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सरफरोश और गुंडा वाले मुकेश ऋषि आज कल कहां हैं?

मुकेश को सरफरोश में इस्पेक्टर सलीम का रोल पाने के लिए अपने करियर में पहली बार ऑडिशन और स्क्रीन टेस्ट देना पड़ा था.

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फिल्म इंडिया और गुंडा के सीन्स में मुकेश ऋषि.

फिर कभी किसी सलीम से मत कहना साहब, ये मुल्क उसका घर नहीं.

ये बात इंस्पेक्टर सलीम ने कही थी, एसीपी अजय राठौर से. 1999 में आई फिल्म सरफरोश में. तार को चिट्ठी समझिए और धर्म की राजनीति से आगे बढ़िए. फिल्म में सलीम का रोल किया था एक्टर मुकेश ऋषि ने. हो सकता है इस नाम से बहुत सारे लोग वाकिफ न हो लेकिन उनका चेहरा आप नहीं भूल सकते. क्यों? क्योंकि 90 के दशक में मुकेश को विलन लिए बगैर शायद ही कोई हिंदी फिल्म बनती थी.

पत्थर तोड़ने वाली फैमिली से आने वाला क्रिकेटर, जो विदेश जाकर मॉडलिंग करने लगा मुकेश ऋषि का जन्म 19 अप्रैल, 1956 को जम्मू में हुआ. फैमिली पत्थर तोड़ने यानी स्टोन क्रशिंग के बिज़नेस में थी. मुकेश की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई जम्मू से ही हुई. उनकी क्रिकेट में दिलचस्पी थी, इसलिए स्कूल लेवल पर खेलना शुरू कर दिया. क्रिकेट की बदौलत मुकेश का एडमिशन स्पोर्ट्स कोटे से पंजाब यूनिर्सिटी में हो गया. अगले कुछ ही समय में वो कॉलेज की क्रिकेट टीम के उप-कप्तान बन गए. फैमिली बिज़नेस का एक सिरा बंबई में भी था. इसलिए कॉलेज खत्म करने के बाद मुकेश ने बंबई में फैमिली बिज़नेस जॉइन कर लिया. मगर इस काम में उनका जी नहीं लग रहा था. इसलिए बैग पैक किया और फिजी निकल गए. फिजी में उनकी एक जानकार फैमिली रहती थी, जिनका खुद का एक डिपार्टमेंटल स्टोर था. मुकेश ने वहां काम करना शुरू कर दिया. दुकान में काम करते-करते उन्हें एक पार्ट टाइम कोर्स के बारे में पता चला. इस कोर्स में रैंप वॉक वगैरह की ट्रेनिंग दी जाती थी. कद-काठी दुरुस्त थी इसलिए दुकान से बचने वाले समय में मुकेश ने ये कोर्स जॉइन कर लिया. हालांकि उनके पास न मॉडलिंग के लिए समय था, ना ही मौका.
मुकेश अच्छी कद-काठी के थे, इसलिए शुरू से स्पोर्ट्स में आगे रहते. बाद में उसी पर्सनैलिटी की बदौलत उन्हें फिल्मों में काम मिलने लगा.
मुकेश अच्छी कद-काठी के थे, इसलिए शुरू से स्पोर्ट्स में आगे रहते. बाद में उसी पर्सनैलिटी की बदौलत उन्हें फिल्मों में काम मिलने लगा.

