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कौन थे आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई, जिनके बनाए सेट्स के चर्चे हीरो-हीरोइन से ज़्यादा हुआ करते थे?

जब हॉलीवुड के बड़े डायरेक्टर ने इंडिया के स्टूडियो रिजेक्ट किए, तो नितिन देसाई ने खुद का स्टूडियो खड़ा कर दिया था. 1 अगस्त की रात महज़ 58 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया.

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2003 में नितिन ने प्रोडक्शन की दुनिया में भी कदम रखा.

साल था 2000. अजय देवगन और काजोल की एक फिल्म आ रही थी. नाम था 'राजू चाचा'. अजय और काजोल साथ में किसी फिल्म में काम कर रहे थे, तो फिल्म का बज़ बनना लाज़मी था. इन दोनों के अलावा एक और नाम था, जो इस दौरान खूब चर्चा में था. ये कोई फ़िल्मी सितारा नहीं था. ये थे फिल्म के आर्ट डायरेक्टर नितिन चंद्रकांत देसाई. चंद्रकांत देसाई और 'राजू चाचा' के लिए बनाए हुए उनके सेट के बारे में हर कोई बात कर रहा था. चर्चा थी कि 'राजू चाचा' का सेट बनाने में 4 करोड़ का खर्च आया है. जो उस समय के हिसाब से बहुत सारा पैसा था. ये बात अखबारों की सुर्खियां बन रही थी. तमाम फ़िल्मी मैगज़ीन्स में इस पर आर्टिकल लिखे जा रहे थे. नितिन देसाई एक बड़ा नाम थे. आगे बढ़ने से पहले आपको ये भी बता देते हैं आर्ट डायरेक्टर वो व्यक्ति होता है, जो किसी भी सीन को जीवंत करने का काम करता है. कौन सा सीन परदे पर कैसा दिखेगा, सेट कैसा बनेगा, ये सब डिसाइड करने का काम होता है आर्ट डायरेक्टर का. नितिन देसाई ने सिर्फ 'राजू चाचा' का ही आर्ट डायरेक्शन नहीं किया था. '1942: A Love Story', 'सलाम बॉम्बे', 'मिशन कश्मीर','गांधी, माई फादर', और ‘दोस्ताना’ जैसी कई फिल्मों में बतौर आर्ट डायरेक्टर काम किया था. इसके अलावा 'हम दिल दे चुके सनम', 'लगान', 'देवदास', 'स्वदेस', 'मंगल पांडे' और प्रेम रतन धन पायो' जैसी फिल्मों में उन्होंने प्रोडक्शन डिज़ाइन का ज़िम्मा संभाला.

एन. डी. स्टूडियो में लगा ‘जोधा अकबर’ का सेट 

1-2 अगस्त 2023 की रात को नितिन देसाई का देहांत हो गया. वो अपने कमरे में मृत पाए गए. आज हम उनके करियर के कुछ मोमेंट्स रीविजिट करेंगे. 

# 13 दिन लगाकर बनाया था करियर का पहला सेट 

जैसे हमारी पहली जॉब, पहली सैलरी, पहला रिलेशनशिप ख़ास होता है, वैसे ही नितिन देसाई ने भले ही कितने सेट बनाए हों, उनका पहला सेट उनके लिए बहुत ख़ास था. पहले सेट के बारे में बॉक्स ऑफिस मोशन नाम के यूट्यूब चैनल से बात करते हुए उन्होंने बताया था,

‘13 दिन 13 रातें लगाकर, दिन रात मेहनत करके हमने वो भव्य सेट बनाया. वो एक मीनार थी. 7 दिन बाद जब शूटिंग ख़त्म हुई, तो उस सेट को डिसमैंटल करना था. मेरे पेट में अजीब होने लगा. मुझे लगा कि इतनी मेहनत और रिसर्च करके हमने ये सेट तैयार किया और अब इसे हटाना पड़ेगा. मैंने सोचा इसे हटाया जाए, उससे पहले इसकी एक फोटो ले लेता हूं. जब मीनार गिर रही थी, मैं वहीं पर खड़ा था. मैं कूदा और बाल-बाल बचा’.

# कैसे शुरू हुआ था ये सफर?

1965 में मुंबई के मुलुंड इलाके में नितिन देसाई का जन्म हुआ.उन्होंने एल. एस. रहेजा स्कूल ऑफ़ आर्ट्स से फोटोग्राफी की पढ़ाई की. उसके बाद उन्होंने अपनी एक फोटो कलर लैब शुरू की. यानि रंगीन सेट बनाने से पहले नितिन रंगीन तस्वीरें खींचा करते थे. एक बार किसी काम के सिलसिले में प्रोडक्शन डिज़ाइनर नितीश रॉय का नितिन से मिलना हुआ. वो नितिन के काम से काफी खुश हुए और उनको फिल्मों में काम करने का सुझाव दिया. नितिन का फिल्मों से कोई वास्ता नहीं था. बात आई-गई हो गई. नितीश ने उन्हें कई बार फ़ोन किया और कहा, एक बार फिल्म सिटी आओ तो सही. एक दिन जल्दी काम ख़त्म हुआ तो नितीश रॉय नितिन को फिल्मसिटी घुमाने ले गए. वहां किसी टीवी सीरियल का सेट तैयार हो रहा था. जिसे देखकर नितिन काफी एक्साइटेड हुए.  

