणाम इस फिल्म को एक मौका दीजिए, ताकि बाकी लोग भी इस नवीन कहानी को सराह सकें. प्लीज़!
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शूबाइट. अमिताभ बच्चन की वो फिल्म जो बरसों पहले शूट हो गई लेकिन अब तक रिलीज नहीं हुई. वो भी तब, जब इसमें उनके जैसा बहुत बड़ा कमर्शियल स्टार है जिसके नाम से प्रोजेक्ट चलते हैं. इतने बरस से वे कहते आए हैं कि भला वो फिल्म क्यों रुकी हुई है. लेकिन निर्माताओं पर कोई असर नहीं पड़ा.
'शूबाइट' आकर्षक लग रही है. कॉन्सेप्ट से, और अब तक जो शूट फोटोज़ आई हैं उनसे भी.

# तो ये किस बारे में है और क्यों रुकी हुई है?

इस फिल्म की शुरुआत होती है वर्ष 1992 या शायद उससे भी पहले से, जब भारतीय मूल के अमेरिकी मनोज नाइट श्यामलन न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे और हॉलीवुड में आऩे के लिए कहानियां और स्क्रिप्ट सोच-लिख रहे थे. बाद में वो 'अनब्रेकेबल', 'द सिक्स्थ सेंस' और 'साइन्स' जैसी लोकप्रिय फिल्मों के लिए खूब जाने गए. मगर तब वो सिनेमा के दीवाने एक लड़के ही थे. उन्होंने उन दिनों में एक कहानी लिखी थी. शीर्षक था - 'लेबर ऑफ लव'. उन्होंने इसे 20थ सेंचुरी फॉक्स स्टूडियो को बेच दिया. लेकिन फिल्म बन नहीं पाई क्योंकि माना जाता है मनोज चाहते थे कि वे ही इसे डायरेक्ट करें लेकिन स्टूडियो राज़ी नहीं था. बाद में दूसरी फिल्मों में बिज़ी होते गए और हॉलीवुड के सबसे महंगे स्क्रीनराइटर्स में से एक बन गए.
फिल्म 'अनब्रेकेबल' के सेट पर एक्टर सेमुअल एल. जैक्सन के साथ एम. नाइट श्यामलन. दूसरी ओर न्यूज़वीक मैगज़ीन के कवर पेज पर जहां उन्हें हॉलीवुड का अगला स्टीवन स्पीलबर्ग कहा गया.
फिल्म 'अनब्रेकेबल' के सेट पर एक्टर सेमुअल एल. जैक्सन के साथ एम. नाइट श्यामलन. दूसरी ओर न्यूज़वीक मैगज़ीन के कवर पेज पर जहां उन्हें हॉलीवुड का अगला स्टीवन स्पीलबर्ग कहा गया.

बहुत वक्त बीता. भारत में परसेप्ट पिक्चर कंपनी से किसी ने इस कहानी को इंटरनेट पर कहीं पढ़ा. वे इसे लेकर अमिताभ बच्चन के पास गए. साल 2006-07 रहा होगा. बच्चन को पसंद आया. उनके मुताबिक तब ये सिर्फ एक आइडिया ही था. फिर उसे डिवेलप किया गया. 2007 में फिल्म की घोषणा हो गई. इसका नाम रखा गया था - 'जॉनी वॉकर.' शूजीत सरकार इसे डायरेक्ट कर रहे थे. जिन्होंने इससे पहले 2005 में फिल्म 'यहां' से बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया था.
इस प्रोजेक्ट में अमिताभ के साथ तबु को उनकी पत्नी के रोल में लिया गया था. लेकिन फिर किन्हीं कारणों से फिल्म रुक गई. एक रिपोर्ट के मुताबिक अमिताभ बच्चन को 1.5 करोड़ की फीस कम लगी.
माना जाता है कि इसी कॉन्सेप्ट को लेकर शूजीत बाद में यूटीवी मोशन पिक्चर्स के पास गए. यूटीवी फिल्म बनाने को राज़ी थी. लीड में अमिताभ बच्चन थे. उनकी पत्नी के रोल में सारिका को लिया गया.
शूजीत सरकार ने मिलकर इस आइडिया पर नए सिरे से काम किया. 'रंग दे बसंती' लिखने वाले रेंसिल डिसिल्वा को स्क्रिप्ट लिखने का जिम्मा दिया गया. डायलॉग लिखने के लिए जूही चतुर्वेदी को लाया गया. जूही शूजीत के साथ विज्ञापन फिल्में लिखा करती थीं. शूजीत ने जब उनसे कहा कि वे फिल्म के संवाद लिखें और स्क्रीनप्ले में भी योगदान दें तब तक जूही ने फिल्मों में आने का मन नहीं बनाया था. एक बार जब वे फिल्म के सेट पर आईं तब उन्हें अहसास हुआ कि यही करना है. बाद में जूही ने शूजीत की 'विकी डोनर' और 'पीकू' की स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग भी लिखे.
ख़ैर, फिल्म चालू हो गई. इसका नाम 'जॉनी वॉकर' से बदलकर रखा गया - 'शूबाइट'. इसे 'जॉनी मस्ताना' भी पुकारा जाता रहा. शूट के दौरान शिमला और नासिक जैसी जगहों पर बच्चन बढ़ी हुई दाढ़ी और अजीब भेष में सड़कों पर घूमते नजर आते थे.
मई 2008 में फिल्म के नासिक शूट के दौरान एक दृश्य फिल्माते हुए अमिताभ बच्चन और पीछे खड़ी है उन्हें देखने आई लोगों की भीड़.
मई 2008 में फिल्म के नासिक शूट के दौरान एक दृश्य फिल्माते हुए अमिताभ बच्चन और पीछे खड़ी है उन्हें देखने आई लोगों की भीड़.