मॉडल बनने गए मगर दुकान में मुकेश के साइज़ का कपड़ा ही नहीं मिला कुछ साल फिजी में रहने के बाद मुकेश को एक बार न्यूज़ीलैंड जाने का मौका मिला. वो वहां स्टोर मैनेजर की नौकरी करने गए थे. वहां उन्हें एक मॉडलिंग एजेंसी दिखलाई पड़ी. पुराना शौक हिलोरे मारने लगा. मुकेश एजेंसी में गए और कहा कि वो मॉडलिंग करना चाहते हैं. एजेंसी वालों ने कुछ सवाल पूछे, साथ ही रैंप वॉक करके दिखाने को कहा. मुकेश ने जो कोर्स फिजी में किया था, वो यहां काम आ गया. मॉडलिंग एजेंसी ने कहा- आप हमारे लिए काम करिए. अगले ही दिन मुकेश को रैंप पर कैटवॉक करना था. मुकेश को कहा गया कि एजेंसी के लिए कपड़े बनाने वाली दुकान में जाकर अपना कॉस्ट्यूम वगैरह ट्राय कर लें. मगर दुकान में मुकेश के साइज़ का कोई कपड़ा ही नहीं था. इस वजह से उन्हें उस मॉडलिंग असाइनमेंट से हाथ धोना पड़ा. लेकिन उन्हें कॉन्फिडेंस आ गया कि वो वाकई मॉडलिंग की फील्ड में काम कर सकते हैं.
इंडिया समेत कई देशों में रहकर अलग-अलग फील्ड में काम कर चुके हैं मुकेश.
इंडिया समेत कई देशों में रहकर अलग-अलग फील्ड में काम कर चुके हैं मुकेश.


न्यूजीलैंड में अपना स्टोर मैनेजर का काम जारी रखने के साथ-साथ वो अलग-अलग कंपनियों के लिए मॉडलिंग भी किया करते थे. कुछ साल इसी तरह हसल करते हुए न्यूज़ीलैंड में गुजार दिए. मगर उन्हें नौकरी के साथ-साथ मॉडलिंग करने में बहुत दिक्कत आ रही थी. बहन की शादी के लिए मुंबई आए और एक्टिंग करने लगे मुकेश अपनी बहन की शादी के लिए 7 साल बाद न्यूजीलैंड से बंबई आए. बहन की शादी तो बहाना था, मुकेश को एक्टिंग में करियर बनाना था. पापा गुज़र चुके थे, इसलिए बड़े भाई से एक्टिंग में ट्राय करने की परमिशन मांगी. परमिशन मिल गई. शादी वगैरह से निपटने के बाद मुकेश ने रोशन तनेजा के एक्टिंग स्कूल में एडमिशन ले लिया. साथ ही डांस मास्टर मधुमति के यहां नाचने की ट्रेनिंग भी लेने लगे. मुकेश अपने एक इंटरव्यू में बताते हैं कि उन्हें पता था कि वो अच्छे एक्टर नहीं हैं. इसलिए उन्होंने रोशन तनेजा से कहा-

''जब तक आप मुझे अप्रूवल नहीं देंगे, तब तक मैं किसी प्रोड्यूसर के पास काम मांगने नहीं जाऊंगा.''

एक बार तनेजा साहब के सामने मुकेश परफॉर्म कर रहे थे. उस सीन में उनके साथ आयशा जुल्का भी थीं. इस सीन को करते समय मुकेश इतने खो गए कि बुरी तरह रोने लगे. अभी उन्हें तनेजा इंस्टिट्यूट में आए हुए मात्र 6 महीने हुए थे. इतने कम समय में बतौर एक्टर मुकेश में इतना डेवलपमेंट देखकर रोशन तनेजा सरप्राइज़ होने के साथ-साथ खुश भी हो गए. उन्होंने मुकेश से कहा कि अब वो प्रोड्यूसर्स के पास काम मांगने जा सकते हैं. बाकी एक्टिंग उन्हें समय, परिस्थितियां और अनुभव सिखाएगा.
अपनी फिल्मों के चार अलग अलग किरदारों में मुकेश ऋषि.
अपनी फिल्मों के चार अलग अलग किरदारों में मुकेश ऋषि.

