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भारत की सबसे महंगी फिल्म Kalki 2898 AD की असली कहानी ये है

Nag Ashwin की Kalki 2898 AD में Kamal Haasan, Prabhas, Deepika Padukone, Amitabh Bachchan ने अहम रोल किए हैं, उनकी असल पौराणिक कहानियां क्या हैं? कल्कि कैसे जन्मे और कलि को कैसे मारा, पढ़ें ये पुराण कथा, विस्तार से.

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फ्यूचर में सेट Kalki 2898 AD के पात्र और वो कल्कि जिनकी कथा पुराणों में वर्णित है.

इंडिया में एक नया महत्वाकांक्षी सिनेमैटिक यूनिवर्स बनने जा रहा है. कहने को साइंस फिक्शन है. लेकिन इसकी जड़ें भारतीय पुराणों में है. 27 जून, 2024 को रिलीज़ हुई इस साई-फाई एपिक Kalki 2898 AD को डायरेक्ट किया है Nag Ashwin ने.

करीब 600 करोड़ रुपये के बजट में बनी ये विशाल फ़िल्म और इसकी सीरीज़ महाभारत से लेकर 2829 तक, 6000 साल के कालखंड में घटती है. इसमें Prabhas, Amitabh Bachchan, Deepika Padukone, Kamal Haasan और Disha Patni जैसे एक्टर्स ने काम किया है. ये लोग इसमें कल्कि (भैरवा), सुप्रीम यासकिन, पद्मा और अश्वत्थामा जैसे किरदार निभाएंगे. दर्शकों को बेसब्री से इंतज़ार है कि इस कहानी या इस फ्रैंचाइज़ में क्या क्या दिखेगा, लेकिन मेकर्स ने रिलीज़ से पहले ज़्यादा कुछ रिवील नहीं किया. 

नाग अश्विन की फ़िल्म फ्यूचर में सेट है लेकिन उनकी ये कथा शृंखला हज़ारों साल पहले कल्कि की कथा से शुरू होती है. अश्वत्थामा जैसे पौराणिक किरदार इसमें आ मिलते हैं. इसके अलावा फ़िल्म में क्या-क्या दिख सकता है, कहानी इन उतार-चढ़ावों से गुजर सकती है, इनमें कैसे कैसे किरदार होंगे, इन सबके जवाब मिल सकते हैं कल्कि की मूल पौराणिक कथा से. जिसके मुताबिक कलियुग जब चरम पर होता है तो उसका अंत करने के लिए विष्णु कल्कि के रूप में जन्म लेते हैं. ये उनका दसवां अवतार होता है. अभी पहला चरण चल रहा है. कलयुग के आखिरी चरण में कल्कि जन्म लेंगे.

उनका जन्म कब होगा, ये ज्ञात नहीं. एक वर्जन ये है कि उनका जन्म उत्तर प्रदेश के संभल जिले में होगा और वे एक ऐसे महान योद्धा होंगे जो धरती पर से सारे पाप खत्म कर देंगे. कुछ ग्रंथों के अनुसार कल्कि का जन्म पहले ही हो चुका है. 16वीं शताब्दी में कल्कि जन्म ले चुके हैं. बौद्धकाल के कवियों की कविताओं में उल्लेख मिलता है कि कल्कि अवतार हो चुका है.      

अग्नि पुराण के 16वें अध्याय के अनुसार, कलियुग में धार्मिक लोग भी अधर्म के रास्ते पर जा रहे होंगे. जिसके बाद कल्कि का अवतार होगा. कल्कि घोड़े पर बैठकर हाथ में तीर-कमान लिए राक्षसों का वध करेंगे और आश्रमों में शास्त्रीय मर्यादा स्थापित करेंगे. राक्षसों का वध करने के बाद श्रीहरि, कल्कि रूप का त्याग करके वापस चले जाएंगे. इसके बाद पहले की तरह सतयुग का आरंभ हो जाएगा.

