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'जुनून': राहुल रॉय के करियर की दूसरी बड़ी फिल्म, जहां उन्होंने शेर बनकर उत्पात मचाया

अब कॉमेडी लगने वाली ये फिल्म नाइंटीज़ के बच्चों की सुपर-फेवरेट थी.

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राइट में 'जूनून' का पोस्टर है. लेफ्ट में 'एन अमेरिकन वेयरवुल्फ इन लंडन' का सीन है.

अगर अर्ली नाइंटीज़ में किसी से पूछा जाता कि राहुल रॉय, सलमान, शाहरुख़, आमिर में से कौन सबसे बड़ा स्टार बनेगा. तो 90% लोग राहुल रॉय का नाम लेते. राहुल की 'आशिकी' इतनी ज़बरदस्त हिट हुई थी कि लग रहा था आने वाले सालों में राहुल रॉय का स्टारडम पिछले सभी स्टार्स को मात दे देगा. अब इसे फूटी किस्मत कहें या खराब सिलेक्शन, 'आशिकी' के बाद राहुल रॉय वैसी सफ़लता दोहराने में कामयाब नहीं हो पाए. एक के बाद एक लाइन से उनकी फ़िल्में पिटने लगीं. ऐसा लग रहा था वो बस 'वन हिट वंडर' बन कर रह जाएंगे. ऐसे दौर में एक फ़िल्म रिलीज़ हुई. जिसने राहुल के तेज़ी से डूबते करियर को बहुत मजबूत सहारा दिया. फ़िल्म का नाम था 'जुनून'. ये फ़िल्म राहुल रॉय के करियर की दूसरी बड़ी हिट रही. सितंबर 2021 में फ़िल्म की रिलीज़ के 29 साल पूरे हुए. आज हम इसी फ़िल्म से जुड़े सुने-अनसुने-कमसुने किस्से जानेंगे.

#हॉलीवुड फ़िल्म का रीमेक थी 'जुनून'

1981 में एक हॉलीवुड फ़िल्म आई थी 'एन अमेरिकन वेयरवुल्फ इन लंदन'. ये फ़िल्म एक हॉरर कॉमेडी फ़िल्म थी. 'एन अमेरिकन वेयरवुल्फ इन लंदन' को लिखा और डायरेक्ट किया था जॉन लैंडिस ने. रोचक बात ये है कि जॉन ने इस फ़िल्म को लिख तो 1969 में ही लिया था. जिसके बाद पूरे दस साल तक उनकी ये स्क्रिप्ट ठंडे बस्ते में पड़ी रही थी. इसकी वजह ये थी कि जो भी प्रड्यूसर स्क्रिप्ट पढ़ता, वो कहता फ़िल्म की कहानी हॉरर फ़िल्म के हिसाब से बहुत कॉमिक है. और कॉमिक फ़िल्म के हिसाब से बहुत हॉरर है. पूरे दस साल बाद ही सही, आखिर जॉन ने प्रड्यूसर जुटा ही लिया. और जैसे-तैसे 1981 में  'एन अमेरिकन वेयरवुल्फ इन लंदन' रिलीज़ हुई. फ़िल्म को क्रिटिक्स ने और जनता ने खूब सराहा. साथ ही फ़िल्म को बेस्ट मेकअप के लिए ऑस्कर अवार्ड भी मिला . 1997 में इस फ़िल्म का सीक्वल भी रिलीज़ हुआ. फ़िल्म का नाम था 'एन अमेरिकन वेयरवुल्फ इन पैरिस'.
'एन अमेरिकन वेयरवुल्फ इन लंदन' का दृश्य.
'एन अमेरिकन वेयरवुल्फ इन लंदन' का दृश्य.

 