एक्टिंग मुकेश करते मगर उनकी आवाज़ कोई देता था रोशन तनेजा का आशीर्वाद लेकर मुकेश एक्टिंग की फील्ड में कूद गए. प्रोड्यूसरों के यहां चक्कर लगने शुरू हुए. इस प्रोसेस में उन्हें ब्लू डार्ट, थंब्स अप और एक च्यवनप्राश कंपनी के ऐड्स मिल गए. मगर उन्हें एक्टिंग में पहला ब्रेक दिया संजय खान ने. संजय खान मशहूर फिल्म एक्टर फिरोज़ खान के भाई हैं. पॉप-कल्चर में उन्हें ऋतिक रौशन के पूर्व ससुर के तौर पर भी जाना जाता है. खैर, संजय उन दिनों टिपू सुल्तान पर एक टीवी सीरियल बना रहे थे. इसी दौरान उन्होंने मुकेश को काम की तलाश करते देखा. मुकेश अपनी पर्सनैलिटी की वजह से स्टैंड आउट करते हैं. संजय ने उन्हें देखा और बुलाकर अपने सीरियल में विलन मीर सादिक का रोल दे दिया. इस रोल से मुकेश को कुछ खास फायदा तो नहीं हुआ. मगर ये ज़रूर पता चला कि कैमरा एक्टिंग के लिए और क्या-क्या सीखना बाकी है. दिक्कत ये थी कि टिपू सुल्तान में एक्टिंग तो मुकेश करते मगर उनकी आवाज़ NSD के एक एक्टर से डब करवाई जाती थी. मुकेश ने कुछ NSD वालों से दोस्ती गांठ ली. इसके बाद वो नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के लोगों के साथ मिलकर वॉयस ट्रेनिंग करने लगे. एक महीने बाद शो की शूटिंग के दौरान संजय खान बैठे हुए थे. उन्होंने शूटिंग के दौरान मुकेश की बदली हुई आवाज़ देखी और कहा कि आज से अपने किरदार की डबिंग वो खुद करेंगे.
फिल्म इंडियन के एक सीन में मुकेश. इस फिल्म में वो वसीम खान और अल्लाह बख्श नाम के डबल रोल में नज़र आए थे.
फिल्म इंडियन के एक सीन में मुकेश. सनी देओल स्टारर इस फिल्म में वो वसीम खान और अल्लाह बख्श नाम के डबल रोल में नज़र आए थे.

यश चोपड़ा से मिलने गए और रोल की जगह आशीर्वाद लेकर आ गए टीवी शोज़ के बाद वैसे तो मुकेश को फिल्मों में काम मिलने लगा था. वो सनी देओल की घायल और तेज़ाब फेम एन. चंद्रा की हमला जैसी फिल्मों में नज़र आए. मगर सिर्फ नज़र ही आए. उनके हिस्से ज़्यादा काम नहीं था. 1993 में प्रियदर्शन गर्दिश नाम की फिल्म बना रहे थे. इसमें उन्होंने जैकी श्रॉफ, अमरीश पुरी, डिंपल कपाड़िया और सुरेश ओबेरॉय जैसे स्टार्स के साथ मुकेश ऋषि को भी कास्ट किया. इस फिल्म में मुकेश ने डॉन बिल्ला जिलानी का रोल किया था. इस फिल्म में लोगों को कायदे से मुकेश का काम देखने को मिला. इसी वजह से कई जगह गर्दिश को मुकेश की पहली फिल्म बताया जाता है, जो कि फैक्चुअली गलत है. खैर, एक बार मुकेश, यश चोपड़ा से मिलने पहुंचे. यश ने काम के सिलसिले में बात करते हुए पूछा कि वो किस तरह का रोल करना चाहते हो. मुकेश श्योर थे कि उन्हें अपना करियर नेगेटिव रोल्स में ही बनाना है. इसलिए उन्होंने यश से कहा कि वो विलन का रोल चाहते हैं. यश चोपड़ा ने कहा कि उनकी फिल्मों में तो विलन होते ही नहीं है. वो तो रोमैंटिक फिल्में बनाते हैं. मुकेश ने कहा कोई बात नहीं. वो उठे यश चोपड़ा का आशीर्वाद लिया और चलते बने. इंट्रेस्टिंग बात ये कि उन दिनों यश चोपड़ा फिरोज़ नाडियाडवाला के लिए परंपरा नाम की फिल्म डायरेक्ट कर रहे थे. अपने प्रोडक्शन हाउस के बाहर ये यश चोपड़ा की आखिर फिल्म साबित हुई. खैर, इस फिल्म में विनोद खन्ना और सुनील दत्त के साथ आमिर खान और सैफ अली खान भी काम कर रहे थे. पॉपुलर ऑन्सॉम्बल फिल्म बन रही थी. यश की इस फिल्म में मुकेश ऋषि भी नज़र आए थे. उन्होंने सुनील दत्त के किरदार ठाकुर भवानी सिंह के खास आदमी का रोल किया था.
फिल्म गर्दिश में बिल्ला जिलानी के रोल में मुकेश ऋषि. ये उनकी ब्रेकथ्रू मूवी थी मगर पहली फिल्म नहीं.
फिल्म गर्दिश में बिल्ला जिलानी के रोल में मुकेश ऋषि. ये उनकी ब्रेकथ्रू मूवी थी मगर पहली फिल्म नहीं.

