Shaitaan
मूवी रिव्यू - शैतान
Shaitaan आपको एंगेज कर के रखती है. एक पॉइंट पर आकर आपको आइडिया लग जाता है कि ये कहानी कैसे खत्म होगी. लेकिन उसके बावजूद भी ये आपके ध्यान पर से अपनी पकड़ छूटने नहीं देती.
Director: Vikas Bahl
Cast: Ajay Devgn, Jyothika, R. Madhavan, Janki Bodiwala
Rating: 3.5 Stars
कबीर छुट्टी बिताने के लिए अपने परिवार को लेकर फार्महाउस पर जाता है. उनके गेट पर एक अनजान शख्स दस्तक देता है. कहता है कि उसके फोन की बैटरी खत्म हो चुकी है. बस 15 मिनट फोन चार्ज कर के अपने रास्ते चले जाएगा. अपना नाम वनराज बताने वाला ये शख्स कहीं नहीं जाता. कबीर और उसकी फैमिली का दम निकालते तक उनके घर में चौकड़ी मार के बैठ जाता है. कबीर और उसकी पत्नी ज्योति उसे धक्के मारकर निकालने की कोशिश करते हैं, तो पाते हैं कि वनराज ने उनकी बेटी जाह्नवी को अपने वश में कर लिया है.
वो एक शर्त रखता है, कि जाह्नवी को उसके साथ जाने दिया जाए. कबीर और ज्योति नहीं मानते. उनके मुंह से हां निकलवाने के लिए वो उनकी ज़िंदगी दोज़ख बना देता है. उनकी आंखों के सामने उनकी बेटी को चायपत्ती खाने को कहता है. उसे अपने छोटे भाई ध्रुव को जान से मारने का आदेश देता है. जाह्नवी का अपने मन पर कोई वश नहीं. ऐसे में वनराज आगे क्या करता है, और कबीर अपनी फैमिली को कैसे बचाएगा, यही फिल्म की मोटा-माटी कहानी है.
किसी भी हॉरर फिल्म के एलिमेंट को उठाने की ज़िम्मेदारी दो बातों पर आकर टिकती है – साउंड और कैमरा वर्क. जब हम पहली बार वनराज (आर माधवन) से मिलते हैं तब बैकग्राउंड स्कोर हल्की हिंट दे देता है कि ये आदमी झोल करेगा. आगे साउंड आपको लिटरली और फिगरेटीवली, दोनों ही तरह से असहज करने का काम करता है. फिल्म में एक सीन है जहां वनराज जाह्नवी से हंसने को कहता है. वो कहता है कि जब तक मर नहीं जाती, तब तक हंसती रहो. जाह्नवी बुरी तरह हंसने लगती है. कबीर अपना सिर पकड़कर बेचैन होना लगता है. सिनेमाघर में बैठे आप भी उसकी ये बेचैनी महसूस कर पाते हैं. और उसका लेना-देना एक्टिंग से नहीं. साउंड ऐसे आकर चुभता है कि आप कुछ सेकंड्स के लिए अजीब महसूस करने लगते हैं. मुमकिन है कि मेकर्स ने उस हिस्से में साउंड की फ्रीक्वेंसी के साथ छेड़छाड़ की हो. ऐसा ही गेस्पर नो ने अपनी फ्रेंच फिल्म Irreversible में किया था. फिल्म के शुरुआती हिस्से में साउंड की फ्रीक्वेंसी ऐसे नंबर पर सेट थी जिससे इंसान विचलित महसूस करने लगते हैं. गेस्पर ने इसके पीछे का कारण बताया था कि वो अपनी ऑडियंस को असहज करना चाहते थे.
‘शैतान’ में एक और मारक हॉरर फिल्म का रेफ्रेंस देखने को मिलता है. एक जगह जाह्नवी अपने भाई की जान लेने को आतुर है. वो दरवाज़ा बंद कर देता है. तब जाह्नवी दरवाज़े पर हथौड़े से हमला कर के उसे तोड़ने की कोशिश करती है. जब वो अपनी कोशिश में कामयाब हो जाती है, तब आपकी आंखों के सामने ‘द शाइनिंग’ का Here’s Johnny वाला सीन कौंध उठता है. विकास बहल के निर्देशन में बनी फिल्म जो माहौल बनाती है, उसे हल्का नहीं पड़ने देती. कुछ सीन्स में कैमरा वर्क इसी माहौल को एलिवेट करने का काम करता है. एक सीन में जाह्नवी झूले पर खड़ी होकर उसे तेज़ी से चलाने लगती है. उसके घरवालों को डर है कि गिरकर खुद को और अपने भाई को चोट ना पहुंचा दे. उस सीन में कैमरा कुछ शॉट्स में झूले के साथ उसी स्पीड पर चलता प्रतीत होता है. यहां मेकर्स होशियारी से स्टंट डबल को भी छुपा लेते हैं, और साथ ही सीन को ग्रिपिंग भी बना देते हैं. बाकी फिल्म का भयावह माहौल ऐसा असर डालता है कि एक पॉइंट पर पानी में तैर रहा रबर का मगरमच्छ भी विचित्र लगने लगता है.
