Mohammed Zeeshan Ayyub. कमाल के एक्टर हैं. दुर्भाग्यवश मेनस्ट्रीम सिनेमा में उनकी हीरो के दोस्त वाली छवि कुछ ज़्यादा ही पुख्ता हो गई थी. उसके बावजूद उन्हें पतली, बारीक लाइन पर चलना आता है. वो लाइन जिसने मुख्यधारा और ऑफबीट सिनेमा को पाट रखा है. ‘शाहिद’, ‘रांझणा’ की तो उनके साथ ही ‘रईस’ और ‘ट्यूबलाइट’ जैसी फिल्में भी की. बेसिकली अपने मन का काम करना है. हालांकि हमेशा ऐसा केस नहीं था. हाल ही में उन्होंने द लल्लनटॉप के सरपंच सौरभ द्विवेदी से बात की. बताया कि शाहरुख-सलमान के साथ की गईं फिल्में फ्लॉप होने के बाद उन्हें क्या सीख दे गईं. शाहरुख के साथ उन्होंने ‘रईस’ और ‘ज़ीरो’ की. वहीं सलमान के साथ वो ‘ट्यूबलाइट’ में नज़र आए थे.
शाहरुख-सलमान के साथ की फिल्में फ्लॉप होने पर ज़ीशान अय्यूब को नुकसान क्यों नहीं हुआ?
ज़ीशान ने बताया कि इन फिल्मों में कोई उन्हें नोटिस ही नहीं कर रहा था कि उन पर ठीकरा फोड़ सके.
उन्होंने इस बारे में कहा,
Thugs of Hindostan, ‘ट्यूबलाइट’ और ‘ज़ीरो’ नहीं चलीं. मुझे इस बात की निराशा थी कि मुझे तो गाली ही नहीं पड़ रही. मेरे ऊपर इसका ठीकरा फूट ही नहीं रहा. मेरा काम नोटिस ही नहीं हुआ. मैंने कहा कि कम-से-कम फेलियर की ज़िम्मेदारी भी होनी चाहिए. तभी वो काम मेरा है. वरना मेरा काम नहीं है वो.
ज़ीशान आगे कहते हैं कि अगर वो किसी फिल्म को अपनी ज़िंदगी के दो साल देते हैं, तो उसकी नाकामयाबी में भी उनकी हिस्सेदारी होनी चाहिए. वरना उसकी कामयाबी में भी नहीं होनी चाहिए. ज़ीशान कहते हैं कि इससे उन्हें बड़ी सीख मिली. तय किया कि ऐसा काम करेंगे जो उनका हो. जहां से आने वाली प्रशंसा और आलोचना में उनकी बराबर की हिस्सेदारी हो. ज़ीशान आगे बताते हैं कि वो प्रोजेक्शन के गेम में फंस गए थे. यानी ये देखना कि फिल्म के पोस्टर में उनका नाम कहां है. उनकी कितनी बड़ी फोटो छपी है. ऐसा करने की वजह भी उन्होंने बताई. उन्होंने कहा कि कई प्रोजेक्ट्स में उनका अहम रोल था. फिर भी पोस्टर में उन्हें जगह नहीं मिली.
हालांकि उन्होंने अपना समय लिया. चीज़ों पर गहन विचार किया और उनका मोहभंग दूर हो गया. उन्होंने ठान लिया कि ऐसा काम करूंगा जहां मेरी ज़रूरत हो. जो काम मेरा हो. वैसा ही काम वो कर भी रहे हैं. नाना पाटेकर के साथ उनकी सीरीज़ ‘लाल बत्ती’ आ रही है. उसके अलावा वो ‘जोरम’ में भी नज़र आएंगे.
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