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'सरफ़रोश' का लॉकअप में मार खाने वाला रोल नवाज़ुद्दीन को कैसे मिला?

नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी सरफ़रोश में ही पहली बार स्क्रीन पर दिखे थे.

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नवाज़ ने लल्लनटॉप इंटरव्यू में कई राज़ खोले

नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी पधारे म्हारे देस. माने लल्लनटॉप के न्यूज़रूम में. महफ़िल जमी. हमारे सरपंच साहब समेत पूरे न्यूज़रूप ने एक से एक सीरियस और एक से एक अतरंगी सवाल पूछे. उन्होंने अपनी ज़िंदगी और करियर के कई शानदार, जबरदस्त और जिंदाबाद किस्से सुनाए. आज नवाज़ुद्दीन साहब के जलवे हैं, धड़ाधड़ फ़िल्मों की लाइन लगी है. अगले दो साल तक उनका शेड्यूल पैक है. पर एक समय था जब उन्होंने कोई फ़िल्म नहीं की थी. फिर उन्हें आमिर खान की सरफ़रोश में पहली बार स्क्रीन पर आने का मौक़ा मिला. छोटा-सा लॉक अप में मार खाने वाला रोल उन्हें कैसे मिला, नवाज़ ने हमें बताया.

दरअसल नवाज़ के पहले उस रोल के लिए एनएसडी के उनके बैचमेट निर्मल दास को कास्ट किया जाना था. पर कुछ ऐसा हुआ कि निर्मल दास अचानक कहीं ग़ायब हो गए. उनका पता नहीं चल रहा था.

नवाज़ ने इसी इंटरव्यू में एक जगह बताया कि उस समय दिल्ली से बॉम्बे गए लगभग सभी ऐक्टर दोस्त आसपास ही रहा करते थे. उन्हें शुरुआती दौर में लगा ही नहीं कि वो मुम्बई में है. सभी दिल्ली वाले दोस्त थे. वैसा ही मंडी हाउस और एनएसडी वाला माहौल था.

हां, तो मुद्दे पर लौटते हैं. जब निर्मल दास नहीं मिले. तो नवाज़ वहीं पास ही रहते थे. उनसे ऑडिशन के लिए पूछा गया. नवाज़ ने हां कर दिया. ऑडीशन के लिए फ़िल्म के डायरेक्टर जॉन मैथ्यू के घर पहुंचे. 'सरफ़रोश' बतौर डायरेक्टर जॉन की भी पहली ही फ़िल्म थी. वो इससे पहले 'आक्रोश' और 'गांधी' में असिस्टेंट डायरेक्टर रह चुके थे. नवाज़ ने ऑडीशन दिया. सेलेक्शन हो गया. 1 मिनट का रोल मिल गया. शूटिंग हो गई. पर उनके दोस्त निर्मल दास जो ग़ायब हो गए थे. आज तक उनका कुछ पता नहीं चला. बहुत बाद में कहीं से ख़बर मिली कि निर्मल पागल हो गए. वो नवाज़ के बहुत अच्छे दोस्त थे. पर उसके बाद फिर कभी उनकी निर्मल दास से मुलाक़ात नहीं हुई.