The Lallantop

RBI ने TLTRO के जरिए 50 हजार करोड़ सिस्टम में लाने की घोषणा की है पर TLTRO है क्या?

जानिए क्या होता है टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन्स?

post-main-image
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में. फोटो क्रेडिट- PTI.
RBI. यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया. देश में तमाम बैंकों का सुप्रीमो. देश में जितने सरकारी या गैर सरकारी बैंक चल रहे हैं, इन सबकी निगरानी करना रिज़र्व बैंक का काम है. रिज़र्व बैंक पॉलिसी बनाकर इन बैंकों को देता है, जिसके आधार पर बैंकों को अपना कामकाज करना होता है. 17 अप्रैल को RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स की. लॉकडाउन के बीच देश की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए शक्तिकांत दास ने कुछ अहम ऐलान किए, जिसमें सबसे बड़ा ऐलान रिवर्स रेपो रेट को लेकर है. इसमें 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है. अब ये 4% से घटकर 3.75% हो गया है. लेकिन हम रिवर्स रेपो रेट की बात नहीं कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं RBI के दूसरे अहम ऐलान की. रिजर्व बैंक ने टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (TLTRO) के जरिए 50 हजार करोड़ रुपये सिस्टम में लाने का फैसला किया है. अब यहां हमारे सामने दो कठिन शब्द आए. जैसे रेपो रेट और LTRO. इन्हीं शब्दों को आइए समझते हैं आसान भाषा में. दरअसल, रिज़र्व बैंक के कई काम होते हैं. एक काम होता है, नीतिगत दरों पर फैसला करना. अब ये नीतिगत दरें क्या होती हैं? नीतिगत दरें, उनको कहा जाता है, जिनके आधार पर रिज़र्व बैंक और दूसरे कमर्शियल बैंकों के बीच लेन-देन होता है. मसलन कोई बैंक है. उसे अपना काम-काज चलाने के लिए लोन की जरूरत पड़ सकती है. अगर काम-काज बढ़िया चल रहा है, तो कमाया हुआ पैसा कहीं जमा करना है. ऐसे में आता है रिज़र्व बैंक.
रिजर्व बैंक यानी सारे बैंकों का केंद्रीय बैंक
रिजर्व बैंक यानी सारे बैंकों का केंद्रीय बैंक

रेपो रेट क्या होता है? बैंक अपने रोज के खर्चों को चलाने के लिए RBI से पैसा उधार लेते हैं. बैंक जिस दर पर रिज़र्व बैंक से उधार लेते हैं, उसे रेपो रेट कहते हैं. इससे उलट, जब बैंक अपना पैसा रिज़र्व बैंक में जमा करते हैं, तो उन्हें ब्याज़ मिलता है. इस ब्याज की दर को ही रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. TLTRO क्या है?
RBI अपनी तरफ से ज़्यादा से ज़्यादा पैसा बाज़ार में डालने की कोशिश कर रहा है. ताकि जब लॉकडाउन खत्म हो, तब उद्योगाों और सरकारों के लिए पैसे की कमी न हो जाए. इसीलिए RBI ने 17 अप्रैल को लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन्स के तहत 50 हज़ार करोड़ और जारी कर दिए हैं. इतने पैसे में इसरो वाले 50 बार चंद्रयान भेज सकते हैं. या फिर स्टैचू ऑफ यूनिटी को 17 बार बनाया जा सकता है. रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कम वक्त के लिए पैसे का लेन देन होता है. यानी शॉर्ट टर्म के लिए. टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन्स यानी TLTRO एक से तीन साल तक के लिए होता है. यानी बैंक आरबीआई से एक से तीन साल तक के लिए कर्ज ले सकते हैं. और इसके बदले उन्हें सरकारी या अन्य कोई लंबी अवधि की सिक्योरिटीज जमानत के रूप में रखनी पड़ती है. आसान भाषा में समझें तो TLTRO के जरिए बैंक, RBI से लंबे समय के लिए कर्ज ले सकते हैं. इससे मार्केट में कैश फ्लो यानी नकदी के प्रवाह में कमी नहीं आती है.


वीडियो: RBI की नई नीति का अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?