The Lallantop

शाहरुख ने 'अमर अकबर एंथनी' बोलकर सांप्रदायिक लोगों को जवाब दे दिया

धर्म के नाम पर 'पठान' का विरोध करने वालों को शाहरुख खान ने सही से समझा दिया.

post-main-image
शाहरुख खान ने कट्टरता को जवाब दिया है

शाहरुख खान की 'पठान' पर कई तरह के बवाल हुए. फिल्म अपने गाने और कपड़े के रंग को लेकर विवादों में रही. पर फिल्म की कमाई पर इसका सकारात्मक असर हुआ. सिर्फ छह दिन में 'पठान' ने 600 करोड़ की कमाई कर डाली. 500 करोड़ का आंकड़ा छूने पर फिल्म की पूरी टीम ने मीडिया से बात की और इसमें अलग-अलग सवालों के जवाब दिए. इसी दौरान शाहरुख खान ने फिल्म से जुड़े धार्मिक विवाद पर भी बात की है. उन्होंने जॉन, दीपिका और खुद को मनमोहन देसाई की फिल्म 'अमर अकबर एंथनी' से जोड़ दिया. दीपिका पादुकोण अमर, शाहरुख अकबर और जॉन अब्राहम एंथनी. शाहरुख ने एंटरटेनमेंट को सीरियस न लेने की भी बात कही. शाहरुख ने अपनी बात शुरू की और सीधे यूथ को संबोधित किया:

मैं एक बात बोलना चाहूंगा, जो बहुत ज़रूरी है. चूंकि आप मुझे इतनी मोहब्बत करते हैं और मेरी उम्र भी अब ऐसी है कि मैं अपने से छोटों को चीज़ें कह सकता हूं. आपको खुशियां बांटने का भरोसा दे सकता हूं. सिनेमा सिर्फ़ इसीलिए होता है. हम लोगों से गलतियां भी होती हैं, अच्छाई और बुराई भी होती हैं. 

ये तो भूमिका थी, असली बात तो शाहरुख ने आगे कही:

जो भी लोग फिल्म बनाते हैं; सिर्फ़ हम नहीं नॉर्थ में, साउथ में, हर भाषा में. हम सबका मकसद एक ही होता है, हम प्रेम और भाईचारा बांट सकें. तब भी जब मैं 'डर' या 'बाज़ीगर' में कोई नेगेटिव किरदार भी करता हूं या फिर जब जॉन कोई निगेटिव शेड का किरदार निभाते हैं. हम में से कोई बुरा नहीं है, हम तो बस एक कैरेक्टर प्ले कर रहे हैं. हमारा मकसद आपको खुश करना है.

शाहरुख ने आजकल के ऑफेन्ड कल्चर पर भी बात की है. उनका कहना था:

हम फिल्म में कुछ भी कहते हैं या करते हैं, उससे आपकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते. ये सिर्फ एंटरटेनमेंट है. मज़े और एंटरटेनमेंट को एक हद पर छोड़ देना चाहिए. उसे ज़्यादा सीरियसली नहीं लेना चाहिए.  

शाहरुख की 'अमर अकबर एंथनी' से जोड़कर कही गई बात वायरल हो रही है. इसमें उन्होंने धार्मिक कट्टरता को कॉलआउट भी किया और अपने अंदाज़ में इस पर कायदे का जवाब भी दे दिया. उन्होंने कहा:

ये दीपिका पादुकोण हैं और ये अमर हैं. मैं शाहरुख खान हूं, मैं अकबर हूं. ये जॉन अब्राहम हैं और ये एंथनी हैं. यही सिनेमा की खासियत है, अमर, अकबर और एंथनी. किसी भी कल्चर या ज़िंदगी के किसी पहलू के लिहाज से हम में कोई फ़र्क नहीं है. हम आपसे प्यार करते हैं. इसलिए फिल्म बनाते हैं. हम आपसे प्यार करते हैं, ताकि आप हमें प्यार दें. हम प्यार के भूखे हैं.

शाहरुख ने आगे ये भी कहा:

फिल्म कितने भी करोड़ कमा ले. वो ज़रूरी नहीं है. पर आपको हमारी फिल्म देखकर जो प्रेम मिलता है और हमें जो प्रेम आपसे मिलता है. उससे बड़ा कोई भी इनाम नहीं है. हमें इस देश में फैली सुंदर पुरानी कहानियों को मॉडर्न तरीके से सुनाने की ज़रूरत है. जब हम ऐसा करते हैं, तो किसी का मज़ाक नहीं बना रहे होते हैं. हम सिर्फ़ आज के पीढ़ी की भाषा बोलना चाहते हैं, जो अब बदल गई है. 

यहां देखने जैसी बात ये है कि शाहरुख हमेशा यूथ को ही एड्रैस कर रहे थे. एक स्मार्ट हॉकी प्लेयर की तरह उन्हें अपने गोल और टारगेट ऑडियंस का बखूबी अंदाज़ा है. यदि हम ये समझे कि शाहरुख बिना सोचे-समझे कुछ बोल रहे हैं, तो ये हमारी नादानी है. शाहरुख अपने विट और ह्यूमर का इस्तेमाल करना बहुत अच्छे से जानते हैं.

वीडियो: शाहरुख खान की पठान ने भारत तो भारत अमेरिका के बॉक्स ऑफिस पर भी मजमा लूट लिया