The Lallantop

फिल्म रिव्यू- लवयापा

Aamir Khan के बेटे Junaid और Sridevi की छोटी बिटिया Khushi Kapoor की फिल्म Loveyapa कैसी है, जानने के लिए पढ़ें ये रिव्यू.

post-main-image
'लवयापा', जुनैद और खुशी दोनों के करियर की थिएटर्स में रिलीज़ होने वाली पहली फिल्म है.

फिल्म- लवयापा 
डायरेक्टर- अद्वैत चंदन 
एक्टर्स- जुनैद खान, खुशी कपूर, आशुतोष राणा, किकू शारदा 
रेटिंग- 3 स्टार्स

***

2022 में एक छोटी सी तमिल फिल्म आई थी 'लव टुडे'. एक बेसिक ट्विस्ट के साथ मॉडर्न लव स्टोरी थी. फिल्म में कोई स्टार नहीं था. फिल्म का राइटर ही फिल्म का हीरो था. पिक्चर ऐसी चली कि 100 करोड़ रुपए से ज़्यादा की कमाई कर डाली. सुपरस्टार रजनीकांत फिल्म की तारीफ में कसीदे पढ़ते पाए गए. अब उसी फिल्म को हिंदी में रीमेक किया गया है. नाम है 'लवयापा'. इससे पहले कि आप टाइटल को लेकर कोई अंदाज़ा लगाएं, हम इसका संधि विच्छेद कर देते हैं. लव+सियापा= 'लवयापा'.

'लवयापा' की कहानी दिल्ली में रहने वाले गौरव और बानी नाम के कपल की है. ये दोनों लोग इंस्टाग्राम पर मिले थे. काफी समय से डेट कर रहे हैं. इन्हें ऐसा लगता है कि ये एक-दूसरे को अच्छे से जानते हैं. एक-दूसरे के बारे में सबकुछ जानते हैं. इसलिए बात शादी तक पहुंच जाती है. मगर शादी के लिए बानी के पिता एक शर्त रखते हैं. गौरव और बानी 24 घंटे के लिए अपना फोन एक्सचेंज करेंगे. ये मियाद पूरी होने के बाद भी अगर उनकी एक-दूसरे से शादी की इच्छा बरकरार रहती है, तो ठीक. वरना बानी की शादी उस लड़के से हो जाएगी, जो उसके पिता को पसंद है.

'लवयापा' शुरू होती है ब्रांड इंटीग्रेशन से. One+ का मोबाइल फोन और कल्याण ज्वेलर्स के गहने बेचने के बाद फिल्म की कहानी चालू होती है. ये फिल्म बुनियादी तौर पर आज कल की रिलेशनशिप के बारे में बात करती है. जैसे इम्तियाज़ अली 'लव आज कल' बनाते हैं. जिसमें उनका कहना है कि प्रेम तो वही रहता है. प्योर-पायस. बस दौर-ज़माने बदलते रहते हैं. 'लवयापा' उनकी इस बात को मानने से इन्कार करती है. वो बताती है कि समय के साथ प्रेम में भी मिलावट आ चुकी है. इसके ताने-बाने बदल चुके हैं. मोबाइल फोन और सोशल मीडिया जैसी मॉडर्न टेक्नोलॉजी किस तरह से इसे प्रभावित करती हैं, 'लवयापा' इसी बारे में बात करती है.

'लवयापा' एक सिंसियर रीमेक है. इस फिल्म में कई कल्चरल कॉन्टेक्स्ट बदल दिए गए हैं. कुछ चीज़ें छूट गई हैं. 'लव टुडे' की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि बिल्कुल रॉ फिल्म थी. फ्रेश कॉन्सेप्ट होने के अलावा ये उस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी थी. 'लवयापा' में उसकी कमी महसूस होती है. थोड़ी बनावटी लगती है. मगर वास्तविकता से परे नहीं. फिल्म की मैसेजिंग और आत्मा बचा ली गई है. यही इस रीमेक की सबसे बड़ी जीत है. कहने का मतलब ये कि डायरेक्टर अद्वैत चंदन ने कमोबेश यहां भी वही करने की कोशिश की है, जो उन्होंने 'फॉरेस्ट गंप' को रीमेक करते हुए की थी. साफ नीयत से फिल्म बनाई है. हो सकता है यहां-वहां कुछ चीज़ें मिस हो गई हों.

