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कहां गायब हैं नीलम, जिन्होंने गोविंदा के साथ सबसे ज़्यादा फ़िल्में दी थीं

जो हीरोइन न होती तो ज्वैलरी डिज़ाइनर बनती, जो कि आखिरकार वो बनी.

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नीलम और गोविंदा ने साथ दस फ़िल्में दीं.
सिनेमा संसार. सुंदर, चमकीला, ग्लैमर से जगमगाता. साथ ही क्रूर भी. अर्श और फर्श दोनों से रूबरू करानेवाली दुनिया. कितने ही सितारे ऐसे रहें, वक़्त के साथ जिनकी चमक तो छोड़िए वजूद तक नज़रों से ओझल हो गया. हम अपनी इस सीरीज़ में ऐसे ही लोगों की खैर-ख़बर लेंगे जो किसी वक़्त पूरे ज़लाल में रोशन थे लेकिन अब नज़र नहीं आते. उनके मौजूदा मुकाम के साथ-साथ उनके ज़रूरी काम पर भी नज़र डालेंगे.
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अगर आप नब्बे के दशक में बड़े हुए हैं, जैसे कि मैं हुआ हूं, तो गोविंदा का आपका फेवरेट हीरो होना लाज़मी है. उनका चार्म ही अलग था. हमें गोविंदा की कुछेक चीज़ें बड़ी आकर्षक लगती थीं. जैसे उनका ह्यूमर. और सबसे ज़्यादा उनका डांस. पूरे दशक भर हम गोविंदा के लटको-झटकों के दीवाने रहे हैं. ऐसे में कोई हीरोइन अगर गोविंदा को डांस में कॉम्प्लिमेंट करती नज़र आए, तो उसका भी आपकी फेवरेट लिस्ट में जुड़ जाना लाज़मी बात हो जाती है. इसी रास्ते नीलम ने हमारी दुनिया में एंट्री ली और फिर काफी अरसा घनघोर फेवरेट बनी रहीं.
गोविंदा के साथ उनके कितने ही गाने वीसीआर पर कैसेट रिवर्स कर करके देखे गए हैं. जैसे 'मैं प्यार की पुजारन', 'दुनिया की ऐसी की तैसी' या हाल ही में भयानक वायरल हुआ 'मय से मीना से ना साकी से'. नीलम वो दुर्लभ हीरोइन थीं, जो वेस्टर्न ड्रेसेस में भी फुल मासूम लगा करती थीं. इससे पहले कि कोई मुझे सेक्सिस्ट कहकर धुत्कारे ये याद कर लीजिए कि ये एक ऐसे किशोर के ख़यालात हैं जिसने तब सिमोन दी बउवार का नाम भी नहीं सुना था और जिसे फेमिनिज्म की स्पेलिंग तक नहीं आती थी. उस मासूम उम्र में पसंदीदगी के अपने ही पैमाने हुआ करते थे. उन्हीं अजीब पैमानों पर खरी उतरती थी नीलम.
नीलम, जिनका जन्म इंडिया से बाहर हुआ था.
नीलम, जिनका जन्म इंडिया से बाहर हुआ था.

ज्वैलरी बनाने वालों के घर का हीरा

नीलम. पूरा नाम नीलम कोठारी. फॅमिली ज्वैलरी बनाने के बिज़नेस में. कोई हैरानी नहीं कि उन्होंने बिटिया का नाम नीलम रखा. पैदाइश इंडिया के बाहर हुई. 9 नवंबर 1968 को. हॉंगकॉंग में. वहां के मशहूर आइलैंड स्कूल में पढ़ाई की. वही स्कूल, जहां हैरी पॉटर के हॉगवर्ड्स की तरह हाउसेस हुआ करते हैं. फर्क इतना है कि यहां हाउसेस का नाम किसी जादूगर के नहीं, साइंटिस्ट्स के नाम पर होते हैं. नीलम रुदरफोर्ड हाउस में थीं.

