The Lallantop

कहानी मूसेवाला के आइडल की, जिन्हें उन्हीं की तरह गोलियों से भून दिया गया था

इसे नियति कहें या इत्तेफाक. सिद्धू मूसेवाला ने जिसे बचपन से अपना गुरु माना, एकलव्य के जैसे जिसके नक्शे कदम पर चलकर उन्होंने सफलता की सीढ़ियां चढ़ी, उनके जीवन का अंत भी बिल्कुल अपने गुरु टुपैक की तरह हुआ.

post-main-image
टुपैक को अपना गुरु मानते थे सिद्धू मूसेवाला

पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moosewala) की 29 मई को गोली मारकर हत्या कर दी गई. एक दिन पहले ही पंजाब सरकार ने कई लोगों समेत मूसेवाला की सुरक्षा भी वापस ली थी. मूसेवाला ने यूनीक सिंगिंग और रैपिंग स्टाइल से एक अलहदा पहचान बनाई थी. 'लेजेंड', 'डेविल', 'जस्ट लिसन', 'जट दा मुक़ाबला' उनकी प्रतिभा के उदाहरण हैं. पर ये प्रतिभा उनमें आई कहां से? आईए जानते हैं.

टुपैक शकूर को अपना आदर्श मानते थे मूसेवाला

आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धू का बचपन से ही पढ़ाई में कम और म्यूजिक में ज़्यादा मन लगता था. पंजाबी स्टीरियोटाइप तोड़ते हुए वो स्कूली दिनों में ही इंग्लिश रैप और हिपहॉप म्यूजिक के करीब आ गए. इसी बीच दुनिया के ‘वन ऑफ द बेस्ट रैपर ऑफ ऑल टाइम' ने सिद्धू के मन पर गहरी छाप छोड़ी. हम बात कर रहे हैं अमेरिकन रैपर टुपैक शकूर की. जिनके नाम सबसे ज़्यादा बिकने वाले रैप आर्टिस्ट का गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है. सिद्धू टुपैक के गाने सुनते और उनका मतलब समझने की कोशिश करते. धीरे-धीरे सिद्धू ने टुपैक के स्टाइल को कॉपी करना शुरू कर दिया और पंजाबी में अपने गाने कम्पोज़ करने लगे.  रेस्ट इज़ हिस्ट्री.

फैन आर्ट क्रेडिट : Inkquisitiveart

कौन थे ‘वन ऑफ द बेस्ट रैपर ऑफ ऑल टाइम' टुपैक शकूर

टुपैक विश्व के सबसे ज़्यादा सेलिब्रेटेड रैपर्स में से एक हैं. उनके गानों में एक अनूठी सोशल कॉमेंट्री झलकती है.  'सो मैनी टियर्स', 'कैलिफोर्निया लव' और '2 ऑफ अमेरिकाज़ मोस्ट वॉन्टेड' जैसे उनके कुछ गानें बहुत फेमस हैं. उनका जन्म १६ जून 1971 को न्यूयॉर्क सिटी में हुआ था. उनके पिता बिली गारलैंड और मां अफेनी शकूर ब्लैक पैंथर पार्टी के सदस्य थे. इसीलिए उन पर कई क्रिमिनल चार्जेज़ लगे. टुपैक उनके जीवन में खुशियां लेकर आए. उनके जन्म से ठीक एक महीने पहले ही उनकी मां को 150 अलग-अलग मुकदमों से बरी किया गया. टुपैक का बचपन आर्थिक तंगी में गुज़रा. पहली बार स्कूल में उन्होंने एक प्ले किया और उन पर ऐक्टर बनने का भूत सवार हो गया.

स्कूल के दिनों में ही टुपैक बन गए थे रैपर 

1986 में टुपैक का परिवार बाल्टिमोर (मैरीलैंड) चला आया. चूंकि उनके माता-पिता विस्थापित होते रहे. इसलिए टुपैक ने कई अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई की. ऐसे में उनके पास कई नई जगहों का अनुभव था. स्कूलिंग के समय ही वो एक अच्छे रैपर बन चुके थे. रैपिंग स्किल निखारने के लिए उन्होंने पोएट्री क्लासेस लेनी शुरू की. जल्द ही वो ‘स्ट्रिक्टली डोप’ ग्रुप के साथ जुड़ गए. 1990 में उन्होंने हिप हॉप ग्रुप डिजिटल अंडरग्राउंड के साथ भी काम किया. 1991 के अंत में उन्होंने अपना सोलो एल्बम ‘2 पैकिलिप्स नाउ’ रिलीज किया. यह उस वक्त के कई अहम मुद्दों जैसे रेसिज़्म, पॉवर्टी, वॉयलेंस और टीनऐज प्रेगनेंसी पर आधारित था.

अमेरिकन रैपर टुपैक शकूर

टुपैक का दूसरा एल्बम 1993 में रिलीज़ किया गया और यह उनके पहले एल्बम से कहीं ज्यादा सफल साबित हुआ. इसी एल्बम से टुपैक की लोकप्रियता बढ़ी. आगे चलकर उन्होंने बिग साइकी, मोप्रीम शकूर और रेटेड आर के साथ मिलकर ‘ठग लाइफ’ नाम का एक ग्रुप बनाया. इस ग्रुप का पहला एल्बम ‘ठग लाइफ 1’ 1994 में आया यह टुपैक का सबसे सफल एल्बम साबित हुआ. 

जेल से निकलकर एक अलग ज़ोन में चले गए थे शकूर

उन पर लगे कई तरह के आरोपों के चलते उन्हें जेल में रहना पड़ा. इस दौरान उन्होंने किताबें पढ़ी और म्यूजिक पर काम करना जारी रखा. जेल से निकलकर उन्होंने मार्च 1995 में अपना तीसरा एल्बम ‘मी अगेंस्ट द वर्ल्ड’ रिलीज किया. ये लॉन्च होते ही सबका फेवरेट बन गया और बिलबोर्ड चार्ट्स के टॉप पर भी पहुंच गया. टुपैक के ज़िंदा रहते उनका आखिरी एल्बम ‘ऑल आइज़ ऑन मी’ 1996 में रिलीज़ हुआ था.  

पिक क्रेडिट: Pradyuman Singh(Twitter Handle)

टुपैक सरीखा ही रहा मूसेवाला का अंत 

फिर वो दिन आया जिसने संगीत जगत को शोक से भर दिया. 7 सितंबर 1996 को टुपैक कुछ दोस्तों के साथ लास वेगास में माइक टायसन का मैच देखकर लौट रहे थे. ठीक तभी रास्ते में हमलावरों ने उनपर फायरिंग शुरू कर दी और एक के बाद एक चार गोलियां उनके शरीर में उतार दी. दो सीने में, एक बांह में और एक जांघ पर. उन्हें अस्पताल ले जाया गया. वो हॉस्पिटल में छह दिनों तक जीवन और मौत के बीच झूलते रहे. और अंत में सिर्फ़ 25 की उम्र में 13 सितंबर 1996 को दम तोड़ दिया. इसे नियति कहें या इत्तेफाक. सिद्धू मूसेवाला ने जिसे बचपन से अपना गुरु माना, एकलव्य के जैसे जिसके नक्शे कदम पर चलकर उन्होंने सफलता की सीढ़ियां चढ़ी, उनके जीवन का अंत भी बिल्कुल अपने गुरु की तरह हुआ. 29 मई को उन पर गोलियां चलीं और वो 28 की उम्र में अपनी संगीतमय दुनिया छोड़कर चले गए. 

सिद्धू मूसेवाला मर्डर पर केजरीवाल की प्रतिक्रिया