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मिठाई वाले की बनाई वो फिल्म, जिसने नाइंटीज़ को लव लेटर्स से भर दिया

बीती 30 अगस्त को फिल्म ने अपनी रिलीज़ के 30 साल पूरे किए हैं.

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सलमान, माधुरी और संजय के करियर के लिए गेम चेंजर फिल्म थी 'साजन'. फोटो - cinestaan
साल था 1991. अगस्त का महीना. उस महीने की टिकट खिड़की ने गोविंदा की फिल्म ‘भाभी’, अक्षय कुमार की ‘डांसर’ और अनिल कपूर की ‘प्रतिकार’ के पोस्टर देख लिए थे. लेकिन महीना अभी पूरा नहीं हुआ था. अंत में एक और फिल्म रिलीज़ होनी थी. फिल्म में सलमान खान, संजय दत्त और माधुरी दीक्षित जैसे एक्टर्स थे, लेकिन बनाई एक नए डायरेक्टर ने थी. इसलिए फिल्म के भविष्य को लेकर पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता था. उस समय शायद किसी ने भी इमैजिन नहीं किया होगा कि जो फिल्म उस अगस्त के महीने को रैप-अप करने आ रही है. वो देखते ही देखते उस साल रिलीज़ हुई सभी हिंदी फिल्मों का पैकअप भी कर देगी.
तारीख थी 30 अगस्त, 1991. सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई ‘साजन’. जिसे जनता ने सिर आंखों पर बिठा लिया. और उसके गाने. मतलब क्या ही बात थी! उनके लिए ‘गदर मचा दिया, भौकाल काट दिया’ जैसी उपमाएं छोटी लगती हैं. बस दिल में उतर गए. उनकी पंक्तियां नाइंटीज़ के नौजवान लड़के-लड़कियों के लव लेटर्स का हिस्सा बन गईं. जिस नए डायरेक्टर ने फिल्म बनाई, उसका नाम था लॉरेंस डिसूज़ा. जिनका स्ट्रगल मिठाई की दुकान पर काम करने से लेकर, मैकेनिक होते हुए, कैमरामैन को असिस्ट कर खुद कैमरापर्सन बनने के बाद उन्हें डायरेक्टर की कुर्सी तक लेकर आया था.
लॉरेंस अपनी फिल्म की कामयाबी का ट्रेलर उसके रिलीज़ होने से पहले ही देख चुके थे. दरअसल, रिलीज़ से पहले फिल्म का ट्रायल शो चल रहा था. मुंबई की तीन स्क्रीन्स पर. उनमें से एक गेटी गैलक्सी भी था. लॉरेंस वहां पहुंचे. फिल्म के बीच में थिएटर में घुसे. अंदर जो देखा, उसे देखकर उनकी आंखें भर आई. लोग अपनी सीट से खड़े होकर झूम रहे थे. पैसे उड़ा रहे थे. हम भारतीय अपनी खुशी में पैसे कैसे उड़ाते हैं, इसका नमूना हम अपने यहां की शादियों में देख ही लेते हैं. नाइंटीज़ में ये सिलसिला सिनेमाघरों में भी चलता था. अपने सामने पब्लिक को देखकर लॉरेंस समझ चुके थे कि उनकी फिल्म सुपरहिट होगी. ‘साजन’ उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बनी. साथ ही नाइंटीज़ में रिलीज़ हुई यादगार हिंदी फिल्मों में से एक बनकर भी उभरी.
‘साजन’ से दो साल पहले आई ‘मैंने प्यार किया’ में एसपी बालसुब्रमणियम ने सलमान को अपनी आवाज़ दी थी. उनके गाए ‘आजा शाम होने आई’ और ‘दिल दीवाना’ खासे पसंद किए गए. वो ‘साजन’ में भी सलमान की आवाज़ बने. ‘देखा है पहली बार’, ‘तुमसे मिलने की तमन्ना है’, ‘पहली बार मिले हैं’, ‘बहुत प्यार करते हैं’ जैसे सदाबहार गानों के ज़रिए. वो एसपीबी ही थे जिन्होंने सलमान को नाइंटीज़ का हार्टथ्रॉब बना दिया. सलमान और एसपीबी की जोड़ी ऐसी थी जैसे किशोर कुमार और राजेश खन्ना. जैसे हिमेश रेशमिया और इमरान हाशमी. एसपीबी को सलमान की आवाज़ बनाने वाली फिल्म भी ‘साजन’ ही थी.
‘साजन’ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और इसकी ऑडियंस के लिए एक यादगार फिल्म है. सिर्फ यादगार ही नहीं, बल्कि प्रभावशाली भी. दिवंगत एक्टर इरफान खान और निमरत कौर की फिल्म ‘लंचबॉक्स’ याद कीजिए. जहां इरफान के किरदार का नाम साजन फर्नांडिज़ था. फिल्म में निमरत के किरदार को ‘साजन’ के गाने पसंद थे. और फिर वो गाना, ‘मेरा दिल भी कितना पागल है’. ‘साजन’ का म्यूज़िक ऐसा था जिसे ‘आज ब्लू है पानी पानी’ वाली जनरेशन भी उतने ही प्यार से सुनती है. बीती 30 अगस्त को फिल्म ने अपनी रिलीज़ के 30 साल पूरे किए. इसलिए बात करेंगे ‘साजन’ से जुड़े किस्सों की. जानेंगे कि संजय दत्त का किरदार लिखने के पीछे क्या वजह थी, और ‘पहला नशा’ गाने वाली जोड़ी ‘साजन’ में बनते-बनते कैसे रह गई.
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