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रिव्यू: मेड इन हेवन सीजन 2

सीजन वन की तरह इस बार भी ज्ञान नहीं दिया गया है. सेक्शुअल रिलेशनशिप्स को अच्छे से एक्सप्लोर किया गया है. सेक्स को टूल की तरह इस्तेमाल नहीं किया है.

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'मेड इन हेवन' एक मेच्योर ड्रामा है

'मेड इन हेवन' में रिलेशनशिप्स को अंडरलाइन करके नहीं, बल्कि सोसाइटी का हिस्सा बनाकर दिखाया गया है. क्योंकि इसमें मेकर्स ने न ही कुछ सिखाने के लिए किया, न ही एक्स्प्लॉइट करने के लिए. हमसे ये कहा था 'मोनिका ओ माई डार्लिंग' बनाने वाले डायरेक्टर वासन बाला ने. 'मेड इन हेवन' का दूसरा सीजन भी आ गया है और हमने लिया है देख. तो आइए इस पर बात करते हैं.

पहले सीजन में 9 एपिसोड थे. इस सीजन में 7 एपिसोड हैं. इस सीजन के क्रिएटर भी रीमा कागती और ज़ोया अख्तर हैं. उन्होंने अलंकृता श्रीवास्तव के साथ मिलकर इसका स्क्रीनप्ले लिखा है. हर एपिसोड के डायरेक्टर अलग हैं. दो एपिसोड में 'मसान' वाले नीरज घ्यावन ने, दो एपिसोड में अलंकृता श्रीवास्तव ने डायरेक्टर की कुर्सी सम्भाली है. एक एपिसोड नित्या मेहरा ने डायरेक्ट किया है. बाक़ी बचे दो एपिसोड ज़ोया और रीमा ने मिलकर डायरेक्ट किए हैं.

‘मेड इन हेवन’ की टीम में इस सीजन दो नए चेहरे दिख रहे हैं

# सबसे पहली और अहम बात सीजन वन की तरह इस बार भी कहीं पर ज्ञान नहीं दिया गया है. सेक्शुअल रिलेशनशिप्स को अच्छे से एक्सप्लोर किया गया है. सेक्स को टूल की तरह इस्तेमाल नहीं किया है. जहां ज़रूरी हुआ, वहीं इंटिमेट सीन रखे गए. सजेस्टिव सेक्स ज़्यादा रखा गया है. जो कि मुझे निजी तौर पर अच्छा लगा. ऐसा ज़रूरी नहीं है कि सेक्स को बिलावजह कुछ दर्शक बटोरने के लिए ठूंस दिया जाए. सीरीज देखते समय कहीं पर भी ये नहीं लगता है कि मेकर्स ने कुछ भी यूं ही कह दिया है. जो भी कहा जा रहा है और जो किया जा रहा है, उसके पीछे कोई न कोई मकसद है.

# पहले सीजन में कहानी जहां छूटी थी, वहीं से आगे बढ़ती है. करन और तारा लोगों की वेडिंग प्लान करते हैं. जैज़ और कबीर उनकी टीम का हिस्सा हैं. इस बार इस टीम में दो नए चेहरे जुड़े हैं. एक है मेहर का और दूसरा है बुलबुल का. बुलबुल जौहरी की पत्नी है. जौहरी अब मेड इन हेवन में पार्टनर की हैसियत रखता है.

# हर नया एपिसोड नई शादी के साथ आता है और अपने साथ लाता है कोई सोशल, सेक्शुअल या फिर रिलेशनशिप प्रॉब्लम. इसे सुलझाने या फिर डायलूट करने का काम मेड इन हेवन की टीम करती है. इसके लिए कोई शोर-शराबा नहीं होता. कोई महान क्रांति नहीं होती. किसी एक नॉर्मल चीज़ की तरह इसे डील किया जाता है. इस शो के साथ एक ऐसी बात है, जो इसे मेच्योर सोशल रिलेशनशिप ड्रामा बनाती है. 'मेड इन हेवन' की परिधि में आकर समाज की एबनॉर्मल चीज़ें भी नॉर्मल हो जाती हैं.

