Jammu Kashmir के Pahalgam में 22 अप्रैल को हुए Terrorist Attack के बाद पूरा देश आक्रोश में है. लोग तरह-तरह से अपना ग़ुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं. इसी बीच 2008 में आई फिल्म Shaurya का एक सीन वायरल हो रहा है. इसमें Kay Kay Menon, ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप सिंह के किरदार में हैं. और ख़ून में उबाल लाने वाली स्पीच दे रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि फिल्म में केके मेनन ने विलन का रोल किया था. इस वायरल सीन में वो हेट स्पीच दे रहे हैं. मगर उनके डायलॉग का एक हिस्सा लोग पहलगाम हमले के बाद अपने विचार व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं कुछ यूज़र्स इससे ख़ुश नहीं हैं. क्योंकि इस किरदार का वक्तव्य उन्हें सही नहीं लगता.
पहलगाम हमले के बाद 'शौर्य' से केके मेनन का सीन वायरल, डायरेक्टर बोले- "इसको हीरो कब बना दिया?"
Shaurya से Kay Kay Menon का खून मे उबाल लाने वाला 17 साल पुराना डायलॉग वायरल. केके ने बताई उस सीन के पीछे की कहानी.

‘शौर्य’ फिल्म इस सीन में ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद कड़े निर्णय लेने की बात कह रहे हैं. वो संवाद कुछ यूं है -
"इनोसेंट? AK-47 लेके घूमते हैं हाथ में लॉलीपॉप की तरह. इनोसेंट? बच्चे नहीं हैं. टाइम बम है साले. आतंकवादी के पिल्ले हैं."
पहलगाम हमले के बाद इस डायलॉग को लोग धड़ल्ले से सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. ये डायलॉग वायरल होने के बाद बॉलीवुड हंगामा ने 'शौर्य' के डायरेक्टर समर खान से बात की. समर खान ने कहा,
“1993 में आई 'डर' में शाहरुख खान के किरदार को भी कई लोग हीरो मानते हैं. इस पर आपका बस नहीं हैं. इसलिए जो है सो है.”
समर खान से पूछा गया कि फिल्म में के के मेनन का किरदार नेगेटिव है. वो पॉजिटिव कब और कैसे बन गया? क्या उन्हें इसका अंदाज़ा है? इस पर समर ने कहा,
"मुझे इसका कोई आइडिया नहीं है. सोशल मीडिया का अपना दिमाग है. चीज़ों और घटनाओं को देखने का बिल्कुल अलग नज़रिया है. इसलिए मैं ये नहीं बता सकता कि ये किरदार हीरोइक कब और कैसे हुआ. किसी भी बात को उसके संदर्भ से हटाकर सुनेंगे, तो उसके मायने बिल्कुल बदल जाते हैं. इस सीन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. संदर्भ बदल दिया गया. आपको देखना होगा कि इस सीन से पहले और बाद में क्या हुआ. तब जाकर पूरी बात समझ आएगी."
फिल्म 'शौर्य' स्वदेश दीपक के हिंदी नाटक 'कोर्ट मार्शल' पर आधारित है. इसमें कुछ एलिमेंट हॉलीवुड क्लासिक 'अ फ्यू गुड मेन' से भी लिए गए हैं. जातिगत खींचातान और मिलिट्री एथिक्स की गहरी शिनाख्त करती है ये फिल्म. के के मेनन इसमें भारतीय सेना का एक आलमक़ाम अफसर है. उस पर नकली एनकाउंटर का आरोप है. कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया चल रही है, और ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप को अपने कड़े फ़ैसले पर कोई अफ़सोस नहीं है. वो दो टूक जवाब दे रहा है. कह रहा है कि इन हालात में और क्या सही होता.
जब केके मेनन लल्लनटॉप के खास प्रोग्राम 'गेस्ट इन द न्यूज़रूम' में पहुंचे थे, तब उनसे 'शौर्य' के इस सीन के बारे में बात की गई. उनसे पूछा गया कि उनके इस डायलॉग को लोग अपनी-अपनी पॉलिटिक्स के हिसाब से इस्तेमाल करते हैं. क्या केके ने कभी उस किरदार के बारे में सोचा कि आज के समय में उसकी कैसी व्याख्या होती है? इस पर केके ने कहा,
"नहीं. मैं वो सब चीज़ें करता नहीं हूं. मेरे पास और भी काम हैं. जो भी उस परफॉरमेंस के लिए तारीफें मिलती हैं, वो सिर आंखों पर. वो ऐसी चीज़ थी, जो मौके पर ही हुई. मुझे नहीं पता था कि मैं किस तरह से बोलूंगा. मुझे नहीं पता था कि वो सीन किस तरह से होगा. इनफैक्ट, राहुल (बोस) थे भी नहीं वहां पर मुझे क्यू देने के लिए. तो एक असिस्टेंट ने इतनी भावना से भरा हुआ क्यू दे दिया कि उससे मैं टूट पड़ा. वो उस पल की सच्चाई है. वो वहां से कहां-कहां चला गया. इसलिए मैं ये नहीं मानता कि वो मेरी परफॉरमेंस है. क्योंकि अगर मैं दोबारा वो करने जाऊं, तो वो कुछ अलग हो जाएगा. मुझे पता है कि उसे समझना थोड़ा मुश्किल है. लोगों को लगता है कि मैं कुछ ज़्यादा ही आध्यात्म की बातें कर रहा हूं. मगर ऐसा नहीं है. कुछ चीज़ें होती हैं, जो आप पूरी तरह सरेंडर करेंगे, तो आपको कहीं ले जाएगी. और यही चीज़ इस मोनोलॉग के साथ हुआ था. 'वो बच्चे नहीं हैं...' ये डायलॉग जिस सुर पर निकला है, वो इसलिए कि उस असिस्टेंट ने ऐसे होकर कहा कि 'अरे वो तो बच्चे हैं...'. फिर मेरे मुंह से निकला धाड़ करके. वो कभी उस तरह से प्लान नहीं किया गया था."
पहलगाम हमले के बाद कई लोग इससे रिलेट कर रहे हैं. और इसे ही सही रास्ता मान रहे हैं. ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फिल्म का ये कोर्ट रूम सीन शेयर कर रहे हैं, जिसमें मेनन और राहुल बोस के बीच बहस छिड़ी हुई है. 'शौर्य' में जावेद जाफ़री, दीपक डोबरियाल और मिनीषा लाम्बा भी अहम किरदारों में हैं.
ये पहली बार नहीं है जब के के मेनन का डायलॉग बिना कॉन्टेक्स्ट के वायरल हुआ है. उनकी पावरफुल एक्टिंग के चलते 'गुलाल' और ABCD का डायलॉग भी अलग-अलग मौकों पर वायरल होते रहे हैं. इन रोल्स में उनकी परफॉरमेंस इतनी कन्विसिंग हैं कि लोग उनके नेगेटिव किरदार की कही गई बातों को भी सही मान लेते हैं. बहरहाल, 'शौर्य' जब रिलीज़ हुई, तब तो बॉक्स ऑफिस पर ख़ास कमाई न कर सकी, मगर बोल्ड राइटिंग और पावरफुल एक्टिंग के लिए फिल्म को क्रिटिक्स की तारीफ़ मिली. और बीतते समय के साथ इसे कल्ट का दर्जा हासिल हो गया.
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