1987 में आए सीरियल ‘तमस’ से नितिन ने अपने आर्ट डिजाइनिंग के सफ़र की शुरुआत की. नितीश रॉय इसका सेट डिज़ाइन कर रहे थे और नितिन उनके चौथे असिस्टेंट के तौर पर उनके साथ जुड़ गए. यही था वो सेट, जहां 13 दिन 13 रातें लगातार नितिन ने काम किया था. नितिन इस दौरान घर नहीं गए. घरवालों को लगा नितिन कहीं खो गए हैं. पुलिस स्टेशन जाने तक की नौबत आ गई थी. अपने इंटरव्यू में नितिन ने बताया,

‘मैं उस सेट को तैयार करने के बाद घर गया और अपनी मां को बताया कि मुझे रास्ता मिल गया है’.

‘जोधा अकबर’ का ये भव्य सेट नितिन देसाई ने बनाया था 

# ढेर सारा काम किया और सब उम्दा क्वालिटी का 

‘तमस’ के बाद उन्होंने लगभग साढ़े पांच साल तक टीवी सीरियल 'कबीर' में काम किया. 1991 में आई एक और टीवी सीरीज 'चाणक्य' के 25 एपिसोड्स तक वो नितीश के असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे थे. 26 वें एपिसोड से उन्होंने इंडिपेंडेंटली आर्ट डायरेक्टर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया. 1993 में अधिकारी ब्रदर्स की फिल्म 'भूकंप' से नितिन ने फिल्मों की दुनिया में कदम रखा. लेकिन उन्हें पहचान दी, 1994  में आई विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म '1942: A Love Story' ने. नितिन और विधु विनोद चोपड़ा का कॉलेबोरेशन यहीं नहीं रुका. आगे चलकर उन्होंने ‘करीब’, ‘मिशन कश्मीर’, ‘मुन्ना भाई MBBS’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ जैसी फिल्मों में साथ काम किया. इसके अलावा नितिन ने संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ और ‘देवदास’, आशुतोष गोवारिकर की ‘लगान’, ‘व्हाट्स योर राशि’, ‘स्वदेस’ जैसी फिल्मों पर भी काम किया. ‘देवदास’ के आंखें चौंधियाने वाले सेट्स उन्हीं का कमाल थे. ‘लगान’ में अंग्रेज़ों के ज़माने का माहौल उन्होंने ही बनाया था.

2003 में नितिन ने प्रोडक्शन की दुनिया में भी कदम रखा. उनकी पहली फिल्म थी ‘देश देवी मां आशापुरा’. उसके बाद उन्होंने मराठी हिस्टोरिकल टीवी सीरीज बनाई. नाम था 'राजा शिवछत्रपति'. ये बहुत बड़ा हिट शो रहा. 2019 में पैंडेमिक के दौरान 'रामायण' की तरह इसे भी दोबारा टीवी पर दिखाया गया. नितिन बतौर एक्टर भी काम कर चुके हैं. राम गोपाल वर्मा की ‘दौड़’ में. नितिन को अपने काम के लिए चार नेशनल अवार्ड्स और कई फिल्मफेयर अवार्ड्स मिल चुके हैं. 

‘देवदास’ के एक सीन की तस्वीर. ये सेट नितिन देसाई ने ही बनाया था

# कैसे बना ND स्टूडियो?

नितिन देसाई ने आगे चलकर अपना स्टूडियो भी बनाया. एन. डी. स्टूडियो के नाम से. इसे शुरू करने की कहानी भी काफी दिलचस्प रही. हॉलीवुड में एक फिल्म बन रही थी. नाम था Alexander. उसको Oliver Stone डायरेक्ट कर रहे थे. ऑलिवर इंडिया आए और उन्होने नितिन देसाई को आर्ट डायरेक्टर के तौर पर साइन कर लिया. जब उन्होंने यहां पर सेट्स और स्टूडियोज देखे, तो उन्हें वो फिल्म के हिसाब से माकूल नहीं लगे. उन्होंने इंडिया में शूट करने का अपना फैसला बदल दिया और मोरक्को चले गए. उसके बाद नितिन ने डिसाइड किया कि वो अपना स्टूडियो शुरू करेंगे. वो रिसर्च के लिए बॉम्बे से नासिक, पुणे और अहमदाबाद जाया करते थे. उन्होंने कई जगहें देखीं लेकिन उनको कोई जगह पसंद नहीं आई. अब तक नितिन स्टूडियो के लिए 59 जगहें देख चुके थे. फिर वो कर्जत पहुंचे. उन्हें लगा कि यही वो जगह है, जहां पर एक इंटरनेशनल लेवल का अच्छा स्टूडियो बनाया जा सकता है. 2005 में उन्होंने 52 एकड़ में फैले इस स्टूडियो की शुरुआत की. इस स्टूडियो में ‘जोधा अकबर’, ‘बिग बॉस’, ‘बाजीराव मस्तानी’, ‘स्लमडॉग मिलिनेयर’ जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स शूट हुए हैं. 

नितिन देसाई का महज़ 58 साल की उम्र में देहांत हो गया. अक्षय कुमार से लेकर परिणीती चोपड़ा तक कई फ़िल्मी सितारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. नितिन अपने पीछे अपने सेट्स की तरह ही एक भव्य-दिव्य लेगेसी छोड़ गए हैं.