# ऐसे शोज़ के साथ समस्या होती है कि ये क्रांति करने में भरोसा करती हैं. लेकिन ये क्रांति इसके कंटेंट में होती है, इंटेंट में नहीं. यहां मेकर्स का इंटेंट अच्छा है. वो किसी भी बात को फॉर ग्रांटेड नहीं लेते. और कुछ भी करते हुए बहुत वोक भी नहीं होते. किसी किरदार को आदर्श भी नहीं बनाते. चाहे आप तारा का किरदार ले लें. मेकर्स उसे आदर्श बनाकर पेश नहीं करते. उसके अन्य इंसानी पहलू भी हमारे सामने रखते हैं. दिखाते हैं कि उसमें भी लालच है. उसमें भी ईर्ष्या है. ऐसे ही करन के किरदार का ग्रे पक्ष भी सीरीज सिर्फ दिखाती नहीं, बल्कि उसे एड्रेस भी करती है. जैसे वो ड्रग्स कर रहा है, बिना बताए लाखों रुपए किसी को ट्रांसफर कर दे रहा है.

# सीरीज में कई तरह की वेडिंग्स होती हैं. बॉलीवुड वेडिंग, गे वेडिंग, अधेड़ मां-बाप की शादियां इत्यादि. इन सब शादियों के पीछे कुछ न कुछ समस्याएं हैं. 'मेड इन हेवन' कभी भी अतार्किक होने की हद तक वोक नहीं होती. किसी एक चीज़ को सही साबित करने के लिए किसी दूसरी ग़लत चीज़ को जस्टिफाई नहीं करती. कुछ खामियां भी हैं. जैसे: दलित मैरिज पर भी एक एपिसोड है. लेकिन यहां एक गलती है. माने गलती नहीं, पूर्वाग्रह कह सकते हैं. राधिका का किरदार बातों-बातों में बुद्धिस्ट रीतिरिवाज़ से की गई शादी को दलित रीतिरिवाज़ से की जा रही शादी करार देता है. यहां लेखकों को थोड़ा ज़मीन पर उतरकर देखना चाहिए था. बाक़ी ये वाला एपिसोड भी दलित आइडेंटिटी पर कसे जाने वाले तंज़ और दलित समाज की सकुचाहट को बराबर दिखाता है.

# 'मेड इन हेवन' टेक्स्ट के पीछे छिपे सबटेक्स्ट की बात करता है. बॉलीवुड वेडिंग कैसी हो सकती हैं. जितनी गुंजाइश थी, इंडस्ट्री की पॉलिटिक्स पर भी सीरीज बात करती है. इसमें आपको पिछले सीज़न का एक कैरेक्टर सरफ़राज मिल जाएगा. इसे पुलकित सम्राट ने निभाया था. अनुराग कश्यप भी मिलेंगे. पहले एपिसोड में गोरे रंग को सर्वोच्च समझने वालों को भी शो कॉल आउट करता है. मृणाल ठाकुर वाले एपिसोड में घरेलू हिंसा के मसले को बिलकुल नई तरह से ऐड्रेस किया गया है.

तारा और करन के रोल में सोभिता और अर्जुन

# इसमें कुलमिलाकर आठ कहानियां एक साथ चलती हैं. तारा, करन, मेहर, बुलबुल, आदिल, जैज़, कबीर के ट्रैक और साथ में किसी शादी का ट्रैक. शो सारे ट्रैक्स को जस्टिफाई करता है. चूंकि पहले सीज़न में तारा, करन और काफी हद तक आदिल प्रमुख किरदार थे. इसलिए इनकी कहानियों पर ज़्यादा फोकस किया गया है. इनकी पर्सनल लाइफ और रिलेशनशिप्स को संजीदगी से परोसा गया है. तीनों किरदारों में शोभिता धूलीपाला, अर्जुन माथुर और जिम सर्भ ने एक नम्बर काम किया है. इनका काम पिछले सीज़न में भी अच्छा था. इस सीज़न में वही चार्म, सेंसिबिलिटी और रियलिज्म तीनों आगे लेकर बढ़े हैं.