कैसे आमिर की वजह से मुकेश को मिली फिल्म सरफरोश? एक बार मुकेश मशहूर फिल्म राइटर सलीम खान से मिलने गए हुए थे. वहां उनकी मुलाकात आमिर खान से हो गई. आमिर और मुकेश फिल्म परंपरा में साथ काम कर चुके थे. मगर इस बार उन्हें एक साथ कास्ट किया आशुतोष गोवारिकर ने. आशुतोष बाज़ी नाम की फिल्म बना रहे थे, इसमें उन्होंने मुकेश को रघु नाम का किरदार निभाने को दिया. ज़ाहिर तौर पर ये फिल्म के विलन का रोल था. बाज़ी की शूटिंग हैदराबाद में हो रही थी. यहीं पर आमिर ने मुकेश को फिल्म सरफरोश की कहानी सुनाई. मुकेश भला ऐसे ऑफर के लिए क्यों मना करते. मगर तब फिल्म में काम करने को लेकर कोई बात नहीं हुई थी.
जब सरफरोश पर काम शुरू हुआ, तो इंस्पेक्टर सलीम के रोल के लिए आशुतोष गोवारिकर ने डायरेक्टर जॉन मैथ्यू को मुकेश का नाम सुझाया. तब तक मुकेश ऋषि पचासों फिल्मों में काम कर चुके थे. इसलिए नेगेटिव रोल्स से इतर कुछ एक्सपेरिमेंटल करने को तैयार थे. मैथ्यू ने उन्हें बुलाया और कहा कि उन्हें इस फिल्म में काम पाना है, तो स्क्रीन टेस्ट देना होगा. पहले तो मुकेश चौंके क्योंकि अपने 10 साल लंबे फिल्मी करियर में उन्हें कभी ऑडिशन या स्क्रीन टेस्ट नहीं देना पड़ा था. मगर 90 के दशक के आखिर में हिंदी सिनेमा के साथ-साथ सिनेमा देखने और बनाने वाले भी बदल रहे थे. मुकेश ने कहा कि उन्हें ऑडिशन देने में कोई दिक्कत नहीं है. उनका स्क्रीन टेस्ट वगैरह लिया गया और वो फिल्म में इंस्पेक्टर सलीम के लिए रोल के लिए फाइनल कर लिए गए. इस फिल्म में मुकेश ने एक मुसलमान पुलिसवाले का रोल किया था, जिसे पूरा पुलिस महकमा उसके धर्म की वजह से शक की निगाह से देखता था.
सरफरोश वो फिल्म रही, जिसमें मुकेश एक पॉज़िटिव रोल में दिखाई दिए और जनता ने उन्हें काफी पसंद किया. इंस्पेक्टर सलीम उनके सबसे शानदार और यादगार किरदारों में से एक है.
सरफरोश वो फिल्म रही, जिसमें मुकेश एक पॉज़िटिव रोल में दिखाई दिए और जनता ने उन्हें काफी पसंद किया. इंस्पेक्टर सलीम उनके करियर के सबसे शानदार और यादगार किरदारों में से एक है.

