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फाइट मास्टर ने जैकी श्रॉफ को डांटा, देव आनंद बोले- 'टेक इट इज़ी, नया लड़का है, सीख जाएगा'

जैकी श्रॉफ ने सुनाया अपनी पहली फ़िल्म का किस्सा, जब देवानंद ने सिखाई थी ऐक्टिंग.

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जैकी दा का जबरदस्त किस्सा

जैकी श्रॉफ का नाम सुनते ही उनकी बिंदास भिड़ू वाली इमेज हमारी आंखों के सामने नाचने लगती है. उनकी तमाम फ़िल्में और रोल हमारे मन पर छपे हुए हैं. चाहे 'राम-लखन' हो , 'त्रिदेव', 'परिंदा', 'खलनायक', 'गर्दिश' समेत बाकी फ़िल्में. आज 40 साल होने को आए, उनका वही अंदाज़ बरकरार है. जैकी दा का यही बिंदास और सबको साथ लेकर चलने वाला अंदाज़ लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में भी दिखा. आप भी देखें:

इसी इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि अभी आप तमाम भाषाओं में 250 के आसपास फिल्में कर चुके हैं. कभी आप फर्स्ट टाइमर्स रहे थे, सेकंड लीड और थर्ड लीड रहे होंगे. तब आपके साथ किसी सीनियर का किया सबसे अच्छा या बुरा बर्ताव, जो आपको आज भी याद है. इस सवाल के जवाब में जैकी दा ने एक किस्सा सुनाया. उस किस्से से पहले कुछ आपको बता देते हैं. ताकि किस्से से आप कनेक्ट कर सकें. 

जैकी श्रॉफ को सुभाष घई की फ़िल्म 'हीरो' ने सुपरस्टार बनाया. इसी फ़िल्म के बाद उनकी बतौर अभिनेता पहचान बनी. कई लोग इसे ही उनकी पहली फ़िल्म भी समझ लेते हैं. पर उनकी डेब्यू मूवी थी 'स्वामी दादा'. इसमें देवानंद लीड रोल में थे. इसमें शक्ति कपूर भी थे. जैकी श्रॉफ फ़िल्म में उन्हीं के चमचे बने थे. अब सुनाते हैं इसी फ़िल्म का एक किस्सा, जो जैकी दा ने लल्लनटॉप को सुनाया.

एक ऐक्शन सीक्वेंस शूट होना था. उसमें देव साहब के बॉडी डबल को जैकी दा को पीठ की तरफ से पकड़कर फेंकना था. अब जैकी दा की ये पहली फ़िल्म, उन्होंने इससे पहले ऐसा कुछ किया नहीं था, उल्टा गिरने जैसा कुछ. इसलिए वो फाइट सीक्वेंस उनसे हुआ नहीं. फाइट मास्टर ने जैकी दा को डांटना शुरू किया. मास्टर जी उन पर भड़के हुए थे. उसी वक़्त देव साहब ने दखल दिया और कहा: 'टेक इट इज़ी. नया लड़का है, सीख जाएगा. सिखाओ इसे.'

जैकी के मन में ये बात बैठ गई. वो कहते हैं: 

मुझे लगा कैसे एक जूनियर आर्टिस्ट के लिए एक सीनियर टेक्नीशियन को बोल रहे हैं कि उसको गाली मत दो, उसको सिखाओ.

इसके बाद खुद देव साहब ने जैकी दा को सिखाया कि कैसे स्टंट करना है. क्या टेक्नीक होगी. जैकी दा कहते हैं, 

कितनी बड़ी बात है कि एक इतना बड़ा अभिनेता जिसको देखकर मां उनके जैसे हमारे बाल बनाती थी. देव साहब की फ़िल्में देखकर हम बड़े हुए. उनके गाने सुनते थे. वो मुझे सपोर्ट कर रहे हैं, जो सिर्फ़ शक्ति कपूर का चमचा है. वहीं से मैंने बात सीख ली. देखो वो कितने बड़े हैं और फिर भी इज़्ज़त कर रहे हैं. वो बात आजतक मेरे अंदर बैठी हुई है कि सबकी इज़्ज़त कर भाई. प्लेन का एक नटबोल्ट ढीला, तो गया पूरा प्लेन.