जब परसेप्ट को इसकी भनक लगी तो कंपनी दिल्ली हाईकोर्ट गई कॉपीराइट हनन का केस लेकर. कंपनी के शैलेंद्र सिंह का कहना था, "जॉनी वॉकर को हम अमिताभ बच्चन के साथ बनाने वाले थे. उन्हें साइनिंग अमाउंट भी दिया गया. लेकिन हम उनकी डेट्स नहीं ले पाए इसलिए प्रोजेक्ट को एक बार रोक दिया गया." बाद में बच्चन ने उनका साइनिंग अमाउंट हालांकि लौटा दिया था और परसेप्ट समेत ये मामला पीछे छूट गया था. लेकिन जब 'शूबाइट की खबरें परसेप्ट को लगी तो उन्होंने कहा कि ये स्क्रिप्ट तो उनकी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने तब फिल्म पर स्टे लगा दिया. बाद में ये केस खारिज हो गया.
बताया जाता है कि यूटीवी ने फॉक्स से राइट्स ले लिए थे. उसके बाद ही फिल्म बनाने लगे. जब ये पूरी होने लगी तो फॉक्स ने अड़चन डाल दी. उसका और श्यामलन का कहना था कि वे लोग डेंजल वॉशिंगटन को लेकर इसी कहानी पर हॉलीवुड फिल्म बनाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक वे अपनी हॉलीवुड फिल्म बनाकर रिलीज न कर दें तब तक हिंदी वर्जन को न प्रदर्शित किया जाए. इस पर 'शूबाइट' के मेकर्स परेशान हो गए. उनका कहना था कि उनकी फिल्म तो बनकर तैयार भी हो चुकी है.
तब से ये फिल्म अटकी हुई है. सबकुछ यूटीवी और 20थ सेंचुरी फॉक्स के बीच में है.
'शूबाइट' की कहानी जॉन परेरा (जॉनी मस्ताना) नाम के आदमी की बताई जाती है जो 50 पार है. चुपचाप रहने वाला ये आदमी घर छोड़कर कंधे पर बैग लादे पैदल जा रहा है. भारत में एक जगह से दूसरी जगह. कहीं पहुंचना है उसको. वो क्या खोज रहा है इसके पीछे एक लव स्टोरी है. उसकी और उसकी पत्नी की. इस जर्नी में वो ख़ुद को भी ढूंढ़ता है और एक किस्म का प्रायश्चित भी करता है.
फिल्म के एक दृश्य में जॉन का किरदार.
फिल्म के एक दृश्य में जॉन का किरदार.