मसलन, 'लवयापा' में बानी, गौरव को अपने होठों पर किस नहीं करने देती. वो अपने होठों पर हाथ रख लेती है, जिसे गौरव चूमता है. जबकि उनका रिलेशनशिप अच्छा चल रहा है. साथ में घूमना-फिरना, देखकर डिलीट कर देने वाली तस्वीरें शेयर करना, सबकुछ कर रहे हैं. तो फिर होठों को चूमने में क्या आपत्ति? डिट्टो यही चीज़ 'लव टुडे' में भी है. उस फिल्म में इसकी वजह बताई गई है. मगर 'लवयापा' से इसका कॉन्टेक्स्ट नदारद है. 

'लवयापा' और 'लव टुडे' की तुलना अपरिहार्य है. दोनों फिल्मों में एक्टर्स की परफॉरमेंस भी इससे अछूती नहीं रहती. 'लव टुडे' में प्रदीप रंगनाथन (एक्टर-राइटर) की ऑल आउट परफॉरमेंस फिल्म को देखने के एक्सपीरियंस को रिच बनाती है. वो चीज़ 'लवयापा' से मिसिंग है. हालांकि प्रमोशनल वीडियोज़ देखकर जुनैद और खुशी की जितनी आलोचना हो रही थी, फिल्म देखकर उनसे वो शिकायत तो नहीं रहती. आमिर खान के बेटे जुनैद ने फिल्म में गौरव सचदेवा नाम के लड़के का रोल किया है. उस रोल में जुनैद का काम मज़ेदार है. कॉमिक सीन्स में वो ज़्यादा खिलकर आए हैं. कुछ मौकों पर ऐसा लगता है कि उनकी बॉडी उनके डायलॉग के हिसाब से मूव नहीं कर रही. 'द आर्चीज़' के बाद खुशी कपूर को खूब भला-बुरा सुनाया गया. मगर 'लवयापा' में आपको कहीं भी ऐसा नहीं लगता है. वो दिल्ली वाले लिंगो को कायदे से कैरी कर ले गई हैं. प्लस उनके हिस्से जो इमोशनल सीन्स हैं, उसमें वो अच्छी लगी हैं. आशुतोष राणा ने बानी के पिता का रोल किया है. फिल्म में उनका एक सीन है. जब उनकी बेटी की लाइफ की बैंड बजी पड़ी है, तब वो सैडिस्टिक प्लेज़र लेते हुए सितार बजा रहे हैं. वो इस फिल्म का सबसे यादगार सीन है. आशुतोष पहले भी कई फिल्मों सख्त पिता का रोल कर चुके हैं. इसलिए उनके लिए तो ये केक वॉक था.

देखिए ऐसा नहीं है कि 'लव टुडे' कोई महान फिल्म थी. वो मॉडर्न रिलेशनशिप पर मॉडर्न तरीके से बात करने वाली फिल्म थी. इसलिए पसंद की गई. 'लवयापा' रीमेक के तौर पर शायद उतनी प्रभावशाली न हो. हालांकि अगर इसे अलग फिल्म के तौर पर देखा जाए, तो ये एक मज़ेदार रोमैंटिक-कॉमेडी फिल्म साबित होती है, जो आपसे कुछ गंभीर बात कहना चाहती है. 

वीडियो: फिल्म रिव्यू: 'लाल सिंह चड्ढा' आपको क्यों देखनी चाहिए?