 # इत्तफाकन तस्वीर देखकर महेश भट्ट ने राहुल रॉय को लॉन्च किया

राहुल रॉय की मम्मी इंदिरा रॉय मैगज़ीन राइटर थीं. एक दिन किसी काम के सिलसिले में महेश भट्ट उनके घर गए. ड्रॉइंग रूम में महेश और इंदिरा जी की कुछ बात चल ही रही थी कि महेश भट्ट की नज़र दीवार पर टंगी राहुल रॉय की फोटो पर पड़ी. महेश भट्ट ने पूछा ये कौन है? मेरा लड़का है, इंदिरा ने जवाब दिया. महेश भट्ट ने आगे पूछा कि क्या करता है, तो इंदिरा बोलीं मॉडलिंग करता है. ये सुन महेश भट्ट ने इंदिरा से कहा वो राहुल को जल्दी ही फ़िल्मों में लॉन्च करेंगे और जैसा कि आप सब जानते ही हैं महेश अपने वादे पर खरे उतरे. उन्होंने राहुल को 'आशिकी' से लॉन्च किया. जिससे राहुल रॉय रातोंरात सुपरस्टार बन गए.
'आशिकी' से जो सफ़लता राहुल को मिली उसे दोहराने में राहुल असफ़ल हो रहे थे. एक के बाद एक फ़िल्में लगातार फ्लॉप हो रहीं थीं. ऐसे में महेश भट्ट एक बार फ़िर सेवियर बन कर राहुल के रेस्क्यू के लिए आए. उन्होंने राहुल के साथ 'जुनून' बनाने का फैसला किया. 'जुनून' राहुल के करियर की दूसरी सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई.

राहुल रॉय.
राहुल रॉय.

 

 #टी-सीरीज़ ने प्रेशर देकर गाने कराए

फ़िल्म 'जुनून' तो बाद में हिट हुई, 'जुनून' का म्यूज़िक पहले ही भयंकर हिट हो चुका था. फ़िल्म के 'प्रेम प्रेम, ओ मेरी दिलरुबा', 'दीवारों पे लिखा है तेरा नाम' जैसे गाने ज़बरदस्त हिट होते नज़र आए. फ़िल्म के ज़्यादातर गाने विपिन सचदेवा और अनुराधा पौड़वाल ने गाए थे. लेकिन शायद ये बात आप में से बहुतों को पता नहीं हो, इस फ़िल्म के म्यूजिक डायरेक्टर नदीम-श्रवण विपिन की बजाय कुमार सानू से फ़िल्म के ज़्यादातर गाने गवाना चाहते थे. लेकिन म्यूजिक प्रड्यूसर टी सीरीज़ के प्रेशर के चलते वो ऐसा कर नहीं पाए. टी सीरीज़ ने स्पेशल तौर पर विपिन से गाने गवाने का आग्रह किया था.

 

 # माइकल जैक्सन कनेक्शन

1982 में माइकल जैक्सन की अल्बम रिलीज़ हुई थी, 'थ्रिलर'. इस अल्बम के टाइटल ट्रैक का ऑफिशियल वीडियो शायद आपने देख रखा हो. नहीं भी देखा हो तो माइकल जैक्सन का पॉपकॉर्न खाने वाला जिफ तो ज़रूर देखा होगा. वो सीन इसी म्यूजिक वीडियो का है. 'थ्रिलर' के  म्यूजिक वीडियो में एक सीन है, जिसमें माइकल जैक्सन वुल्फ यानी भेड़िये में तब्दील होने लगते हैं. माइकल जैक्सन का औऱ 'थ्रिलर' का ज़िक्र यहां करने की एक वजह है. जिस टीम ने माइकल के 'थ्रिलर 'का ये सीन फिल्माया था, उसी टीम को महेश भट्ट ने 'जुनून' के सीन के लिए भारत बुलाया था. इस एक सीन की शूटिंग में उस वक़्त 60 लाख से ऊपर का खर्चा आया था. वैसे आजतक इस फ़िल्म का टोटल बजट कितना था, फ़िल्म ने कितना कमाया इसका आंकड़ा साफ नहीं है. फ़िल्म में मॉर्फ़ करके राहुल को शेर में तब्दील किया गया था. आसान भाषा में कहें तो बहुत सारे स्टिल्स लेकर उसे एक फ्रेम में डालकर चलाना इज़ मॉर्फिंग.

 

 #दीपक पराशर ने जताई नाराज़गी

दीपक पराशर. एक्टर और मॉडल रहे हैं. अर्ली एटीज़ में विमल सूटिंग्स के ऐड में दीपक जनता की नज़रो में आए. बाद में 'शराबी', 'निकाह', 'पुरानी हवेली' जैसी कई फिल्मों में भी अहम किरदार निभाए. 'एन अमेरिकन वेयरवुल्फ इन लंडन' को पहले रामसे ब्रदर्स दीपक पराशर के साथ बनाने का प्लान कर रहे थे. रोल के लिए दीपक ने फोटो शूट वगैरह भी कर लिया था. लेकिन किसी कारण ये फ़िल्म डिले होती चली गई. इधर महेश भट्ट ने फटाक से फ़िल्म बना कर रिलीज़ भी कर दी. रोल की तैयारी में लगे दीपक पराशर बाद में महेश भट्ट और राहुल रॉय पर भयंकर झुंझलाए भी थे.