किस्मत में लिखा था हीरोइन बनना

1983 में नीलम अपने दादा-दादी से मिलने मुंबई आईं. जिस अपार्टमेंट में वो लोग रहते थे, उसी में रहने वाली सृष्टि बहल नाम की एक लड़की से नीलम की दोस्ती हो गई. दोनों लडकियां रोज़ाना टेनिस खेला करतीं. किस्मत की मेहरबानी ये कि सृष्टि के पिता फिल्म डायरेक्टर थे. रमेश बहल. जो अमिताभ के साथ 'कसमें वादे' और 'पुकार' जैसी फ़िल्में बना चुके थे. वो उस वक़्त एक नई फिल्म प्लान कर रहे थे. टीना मुनीम के भांजे करन शाह को लॉन्च करने वाले थे. उन्हें एक नए चेहरे की तलाश थी. अपनी बेटी के ज़रिए नीलम से मिलते ही इस तलाश पर ब्रेक लग गया. उन्होंने बेहिचक अपनी फिल्म 'जवानी' में नीलम को रोल ऑफर कर दिया.
अपनी पहली फिल्म में नीलम के हीरो करन शाह थे, जो फ्लॉप रहे.
अपनी पहली फिल्म में नीलम के हीरो करन शाह थे, जो फ्लॉप रहे.

नीलम ने सोचा कि क्यों न ट्राई कर लिया जाए! उन्होंने अपने माता-पिता से बात की जिन्होंने साफ़ इंकार कर दिया. उन्हें हिंदी फिल्मों में कतई दिलचस्पी नहीं थी. नीलम ज़िद पर अड़ गईं. पेरेंट्स को मनाकर ही मानीं. और इस तरह 1984 में आई फिल्म 'जवानी' से उनका फ़िल्मी करियर शुरू हुआ. इसका एक गाना बड़ा हिट हुआ. 'तू रूठा तो मैं रो दूंगी सनम'. ये अलग बात है कि फिल्म बुरी तरह पिट गई.

गोविंदा के साथ जुगलबंदी

भले ही 'जवानी' पिट गई लेकिन नीलम के पास ऑफर्स का ढेर लग गया. उनकी अगली फिल्म थी 'इल्ज़ाम'. वही फिल्म, जिससे गोविंदा ने डेब्यू किया था. फिल्म भी सुपरहिट रही और उनकी गोविंदा के साथ जोड़ी भी. आगे दोनों ने ढेर सारी फ़िल्में साथ की. नम्बर्स में ही बताएं तो दस. गोविंदा के साथ इतनी बार पेयरिंग नीलम के अलावा सिर्फ करिश्मा कपूर की ही हुई है. जिस तरह शाहरुख-काजोल की जोड़ी रुमानियत के चहेतों की फेवरेट है, वैसे ही गोविंदा-नीलम जोड़ी उन दर्शकों में बेहद मक़बूल रही, जिन्हें सिनेमाई ज़ुबान में मासेस कहा जाता है. 'खुदगर्ज़' भले ही जीतेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म हो, लोगों को गोविंदा-नीलम का 'आपके आ जाने से' ही याद रहता है.

फ़िल्में, जिनमें नज़र आईं

यूं तो उन्होंने ढेर सारी फिल्मों में काम किया लेकिन उनके कुछ रोल बेहद पसंद किए गए. और रोल्स से ज़्यादा उनके कुछ गाने यादगार बन गए. 'घर का चिराग़' में नीलम की सबसे ज़्यादा सराही गई भूमिका थी. जिसमें उन्हें उनसे काफी उम्रदराज़ राजेश खन्ना के अपोज़िट कास्ट किया गया था. ये वही फिल्म है, जिसमें मशहूर गाना 'तूतक तूतक तूतक तूतिया' था. इसी तरह 'अग्निपथ' में उन्होंने अमिताभ बच्चन की बहन शिक्षा का रोल किया था. जो अपने भाई को जुर्म के रास्ते से विमुख करने की हरसंभव कोशिशें करती है. नीलम के अपोज़िट मिथुन चक्रवर्ती थे. गोविंदा के साथ वो 'लव 86', 'ताकतवर' 'दो कैदी' और 'हत्या' जैसी फिल्मों में नज़र आईं, जिन्हें कमर्शियल सक्सेस भी हासिल हुईं. कुछेक हिट्स उन्होंने चंकी पांडे के साथ भी दी. जैसे 'आग ही आग', 'खतरों के खिलाड़ी' और 'पाप की दुनिया'.
नीलम ने चंकी पांडे के साथ भी बहुत सी हिट फ़िल्में दीं.
नीलम ने चंकी पांडे के साथ भी बहुत सी हिट फ़िल्में दीं.

करन जौहर की 'कुछ कुछ होता है' में उन्होंने वीजे नीलम का जो कैमियो किया था उसे बहुत पसंद किया गया था. उनकी आखिरी हिट फिल्म थी राजश्री प्रॉडक्शन की 'हम साथ साथ हैं'. हालांकि आखिरी रिलीज़ चंकी पांडे के साथ 'कसम' नाम की फिल्म थी, जो परदे पर तो 2001 में आई लेकिन कई साल पहले से बनकर तैयार पड़ी थी.

