Pratik Gandhi और Patralekhaa की एक फिल्म आने वाली है. नाम है Phule. ये फिल्म समाज सुधारक, विचारक Jyotirao Phule और उनकी पत्नी Savitribai Phule की ज़िंदगी पर आधारित है. इसे नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्ममेकर अनंत नारायण महादेवन ने डायरेक्ट किया है. मगर जब से 'फुले' का ट्रेलर आया है, तभी से पिक्चर को लेकर बवाल चल रहा है. इस पर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं. अब सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म पर कैंची चला दी है. CBFC ने पिक्चर में कई बदलाव करने के निर्देश दिए हैं.
सेंसर बोर्ड ने प्रतीक गांधी की 'फुले' से हटवाए जातिगत भेदभाव वाले सीन्स, फिल्म में करवाए ये 12 बदलाव
Pratik Gandhi और Patralekhaa की Phule को लेकर बवाल जारी. सेंसर बोर्ड के फैसले पर भड़के राइटर. कहा- CBFC का तानाशाही भरा फैसला.

'फुले' एक पीरियड ड्रामा फिल्म है. जिसमें ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई के संघर्ष की कहानी बताई जाएगी. दोनों ने भेदभाव और कथित निचली जाति के लोगों के लिए जो काम किया, समाज में जो सुधार लाए, महिलाओं की शिक्षा के लिए जो कदम उठाए, उसे बड़े पर्दे पर दिखाया जाएगा. फुले दंपत्ति ने समाज के पिछड़े वर्गों के लिए जो काम किया वो आज की जनरेशन तक पहुंचाना ज़रूरी है. मगर सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कुछ ज़रूरी हिस्सों में काट-छांट करवाए हैं.
सोशल मीडिया पर ‘फुले’ फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट वायरल हो रहा है. जिसमें सेंसर बोर्ड ने फिल्म के मेकर्स को कुल 12 बदलाव सुझाए हैं. इसमें कई डायलॉग्स को डिलीट करने, कुछ डायलॉग्स को छोटा करने से लेकर हिस्टोरिकल रेफरेंस और सब्टाइटल में बदलाव करने को कहा है. नीचे हम आपको सिलसिलेवार तरीके से ये बदलाव बतला रहे हैं-
# फिल्म की शुरुआत में जो डिस्क्लेमर दिया गया है, उसका स्क्रीन टाइम और बढ़ाया जाए. ताकि वो ज़्यादा देर तक स्क्रीन पर रहे और उसे पढ़ा जा सके.
# फिल्म का एक सीन, जहां एक आदमी झाड़ू लगा रहा है और कुछ बच्चे सावित्रीबाई पर गोबर फेंक रहे हैं, इन सीन्स को रिप्लेस करना है.
# फिल्म के डायलॉग, ''जहां शूद्र को...झाडू बांधकर चलना चाहिए...'' से ''क्या यही हमारी...सबसे दूरी बनाकर रखना चाहिए...'' तक के डायलॉग को रिप्लेस और मॉडिफाई करने के लिए कहा गया है.
# डायलॉग, ''3000 साल पुरानी...गुलामी...'' को ''कई साल पुरानी है...'' से रिप्लेस करना है.
# ''पेशवाई असली...हाथ-पैर अलग करवा देते...'', डायलॉग को ''नसीब अच्छा था राजाशाही होती ना...हाथ-पैर अलग कर देते तुम्हारे...'' से रिप्लेस करना है.
# 'मांग', 'महर' जैसे शब्दों को रिप्लेस करना है.
# मनु महाराज की तरफ से कास्ट सिस्टम पर बोले हुए वॉइस ओवर में से, ''आबादी है आबाद...और उनका जीवन सार्थक होगा...'' को ''आबादी है, आबाद नहीं...आज़ादी की...'' से बदलने को कहा गया है.
# फिल्म के एक सब-टाइटल में साल गलत जा रहा है, उसे बदला जाए.
# डायलॉग, ''यहां तीन एम है...और हम वही करने जा रहे हैं...'' को डिलीट किया जाए.
# मेकर्स AWBI सर्टिफिकेट जमा करें.
# फिल्म में दिखाई गई हिस्टोरिकल चीज़ों के लिए जो रेफरेंस इस्तेमाल किए गए हैं, उनसे जुड़े डॉक्यूमेंट जमा करवाएं.
# फिल्म के सब-टाइटल से कास्ट शब्द को हटाकर वर्ण लिखा जाए.
इन 12 बदलावों के बाद सेंसर बोर्ड फिल्म को U/A सर्टिफिकेट देगा. यानी इस फिल्म को 12 साल से ज़्यादा उम्र के सभी लोग देख सकते हैं. 12 साल से कम उम्र के लोग अपने माता-पिता की निगरानी में ये फिल्म देख सकते हैं. इंडस्ट्री के कई लोगों ने सेंसर बोर्ड के इस फैसले पर टिप्पणी की है. जाने-माने राइटर Darab Farooqui ने अपने सोशल मीडिया पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट किया. उन्होंने लिखा,
'' 'फुले' के साथ जो कुछ भी हो रहा है, वो एक परफेक्ट उदाहरण है, इस बात का कि अच्छी हिंदी फिल्म बनाना असंभव क्यों हैं. अनंत महादेवन के डायरेक्शन में बनी ये हिंदी फिल्म फुले ज्योतिराव और सावित्रीबाई की ज़िंदगी पर आधारित है. प्रतीक गांधी और पत्रलेखा स्टारर इस फिल्म को अप्रैल 2025 में रिलीज़ किया जाना है.
जब से फिल्म का ट्रेलर आया है, तभी से महाराष्ट्र के ब्राह्मण ऑर्गनाइज़ेशन ने इसके खिलाफ आवाज़ उठाना शुरू कर दिया है. वो दावा कर रहे हैं कि फिल्म उनकी कम्युनिटी को गलत तरीके से दिखाएगी.''
उन्होंने आगे लिखा,
''इस विवाद को और बदतर बनाने के लिए सेंसर बोर्ड ने जाति आधारित भेदभाव को दर्शाने वाले कई हिस्सों और सीन्स को हटाकर फिर से अपनी तानाशाही वाली भूमिका निभाई है. इन सीन्स को हटाने के बाद फिल्म जो मज़बूत संदेश देना चाहती है, वो पूरी तरह से कमज़ोर पड़ जाएगा.''
दराब फारुखी ने सेंसर बोर्ड के मेंबर्स के नाम भी बताए हैं. जिन्होंने 'फुले' फिल्म में बदलाव करवाया है. इन बोर्ड मेंम्बर्स में विद्या बालन, वमन कांद्रे, विवेक अग्निहोत्री, मिहिर भूटिया, रमेश पाटांगे, गौतमी ताडिमल्ला, वाणी त्रिपाठी टीकू, जीविता राजशेखर और नरेश चंद्र लाल शामिल हैं.
बीते दिनों प्रतीक गांधी ने फिल्म पर चल रहे विवाद पर बात की थी. उन्होंने कहा था कि नैतिकता की वजह से इतिहास से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए. उनका कहना था कि अनंत महादेवन इस फिल्म को पूरी ईमानदारी के साथ स्क्रीन पर दिखाना चाहते हैं.
ख़ैर, इन्हीं सब विवादों की वजह से 'फुले' की रिलीज़ डेट को आगे बढ़ा दिया गया है. पहले ये 11 अप्रैल को रिलीज़ होने वाली थी. अब ये 25 अप्रैल को बड़े पर्दे पर उतारी जाएगी.
वीडियो: सेंसर बोर्ड ने 'सिकंदर' में क्या बदलाव कराए?