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महेश मांजरेकर ने सावरकर बायोपिक छोड़ी, बोले- रणदीप हुडा सावरकर की तरह कपड़े पहनकर बात करने लगे थे

महेश मांजरेकर का कहना है कि रणदीप हुडा सावरकर की बायोपिक में हिटलर, भगत सिंह और लोकमान्य तिलक को भी जोड़ना चाहते थे. उनके हस्तक्षेप की वजह से उन्हें फिल्म छोड़नी पड़ी.

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'स्वतंत्र वीर सावरकर' के दो सीन्स में रणदीप हुडा. बीच में डायरेक्टर महेश मांजरेकर.

स्वतंत्रता सेनानी Vinayak Damodar Savarkar की बायोपिक बन रही थी. फिल्म का नाम था Swantantrya Veer Savarkar. Randeep Hooda फिल्म में सावरकर का रोल कर रहे थे. फिल्म को डायरेक्ट कर रहे थे Mahesh Manjrekar. मगर अब ये फिल्म भारी पचड़े में फंस गई है. महेश मांजरेकर को फिल्म से निकाल बाहर किया गया है. रणदीप हुडा कह रहे हैं कि सावरकर पर फिल्म के अधिकार सिर्फ उनकी कंपनी रणदीप हुडा फिल्म्स के पास है. जबकि फिल्म के प्रोड्यूसर आनंद पंडित और संदीप सिंह, रणदीप के इस दावे को गलत बता रहे हैं. उनका कहना है कि रणदीप किसी की परमिशन के बिना फिल्म के शूट हुए हिस्सों की फुटेज उठा ले गए. और अब कह रहे हैं कि ये उनकी फिल्म है. ये तकरीबन कंगना रनौत की फिल्म 'मणिकर्णिका' जैसी स्थिति बन गई है.

हाल ही में महेश मांजरेकर ने इस पूरे विवाद पर बॉलीवुड हंगामा से बातचीत की. महेश को 2022 में ये फिल्म डायरेक्ट करने के लिए साइन किया गया था. फिर खबर आई कि उन्हें निकाल दिया गया. इस पर महेश का कहना है कि उन्हें फिल्म से निकाला नहीं गया. बल्कि उन्होंने रणदीप हुडा के हस्तक्षेप से तंग आकर खुद ये फिल्म छोड़ दी. इस बारे में बात करते हुए महेश ने कहा-

"मैं उस विषय पर पिछले पांच सालों से काम कर रहा था. मैंने प्रोड्यूसर आनंद पंडित और संदीप को अप्रोच किया. जब वो प्रोजेक्ट पर पैसा लगाने को तैयार हुए, तो चर्चा छिड़ी की कौन ये रोल कर सकता है. रणदीप का नाम सामने आया. हमने उनका लुक टेस्ट लिया. मुझे लगा कि वो कैरेक्टर के लिए बिल्कुल फिट हैं. इसलिए हमने उन्हें साइन कर लिया. पूरा स्क्रीनप्ले मेरा है. फिल्म से मेरे अलग होने के बाद पता नहीं क्या हुआ. मगर शुरुआत से लेकर इंटरवल और एंडिंग, सबकुछ मेरी है."  

महेश मांजरेकर ने बताया कि जब वो रणदीप हुडा से मिले, तो उन्हें लगा कि वो बड़े सिंसियर एक्टर हैं. और फिल्म के विषय के साथ काफी इन्वॉल्व हैं. उन दोनों की कुछ मीटिंग हुई. इसके बाद रणदीप ने इस फिल्म में काम करने के लिए कई किताबें पढ़ डालीं. महेश बताते हैं कि उन्हें ये चीज़ बड़ी दिलचस्प लगी. रणदीप को फिल्म का पहला ड्राफ्ट सुनाया गया. उससे उन्हें कुछ मसले थे. मगर वो सुलझ गए. उन्हें दूसरा ड्राफ्ट सुनाया गया. रणदीप ने फिर से कुछ आपत्तियां जताईं. बकौल महेश, इस बार उन्होंने रणदीप से कहा कि अगर ऐसे ही चीज़ें होती रहीं, तो फिल्म बनने में दिक्कत होगी. रणदीप ने कहा कि एक बार स्क्रिप्ट फाइनल हो जाए, फिर वो कुछ नहीं कहेंगे.

महेश ने बताया कि रणदीप की दिक्कतें खत्म ही नहीं हो रही थीं. इसलिए वो दोनों लोग ऐम्बी वैली गए. वहां बैठकर चीज़ें डिस्कस की. इसके बाद उन्हें लगा कि चलो फाइनली स्क्रिप्ट लॉक हो गई. मगर फिर से रणदीप को स्क्रिप्ट से समस्या थी. महेश कहते हैं-

"वो (रणदीप) चाहते थे कि स्क्रिप्ट में हिटलर, इंग्लैंड के राजा और प्राइम मिनिस्टर वगैरह को जोड़ा जाए. वो लोकमान्य तिलक के 'स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है' वाली घटना को फिल्म में शामिल करना चाहते थे. मुझे लगा कि सावरकर की बायोपिक में इन चीज़ों का क्या मतलब है. मैंने उनसे बात की. उन्हें बताया कि जब एटेनबरो ने गांधी की बायोपिक बनाई थी, तो उस फिल्म का पूरा फोकस सिर्फ गांधी जी पर था. उनके बेटे तक को फिल्म में जगह नहीं दी गई. मैंने उन्हें कन्विंस करने की कोशिश की. मगर वो अड़े रहे. क्योंकि उन्होंने इस फिल्म के लिए बहुत सारी किताबें पढ़ लीं. उनकी रीडिंग हमारे लिए मुश्किल बन गई."

