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'पंचायत' की रिंकी को अपना असली नाम क्यों बदलना पड़ा?

पंचायत' की रिंकी का असली नाम सानविका नहीं है, कुछ और ही है. क्यों बदला उन्होंने नाम, जान लीजिए.

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सौरभ द्विवेदी के साथ पंचायत के कलाकार

‘दी लल्लनटॉप’ ने 'पंचायत' की टीम के साथ लम्बी बातचीत की. मेकर्स से भी और एक्टर्स से भी. प्रह्लाद चा, रिंकी और क्रांति देवी से बातचीत मज़ेदार रही. यानी फैसल मलिक, सानविका सिंह और सुनीता राजवर के साथ. कुछ बातें हम यहां आपके साथ साझा कर रहें हैं. जानिए 'पंचायत' की रिंकी उर्फ़ सानविका को क्यों अपना असली नाम बदलना पड़ा? और सुनीता राजवर को NSD जानें की सलाह किसने दी? 

‘दी लल्लनटॉप’ के साथ अपने मज़ेदार किस्से साझा करती पंचायत की स्टारकास्ट 

सवाल:- 'पूजा' नाम बदलने के पीछे की वजह क्या थी?

सानविका सिंह  :- पहले सीजन में मेरा नाम पूजा सिंह था लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में इतनी सारी पूजा हैं कि कंफ्यूजन ज़्यादा हो रहा था. आर्टिकल्स में काफी गलत इन्फोर्मेशन जा रही थी. मैं कुछ बोल रही थी तो नाम किसी और का जा रहा था. कोई और कुछ बोल रहा था तो मेरा नाम चला जाता था. इसी वजह से मुझे अपना नाम बदलना पड़ा. ये 'सानविका' नाम मैंने खुद से ही चुना है. मेरे बहुत सारे नाम थे, तो मैंने नामों की एक लिस्ट बनाई. जिसे अपने दोस्तों और घरवालों को भेजा. जिसमें से दो नाम सेलेक्ट हुए. एक सानविका और दूसरा आद्या. फिर मैंने सानविका रख लिया.

सवाल:- सुनीता जी, NSD के बारे कैसे पता चला और आप इसे लेकर कितनी कॉन्फिडेंट थीं?

सुनीता :- मैं पढ़ाई के लिए नैनीताल गई थी. वहां कॉलेज में डांस परफॉरमेंस दिया था. वहां निर्मल पांडे जी NSD के अपने एक नाटक के लिए कुछ लड़कियों को खोज रहे थें. इसके लिए उन्होनें युग मंच थियेटर से बात की. जब हमें बोला गया तो मैं, दीपा पाठक, सीमा बोहरा और गीता भंडारी ये चार लड़कियां थी और ये हम सबके लिए बड़ा मुश्किल था. मेरे अंदर आत्मविश्वास की कमी भी थी लेकिन मैं करना चाहती थी. वहां मुझे नौकरानी का रोल मिला था लेकिन मुझे इतना मज़ा आता था कि मुझे पूरा नाटक याद हो गया था. वहीं ज़हूर दा और निर्मल दा ने मुझसे बोला तुम्हें NSD जाना चाहिए. ऐसे ही NSD के बारे में पता लगा था. पहली बार में तो नहीं हुआ, पर दूसरी बार में हो गया.

सवाल :- रिंकी के किरदार के लिए आपको क्या कहा गया था? क्या ब्रीफिंग थी?

सानविका सिंह :- सीज़न एक में ऐसा कुछ खास नहीं बताया गया. बस ये बोला कि लड़की कम बोलती है. उसकी शादी नहीं हो रही जिसके वजह से घरवालें काफी परेशान है और घरवालों को परेशान देखकर वो भी परेशान है. इतना सा ब्रीफ था. लेकिन दूसरे सीज़न में किरदार को जिस तरह से लिखा गया, तब बताया गया कि गांव की लड़की है, सादगी से भरी है, कम बोलती है लेकिन काफी समझदार है. जब हम गांव की लड़की सुनते हैं, तो दिमाग में सादगी और मासूमियत की एक छवि बन जाती है. जो सीरीज में मैंने दिखाने की कोशिश की है.

पूरा इंटरव्यू आप ‘दी लल्लनटॉप’ के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं. इसे देखने के लिए क्लिक करें. 

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