फिर आई वो फिल्म, जिसकी धुन युवाओं के बीच ऐसी बजी कि वो कल्ट स्टेटस की गद्दी पर जा बैठी. जनता ने फिल्म के हीरो-हीरोइन पर रिलेशनशिप गोल्स वाला टैग लगा दिया. इंडियन सिनेमा की ज्यादातर कल्ट फैन फॉलोइंग वाली फिल्मों जैसा ही हश्र हुआ था, इसका बॉक्स ऑफिस पर. बिल्कुल नहीं चली. लेकिन फिर समय के साथ जनता पछताती कि यार, ये हॉल में क्यों नहीं देखी. 19 अक्टूबर, 2001 की तारीख. वो तारीख जब ये फिल्म सिनेमाघरों पर लगी. हीरो कोई साउथ से आया लड़का था. जिसके नाम के आगे कोई खान या कपूर नहीं था. पहले इंजीनियरिंग की. फिर कुछ हिंदी टीवी शोज़ किए. उसके बाद तमिल सिनेमा में चला गया. और अब अपनी पहली हिंदी फिल्म करने जा रहा था. हीरोइन भी नई थी. एक्टिंग से जुड़ा पिछला कोई खास काम नहीं था दिखाने के लिए. रही बात डायरेक्टर की. एक और मैकेनिकल इंजीनियर. फिल्मों में नहीं आना चाहते थे. लेकिन फिर कुछ होते-होते हो ही गया. तमिल सिनेमा में एक फिल्म पुराने थे.

पूरे देश को एक रिंगटोन देने का श्रेय जाता है 'RHTDM' को.
कुल मिलाकर फिल्म के पास सेल करने के लिए कोई पॉइंट नहीं था. हीरो, हीरोइन, डायरेक्टर, म्यूज़िक डायरेक्टर, सब नए. बस एक प्रड्यूसर ही हिंदी सिनेमा में एक अनुभवी खिलाड़ी था. वाशु भगनानी इस फिल्म को प्रड्यूस कर रहे थे. जो इससे पहले ‘कुली नं. 1’, ‘हीरो नं. 1’ और ‘बड़े मियां छोटे मियां’ जैसी फिल्मों पर भी पैसा लगा चुके थे.
19 अक्टूबर, 2001 की तारीख को रिलीज़ हुई फिल्म को आप एक लाइन से पहचान जाएंगे. ‘बस अब एक ही तमन्ना है, रहना है तेरे दिल में’. ‘RHTDM’ इस महीने अपने 20 साल पूरे करने जा रही है. इस मौके पर फिल्म और उसकी मेकिंग से जुड़े कुछ सुने-अनसुने किस्सों से आपको रूबरू करवाएंगे.
