मारियो पूज़ो. अमेरिकन लेखक. 1969 में मारियो की लिखा एक क्राइम नॉवेल पब्लिश हुआ. नाम 'गॉडफादर'. माफ़िया कोरलियोन परिवार की कहानी. पब्लिश होने के करीब दो साल तक ये नॉवेल न्यूयॉर्क टाइम्स बेस्टसेलर लिस्ट में शामिल रहा. इन दो सालों में 'नॉवेल' की 90 लाख से ऊपर कॉपीज़ बिकीं.
नॉवेल के मार्केट में आने के दो साल पहले की बात है. मारियो 'गॉडफादर' को अभी आधा भी नहीं लिख पाए थे. हॉलीवुड में आज के सबसे बड़े प्रॉडक्शन हाउसेज़ में से एक पैरामाउंट पिक्चर्स के वाइस प्रेसिडेंट पीटर बार्ट ने मारियो को उनकी किताब के राइट्स खरीदने के लिए साढ़े 12 हज़ार डॉलर का ऑफर दिया. मारियो उस वक़्त जुए में 10 हज़ार डॉलर हार चुके थे. पैसों की सख्त जरूरत थी. लिहाज़ा अपने एजेंट के मना करने के बावजूद उन्होंने ऑफर स्वीकार कर लिया. 1969 में पैरामाउंट ने 80 हज़ार डॉलर में इस नॉवेल के फ़िल्म बनाने के राइट्स भी ख़रीद लिए. और तैयारी शुरु हुई 'गॉडफादर' को बड़े पर्दे पर उतारने की.
'गॉडफादर' को स्क्रीन पर उतारने के लिए एक कुशल डायरेक्टर की ज़रूरत थी. लेकिन उस वक़्त हॉलीवुड में माफ़िया फ़िल्में एक के बाद एक पिट रही थीं. लिहाज़ा कोई भी बड़ा डायरेक्टर इस माफ़िया फ़िल्म को डायरेक्ट करने के लिए राज़ी नहीं हो रहा था. अनेकों डायरेक्टर्स के इनकार के बाद डायरेक्टर-राइटर फ्रांसिस फोर्ड कोपोला का नाम सामने आया. जिनकी पिछली फिल्म बहुत बड़ी फ्लॉप रही थी. लिहाज़ा वो कम पैसों में भी काम करने को तैयार हो गए. फ़िल्म में मार्लन ब्रांडो, अल पचीनो जैसे कद्दावर एक्टर्स लिए गए. और बनी 'गॉडफादर'. जिसे वर्ल्ड सिनेमा में बेहद इज्ज़त का स्थान हासिल है.
'गॉडफादर' का पोस्टर.
इस फ़िल्म ने ना सिर्फ़ हॉलीवुड बल्कि पूरे विश्व में गैंगस्टर-माफ़िया फ़िल्मों को इन्फ्लुएंस किया. अपने इंडियन सिनेमा की भी बहुत सी फ़िल्मों में 'गॉडफादर' का प्रभाव साफ़ दिखता है. बस हुआ यूं कि कुछ फिल्मों में 'गॉडफादर' को एक प्रेरणास्त्रोत की तरह इस्तेमाल किया, तो कुछ ने रिबॉक का रीबूक कर दिया.
आज हम आपको उन भारतीय फिल्मों के बारे में बताएंगे, जो 'गॉडफादर' से लाइटली या हैविली इंस्पायर्ड हैं.