गाने, जिनपर इंडिया झूमा

जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं नीलम की फिल्मों से ज़्यादा उनके गाने याद रहते हैं. 'मय से मीना से' समेत कुछ गानों का ज़िक्र हम ऊपर कर ही चुके हैं. आइए उनके अलावा उनके कुछ हिट नगमों की इन्वेंट्री ली जाए.
# चलो चलें कहीं दूर कहीं - 1987 में आई 'सिंदूर' का गाना. डांस में एक्सप्रेशंस मिलाने का जो मिशन गोविंदा ने चलाया था, उसमें उनका बेहतरीन साथ देती नीलम.

# टिप-टिप टिप-टिप बारिश - फ्लॉप फिल्म, खूबसूरत गाना. आमिर खान की 1991 में आई मूवी 'अफसाना प्यार का' में था ये गीत. सड़क पर बारिश में भीगते हुए आमिर खान नाच गा रहे हैं और अंदर नीलम जी इतरा रही हैं. अंत में आमिर के प्यार का दावतनामा कबूल हो जाता है.

# कितना प्यार तुम्हें करते हैं - पिछला गाना अगर आमिर के साथ था, तो ये वाला सलमान के साथ. साल 1992 और फिल्म 'एक लड़का एक लड़की'. अभी-अभी क्यूपिड ने स्ट्राइक किया है और लड़का-लड़की अपने-अपने बिस्तर पर लेटे गा रहे हैं. उस दौर में जब व्हाट्सएप्प जैसी सुविधा हासिल नहीं थी और प्रेमपत्रों का चलन था, तब पहले प्रेम के पहले खत में इस गाने की लाइनें ज़रूर हुआ करती थीं. हवा में नहीं बता रहे, स्वानुभव है.

# तुम्हें दिल से कैसे जुदा हम करेंगे - हीरो जैकी श्रॉफ. फिल्म 'दूध का क़र्ज़'. सांपों वाली फिल्म जिसका बचपन में अलग ही क्रेज़ हुआ करता था. नीलम इस गाने में बहुत सुंदर लगती थी.

# पतझड़ सावन बसंत बहार - ये मेरा पर्सनल फेवरेट है. यूं समझ लीजिए स्टेज पर माइक पकड़कर गाने वाली हीरोइन्स में अगर रीना रॉय के अलावा कुछ पसंद आया था, तो वो यही था. फिल्म थी 'सिंदूर'.

परदे से परे

नीलम उस दौर की हीरोइन थीं, जब सिनेमाई गॉसिप टीवी पर नहीं, फ़िल्मी मैगज़ीन्स में डिस्कस होता था. और इसीलिए ज़्यादा देर तक यादों में रहता था. 'स्टारडस्ट', 'मायापुरी', 'फिल्म फेयर' और 'स्क्रीन' जैसी पत्रिकाएं लोग रेगुलर पढ़ते थे. खरीद कर कलेक्शन में रखते थे. इन्हीं में से किसी पत्रिका में एक दिन पढ़ा कि गोविंदा और नीलम ऑन स्क्रीन ही नहीं, ऑफ स्क्रीन भी पेयर हैं. अपने दो चहेते कलाकारों का मुहब्बत में होना खुश करने वाली घटना लगती थी. 'स्टारडस्ट' को दिए एक इंटरव्यू में गोविंदा ने बताया भी था कि कैसे उनकी पहली मुलाक़ात हुई और कैसे उनका रिश्ता परवान चढ़ा. बकौल उनके,
"मैं कभी नीलम के काबिल नहीं था. मैं घाटी और वो प्यारी गुड़िया सी. साफ़-सुथरी, पॉलिश्ड और आलिशान. हमारा कोई मेल ही नहीं बनता था. मुझे याद है जब मैं उससे पहली बार मिला. प्राणलाल मेहता के ऑफिस में. वो सफ़ेद शॉर्ट्स में थी. परी जैसी दिख रही थी. उसने अदब से हेलो कहा और मैं डर के मारे जवाब तक न दे सका क्योंकि मेरी अंग्रेज़ी बहुत खराब थी. मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं उसके साथ काम कर सकूंगा. वो दूर के सपने जैसी थी. मैंने 'जवानी' फिल्म बार-बार सिर्फ उसको देखने के लिए देखी. धीरे-धीरे सेट्स पर मैं सहज होना शुरू हुआ. मैं जोक्स मारता और वो हंसती रहती. जितना मैं उसे जानता गया और ज़्यादा पसंद करता गया. उसमें गरिमा थी. वो ऐसी लड़की थी, जिसके आगे कोई भी अपना दिल हार देता. मैंने भी हारा."
जज़्बात की इस जीवंतता के बावजूद उनका रिश्ता ज़्यादा चला नहीं. कुछ अरसे बाद उनका ब्रेक अप हो गया.
बकौल गोविंदा वो घाटी लड़के थे और नीलम परी.
बकौल गोविंदा वो घाटी लड़के थे और नीलम परी.

