“मैंने ये पोर्ट्रेट बनाना तो पहले ही शुरू कर दिया था. तब इंदौर वाली घटना हुई भी नहीं थी. पहले एक अलग प्लान था. मैंने दुनिया के तमाम देशों से पुलिस और डॉक्टर्स के लिए मैसेज मंगवाए थे. तमाम मैसेज आए भी थे. उन्हीं को किसी तरह आर्ट के ज़रिये उकेरने की कोशिश कर रहा था. ये काम शुरू भी हो गया था.”फिर इंदौर में टाटपट्टी बाखल वाली घटना हो गई. वाजिद बताते हैं कि यहीं से उनको इस नई आर्ट का ख़्याल आया. उन्होंने कहा,
“लेकिन तभी इंदौर में टाटपट्टी बाखल वाली घटना हो गई. जब कुछ लोगों ने कोविड फ्रंटवॉरियर्स पर पत्थरों से हमला कर दिया. इसके बाद शहर के ही लोगों ने मुझसे कहा कि कुछ पत्थरों की वजह से पूरे शहर का नाम ख़राब हुआ है. इसलिए अब आपको पत्थरों से ही उन कोरोना वारियर्स का शुक्रिया अदा करना चाहिए. ताकि अब ये पत्थर इंदौर का असली मैसेज लोगों तक पहुंचा सकें.”बनाने में 150 बोरी पत्थर लगा ये पूरा पोर्ट्रेट 50x50 फिट का है. एक बास्केटबॉल कोर्ट में बना है. बनाने में कुल तीन हफ्ते का समय लगा. 150 बोरी से ज़्यादा पत्थर लगे. सारे पत्थरों को करीने से संजोकर पूरी आर्ट बनाई गई. लेकिन ये पत्थर किसी चीज़ से चिपके नहीं हैं. यूं ही संजोकर रखे गए हैं. धोखे से किसी का पैर भी लग गया तो सारा मामला बिगड़ सकता है. वाजिद कहते हैं कि इसे बरकरार रखने में कोर्ट के गार्ड साब बड़ी मदद कर रहे हैं. वो हमेशा इस आर्ट पर नज़र रखते हैं कि कोई बिगाड़ न दे. जब वो जाते हैं तो कोर्ट का गेट बंद कर जाते हैं. जितनी ज़्यादा ऊंचाई, उतनी ज़्यादा ख़ूबसूरती वाजिद बताते हैं कि शहर के आईजी विवेक शर्मा भी ये पोर्ट्रेट देखने आए थे. पोर्ट्रेट की ख़ास बात ये है कि जब वहीं खड़े होकर देखिए तो कोई ख़ास आकृति समझ नहीं आती. जैसे-जैसे ऊंचाई पर जाते जाएं, वैसे-वैसे ये और बेहतर दिखने लगता है. आईजी शर्मा को भी वहीं से देखकर कुछ अलग लगा नहीं, फिर उन्होंने पास की एक बिल्डिंग में ही कुछ ऊंचाई पर जाकर देखा, तब जाकर उन्हें साथी देवेंद्र की तस्वीर अच्छे से समझ आई. ऑटो पार्ट्स और नाखूनों से भी आर्ट बना चुके हैं 2 अक्टूबर 2019 को भोपाल में भी वाजिद ने पूरे मैदान में छह हज़ार से ज़्यादा बच्चों की मदद से महात्मा गांधी का चेहरा उकेरा था. [video width="640" height="352" mp4="https://akm-img-a-in.tosshub.com/sites/lallantop/wp-content/uploads/2020/05/wajid-khan-bhopal-video_030520-083024.mp4"][/video] वाजिद अलग-अलग चीजों से आर्ट्स बनाने का हुनर रखते हैं. नाखूनों से, गाड़ियों के अंजर-पंजर से, पत्थरों से, मेडिकल इक्विपमेंट से. कुछ समय पहले उन्होंने बुलेट्स से महात्मा गांधी का आर्ट बनाया था. उनके बाकी आर्ट कलेक्शन उनकी वेबसाइट https://wajidart.com/ पर देख सकते हैं. 2018 में जब लल्लनटॉप चुनावी यात्रा पर मध्यप्रदेश गया था, तो वाजिद से मुलाकात हुई थी. क्या बातें हुई थीं, वो यहां देखिए..
इंदौर में डॉक्टर्स ने पत्थर फेंकने वालों से गज़ब का बदला लिया है