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शरद जोशी की वो 10 बातें, जिनके बिना व्यंग्य अधूरा है

आज शरद जोशी का जन्मदिन है.

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शरद जोशी को लोग समय से आगे का व्यंग्यकार मानते थे

शरद जोशी. हिंदी के प्रमुख साहित्यकारों में से एक. व्यंग्य की विधा में शरद जोशी ने एक से बढ़कर एक रचनाएं दीं. शरद जोशी ने पत्र-पत्रिकाओं में व्यंग्य के लिए निरंतर लेखन तो किया ही, साथ ही टीवी धारावाहिकों के लिए भी ख़ूब लिखा. आज शरद जोशी का जन्मदिन है. पढ़िए शरद जोशी के लिखे में से वो दस बातें, जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं.

# लेखक विद्वान हो न हो, आलोचक सदैव विद्वान होता है. Joshi 01 # जो लिखेगा सो दिखेगा, जो दिखेगा सो बिकेगा - यही जीवन का मूल मंत्र है. Joshi 02 # एक मनुष्य ज़्यादा दिनों देवता के साथ नहीं रह सकता. देवता का काम है दर्शन दे और लौट जाए, तुम भी लौट जाओ अतिथि. Joshi 03 # उत्तेजना को समय में लपेटा जा सकता है. धीरे-धीरे बात ठंडी पड़ने लगती है. लोग संदर्भ भूलने लगते हैं. Joshi 04 # आदमी हैं, मगर मनुष्यता नहीं रही. दिल हैं मगर मिलते नहीं. देश अपना हुआ, मगर लोग पराये हो गए. Joshi 05 # अरे! रेल चल रही है और आप उसमें जीवित बैठे हैं, यह अपने आप में कम उपलब्धि नहीं है. Joshi 06 # शासन ने हम बुद्धिजीवियों को यह रोटी इसी शर्त पर दी है, कि इसे मुंह में ले हम अपनी चोंच को बंद रखें. Joshi 07 # मैं ज़रा प्रतिबद्ध हो गया हूं आजकल. यों मैं स्वतंत्र हूं और आश्चर्य नहीं कि समय आने पर मैं बोलूं भी. Joshi 09 # आलोचना शब्द लुच धातु से बना है जिसका अर्थ है देखना. लुच धातु से ही बना है 'लुच्चा'. Joshi 08 # अतिथि केवल देवता नहीं होता, वो मनुष्य और कई बार राक्षस भी हो सकता है. Joshi 10