जिस फिल्म ने नौजवानों के बीच पॉपुलर किया, उसके डायलॉग्स बोलने में शर्मिंदा हो रहे थे मुकेश मुकेश ऋषि ने अपने करियर में अलग-अलग भाषाओं में 100 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया है. मगर उन्हें याद रखा जाता कांति शाह की 1998 में आई फिल्म गुंडा के लिए. ये एक शिपयार्ड में काम करने वाले कुली शंकर के बदले की कहानी थी. फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, शक्ति कपूर, रामी रेड्डी, दीपक शिर्के और मुकेश ऋषि जैसे एक्टर्स ने काम किया था. इस फिल्म की तीन खास बातें थीं.
# पहली बात ये कि इसे C ग्रेड फिल्मों के एक A ग्रेड डायरेक्टर कांति शाह ने डायरेक्ट किया था. # दूसरी दिलचस्प बात ये कि इस फिल्म को बिना स्क्रिप्ट के बनाया गया था. फिल्म के राइटर बशीर बब्बर एकदम सस्ते बजट में बन रही इस फिल्म के डायलॉग्स एक्टर्स को सेट पर ही लिखकर देते थे. # तीसरी और सबसे ज़रूरी बात ये कि इस फिल्म के सारे डायलॉग्स शायरी की भाषा में लिखे गए थे, जो लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गए और गुंडा को कल्ट फिल्म माना जाने लगा.
मुकेश ऋषि ने इस फिल्म में बुल्ला नाम के गुंडे का रोल किया था, जो हर बात में कहता-

''मेरा नाम है बुल्ला, रखता हूं खुल्ला''

मुकेश गुंडा में अपने डायलॉग्स के बारे में कहते हैं कि फिल्म में जितने भी डायलॉग्स उन्हें बोलने के लिए दिए गए, वो उन्हें बोलने में बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहे थे. उन्हें इस बात की फिक्र थी कि ये चीज़ें स्क्रीन पर कैसी दिखेंगी और इन्हें देखेगा कौन. मगर बीतते समय के साथ गुंडा के डायलॉग्स टाइमलेस माने जाने लगे. मीम्स की दुनिया में इस फिल्म ने अपना अलग रुतबा कायम किया. और मुकेश ऋषि अमर हो गए.
सारी बात ये तस्वीर खुद कह रही है, हमें कुछ कहने की ज़रूरत नहीं.
सारी बात ये तस्वीर खुद कह रही है, हमें कुछ कहने की ज़रूरत नहीं.

आज कल मुकेश कहां हैं और क्या कर रहे हैं? हिंदी फिल्मों में सफलता पाने के बाद मुकेश ने साउथ इंडियन फिल्मों का रुख किया. साल 2000 में उन्होंने तेलुगू और मलयालम भाषा की फिल्मों में काम करना शुरू किया. वो तेलुगु भाषा की 50 से ज़्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं. हिंदी फिल्मों में अब मुकेश हमें भले नज़र नहीं आते मगर साउथ इंडिया में उनकी फिल्में खूब धमाल मचा रही हैं. वो 2019 में महेश बाबू की फिल्म महर्षि और चिरंजीवी स्टारर बिग बजट फिल्म साय रा नरसिम्हा रेड्डी में दिखाई दिए थे. अगले कुछ दिनों में वो हिंदी फिल्म पिंक की ऑफिशिलय रीमेक वकील साहब में एक अहम रोल निभाते नज़र आएंगे. अगर हिंदी भाषी कॉन्टेंट की बात करें, तो मुकेश आखिरी बार 2019 में रिलीज़ हुई ज़ी5 सीरीज़ अभय में दिखलाई पड़े थे. मुकेश के बेटे राघव ऋषि भी एक्टर हैं. वो जल्द ही पंजाबी फिल्म निडर से अपना डेब्यू करने जा रहे हैं. मुकेश अपनी फैमिली के साथ मुंबई में ही रहते हैं.