जून में फ़िल्म की रिलीज़ से पहले Kalki 2898 AD के फैंस के लिए प्रस्तुत है श्री कल्कि पुराण के अनुसार ये पूरी कहानी. ये कहानी हम विशुद्ध सिनेमाई स्टोरीटेलिंग के लिहाज से प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसका आधार पुराण और मान्यताएं हैं. इसका उद्देश्य वैज्ञानिक चेतना से विमुख होना नहीं है.

~ कल्कि कथा ~


वर्तमान में भी कलियुग चल रहा है. कलियुग की आयु - 4 लाख 32 हजार वर्ष है, जिसमें से 5090 वर्ष बीत चुके है. इसका पहला चरण अभी चल रहा है.

कलियुग के चौथे चरण 2599 ईस्वी में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे. वे कलियुग का नाश करके सतयुग की स्थापना करेंगे.

(1) कलि का जन्म

लेकिन प्रश्न उठता है कि आखिर कलियुग लाने वाला कलि (फ़िल्म में कमल हासन प्ले करेंगे) कहां से आया?

हुआ यूं कि ब्रह्मा जी ने प्रलय काल के अंत में अपनी पीठ से एक पातक को पैदा किया जिसे अधर्म नाम से जाना गया. मिथ्या नाम की स्त्री उसकी पत्नी बनी. इनका एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम दंभ रखा गया. पुत्री जन्मी जो माया थी. माया और दंभ के संयोग से पुत्र लोभ और पुत्री निक्रति जन्मे. लोभ और निक्रति के संयोग से क्रोध नाम का पुत्र पैदा हुआ. हिंसा नाम की एक पुत्री भी पैदा हुई. हिंसा और क्रोध के संयोग से ही जन्म हुआ कलि का.

कलि ने दुरुक्ति से शादी की. जिसके बाद भय और मृत्यु नामक पुत्र-पुत्री जन्मे. भय और मृत्यु से हजारों पुत्र पैदा हुए. ये लोग बहुत ही दुराचारी, हिंसा करने वाले बने.

धीरे धीरे ऐसा समय आ गया जिससे समाज में आपराधिक प्रवृत्तियां विकसित होने लगीं. धरती की उर्वर क्षमता कम होने लगी. नदियों का पानी सूखने लगा. लोग शराब, मांस का सेवन करने लगे. भगवान की निंदा होने लगी. धीरे धीरे लोग भगवान का नाम लेने से बचने लगे. वर्णसंकर से बच्चे पैदा होने लगे.

कलियुग का चौथा चरण आते आते सभी वर्ण खत्म होकर एक ही वर्ण के रह गए.

(2) कल्कि का जन्म

पाप का बढ़ता वर्चस्व देखकर देवतागण ब्रह्मा जी के पास गए और कलि के अत्याचारों का वर्णन करने लगे. ब्रह्मा जी देवताओं को लेकर विष्णु जी के पास पहुंचे.

विष्णु जी ने देवताओं की व्यथा सुन कहा, "मैं संभल नामक गांव में विष्णुयश और सुमति के घर में जन्म लूंगा. मेरे तीन भाई भी होंगे जिनका नाम कवि, प्राज्ञ और सुमंत्रक होगा. साथ ही कुछ देवता भी अवतार लेंगे. लक्ष्मी जी सिंघल देश के राजा ब्रहदृथ के घर पद्मा (फ़िल्म में दीपिका का रोल) नाम से जन्म लेंगी. मरु और देवापि नाम के दो राजाओं को भी मैं पृथ्वी पर स्थापित करूंगा. हे देवताओ, तुम अपने अपने अंश से पृथ्वी पर जाकर अवतार लो. ब्रह्मा जी, मैं फिर सतयुग को लाकर और पहले की ही तरह धर्म की स्थापना करके, कलिक रूपी सर्प का नाश करूंगा और अपने लोगों को वैकुण्ठ को वापस लाऊंगा."