सनी के साथ फ़िल्में, बॉबी के साथ इश्क़

नीलम की एक और रिलेशनशिप भी रही, जो गोविंदा से ज़्यादा चलने के बावजूद कभी सुर्ख़ियों में नहीं आ पाई. बॉबी देओल के साथ उनका प्यार पूरे पांच साल तक चला. हालांकि जब तक दोनों रिश्ते में थे, मीडिया को उससे दूर ही रखा. ये वो दौर था जब नीलम सनी देओल के साथ फ़िल्में कर रही थीं. हालांकि नीलम ने एक इंटरव्यू में कहा था, "सनी और मेरे बीच बॉबी को लेकर कभी कोई बात नहीं हुई. बॉबी से ब्रेकअप के पहले और बाद में भी हमारे बीच एक गर्मजोशी भरी बॉन्डिंग रही."
कहा जाता है कि धर्मेंद्र इस रिश्ते के खिलाफ थे. नीलम ऐसी किसी बात की जानकारी होने से इंकार करते हुए कहती थीं कि उनका ब्रेक अप म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग से हुआ था. किसी और से इसका कोई लेना-देना नहीं था.

शादियां

दो नाकामयाब मुहबत्तों के बाद नीलम ने इंग्लैंड में रहने वाले बिज़नेसमैन ऋषि सेठिया से शादी कर ली. जो ज़्यादा दिन चल नहीं पाई. 2008 में उनकी मुलाकात टीवी एक्टर समीर सोनी से हुई. दोनों की दोस्त एकता कपूर ने मिलवाया था. समीर भी उस वक़्त तलाकशुदा थे. तीन साल तक एक दूसरे को जानने समझने के बाद 2011 में दोनों ने शादी कर ली.
सितम्बर 2013 में दोनों ने एक लड़की गोद ली, जिसका नाम अहाना रखा.
इन् दोनों को एकता कपूर ने मिलवाया था.
इन् दोनों को एकता कपूर ने मिलवाया था.

कंट्रोवर्सी

नीलम के फ़िल्मी करियर के अंतिम दिनों में उनका नाम एक अनचाही कंट्रोवर्सी में भी जुड़ा था. काले हिरण के शिकार के मामले में. सलमान खान और गैंग पर जब केस दर्ज हुआ था, नीलम उस गैंग वाले पार्ट में शामिल थी. हालांकि अप्रैल 2018 में कोर्ट ने उनको बरी कर दिया.

अब कहां हैं नीलम?

बावजूद अपने दशक भर से ज़्यादा लंबे एक्टिंग करियर के नीलम ने ज्वैलरी डिज़ाइनिंग में दिलचस्पी लेना बंद नहीं किया. उनके परिवार का इस फील्ड में यूरोप-अमेरिका तक नाम मशहूर था. 2001 के बाद जब उन्होंने पूरी तरह से फ़िल्मी दुनिया छोड़ दी, मुंबई में ज्वैलरी डिज़ाइनिंग का एक प्रॉपर कोर्स किया. जितने डेडिकेशन से एक्टिंग की, उतने ही जुनून से खुद को इस फील्ड में झोंक दिया. पहले 'नीलम ज्वैल्स' के नाम से गहने डिज़ाइन करती रहीं. 2011 में 'नीलम कोठरी फाइन ज्वेल्स' नाम से खुद का शोरूम ही खोल लिया. तबसे आज तक अपना कारोबार चला रही हैं.
खुद की बनाई ज्वेलरी के लिए नीलम ने फोटोशूट भी किया.
खुद की बनाई ज्वेलरी के लिए नीलम ने फोटोशूट भी किया.

मुझे यकीन है कि नीलम के फैंस उनकी यादों से उन्हीं के गाने से शब्द चुराकर कुछ यूं मुखातिब होते होंगे...
"दिल बहलता है मेरा, आपके आ जाने से....... "