Paresh Rawal अब तक सैकड़ों फिल्में कर चुके हैं. नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं. मगर वो Mahesh Bhatt की Tamanna को अपने करियर की सबसे चैलेंजिंग फिल्म मानते हैं. इसमें उन्होंने एक किन्नर शख्स का किरदार निभाया था. फिल्म में Alia Bhatt और Pooja Bhatt ने भी एक्टिंग की थी. परेश ने इस किरदार की तैयारी कैसे की ? क्या मुश्किलें आईं ? ये सब उन्होंने The Lallantop के ख़ास कार्यक्रम Guest in The Newsroom में बताया.
उस किन्नर का रोल किया जिसकी बच्ची का पेट चूहे खा गए थे - परेश रावल
Paresh Rawal ने बताया कि Mahesh Bhatt की Tamanna में उन्होंने टीकू नाम के किन्नर का रोल किया था. उस किरदार ने उनका नज़रिया बदल दिया था.

उनसे सवाल किया कि स्त्रैण भूमिकाएं जो उन्होंने 'मोहरा' और 'तमन्ना' में निभाईं, उनके लिए स्त्री की वो कोमलता कहां से लाए? जवाब में परेश ने कहा कि जिस किन्नर पर 'तमन्ना' बनी, उसके साथ उन्होंने काफी वक्त बिताया. उसकी जिंदगी को करीब से देखा. उसका बात करने का लहजा समझा, उसके तेवर, सब अपने अंदर लेकर आए. इस चुनौतीपूर्ण किरदार की पूरी तैयारी उन्होंने कैसे की, पढ़िए परेश के ही शब्दों में:
"तमन्ना के समय जब भट्ट साब ने मुझे बोला कि परेश ये करना है. मैंने कहा हां मैं करूंगा. चैलेंजिंग है ये. जिस हिजड़े की कहानी पर ये फिल्म बनी, टीकू था उसका नाम. अरे यार, वंदनीय आदमी होगा वो. एक बार वो कूड़े में पड़ी हुई एक ऐसी लड़की को उठा लाया जिसका पेट चूहे खा गए थे. ये टीकू उसको उठाकर लाया. कहीं से दूध लाया. रुई को भिगो भिगोकर उसको दूध पिलाया. भट्ट साहब ने पूछा क्यों ले आया इसे? टीकू बोला - क्योंकि जब मैं मर जाऊं तो मुझे कोई चादर ओढ़ाने वाला चाहिए. ओ हो हो ! अद्भुत. अद्भुत कैरेक्टर. ये उठाकर लाया और हिजड़ा था. साला मर्द से ज्यादा था वो. मैंने कहा भट्ट साहब ये मैं करूंगा ही करूंगा."
परेश ने टीकू की कहानी भी सुनाई. इसलिए कि इस किरदार को जिस गहराई से वो कर पाए, उसके पीछे टीकू की कहानी ही थी. जिसमें सारे इमोशंस थे. परेश ने कहा -
"टीकू को पहली बार जब मैं मिला, पावरफुल आदमी यार. ये बड़ी-बड़ी आंखें. और वो बहुत भावुक हो रहा था कि कोई उनके ऊपर फिल्म बना रहा है. भट्ट साहब ने वादा किया था कि उनको फ्लैट दिलाएंगे. भट्ट साहब ने फ्लैट दिलाया था उनको. बाकी के हिजड़े उनसे ईर्ष्या रखते थे कि यार इसके ऊपर फिल्म बन रही है. मैंने बोला भट्ट साहब मैं इनके साथ बात करूं? मैं खाली उसकी वॉइस क्वालिटी पकड़ने की कोशिश करता हूं. बाकी के नाज़-नखरे ठीक है यार. एक हल्का किस्म का रुदन था उनकी आवाज़ में. वो ग़ज़ब आदमी थे यार. जब दंगे हुए थे मुंबई में, तब ये आदमी ने कितने लोगों को संभाला था यार. और उनकी मां... उनकी मां बहुत बड़ी हीरोइन थी एक ज़माने की. नसरीन बेग़म. पैरों में हीरे जड़ी घड़ी पहनती थीं. कोई बोलेगा ना, बेग़म टाइम क्या हुआ? बोलेगी मेरी जूती देख. ये अय्याशी देखी है टीकू ने. वो बाद में झोपड़पट्टी में रहता था. हर रोज़ सुबह उठकर मां के कॉस्ट्यूम इस्त्री करता था. पैसा तो था नहीं. पर वो मां को उसी स्टेट ऑफ माइंड में रखना चाहता था. अरे बाप रे बाप ! क्या किरदार है भाई वो तो."
इस बातचीत में परेश ने समाज में ट्रांसजेंडर्स की दशा के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा-
"मैं तो बोलता हूं कि हमारी सोसायटी में जो हम लोग इन लोगों को अपमानित करते हैं ना, कि हिजड़े हैं. ये तो सिग्नल पर खड़े रहते हैं. मैं ऐसा नहीं था. मगर इस फिल्म के बाद तो मेरा नज़रिया ही बदल गया. इस फिल्म में आलिया भट्ट ने छोटी तमन्ना का रोल किया था. बाद में पूजा भट्ट. मनोज भाई थे. कितना बेहतरीन काम किया था. मनोज बाजपेयी."
परेश ने आगे महेश भट्ट के बारे में बताया-
"ये महेश भट्ट थे ना. उस दौर में जादू था महेश भट्ट का. बाद में महेश भट्ट थक गए थे. बाद में बोलते थे चल बेटा तू एक्टिंग की एक्टिंग कर. मैं अंदर आकर डायरेक्टर की एक्टिंग करता हूं. महेश भट्ट के पास एक ग़ज़ब की क्वालिटी है कि किसको क्या बोलना है. किसको किन लफ्ज़ों में बोलना है. वो ऐसा बोलते हैं कि आपके अंदर का कुछ अनलॉक हो जाए यार. दूसरी एक बहुत ही खतरनाक उनकी आदत थी, कि पहले ही दिन एक्टर को सबसे कठिन सीन दे देंगे. बोलते कर के दिखा. चल कर के दिखा. बड़ा एक्टर बनता है ना. कर के दिखा. सीधे कुएं में डाल देते थे."
ऐसा नहीं था कि ‘तमन्ना’ के ज़रिए परेश ने पहली बार महेश भट्ट के साथ काम किया था. वो संजय दत्त की फिल्म ‘नाम’ का भी हिस्सा थे.
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