महेश मांजरेकर ने ये भी बताया कि फिल्म के कथानक में कुछ ऐसी चीज़ें भी जोड़ी जाने लगीं, जो तथ्यात्मक रूप से गलत थीं. रणदीप चाहते थे कि फिल्म में सावरकर के साथ भगत सिंह का एक सीन जोड़ा जाए. जबकि ऐसा कुछ तो हुआ भी नहीं था. कुछ दिनों पहले 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' का टीज़र रिलीज़ किया गया. इसमें एक डायलॉग था-

"गांधी जी बुरे नहीं थे. लेकिन अगर वो अपनी अहिंसावादी सोच पर अड़े नहीं रहते, तो भारत 35 साल पहले ही आज़ाद हो जाता."

फिल्म के इस डायलॉग पर हंगामा खड़ा हो गया. क्योंकि गांधी जी 1915 में इंडिया लौटे थे. मगर फिल्म के डायलॉग के मुताबिक भारत को 1912 में ही आज़ाद हो जाना चाहिए था. महेश मांजरेकर का कहना है कि ये उनका लिखा हुआ डायलॉग नहीं है. क्योंकि वो फिल्मों के डायलॉग्स लिखते ही नहीं हैं. उत्कर्ष नैथानी को फिल्म के डायलॉग लिखने के लिए साइन किया गया था. महेश बताते हैं कि फिल्म में कई ऐसी चीज़ें शामिल की गईं, जो वो नहीं चाहते थे.  

महेश बताते हैं कि इस फिल्म की सबसे बड़ी समस्या ये हुई कि रणदीप इसके साथ बहुत ज़्यादा इन्वॉल्व हो गए. वो कहते हैं-

"रणदीप ज़्यादा इन्वॉल्व हो गए. जब भी मैं उनसे मिलने और मीटिंग करने के लिए जाता था, तो वो सावरकर की तरह कपड़े पहने होते थे. मैं उनसे बात करने जाता था, सावरकर से नहीं. मैं सावरकर पर फिल्म बनाना चाहता था. इसकी वजह से मैं उनसे बात ही नहीं कर पाता था."  

फिल्म के राइटिंग को लेकर भी महेश के मन संशय था. उन्होंने बताया कि एक मुलाकात के दौरान रणदीप ने कहा कि उन्होंने फिल्म के डायलॉग्स लिखे हैं. जबकि फिल्म के डायलॉग्स उत्कर्ष नैथानी ने लिखे हैं. मगर वो रणदीप के सामने कुछ बोल नहीं पाए. और राइटिंग का क्रेडिट भी रणदीप को चला गया. इसके बाद रणदीप बताने लगे कि फिल्म के किस सीन को कैसे शूट किया जा सकता है. ये बात महेश को खल गई. उन्हें लगा कि अब रणदीप उन्हें फिल्में बनाना सिखा रहे हैं.

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रील और रियल सावरकर.

बेसिकली रणदीप हुडा के नियमित इंटरफेयर की वजह से महेश काम नहीं कर पा रहे थे. इस बारे में उन्होंने फिल्म के प्रोड्यूसरों से बात की. महेश कहते हैं-

"मैंने उनसे साफ कहा कि अगर मैं और रणदीप दोनों इस फिल्म का हिस्सा रहे, तो ये फिल्म नहीं बन पाएगी. इसलिए या तो मैं रहूंगा या वो."

इसके बाद उन्होंने 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' छोड़ दी. महेश का कहना है-

"वो मेरी स्टोरी थी. मैं अपनी तरह से वो फिल्म बनाना चाहता था. इसीलिए मैंने प्रोड्यूसर ढूंढ़े. मैं रणदीप की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा रहा. मगर ईमानदार होने और ऑब्सेस्ड होने में फर्क होता है."  

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सावरकर का रोल करने के लिए रणदीप ने अपना 26 किलो कम कर लिया था. इससे पहले भी वो सरबजीत बायोपिक के लिए भी अपना वेट काफी घटा चुके हैं.

रणदीप हुडा ने एक मीडिया इंटरैक्शन में कहा था कि सावरकर बायोपिक के फेर में वो मौत से वापस लौटकर आए हैं. इस पर भी महेश आपत्ति जताते हैं. वो कहते हैं-

"किसने कहा था आपको इतना वजन घटाने के लिए? कल आप अगर एक मुर्दे का रोल करेंगे, तो क्या आप सच में मर जाएंगे? क्या बकवास है ये सब. वजन कम करना ठीक है. वो आपकी तैयारी है. मगर ऐसे दावे मत करिए कि आप इस प्रोसेस में मर गए होते. आपको किसी ने इसके लिए फोर्स नहीं किया था. मैं रणदीप की सिंसियरटी के लिए उन्हें 100 में से 100 नंबर देता हूं. मगर उनके ऑब्सेशन ने मेरे लिए ये फिल्म खराब कर दी. शायद रणदीप अपने काम से इसे कमाल की फिल्म बना सकते थे."  

महेश से पूछा गया कि क्या वो अपनी कहानी पर दूसरे प्रोड्यूसर के साथ फिल्म नहीं बना सकते. महेश ने कहा कि बिल्कुल बना सकते थे. मगर वो नहीं चाहते थे कि जो रणदीप ने उनके साथ किया, वही चीज़ वो रणदीप के साथ भी करें. इसलिए उन्होंने दूसरे प्रोड्यूसर के साथ फिल्म बनाने का आइडिया ड्रॉप कर दिया. 

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