# जैज़ की भूमिका में शिवानी रघुवंशी हैं. जैसे-जैसे उनके किरदार ने ग्रो किया है, उनकी अदाकारी में भी निखार आया है. कबीर के रोल में शशांक अरोड़ा ऐक्टिंग करते नज़र ही नहीं आते. उनके अच्छे काम का श्रेय मैं अच्छी कास्टिंग को भी दूंगा. हर एपिसोड के अंत में उनका नरेशन आता है, उसमें कुछ न कुछ कमाल की चीज़ें होती हैं: जैसे No feeling is final या फिर  Why do woman belive that love can change the man? मेहर चौधरी के रूप में एक ट्रांस कैरेक्टर भी सीरीज में आया है. इसे त्रिनेत्रा हलदर ने निभाया है. चूंकि वो खुद ट्रांस हैं. ऐसे में उन्होंने इस किरदार के साथ न्याय किया है.

# मेरे लिए इस सीरीज के तीन हासिल रहे. पहला तो इसका कवित्त. इसके डायलॉग टिपिकल बॉलीवुडिया नहीं हैं. कहने का मतलब है, बहुत प्रकट डायलॉग्स नहीं है. इनमें साहित्य है. भाषा बिलकुल साहित्यिक नहीं है. बल्कि इन्हें जैसे बरता गया है, वो काफी पोएटिक है. एक उदाहरण दे देता हूं. लड़की को लगता है कि लड़का अपना सामान लेने आया है. अब दोनों के रास्ते अलग हो जाएंगे. लेकिन लड़का बातचीत में एक लाइन कहता है, I am not going to return your books. इस एक लाइन से आप समझ जाते हैं कि अब भी दोनों साथ रहेंगे. लड़का ब्रेकअप नहीं कर रहा है. इस सीरीज की लिखाई के लिए रीमा, ज़ोया और अलंकृता को अतिरिक्त बधाई.

# दूसरा हासिल रहा बुलबुल और जौहरी वाला ट्रैक. शुरू-शुरू में बुलबुल का किरदार आपको माहौल में फिट होता नहीं दिखता. लेकिन जैसे-जैसे सीरीज आगे बढ़ती है, मोना सिंह का निभाया किरदार सीरीज की सबसे अच्छी बात लगने लगती है. विजय राज तो हर जगह अच्छी ऐक्टिंग करते हैं. लेकिन मोना सिंह ने जो काम किया है. कमाल है. मैं चाहता हूं, उनके ट्रैक का एक स्पिन ऑफ़ बने. अगर ये कोई क्रिकेट मैच होता, तो मेरे लिए मोना सिंह और उनका निभाया बुलबुल का किरदार मैन ऑफ़ दी मैच होता. इस किरदार को बहुत अच्छे तरीके से लिखा गया है. साथ ही उस लिखे हुए में मोना ने चार चांद लगाए हैं. एक जगह विजय राज और मोना सिंह वीडियो कॉल पर बात कर रहे होते हैं. विजय का कैरेक्टर कहता है, आज आप बहुत सुंदर लग रही हैं. इस पर मोना जैसे रिएक्ट करती हैं, माने क्या ही अद्भुत अदाकारी है.

# तीसरा हासिल रहा तारा और करन का रिलेशनशिप. उनके सम्बन्ध में एक गर्माहट है. एक तरलता भी है. दोनों एक-दूसरे के लिए छुपने की इमोशनल जगहें हैं. वो एक-दूसरे के साथ सहज महसूस करते हैं. जब करन की मां की डेथ हो जाती है. उस वक़्त पहली दफ़ा मिलने पर तारा जिस तरह से उसे गले लगाती है. वहां उनकी कम्फर्टनेस दिखती है. मुझे सबसे अच्छा लगा, मेकर्स ने इन दोनों के रिलेशनशिप की प्योरिटी बचाकर रखी है.

बहुत कुछ कहने को है, लेकिन इतना ही कहूंगा एक बार देख ज़रूर डालिए. प्राइम वीडियो पर 'मेड इन हेवन' का दूसरा सीजन स्ट्रीम हो रहा है.

वीडियो: वेब सीरीज रिव्यू: मेड इन हेवन