साहित्य और सिनेमा में एक सिद्धांत है, जिसे Chekov’s Gun कहा जाता है. वो कहता है कि अगर हम दीवार पर बंदूक लटकी हुई देख रहे हैं तो उसे कहानी में आगे इस्तेमाल किया जाना ज़रूरी है. यानी हर पहलू को कहानी में कुछ जोड़ना होगा. कुछ भी बस ऐसे ही नहीं हो सकता. ‘शैतान’ में ऐसी कई डिटेल्स थीं जिन्हें मेकर्स ने रैंडम तरीके से ड्रॉप किया और फिर उन्हें इस्तेमाल भी किया. फिल्म की डिटेलिंग पर कैसा काम हुआ है, उसका एक उदाहरण बताते हैं. शुरुआत में पता चलता है कि कबीर और उसका परिवार इंग्लैंड घूमकर आए थे. फिर एक जगह चाबी का छल्ला दिखता है. उस पर इंग्लैंड का झंडा बना हुआ है. ये वैसा ही था कि आप कहीं से आए और याद के तौर पर निशानी ले आए. मेकर्स ये छल्ला ना भी रखते तो कहानी पर कोई असर नहीं पड़ता. लेकिन ऐसी चीज़ें आपको कहानी की दुनिया में इंवेस्टेड रहने के एक कदम और करीब ले जाती हैं.
फिल्म में अजय देवगन कबीर बने हैं. जैसी ज़रूरत थी, उन्होंने वैसा काम किया है. वो कंट्रोल में रहकर एक्ट करते हैं. कहीं भी अचानक से फट नहीं पड़ते. उनके गुस्से वाले सीन में देखकर लगता है कि इस आदमी के मन में पहले से उबाल आ रहा था और वो इस कदर बाहर निकला है. कबीर की पत्नी ज्योति का रोल ज्योतिका ने किया. एक सीन है जहां ज्योति इतनी ज़्यादा हिंसा देख चुकी होती है कि मानों उसे किसी भी वीभत्स चीज़ से फर्क नहीं पड़ने वाला. आप अपनी आंखों के सामने घिनौनापन होते हुए देख रहे हो, बस कुछ कर नहीं कर सकते. किरदार वो बेबसी ज्योतिका लेकर आती हैं. वनराज बने आर माधवन किसी स्विच की तरह काम करते हैं. एक पल में ये आदमी चिंघाड़कर बोलेगा कि मेरे सामने झुको, मैं तुम्हारा भगवान हूं. और अगले ही पल सोफ़े पर कमर सीधी करते हुए कैज़ुअल ढंग में चाकू से मारने का आदेश दे डालेगा. आर माधवन अपने किरदार में वो रहस्यवाद लेकर आते हैं, जो उसे इंट्रेस्टिंग भी बनाता है और कुछ जगहों पर बस आपको उस आदमी पर गुस्सा भी आता है. 'शैतान' साल 2023 में आई गुजराती फिल्म 'वश' का हिंदी रीमेक है. ओरिजनल फिल्म में बेटी का रोल करने वाली जानकी बोदीवाला ने ही रीमेक में जाह्नवी का रोल किया है. ये पूरी कहानी जाह्नवी पर टिकी थी. वनराज को बस शब्द बोलने थे. उनका कितना भयानक परिणाम हो सकता है, इसका आइडिया हमें जाह्नवी की हालत देखकर पता लगता. बहुत सारे मौकों पर जानकी का किरदार ओवर-द-टॉप जा सकता था. लेकिन वो ऐसा होने नहीं देतीं. कुछ सीन्स में आपको उनके किरदार के लिए बुरा महसूस होगा और पूरी स्थिति जानते हुए भी कुछ मौकों पर उस किरदार पर गुस्सा भी आएगा.
दो घंटे 12 मिनट के रनटाइम में बनी ‘शैतान’ आपको एंगेज कर के रखती है. एक पॉइंट पर आकर आपको आइडिया लग जाता है कि ये कहानी कैसे खत्म होगी. लेकिन उसके बावजूद भी ये आपके ध्यान पर से अपनी पकड़ छूटने नहीं देती.
वीडियो: मूवी रिव्यू - लापता लेडीज़