दी लल्लनटॉप के साप्ताहिक शो ‘गेस्ट इन दी न्यूज़रूम’ में आपने कवियों, ऐक्टरों, अधिकारियों, पूर्व-अधिकारियों को देखा-सुना है. अनुराग कश्यप और विशाल भारद्वाज जैसे राइटर-फ़िल्ममेकर्स की भी तक़रीर सुनी है. शो की हालिया किश्त में हमारे गेस्ट के तौर पर पधारे थे राइटर, डायरेक्टर और फ़िल्म-मेकर नागराज मंजुले. अपने करियर, जीवन और अपनी फ़िल्मों पर बात की. मंजुले की जड़ें महाराष्ट्र से हैं. इसीलिए हमने उनसे उनके समाज के नायकों के बारे में भी पूछा.
मराठियों की 'छत्रपति शिवाजी' कहने की ज़िद पर डायरेक्टर नागराज मंजुले ने क्या कहा?
कुछ लोगों का (जबरन) आग्रह है कि शिवाजी का नाम छत्रपति और माहाराज के बिना न लिया जाए. राइटर-फ़िल्ममेकर नागराज मंजुले ने नाम वाले विवाद पर क्या कहा?

शिवाजी. छत्रपति शिवाजी. छत्रपति शिवाजी महाराज. और, बवाल इसी नाम पर है. क्योंकि कुछ लोगों का (जबरन) आग्रह है कि शिवाजी का नाम छत्रपति और महाराज के बिना न लिया जाए. नागराज ने शिवाजी के जीवन पर एक फ़िल्म बनाई है. इस पर नागराज ने दी लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी से कहा,
"मैं मानता हूं, आदर से भी बड़ा प्रेम होता है. और पूरे महाराष्ट्र में ऐसा एक आदमी नहीं होगा, जो शिवाजी महाराज को प्रेम न करता हो. शिवाजी एक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिनको हर जाति-धर्म के लोग प्रेम करते हैं. हां, कुछ लोग हैं.. जो ख़ामख़ा आपकी वफ़ादारी चेक करते रहते हैं. मैं मानता हूं कि ये अच्छी बात नहीं है.
शिवाजी सबको अपने बाप जैसे लगते हैं. हम उन्हें 'शिव-बा' कहते हैं. जैसे, ज्योतिबा. वैसे महापुरुष, किसी जाति के नहीं थे. वो इतने बड़े थे कि सभी जातियों के थे. सबके थे. सबके लिए सोचा उन्होंने, सबके लिए काम किया... शिवाजी महाराज के लिए बहुत आदर है और किसी और को मुझे यह सिखाने की ज़रूरत नहीं. मेरा उनसे सीधा रिश्ता है. मैं ये बात कहता हूं - अगर बाबा साहेब अंबेडकर मेरे बाप हैं, तो शिवाजी महाराज मेरे दादा हैं."
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अंबेडकर और जाति की वजह से होने वाले उत्पीड़न पर भी नागराज मंजुले ने हमसे तसल्ली से बात-चीत की है. पूरी बात-चीत शनिवार, 4 नवंबर को वेबसाइट पर मिल जाएगी. एक दिन पहले देखना हो तो, प्रीमियम सदस्यता ख़रीद लीजिए. ये रही लिंक - undefined
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