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अनुराग कश्यप ने जिस फिल्म की तारीफ की उसे कोई ओटीटी प्लेटफॉर्म खरीदने को तैयार नहीं

Anurag Kashyap ने रितेश शर्मा की फिल्म Jhini Bini Chadariya को मस्ट वॉच बताया था. मगर ओटीटी वाले पॉलिटिक्स का हवाला देकर फिल्म ही नहीं खरीद रहे.

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'झीनी बीनी चदरिया' की रिलीज़ की तो किसी भी फिल्म को सिर्फ उसकी कहानी की वजह से रिजेक्ट करना सही नहीं.

एक फिल्म है, जिसका नाम है Jhini Bini Chadariya. धर्मशाला इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, टोकियो फिल्म फेस्टिवल, यूके एशियन फिल्म फेस्टिवल जैसे तमाम फिल्म फेस्टिवल्स में घूम चुकी हैं. कई बड़े फिल्ममेकर्स इस फिल्म की तारीफ कर चुके हैं. मगर 'झीनी बीनी चदरिया' के डायरेक्टर रितेश शर्मा ने रिसेंटली बताया कि उन्हें अभी तक फिल्म के लिए कोई भी ओटीटी खरीददार नहीं मिला है.

रितेश ने फिल्म का एक पोस्टर शेयर करते हुए लिखा,

''मैं इस बात से हैरान नहीं हूं कि हमारी फिल्म 'झीनी भीनी चदरिया' को कोई भी ओटीटी प्लेटफॉर्म नहीं खरीदना चाह रहा है. ओटीटी की तरफ से हमारी फिल्म के लिए कहा जाता है- हम अभी आपकी फिल्म को खरीदने की स्थिती में नहीं है क्योंकि ये फिल्म राजनीतिक और साम्प्रदायिक मामलों को छूती है.''

मगर इस फिल्म को कोई भी ओटीटी प्लेटफॉर्म खरीद क्यों नहीं रहा है? वजह इसकी कहानी बताई जा रही है. 'झीनी बीनी चदरिया' की कहानी बनारस के बैकड्रॉप पर घटती है. कहानी है रानी और शादाब की. रानी जो डांसर है. शादी और दूसरे फंक्शन में डांस करके पैसे कमाती है और अपनी बेटी को पढ़ाना चाहती है. अपनी ज़िंदगी का गुज़ारा करना चाहती है. शादाब, जो साड़ी बनाता है. ओटीटी वालों का मानना है कि रानी और शादाब की ये कहानी साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ा सकती है. शायद इसलिए वो 'झीनी बीनी चदरिया' को नहीं खरीद रहे.

वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी फिल्म को साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने वाली बताकर रिलीज़ करने से या ओटीटी पर लाने से रोका गया हो. हालिया उदाहरण है देव पटेल की फिल्म 'मंकी मैन' का. जिसे इंडिया में रिलीज़ नहीं होने दिया गया. आरोप लगे कि इस फिल्म की कहानी हनुमान से प्रेरित है. वो एक ऐसे आदमी की कहानी जो पॉलिटिक्स में अच्छी-खासी पहुंच रखता है. उस आदमी की पार्टी का रंग भगवा है. ज़ाहिर है इस बात पर विवाद होना ही था. हुआ भी. इसलिए ये पिक्चर यहां रिलीज़ नहीं हुई.

मगर, पिछले कुछ सालों में 'द कश्मीर फाइल्स', 'द केरला स्टोरी' जैसी फिल्में भी आई हैं. जिसकी रिलीज़ को रोकने के लिए लोगों ने मेकर्स को नोटिस भेजा. मगर फिर भी ये पिक्चर रिलीज़ हुई. ना सिर्फ रिलीज़ हुई बल्कि इसे तारीफ भी मिली और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जगह भी. जब इन सभी फिल्मों को ओटीटी पर जगह मिली तो 'झीनी बीनी चदरिया' को क्यों नहीं खरीदा जा रहा?

पिछले दिनों हमारे स्पेशल प्रोग्राम 'गेस्ट इन द न्यूज़रूम' में अनुराग कश्यप भी आए थे. जिन्होंने 'झीनी बीनी चदरिया' फिल्म की खूब तारीफ की थी. कहा था कि कम बजट में बहुत बेहतरीन कॉन्सेप्ट के साथ और बहुत अच्छी फिल्में बन रही हैं. जिन्हें देखा जाना चाहिए. आप चाहें तो अनुराग की ये बातचीत यहां सुन सकते हैं-

बाकी रही बाद 'झीनी बीनी चदरिया' की रिलीज़ की तो किसी भी फिल्म को सिर्फ उसकी कहानी की वजह से रिजेक्ट करना सही नहीं. फिल्म कैसी है कैसी नहीं इसका फैसला दर्शकों के हाथ में ही रहे तो बेहतर. बाकी इस मुद्दे पर आप क्या सोचते हैं, हमें ज़रूर बताएं. 

वीडियो: अनुराग कश्यप को पंकज झा ने स्पाइनलेस बोला था, अब उनका उत्तर आया है