और एक समय बाद पृथ्वी पर विष्णु ने अपना दसवां अवतार लिया. वे कल्कि (भैरवा - प्रभास का रोल) के रूप में जन्मे. ये जानकर पृथ्वी पर मौजूद पेड़, पौधे, नदियां, समुद्र, पर्वत, पशु पक्षी सब आनंदित होकर नाचने लगे.

(3) सात चिरंजीवी

कल्कि अवतार के बाद सात चिरंजीवियों में गिने जाने वाले परशुराम, कृपाचार्य, वेद व्यास और अश्वत्थामा भिक्षुक का रूप धरकर विष्णुयश और सुमति के घर पधारे. बालक रूपी कल्कि को प्रणाम करके ये चिरंजीवी वापस लौट गए. कल्कि को जब अपने पिता से कलि के दुराचार के बारे में पता चला तो उनके मन में उसका नाश करने की इच्छा जागी.

(4) परशुराम की शिक्षा

इसके बाद कल्कि गुरुकुल में वास करने के लिए जाने लगे. गुरुकुल में जाते कल्कि को देख परशुराम उन्हें अपने आश्रम ले गए और कहा कि - "मैं तुम्हें शिक्षा दूंगा." कल्कि गुरु परशुराम से शिक्षा ग्रहण करने लगे.

परशुराम ने कल्कि से कहा कि - "कलि का विनाश करने के लिए ही तुम्हारा जन्म हुआ है. मुझसे शिक्षा ग्रहण करने के बाद तुम भगवान शिव से अस्त्रों को प्राप्त करोगे.

शिव ने कल्कि को एक बहुरूपी घोड़ा, शुक रूपी तोता और रत्नत्सरू नाम की तलवार भेंट की. कल्कि घोड़े पर सवार होकर संभल गांव की और निकल पड़े.

(5) पद्मा- कल्कि प्रसंग  

सिंघल द्वीप के राजा ब्रहदृथ की पुत्री पद्मा शिव की भक्त थी. शिव ने प्रकट होकर पद्मा को कहा कि तुम्हारा विवाह किसी आम मनुष्य से नहीं बल्कि नारायण रूपी कल्कि से होगा. हालांकि ब्रहदृथ ने पद्मा की शादी के लिए कई राजाओं को आमंत्रित किया. परंतु भगवान शिव के कहे अनुसार, जो भी पद्मा को कामवासना की दृष्टि से देखेगा वो एक स्त्री बन जाएगा. इससे कारण पद्मा की किसी राजा महाराजा से शादी नहीं हो सकी.

कल्कि के कहने पर शुक रूपी तोता सिंघल देश के राजा ब्रहदृथ के घर गया. वहां जाकर उसने पद्मा को कल्कि के बारे में बताया, कि कल्कि से तुम्हारा विवाह होगा. उसने पद्मा को कल्कि से मिलने के लिए कहा. पद्मा को कल्कि से मिलने को लेकर एक डर होता है. डर ये कि कहीं कल्कि भी मुझे देखने के बाद स्त्री न बन जाएं. शुक ने पद्मा को सिंघल द्वीप के पास कल्कि से मिलने के लिए कहा. पद्मा अपनी सखियों के साथ सिंघल द्वीप के बाहर कल्कि से मिलने गई. दोनों मिले. कल्कि की बातें सुनकर पद्मा प्रसन्न होकर वापस महल गईं.

राजा ब्रहदृथ को इसके बारे में पता चला तो वे सम्मान सहित कल्कि को सिंघल द्वीप ले आए. कल्कि का विवाह सिंघल द्वीप के राजा ब्रहदृथ की पुत्री पद्मा से अंततः हुआ. बाद में कल्कि और पद्मा के जय और विजय नाम के दो पुत्र हुए.