गुलज़ार ने इस फिल्म में गाने लिखे हैं.
कयास हैं कि फिल्म में बच्चन और सारिका के अलावा दीया मिर्ज़ा, जिमी शेरगिल और नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी हैं.
ये पहली बार नहीं है जब अमिताभ ने फिल्म के अटकने को लेकर निराशा जताई हो. 2013 में जब वो शूजीत सरकार के साथ एक विज्ञापन की शूटिंग कर रहे थे तब उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा था, "शूजीत अब 'विकी डोनर' फेम हैं, लेकिन उससे पहले उन्होंने मेरे साथ 'शूबाइट/जॉनी वॉकर' की थी. मैं उम्मीद करता हूं कि ये फिल्म रिलीज हो सके. इसके अधिकारों को लेकर कोई लड़ाई चल रही है. मुझे बताया गया है कि प्रोड्यूसर यूटीवी और अमेरिका की 20थ सेंचुरी फॉक्स इस मसले को सुलझा रहे हैं. फॉक्स का कहना है कि ये फिल्म बनाने के अधिकार उनके पास है और वो इसे डेंजल वॉशिंगटन के साथ मिलकर बनाना चाहते हैं. लेकिन उससे काफी पहले ही हम इस आश्वासन पर फिल्म पूरी भी कर चुके हैं कि इसके राइट्स लिए जा चुके हैं. यूटीवी हमें हर बार आश्वासन देती है कि मामले का हल निकाल लिया जाएगा. मैं सोचता हूं भला कब. इस फिल्म में बहुत सारी मेहनत और अपना पसीना लगा है."
शूजीत ने भी कहा था - "जब एक फिल्म रिलीज नहीं होती तो बहुत दुख देने वाली बात होती है. बड़ा बुरा लगता है. मगर हम अब आगे बढ़ चुके हैं. वो फिल्म रिलीज नहीं हुई इसलिए मैं 'पीकू' और 'पिंक' जैसी फिल्में बनाकर बच्चन साहब का कर्ज उतार रहा हूं.
फिल्म 'पीकू' की शूटिंग के दौरान डायरेक्टर शूजीत सरकार. पीछे भाश्कर बैनर्जी के किरदार में खड़े हैं बच्चन.
फिल्म 'पीकू' की शूटिंग के दौरान डायरेक्टर शूजीत सरकार. पीछे भाश्कर बैनर्जी के किरदार में खड़े हैं बच्चन.

शूजीत ने 'शूबाइट' को एक शानदार कोशिश बताया था. कहा था कि ये बेस्ट फिल्मों में से एक है हिंदी सिनेमा की.
बच्चन के अभिनय को उन्होंने मास्टरपीस कहा था.
उन्होंने यूटीवी डिज्नी के प्रमुख रहे रॉनी स्क्रूवाला से भी कई बार कहा था कि जिस तरह से उन्होंने इस फिल्म को हैंडल किया है वो ठीक नहीं था. हालांकि फिर भी कोई हल नहीं निकला.
बस, तब से 'शूबाइट' का इंतजार है. 2018 आते-आते भी ये बहुप्रतीक्षित फिल्म रिलीज नहीं हो पा रही है. एक दशक का टाइम हो चुका है.
उधर हॉलीवुड से इस स्क्रिप्ट को लेकर 2014 में आखिरी खबर आई थी कि एम. नाइट श्यामलन इस पर फिल्म बनाने जा रहे हैं और उन्होंने इसके लिए ब्रूस विलिस से बात की है. ख़ैर तब से इसका कोई समाचार नहीं है. श्यामलन दूसरे प्रोजेक्ट हालांकि करते जा रहे हैं. वैसे भी ब्रूस का इस कहानी में फिट बैठना असंभव था, बात डेंजल तक ही रहती तो समझ भी आता.
ख़ैर, श्यामलन की कहानी 'लेबर ऑफ लव' कुछ यूं है. अमेरिका के फिलाडेल्फिया में एक आदमी बुक स्टोर चलाता है. 50 के करीब उम्र है. बहुत कम बोलता है. उम्र के इस पड़ाव में पत्नी से उसके रिश्ते में गर्मजोशी नहीं. तभी एक एक्सीडेंट में उसकी पत्नी की मृत्यु हो जाती है. अब ये ख़्याल उसका पीछा करते हैं और तड़पाते हैं कि वो अपनी पत्नी को कभी ठीक से नहीं कह पाया कि उससे कितना प्यार करता था. एक बार उसकी पत्नी ने उससे पूछा था कि क्या वो उसके लिए पैदल पूरा अमेरिका पार कर जाएगा. मरने के बाद अब पत्नी से अपना प्यार साबित करने के लिए वो ऐसा ही करने निकलता है. वो फिलाडेल्फिया से पैदल चलना शुरू करता है और कैलिफोर्निया के शहर पेसिफिका जाता है जो उसकी पत्नी की पसंदीदा जगह थी. कहानी दिखाती है कि इस जर्नी में वो किन विचारों और अनुभवों से गुजरता है.
जॉनी मस्ताना और उसके साथ-साथ चल पड़ा एक कुत्ता.
जॉनी मस्ताना और उसके साथ-साथ चल पड़ा एक कुत्ता.

कुछ बदलावों के साथ करीब-करीब यही कहानी 'शूबाइट' की भी होनी चाहिए.
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