(6) मलेच्छों से युद्ध  

कल्कि दुष्टों का संहार करने के लिए अपनी सेना को लेकर कीकटपुर की और बढ़े. कीकटपुर के राजा को कल्कि के आने का पता चला तो वो भी अपनी सेना तैयार कर युद्ध के लिए चल पड़ा. कल्कि अपने भाइयों के साथ उसकी सेना पर टूट पड़े. दोनों सेनाओं के बीच युद्ध देख पृथ्वी पर मौजूद लोग घबराने लगे. युद्ध के मैदान में खून की नदियां बह रही थी. जब दुष्टों/मलेच्छों की सेना के लोग मरने लगे तो उनकी पत्नियां भी युद्ध के मैदान में आ पहुंची.

कल्कि उनसे युद्ध नहीं करना चाहते थे. जिसके बाद उन्होंने उन महिलाओं की तारीफ करनी शुरू कर दी कि आप जैसी सुंदर स्त्रियों से कोई कैसे युद्ध कर सकता है. उन्हें धर्म की बात समझाने लगे. उनकी बातें सुनकर वे स्त्रियां युद्ध छोड़कर कल्कि की शरण में आ गईं. कीकटपुर की सेना और मलेच्छों को हराकर कल्कि वापस लौट गए.

(7) कुथोदरी का वध

इसके बाद कल्कि अपने स्वजनों के साथ वक्रतीर्थ नामक जगह पर आ गए. एक बार कुछ ऋषि-मुनि कल्कि के पास पहुंचे और अपनी रक्षा करने की बात कहने लगे. उन्होंने कहा - कुंभकर्ण के पुत्र निकुंभ की पुत्री कुथोदरी एक कलकंज नामक राक्षस की पत्नी है. वह राक्षसी आसमान जितनी ऊंची है. वह इतनी विशाल है कि अगर अपने पुत्र को स्तनपान भी कराना हो तो हिमालय पर्वत पर अपना माथा और निषधांचल पर पैर रखकर स्तनपान कराती है. हम उसकी सांसों से परेशान होकर यहां आए है.

उस राक्षसी की सांसें इतनी तेज थीं कि जंगली हाथी भी उसकी सांसों से टकराकर दूर जाकर गिरते थे. कल्कि उससे युद्ध करने गए. कुथोदरी क्रोध में आ गई. उसने एक बार में ही कल्कि समेत सारी सेना को अपनी सांसों के साथ पेट में समा लिया. बाद में कल्कि उसका पेट चीरकर अपनी सेना के साथ बाहर निकले और उसका वध कर दिया.

(8) कलि का वध

इसके बाद कल्कि धर्म की स्थापना करने के लिए संसार की यात्रा पर निकल गए. कुछ समय व्यतीत हुआ. लोग कलि से परेशान होकर कल्कि के पास आए. कल्कि मलेच्छों को हराने के लिए कलि के निवास स्थान पर चले गए. कलि के निवास स्थान के पास से गोमांस की बदबू, लड़ाई-झगड़े, जुए का अड्डा दिखाई दे रहा था.

कलि की नगरी एक बेहद डरावनी दिखने वाली जगह थी. कल्कि के वहां आने से कलि क्रोधित हो गया. वो अपने बेटों, पोतों सहित अपनी नगरी (विशसन) से बाहर आया और कल्कि की सेना से युद्ध करने लगा.

दोनों सेनाओं के बीच भयंकर लड़ाई हुई. लाखों लोग ख़ून से लथपथ पड़े थे. कलि युद्ध में घायल होकर अपनी नगरी में वापस भाग खड़ा हुआ.

कल्कि की सेना के “धर्म” ने कलि की नगरी सहित कलि को भी अपने बाणों से जला दिया. चारों तरफ कल्कि के जयकारे गूंजने लगे.

अब धरती पर सत्य और धर्म का विरोध करने वाला कोई नहीं बचा था. देवताओं के आग्रह के बाद कल्कि अपने पुत्रों का राज्याभिषेक कर खुद वैकुंठ के लिए चले गए.

इसके बाद हिमालय पर्वत पर कल्कि देवताओं की बीच प्रकट हुए और वापस विष्णु रूप धारण कर लिया.    

(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे साथी वैभव ने लिखी है.)

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